tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post5087414595747900386..comments2024-02-01T17:17:24.739+05:30Comments on धान के देश में!: मारो स्साले को जूता... याने कि जुतियानाAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-31182327596858707862010-10-07T18:31:22.879+05:302010-10-07T18:31:22.879+05:30बहुत ही गजब की पोस्ट लगी अवधिया जीबहुत ही गजब की पोस्ट लगी अवधिया जीअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-2513565933380835412010-10-06T23:25:00.813+05:302010-10-06T23:25:00.813+05:30ललित जी की बात पर मुस्कुराना ही पड़ाललित जी की बात पर मुस्कुराना ही पड़ाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-18533876190472128382010-10-06T21:46:30.615+05:302010-10-06T21:46:30.615+05:30अब स्कुल खोल ले जुतियाना सिखाने का, सच मै बहुत चले...अब स्कुल खोल ले जुतियाना सिखाने का, सच मै बहुत चलेगा जी, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-70155058357732252472010-10-06T15:28:15.126+05:302010-10-06T15:28:15.126+05:30एक जूता कृश्न चंदर का भी याद आ रहा है, संभवतः जाम...एक जूता कृश्न चंदर का भी याद आ रहा है, संभवतः जामुन का पेड़ संग्रह में शामिल है.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-91873113874493409922010-10-06T15:10:22.286+05:302010-10-06T15:10:22.286+05:30जब जूता नहीं था तो लोग लात से मारते थे और उसे लतिय...जब जूता नहीं था तो लोग लात से मारते थे और उसे लतियाना कहते थे | आज भी ये प्रचलन में है और कही से भी जुतियाने से कम नहीं है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-57999290104704692412010-10-06T13:57:09.072+05:302010-10-06T13:57:09.072+05:30राग दरबारी से लेकर शोले तक जुतियाने का सफर बढ़िया र...राग दरबारी से लेकर शोले तक जुतियाने का सफर बढ़िया रहा। राग दरबारी में लंगड़दीन को जुतियाना नहीं आया इस कारण वह इसकी सजा अन्तिम तक भुगतता रहा। सांसारिक जीवन में बने रहना है तो जुतियाना भी आना चाहिए।ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-75700557810251150322010-10-06T13:39:26.698+05:302010-10-06T13:39:26.698+05:30बहुत ज़ोर से जुतियाया आपने......
कुछ लोग इसके वास...बहुत ज़ोर से जुतियाया आपने......<br /><br />कुछ लोग इसके वास्तविक अधिकारी होते हैं उन्हें उनका हक़ मिलना ही चाहिएAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-34817695007105586372010-10-06T12:31:09.817+05:302010-10-06T12:31:09.817+05:30काफी विचार मंथन किया है ..अच्छा जूता पुराणकाफी विचार मंथन किया है ..अच्छा जूता पुराणसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-19051367370910621432010-10-06T11:34:28.030+05:302010-10-06T11:34:28.030+05:30वाह, जूता पुराण।वाह, जूता पुराण।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com