Thursday, January 7, 2010

न खुद किसी का सम्मान करेंगे और न ही किसी को करने देंगे

"नमस्कार लिख्खाड़ानन्द जी!"

"नमस्काऽऽर! नमस्कार, टिप्पण्यानन्द जी!!"

"सुना है कि कोई ब्लॉगर सम्मान आयोजित किया जा रहा था पर उसे स्थगित कर दिया गया।"

"अजी काहे का ब्लॉगर सम्मान? हम क्या सम्मान और रुपये के भूखे हैं? क्या हमारा साहित्यिक कद सम्मान, पुरुस्कार वगैरह का मोहताज है? हम क्या समझते नहीं हैं कि ये सम्मान करने वाले तो अपनी प्रसिद्धि के लिये टोटके अपना कर चिरकुटयाई कर रहे हैं। ना जाने कैसे कैसे अजीब लोग आ गये हैं हिन्दी ब्लोगिंग में। चले हैं सम्मान करने। आज के जमाने में क्या कोई किसी एक ब्लॉगर के सम्मान को सभी ब्लॉगरों का गौरव समझ सकता है क्या? कुछ ऐरे गैरे ब्लॉगरों की लिस्ट बना दिया वोटिंग के लिये। क्या बाकी ब्लॉगर मूर्ख हैं? अजी ये तो एक चाल थी एक का सम्मान कर के सौ का अपमान करने की, एक को आगे बढ़ा कर सौ को पीछे कर देने की। चाल चलना क्या सम्मान करने वाले ही जानते हैं? हम भी जानते हैं चाल चलना! इसीलिये हमने ऐसी चाल चली कि दाँतों पसीने आ गये सम्मान करने वाले की। पोल खोल कर रख दिया सम्मान करने वाली की टिप्पणियाँ करवा करवा के! बच्चू अब फिर कभी ब्लॉगर सम्मान जैसा कोई आयोजन के पहले सत्रह सौ साठ बार सोचेगा!"

"आपने बहुत ठीक किया लिख्खाड़ानन्द जी! भला हिन्दी ब्लोगिंग भी कोई सम्मान कमाने, रुपया कमाने के लिये है क्या? हिन्दी ब्लॉगिंग तो है दिल की भड़ास निकालने के लिये, नर नारी और धर्म सम्बन्धी विवाद करने के लिये, एक दूसरे की टाँग खींचने के लिये, कोई यदि अच्छा काम करे तो उसका वाट लगाने के लिये और ज्यादा से ज्यादा टिप्पणी पाने के लिये। हिन्दी ब्लोगर को रुपये या किसी सम्मान की कोई जरूरत है क्या? उसकी जरूरत तो मात्र अधिक अधिक से अधिक टिप्पणी पाना है। जिसका सम्मान करना है उसकी पोस्ट पर जाकर अधिक से अधिक टिप्पणियाँ कर दो और देखो कि कितना सम्मानित अनुभव करता है वह अपने आप को।"

"भाई टिप्पण्यानन्द जी! हमारा तो सिद्धान्त है कि न खुद किसी का सम्मान करेंगे और न ही किसी को करने देंगे!"

"बहुत अच्छा सिद्धान्त है जी आपका! अच्छा तो अब चलता हूँ, नमस्कार!"

"नमस्काऽऽऽर!"

Wednesday, January 6, 2010

कमाई कम हो तो काम कैसे चले?

इस हिन्दी ब्लोगिंग ने एक लंबे समय से हमारे अंग्रेजी लेखन को बिल्कुल बंद करा दिया और नतीजा यह हुआ कि हमें एडसेंस से हर महीने मिलने वाला चेक अब तीन तीन महीनों के बाद मिलने लगा याने कि कमाई कम हो गई। अब कमाई कम हो तो काम कैसे चले? इसलिये हमने सोचा कि कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा। वैसे भी नये साल में कुछ ना कुछ नया करना भी चाहिये।

तो हमने एक जुगत लगाई। दो रोज पहले अंग्रेजी का एक नया ब्लोग Indian Images बनाया। अब ये नया ब्लोग है तो अंग्रेजी का पर अंग्रेजी उसमें नाममात्र को ही है और विज्ञापन चकाचक रहे हैं। याने कि "हींग लगे ना फिटकरी और रंग आये चोखा"!


