tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post432013201944443751..comments2024-02-01T17:17:24.739+05:30Comments on धान के देश में!: ऊँचाई पर पहुँचना बड़ी बात नहीं है, बड़ी बात है ऊँचाई पर बने रहनाAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-49931000512751889372010-04-22T00:17:45.528+05:302010-04-22T00:17:45.528+05:30सच है..कुदरत जीवन की ऊँचाई को छूने का मौका तो सबको...सच है..कुदरत जीवन की ऊँचाई को छूने का मौका तो सबको उपलब्ध कराती है...लेकिन ऎसे बहुत कम लोग होते हैं जो उस ऊँचाई तक पहुँचकर भी पैर मजबूती से टिकाए रखते हैं.....Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-54925407681968478882010-04-22T00:04:35.725+05:302010-04-22T00:04:35.725+05:30सच है. बढिया विचार.सच है. बढिया विचार.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-88426855788440904202010-04-21T22:40:54.787+05:302010-04-21T22:40:54.787+05:30अवधिया जी हम भुल गये कल आप के ब्लांग के जरिये हम इ...अवधिया जी हम भुल गये कल आप के ब्लांग के जरिये हम इस आम बेचने वाले के पास मेल किये थे, कि भाई थोडे आम हमे भेज दे, ओर बताये कि कितना खर्च आयेगा, तो इन्होने मना कर दिया कि यह विदेशो मै आम नही भेजते, लेकिन जो रेट यह बता रहे है वो भारत मै तो बहुत महंगे लगे, यानि २००० रुपये के ४८ आम बाप रे...राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-24740936075647830392010-04-21T19:57:44.045+05:302010-04-21T19:57:44.045+05:30"जिस किसी का भी उत्थान होता है उसका कभी न कभी..."जिस किसी का भी उत्थान होता है उसका कभी न कभी पतन भी अवश्य ही होता है"।<br />उत्थान और पतन सापेक्ष है. जिसे हम उत्थान समझ रहे है वह किसी की दृष्टी में पतन हो सकता है.M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-54462223768560360742010-04-21T13:14:58.100+05:302010-04-21T13:14:58.100+05:30आप की बात से सहमत हुं, लेकिन जो व्यक्ति बिना लालच ...आप की बात से सहमत हुं, लेकिन जो व्यक्ति बिना लालच के ऊंचाई पर पहुचता है, उसे तो पता ही नही होता कि उसे के चाहने वालो ने उसे कहां पहुचा दिया, वो मस्त रहता है.<br />लेकिन जो चापलुसी, चमच्चा गिरी, हेरा फ़ेरी ओर गलत ढंग से ऊंचाई पर पहुच जाता है, जिस का मकसद ही बस उस ऊंचाई पर पहुचना है, वो एक बार तो जरुर पहुच जाता है उस ऊंचाई पर लेकिन फ़िर ऎसा गिरता है की उस के पांव तले की जमीन भी उसे नही मिलती..... इस्लिये उस ऊंचाई पर बने रहने के लिये चरित्र वान होना ओर उस पर कायम रहना, ओर लालच रहित रहना जरुरी होता है.<br />धन्यवाद इस अति सुंदर लेख के लियेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-39234589748620162362010-04-21T12:58:32.370+05:302010-04-21T12:58:32.370+05:30बहुत सुंदर और अच्छा विचार.... जीवन में उतारने योग्...बहुत सुंदर और अच्छा विचार.... जीवन में उतारने योग्य ....<br /><br />धन्यवाद...डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-19958976544987155622010-04-21T12:38:16.085+05:302010-04-21T12:38:16.085+05:30"जिस किसी का भी उत्थान होता है उसका कभी न कभी..."जिस किसी का भी उत्थान होता है उसका कभी न कभी पतन भी अवश्य ही होगा"<br /><br />किन्तु इमानदारी और योग्यता के बल पर इंसान भले ही देर से शिखर पर पहुंचता हो मगर देर तक टिका रहता है !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-41099505081452247642010-04-21T10:42:53.586+05:302010-04-21T10:42:53.586+05:30प्रकृति हर वक्त संतुलन के लिए काम करती है .. कल त...प्रकृति हर वक्त संतुलन के लिए काम करती है .. कल तुम्हारी तो आज हमारी .. सबकी तो आएगी बारी .. नीचे जाने से डरना क्या ?संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-28787373429646231322010-04-21T10:36:53.718+05:302010-04-21T10:36:53.718+05:30बहुत सही बात कही बड़े गुरुजी
पीतल पर सोने की पालिश ...<b>बहुत सही बात कही बड़े गुरुजी<br />पीतल पर सोने की पालिश उतर ही जाती है।<br />एक दिन कलई खुल ही जाती है।<br />ज्ञान दर्पण के लिए-आभार</b>ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-23384678678295249562010-04-21T10:27:23.446+05:302010-04-21T10:27:23.446+05:30सत्य वचन अवधिया जी।सत्य वचन अवधिया जी।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-24964380164034197172010-04-21T10:23:47.795+05:302010-04-21T10:23:47.795+05:30ऊँचाई पर पहुंचने के लिए यदि योग्यता और चरित्र का ...ऊँचाई पर पहुंचने के लिए यदि योग्यता और चरित्र का ही सहारा लिया जाएगा तब वह टिकाऊ होगी लेकिन यदि चापलूसी से ऊँचाइयां खरीदी है तब एक दिन पतन निश्िचत है।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-36896175948469288272010-04-21T10:13:21.259+05:302010-04-21T10:13:21.259+05:30अवधिया जी,बहुत बढिया विचार प्रेषित किए हैं।आभार।अवधिया जी,बहुत बढिया विचार प्रेषित किए हैं।आभार।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.com