tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post3752848151416675744..comments2024-02-01T17:17:24.739+05:30Comments on धान के देश में!: पैसे की मैं बारिश कर दूँ गर तू हो जाये मेरीAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-12852033187033585072010-02-10T10:35:42.440+05:302010-02-10T10:35:42.440+05:30जब भी छिडता था जिक्र का
मेरा इक दोस्त कुछ यूं फ़रम...<i> <b> जब भी छिडता था जिक्र का<br /> मेरा इक दोस्त कुछ यूं फ़रमाया करता था , <br /> मेरे दोस्त आज करते हैं सभी मोहब्बत ,<br /> पहले ये इश्क ,.....हो जाया करता था </b> </i><br /><a href="http://www.google.com/profiles/ajaykumarjha1973#about" rel="nofollow"> अजय कुमार झा </a>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-87933981451918209282010-02-10T04:14:52.540+05:302010-02-10T04:14:52.540+05:30"मैं बारिश कर दू पैसे की जो तू हो जाये मेरी &..."मैं बारिश कर दू पैसे की जो तू हो जाये मेरी " को सुनते हुए पुराने ज़माने का गीत " एक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल सारी दुनिया को मुहब्बत की निशानी दी है " ...अब आजकल कोई ताजमहल तो बनवाता नहीं क्युकी एक के मरने से पहले ही दूसरी आ जाती है ...और वो इतनी बेवकूफ भी नहीं होती कि ताजमहल बनवाने के लिए अपनी जान दे दे ... तो फिर आस बनाये रखने के लिए पैसे बरसाने की बात ही की जा सकती है ....(यह सिर्फ एक हास्य है ...युवा पीढ़ी खुद पर कटाक्ष नहीं समझे ..:)...)वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-84214359830810707382010-02-09T23:07:47.476+05:302010-02-09T23:07:47.476+05:30यह भी खूब रही।यह भी खूब रही।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-41733842670292434892010-02-09T22:58:12.385+05:302010-02-09T22:58:12.385+05:30रोचक पोस्ट।रोचक पोस्ट।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-10095749884401236222010-02-09T18:09:45.163+05:302010-02-09T18:09:45.163+05:30हा हा हा ! चालाक लकडहारा ।हा हा हा ! चालाक लकडहारा ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-88918036535959773022010-02-09T12:18:47.976+05:302010-02-09T12:18:47.976+05:30चाँद सितारे तोड़ लाने का वादा छलावा होता था. जमाना ...चाँद सितारे तोड़ लाने का वादा छलावा होता था. जमाना 'प्रेक्टिकल' होने का है. प्रेमिका पैसा चाहती है. बाकि चिजें इससे आ जाती है :)संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-23289499927063547602010-02-09T11:34:27.270+05:302010-02-09T11:34:27.270+05:30it's a great post
---
EINDIAWEBGURUit's a great post<br />---<br /><a href="http://www.eindiawebguru.com" rel="nofollow">EINDIAWEBGURU</a>Saloni Subahhttps://www.blogger.com/profile/14693808135456725327noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-22287724879965787152010-02-09T10:25:52.891+05:302010-02-09T10:25:52.891+05:30पर मुश्किल यह है कि उन महत्वपूर्ण वस्तुओं को प्राप...पर मुश्किल यह है कि उन महत्वपूर्ण वस्तुओं को प्राप्त करने के लिये पैसे की ही जरूरत होती है।<br /><br /><br />बिलकुल सही कहा आपने.... आजकल की माशूकाएं.... अगर मिलेंगी तो यह भी देखतीं हैं कि आपके हाथ में कौन सा मोबाइल सेट है.... प्रीपेड है या पोस्टपैड.... कार कौन सी....है....मारुती ८०० या फिर बलेनो... कहतीं हैं कि बाइक तो आजकल दूधवाला भी रखता है..... <br /><br />बहुत ज़माना खराब है....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-82584798273310135682010-02-09T10:24:21.011+05:302010-02-09T10:24:21.011+05:30चरित्र, ईमानदारी, वफा आदि गुण तो अब रहे नहीं बस के...चरित्र, ईमानदारी, वफा आदि गुण तो अब रहे नहीं बस केवल बेईमानी से कमाया हुआ पैसा ही पास है तो उसी की बारिश तो अब होगी ना? बड़ा अच्छा लिखा है आपने।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-44725830998369075602010-02-09T10:22:48.961+05:302010-02-09T10:22:48.961+05:30हा-हा-हा-हा-हा-हा....!बहुत खूब
krantidut.blogspot...हा-हा-हा-हा-हा-हा....!बहुत खूब <br />krantidut.blogspot.comarvindhttps://www.blogger.com/profile/15562030349519088493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-35578170437355713202010-02-09T10:10:00.386+05:302010-02-09T10:10:00.386+05:30किसी जमाने में हम भी यही समझा करते थे कि हम सारी द...<i>किसी जमाने में हम भी यही समझा करते थे कि हम सारी दुनिया को पाल सकते हैं पर अब तो यही सोचते हैं कि काश! सारी दुनिया मिलकर हमें पाल ले!</i><br /><br />बहुत खूब अवधिया जी!!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-58507360403504044292010-02-09T10:03:53.897+05:302010-02-09T10:03:53.897+05:30भाई साहब आपके जमाने मै प्रेमिकाये भोली होती थी
प्...भाई साहब आपके जमाने मै प्रेमिकाये भोली होती थी <br />प्रेमी कह्ता था कि चान्द तारे तोद के ला दुन्गा वो मान लेती थी. अब प्रेमिकाये व्यवहार निपुण हो गयी है. वो इतनी ही डिमान्ड रखती है कि चल मोभाइल रीचार्ज करा दे, आइसक्रीम खिला दे, सिनेमा दिखा दे और बहुत ही प्रेक्टिकल निकली तो कहेगी १ किलो आलू और १ किलो प्याज दिला दे सस्ते हो तो.<br /><br />एक और बदलाव आया है <br />राहत इन्दोरी को सुनकर लडके भी व्यवहार निपुण हो गये है. राहत कह्ते है <br />प्यार दोनो की जरूरत है चलो इश्क करे <br />ये मुनाफ़े की तिज़ारत है चलो इश्क करेAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-39278892274661570392010-02-09T10:00:05.392+05:302010-02-09T10:00:05.392+05:30अवधिया साहब , आप गाने का सही अर्थ नहीं समझ पाए लग...अवधिया साहब , आप गाने का सही अर्थ नहीं समझ पाए लगता है :) ऐक्चुअवली जिसने यह गाना लिखा , पहले वह हरिद्वार में गंगा घात पर एक पण्डे के साथ काम करता रहा होगा, लोग दान में १-२-३-५-१०-२०-२५ और ५० पैसे के सिक्के दिया करते थे ! जो अब उसके घर में बोरियां भर-भर के पड़े है, क्या करेगा बेचार उन सिक्को का तो उसने सोचा कि महबूबा पर ही इन्हें बरसा दूं , इम्प्रेस हो जायेगी ! हा-हा-हा-हा-हा-हा....!पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-69802062783094111812010-02-09T09:51:54.973+05:302010-02-09T09:51:54.973+05:30niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.com