तो लगे हाथों आप भी जरा घूम आइये ना हमारे इस नये ब्लोग के दो चार पेजों में! आप वहाँ घूमेंगे तो ये आपकी मेहरबानी होगी हम पर क्योंकि आपके वहाँ जाने का मतलब है ट्रैफिक बढ़ना याने कि सर्च इंजिनों के नजदीक पहुँचना। यदि आप साइट और एड प्लेसमेंट के विषय में अपनी राय हमें देंगे तो और भी बड़ी मेहरबानी होगी आपकी हम पर।

चलिये अब कुछ आपके फायदे की बात भी कर लेते हैं। आप चाहें तो आप भी एडसेंस से इस प्रकार से कुछ कमाई कर सकते हैं। इसके लिये सबसे पहले तो आप जीमेल में अपना एक नया ईमेल बना लीजिये। जी हाँ, आप जीमेल में आप जितने चाहें उतने ईमेल बना सकते हैं, गूगल को इस पर कोई ऐतराज नहीं है।

अब आप अपने इस नये जीमेल वाले आईडी से ब्लोगर खाते में लागिन कीजिए। लागिन कर लेने के बाद एक नया अंग्रेजी ब्लोग बना लें। घबराइये नहीं, मैं आपको अपने अंग्रेजी ब्लोग के लिए अंग्रेजी लेख लिखने के लिए नहीं कह रहा हूँ पर आप एक दो लाइन तो अंग्रेजी लिख ही सकते हैं, एक शीर्षक तो बना ही सकते हैं। अंग्रेजी लिखने के नाम से बस आपको इतना ही करना है। बाकी काम आपके चित्र, व्हीडियो आदि के संग्रह कर देंगे। याने कि आपको अपने संग्रह के किसी चित्र, या व्हीडियो के लिए अंग्रेजी में एक फबता सा शीर्षक देना है और अपने ब्लोग में उस चित्र या व्हीडियो को पोस्ट कर देना है। हो सके तो चित्र से मेल खाता एकाध अंग्रेजी का वाक्य भी जोड़ दें, यह सोने में सुगन्ध का काम करेगा।

हाँ अंग्रेजी ब्लोग बनाने के पहले आप सुनिश्चित कर लें कि आपके ब्लोगर खाते की डिफॉल्ट भाषा अंग्रेजी ही है क्योंकि यदि यह हिन्दी होगी तो आपको एडसेंस विज्ञापन नहीं मिलेंगे। इसके लिए आप ब्लोगर खाते के डैशबोर्ड को एकदम नीचे तक स्क्रोल करें। वहाँ आपको लेंग्वेज आप्शन दिखाई देगा। उसे क्लिक करने पर आपको पता चल जायेगा कि आपका डिफॉल्ट लेंग्वेज क्या है। वहाँ यदि पहले से ही अंग्रेजी है तब तो कोई बात नहीं है और यदि वहाँ हिन्दी है तो उसे बदल कर अंग्रेजी कर लें। निश्चिंत रहिए, इससे आपके हिन्दी ब्लोग में कोई भी फर्क नहीं पड़ने वाला है।

अब यदि पहले से ही आपका एडसेंस खाता बना हुआ है तो चार पाँच पोस्ट कर लेने के बाद मोनेटाइज कर लीजिये, एडसेंस के विज्ञापन आने शुरू हो जायेंगे। और यदि अब तक आपका एडसेंस खाता नहीं खुला है तो आपको इसके लिये छः माह प्रतीक्षा करनी होगी क्योंकि एडसेंस विज्ञापन मिलने के लिये किसी भी ब्लोग को कम से कम छः माह तक सक्रिय रहना जरूरी है। तो अपने अंग्रेजी ब्लोग में रोज एक पोस्ट लगाना जारी रखें और छः महीने बाद मोनेटाइज बटन को क्लिक करें और वहाँ जो भी जानकारी मांगा जाए देते जाइये। बस आपका एडसेंस खाता खुल जायेगा।

