tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post2737723996275580772..comments2024-02-01T17:17:24.739+05:30Comments on धान के देश में!: शिक्षा का उद्देश्य ज्ञानार्जन या धनार्जन?Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-43063527365817482872010-10-28T09:01:20.372+05:302010-10-28T09:01:20.372+05:30गंभीर और विचारणीय.गंभीर और विचारणीय.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-33952927222641616172010-10-26T01:25:01.108+05:302010-10-26T01:25:01.108+05:30आप से सहमत हे जी, भारत मे तो यह एक दुकान ही बन गई ...आप से सहमत हे जी, भारत मे तो यह एक दुकान ही बन गई हे. धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-51322802337145779792010-10-25T22:39:23.903+05:302010-10-25T22:39:23.903+05:30सरकार ही जिम्मेदार है हर क्षेत्र में दुर्दशा हेतु....सरकार ही जिम्मेदार है हर क्षेत्र में दुर्दशा हेतु.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-55852581965775081302010-10-25T22:34:19.859+05:302010-10-25T22:34:19.859+05:30सरकार ही जिम्मेदार है हर क्षेत्र में दुर्दशा हेतु....सरकार ही जिम्मेदार है हर क्षेत्र में दुर्दशा हेतु.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-78655955905594132952010-10-25T21:21:42.395+05:302010-10-25T21:21:42.395+05:30एक बार जब धन आने लगता है तब विद्या की प्यास जग जात...एक बार जब धन आने लगता है तब विद्या की प्यास जग जाती है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-81620213881189365892010-10-25T20:42:02.625+05:302010-10-25T20:42:02.625+05:30आपने बिल्कुल सही कहा है, अब शिक्षा अपना अर्थ खो चु...आपने बिल्कुल सही कहा है, अब शिक्षा अपना अर्थ खो चुकी है. यहाँ तो शिक्षा व्यापार बन चुकी है किन्तु पैसे लुटाकर भी कुछ सीखने जाते हैं लेकिन उसको क्या कहेंगे कि हजारोंरुपये लेकर डिग्री दे रहे हैं जिसमें न शिक्षा है और न ही ज्ञान. क्या करेंगे ऐसी डिग्री का? फिर भी लोग ले रहे हैं और संस्थान दे रहे हैं . जी हाँ नामी गिरामी संस्थान. इसका विस्तृत वर्णन भी प्रस्तुत करूंगी.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-31596561016122776192010-10-25T12:18:29.743+05:302010-10-25T12:18:29.743+05:30आपने सही कहा जी
आज शिक्षा ज्ञान के लिये नहीं, बल्क...आपने सही कहा जी<br />आज शिक्षा ज्ञान के लिये नहीं, बल्कि धनोपार्जन का साधन मात्र बन गया है।<br /><br />माता-पिता कहने भी लगे हैं कि हमने तुम्हारी पढाई पर इतना खर्च किया है। यानि इनवेस्टमेंट की है। <br /><br />इस बहुत बढिया पोस्ट के लिये हार्दिक आभार<br /><br />प्रणाम स्वीकार करेंअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.com