Tuesday, January 5, 2010

मुझे वही पोस्ट अधिक पसंद आता है जो कि आम पाठकों के लिये लिखी गई हो

रोज ही मैं हिन्दी ब्लोगों के अधिकतर पोस्टों को पढ़ता हूँ किन्तु मुझे वही पोस्ट अधिक पसंद आता है जो कि आम पाठकों के लिये लिखी गई हो। आम पाठकों के लिये लिखी गई पोस्ट से मेरा मतलब है जिसे पढ़ने से किसी की कुछ जानकारी मिले, उसे कोई सार्थक सन्देश मिले या फिर उसका स्वस्थ मनोरंजन हो। मिसाल के तौर पर ललित शर्मा जी की पोस्ट दीवारें भी चमकेंगी नई रौशनी से! "एक नया अविष्कार" बेहद पसंद आई। इस पोस्ट से एक नई जानकारी मिलती है। हो सकता है कि कुछ लोग इसमें बताई गई बात को पहले से ही जानते हों किन्तु मैं समझता हूँ कि अधिकतर लोगों के लिये यह बिल्कुल ही नई जानकारी है। इसी प्रकार से महफ़ूज अली के पोस्ट "जानना नहीं चाहेंगे आप संस्कार शब्द का गूढ़ रहस्य..." भी एक अच्छी जानकारी देने वाला पोस्ट है। ऐसे और भी उदाहरण अवश्य हैं किन्तु वे अपेक्षाकृत कम हैं। मैं तो समझता हूँ कि अच्छी जानकारी वाले पोस्ट हर किसी को पसंद आयेंगे ही।

प्रत्येक व्यक्ति की अपनी कुछ न कुछ विशेष रुचि होती ही है और अपनी रुचि वाले विषय में वह इतना अधिक खोज-बीन करता है कि उसके पास अच्छी जानकारियों का भण्डार हो जाता है। आप भी किसी न किसी क्षेत्र में अवश्य ही महारत रखते होंगे तो फिर क्यों न उस क्षेत्र की अच्छी जानकारी दूसरों को उपलब्ध करवायें?

इसी प्रकार से आप अपने खट्टे-मीठे अनुभव भी लोगों को बाँट सकते हैं। यदि आप अपने पोस्ट में बताते हैं कि क्यों और कैसे आप किसी विपत्ति में फँस गये थे और उससे कैसे छुटकारा मिला तो वह भी पाठक के लिये एक जानकारी ही होती है और आपका पाठक आपके अनुभव से लाभ उठा सकता है। याने कि आपके खट्टे-मीठे अनुभव भी अच्छी जानकारी है पाठकों के लिये। इसी प्रकार से आपके संस्मरण भी लोगों को ज्ञान बाँटने तथा मनोरंजन देने के साधन हो सकते हैं। तो जब भी कुछ लिखें तो ऐसा लिखें जिससे कि लोगों को एक सार्थक सन्देश प्राप्त हो।

यदि आप अपने ब्लोग में अच्छी जानकारी से युक्त पोस्ट देंगे तो न केवल हिन्दी की सेवा होगी बल्कि हिन्दी ब्लोग की पाठक संख्या भी दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ेगी।

Monday, January 4, 2010

क्या टिप्पणियाँ ही किसी पोस्ट की गुणवत्ता का मापदंड हैं?

टिप्पणियों के मोह से आज कोई भी हिन्दी ब्लोगर अछूता नहीं है। टिप्पणियों का मोह कोई अस्वाभाविक बात नहीं है किन्तु जिस प्रकार से हिन्दी ब्लोगजगत में टिप्पणियाँ पा लेने का मोह है उससे तो लगता है कि टिप्पणियाँ ही किसी पोस्ट की गुणवत्ता का मापदंड है। याने कि जिस पोस्ट में जितनी अधिक टिप्पणियाँ वह उतना ही अच्छा पोस्ट! इस लिहाज से तो विवादास्पद पोस्ट ही सबसे अच्छे हैं जहाँ पर बहुत सारी टिप्पणियाँ मिलती हैं, भले ही उन टिप्पणियों में गाली-गलौज तक शामिल हो।

टिप्पणी आखिर है क्या? एक प्रतिक्रिया मात्र तो है यह। यह मानव स्वभाव है कि जब कभी भी वह किसी के विचार को पढ़ता या सुनता है तो उसके अंदर भी प्रतिक्रिया स्वरूप कुछ न कुछ विचार अवश्य उठते हैं। जब लोग अपने भीतर उठने वाले इन विचारों को व्यक्त कर देते हैं तो वह टिप्पणी की संज्ञा प्राप्त कर लेती है। प्रतिक्रियात्मक विचार तो सभी पाठकों के भीतर उठते हैं किन्तु यह जरूरी नहीं है कि वे सभी अपने विचारों को व्यक्त ही करें। विचारों की अभिव्यक्ति के लिये लेखन क्षमता भी चाहिये।

मैं तो समझता हूँ कि किसी पोस्ट की गुणवत्ता तय करने वाले वास्तव में उसके पाठकगण हैं न कि टिप्पणियाँ। नेट में आम पाठकों में एक बड़ा वर्ग ऐसे पाठकों का भी होता है जिनमें लेखन क्षमता नहीं होती और इसी लिये वे पोस्ट पढ़ कर भी टिप्पणी नहीं करते। ऐसे पोस्टों की कमी नहीं है जिनमें टिप्पणियाँ तो नहीं के बराबर हैं किन्तु पढ़े बहुत अधिक लोगों के द्वारा गये हैं और बहुत अधिक पसंद भी किये गये हैं। डिग.कॉम में जाकर देखें तो सैकड़ों की संख्या में डिग (पसंद) प्राप्त करने वाले पोस्टों में टिप्पणी ही नहीं है या है भी तो नहीं के बराबर।

ऐसा लगता है कि हिन्दी ब्लोगजगत में पाठक के ब्लोगर भी होने के कारण उसमें लेखन क्षमता भी होती ही है और वे अच्छी प्रकार से टिप्पणी कर लेते हैं इसीलिये यह भ्रान्ति बन गई है कि टिप्पणियाँ ही पोस्ट का मापदंड है। शायद इसीलिये यहाँ पर टिप्पणी मोह भी अधिक है।

जब हिन्दी ब्लोगों को आम पाठक मिलने शुरू हो जायेंगे तो टिप्पणी मोह अपने आप कम हो जायेगा और लोग अधिक से अधिक पाठक तैयार करने में ही अपनी सफलता मानना शुरू कर देंगे।

Sunday, January 3, 2010

महापण्डित रावण के बारे में कितना जानते हैं आप?


रावण का नाम सुनते ही हमें लगने लगता है कि उसमें मात्र अवगुण ही अवगुण थे। किन्तु वास्तव में ऐसा नहीं है। जिस प्रकार से किसी सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी प्रकार से सभी के गुण और अवगुण दोनों ही होते हैं। संसार में ऐसा कोई भी नहीं है जिसमें गुण ही गुण हों या अवगुण ही अवगुण हों। आपको जान कर शायद आश्चर्य हो कि रावण में अवगुणों से कहीं अधिक गुण थे। रावण वेद तथा समस्त पुराणों का ज्ञाता महापण्डित था। वह अपने काल के अदम्य शक्तिशाली दुर्घर्ष वीरों में अग्रणी था। सीता का हरण कर लेने के बाद भी रावण ने उनसे विवाह के लिये स्वीकृति हेतु उन्हें एक वर्ष का समय सोचने के लिये दिया था। इससे सिद्ध होता है कि रावण सदाचरण वाला तथा नारी को सम्मान देने वाला था।

रावण भगवान शिव का अनन्य भक्त था। रावण की भक्ति तथा स्तुति से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उसे चन्द्रहास नामक खड्ग भी दिया था।

दस सिर होने के कारण लंका के राजा रावण को दशानन के नाम से भी जाना जाता है। रावण में अवगुण अवश्य थे किन्तु उनके पास अपने अवगुणों से अधिक संख्या में गुण भी थे।

हिन्दुओं के आराध्य देव श्री राम के चरित्र को उज्ज्वल बनाने में सर्वाधिक सहयोग रावण का रहा है। श्री राम का रावण पर विजय को अधर्म पर धर्म का विजय की संज्ञा दी जाती है किन्तु यदि अधर्म ही ना रहे तो धर्म की विजय किस पर होगी?

रावण का उल्लेख पद्मपुराण, श्रीमद्भागवत पुराण, कूर्मपुराण, रामायण, महाभारत, आनन्द रामायण, दशावतारचरित आदि ग्रंथों में आता है। रावण के आविर्भाव के विषय में विभिन्न ग्रंथों में विभिन्न प्रकार के उल्लेख मिलते हैं।

  • पद्मपुराण तथा श्रीमद्भागवत पुराण में उल्लेख है कि हिरण्याक्ष एवं हिरण्यकशिपु दूसरे जन्म में रावण औरकुम्भकर्ण के रूप में पैदा हुए।
  • वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण पुलस्त्य मुनि के पुत्र विश्वश्रवा का पुत्र था। विश्वश्रवा की पहली पत्नीवरवर्णिनी ने जब कुबेर को जन्म दिया तो उनकी दूसरी पत्नी कैकसी को सौतिया डाह हो गया और उसने कुबेला मेंगर्भ धारण किया। यही कारण था कि उसके गर्भ से रावण तथा कुम्भकर्ण जैसे क्रूर स्वभाव वाले भयंकर राक्षसउत्पन्न हुये।
  • तुलसीदास जी रचित रामचरितमानस में बताया गया है कि रावण का जन्म शाप के कारण हुआ था। तुलसीदासजी नारद के द्वारा श्री विष्णु को शाप एवं प्रतापभानु की कथाओं को रावण के जन्म कारण बताते हैं।
दिति के पुत्र मय दानव की कन्या मन्दोदरी, जो कि हेमा नामक अप्सरा के गर्भ से उत्पन्न हुई थी, से रावण का विवाह हुआ था। रावण का पुत्र मेघनाद भी महापराक्रमी था। देवराज इन्द्र पर विजय पा लेने के कारण मेघनाद को इन्द्रजित के नाम से भी जाना जाता है।

महाज्ञानी एवं अनेक गुणो का स्वामी होने के बावजूद भी रावण अत्यन्त अभिमानी था। सत्ता के मद में उच्छृंखल होकर वह देवताओं, ऋषियों, यक्षों और गन्धर्वों पर नाना प्रकार के अत्याचार करता था। इसीलिये श्री राम ने उसका वध करके उसके अत्याचार का अन्त किया।

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Saturday, January 2, 2010

हिन्दी को बढ़ावा देना है तो गूगल की 'है बातों में दम?' प्रतियोगिता में बढ़-चढ़ कर भाग लें ... मैंने वहाँ 100 लेख दिये हैं आप मुझसे भी ज्यादा दें

क्या आप जानते हैं कि आपका कितना महत्व है? जी हाँ आपका बहुत महत्व है क्योंकि आपके लेख बहुत महत्वपूर्ण हैं। आपके लेखों में इतनी शक्ति है कि ये नेट में हिन्दी को वर्चस्व दिला सकते हैं। और मैं यह भी जानता हूँ कि नेट में हिन्दी को सबसे आगे लाना आपका उद्देश्य भी है। तो क्यों देर कर रहे हैं गूगल के 'है बातों में दम?' प्रतियोगिता में अपने लेख देने के लिये?

हम और आप के साथ साथ गूगल भी चाहता है कि नेट में हिन्दी आगे बढ़े। नेट में जितनी अधिक अच्छी सामग्री (अच्छे कंटेंट) आयेगी उतनी ही अधिक हिन्दी आगे बढ़ती जायेगी। अधिक से अधिक अच्छी सामग्री (अच्छे कंटेंट) लाने के लिये ही गूगल ने आयोजित किया है 'है बातों में दम?' प्रतियोगिता!

मुझे गूगल का यह प्रयास पसंद आया। 8 दिसम्बर 2009 को पहली बार मुझे इस प्रतियोगिता के विषय में पता चला। जब मैंने वहाँ जाकर देखा तो पाया कि मात्र दो-तीन लेख ही हैं वहाँ पर। मैंने वहाँ के लेखों की संख्या को बढ़ाने के लिये निश्चय कर लिया और अपने सामर्थ्य के अनुसार अलग-अलग वर्गों लेख डालने शुरू कर दिये। 31 दिसम्बर 2009 तक मैं वहाँ पर 92 लेख डाल चुका था। कल याने कि नये साल के पहले दिन मैंने ठान लिया कि आज यहाँ पर अपने लेखों का शतक बना कर ही रहूँगा और अन्ततः इसमें सफल भी हो गया। आप मेरे उन लेखों को यहाँ क्लिक कर के देख सकते हैं।

वहाँ पर वत्स जी और अन्तर सोहिल जी के लेख देख कर खुशी हुई मुझे! पर मात्र एक लेख से काम नहीं चलना है। मेरा आप सभी लोगों से अनुरोध है कि आप अपने अधिक से अधिक अच्छे लेख इस प्रतियोगिता में दें। इस प्रकार से आप न केवल नेट में हिन्दी को बढ़ावा देंगे बल्कि पुरस्कार प्राप्त करने का अवसर भी पा सकेंगे, याने कि "आम के आम गुठलियों के दाम"! ये पुरस्कार हैं:

हर विषय श्रेणी के विजेता के लिए एक लैपटॉप [श्रेणियाँ हैं (1) मनोरंजन संस्कृति और साहित्य (2) यात्रा (3) खेल (4) स्वास्थ्य और (5) सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दे]

हर विषय श्रेणी में 9वीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थी द्वारा प्रस्तुत की गई सर्वश्रेष्ठ प्रविष्टि को किसी ऑनलाइन पुस्तक की दुकान के 5000 रु के गिफ्ट वाउचर

सभी विषय श्रेणियों में से छांटी गईं पहली 50 प्रविष्टियों को 6 महीने का मुफ़्त इंटरनेट सब्सक्रिप्शन

सभी विषय श्रेणियों में से छांटी गईं अगली 250 प्रविष्टियों के लिए Google गुडीज़
तो फिर देर बिल्कुल मत करें, अपना कम से कम एक अच्छा लेख तो अभी ही डाल दें वहाँ जा कर क्योंकि "काल करे सो आज कर आज करे सो अब्ब पल में परलय होयगा बहुरि करेगा कब्ब"।

लेख डालने के लिये सिर्फ श्रेणी के आगे "अपनी प्रविष्टि दें" बटन को क्लिक करना है, अपने गूगल आईडी से लागिन करना है और आपके सामने स्क्रीन होगा लेख डालने के लिये!

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Friday, January 1, 2010

कर दिया ना कबाड़ा इस नये साल ने ... हमारा तो हेडर ही गायब हो गया

नया साल आ गया! खुशी के साथ हम अपना ब्लॉग में गये किन्तु यह क्या? यहाँ तो हमारा हेडर ही गायब है। इस नये साल ने हमें हमारे ब्लॉग का हेडर गायब करके शायद कोई नये प्रकार का गिफ्ट दिया है। चलिये कोई बात नहीं, हम समझते हैं कि ब्लोगर में शायद कुछ परेशानी आ गई होगी जिसे गूगल वाले जल्दी ही ठीक कर लेंगे और हमारा हेडर फिर से वापस आ जायेगा।

अब नये साल से कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

नया साल तुम क्या लाये हो?
विश्व-शान्ति है क्या तुममें?
या उर में विस्फोट छियाये हो?

ये प्रश्न मैं नहीं कर रहा बल्कि उन्तीस साल पहले 01-01-1981 के दिन मेरे पिता स्व. श्री हरिप्रसाद अवधिया ने नये साल से ये प्रश्न किये थे अपनी कविता "नया साल तुम क्या लाये हो?" में। ये प्रश्न आज भी अपनी जगह पर खड़े हैं।

प्रस्तुत है वही कविताः

नया साल तुम क्या लाये हो?
(स्व. श्री हरिप्रसाद अवधिया रचित कविता)

नया साल तुम क्या लाये हो?
विश्व-शान्ति है क्या तुममें?
या उर में विस्फोट छियाये हो?
नया साल तुम क्या लाये हो?

उल्लास नया है,
आभास नया है,
पर थोड़े दिन के ही खातिर,
फिर तो दिन और रात बनेंगे
बदमाशी में शातिर
वर्तमान में तुम भाये हो,
नया साल तुम क्या लाये हो?

असुर न देव बनेंगे,
जो जो हैं वे वही रहेंगे,
शोषण कभी न पोषण बनेगा
रक्त पियेगा बर्बर मानव
जो चलता था वही चलेगा।
फिर क्यों जग को भरमाये हो?
नया साल तुम क्या लाये हो?

पिछला वर्ष गया है,
आया समय नया है।
क्या भीषण आघातों से
मानवता का किला ढहेगा?
बोलो, तुम क्यों सकुचाये हो?
नया साल तुम क्या लाये हो?

(रचना तिथिः 01-01-1981)


चलते-चलते

एक और प्रस्तुति:

नया साल है
(स्व. श्री हरिप्रसाद अवधिया रचित कविता)

नया साल है-
लेकिन कौन खुशहाल है?
जो पहले चलता था
वही अब भी बहाल है।

नये वर्ष में-
क्या स्वभाव बदल जायेगा?
जो बदरंग रंग जमा था अब तक,
वही रंग फिर रंग लायेगा।
दुनिया पशुता का कमाल है
नया साल है।

वर्ष आते और जाते रहते हैं,
साथ में खुशियाँ और गम लाते रहते हैं,
सच तो यह है कि-
काल का चक्र एक-सा चलता है,
वर्ष नहीं बदलते पर
भावना का संसार बदलता है
और संसार एक जंजाल है,
नया साल है।

कल्याण का संकल्प दृढ़ है तो,
अवश्य ही नया साल है,
अन्यथा न नूतन है न पुरातन है वरन्
सृष्टि में निरन्तर महाकाल है,
नया साल है।

(रचना तिथिः 01-01-1982)