tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post6731692071558142681..comments2024-02-01T17:17:24.739+05:30Comments on धान के देश में!: डॉ. जमालगोटा का करम खोटा... बन गया वो बिन पेंदी का लोटाAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-8158035035762399112010-03-31T22:08:41.059+05:302010-03-31T22:08:41.059+05:30आवधिया जी कमाल कर दित्ता तुसी ते, बहुत सुंदर,आवधिया जी कमाल कर दित्ता तुसी ते, बहुत सुंदर,राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-67384450911891818962010-03-31T21:34:24.906+05:302010-03-31T21:34:24.906+05:30meri post kidharmeri post kidharTaarkeshwar Girihttps://www.blogger.com/profile/06692811488153405861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-35942350209297473642010-03-31T21:09:07.115+05:302010-03-31T21:09:07.115+05:30अरे भाई साहेब क्या करे , समझाते - समझाते थक गए । ल...अरे भाई साहेब क्या करे , समझाते - समझाते थक गए । लेकिन वो तो क्या कहे। हमारे आजमगढ़ के पड़ोस मैं एक गाँव है जिसमे सिर्फ पागल रहते हैं। और जो नहीं रहते हैं वो कंही ना कंही आई ये यस या पी सी यस हैं। लेकिन पागल सिर्फ इस लिये हुए की वो पागल लोग डॉ अनवर जमाल की तरह कुछ ज्यादा ही पढ़ लिख गए। और उनके चले भी उन्ही की तरह , वो क्या नाम है करेला या करान्वी पता नहीं।Taarkeshwar Girihttps://www.blogger.com/profile/06692811488153405861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-51588358342347423612010-03-31T20:40:56.357+05:302010-03-31T20:40:56.357+05:30सुना है गूगल भारत और पाकिस्तान सरकार के साथ मिलकर ...सुना है गूगल भारत और पाकिस्तान सरकार के साथ मिलकर कोई सांझा उपक्रम शुरू करने जा रहा है...जिसके तहत हिन्दी ब्लागजगत में फैले सभी नकटों, पागलों को पकड पकडकर पाकिस्तान की मंडियों में बेचने के लिए भेज दिया जाएगा...वहाँ ऎसे लोगों की बहुत भारी डिमांड है:-)Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-81994452597403601472010-03-31T18:56:51.212+05:302010-03-31T18:56:51.212+05:30डाक्टर साहब बेचारे,उन्होंने पढ़ा तो होगा जरुर!
सलीम...डाक्टर साहब बेचारे,उन्होंने पढ़ा तो होगा जरुर!<br />सलीम मियाँ भी लुक-छिप कर देख तो गए होंगे!और इन्टरनेट पर कैराना भी कहा दूर है!<br />पर क्षणिक शर्म टाइप की चीज आ ही गयी होगी सो यहाँ जवाब नहीं दे पाए होंगे!अगली पोस्ट कि तय्यारी में लग गए होंगे,अब शर्म क्षणिक ही तो थी जनाब!<br /><br />kunwar ji,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-9524729633654839912010-03-31T15:03:28.298+05:302010-03-31T15:03:28.298+05:30नकटा आगे नकटी नाचे,नकटी ताल बजावे
नकटी आगे नकटा गा...नकटा आगे नकटी नाचे,नकटी ताल बजावे<br />नकटी आगे नकटा गावे,नकटी नकटा भावे<br /><br />दादु द्वै द्वै पढ लिए, साखी भी हुँ चार<br />हमको अनुभव उपजी,हम ज्ञानी संसार<br /><br />जय होब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-6216319011152515692010-03-31T15:00:45.996+05:302010-03-31T15:00:45.996+05:30पागल समझ कर दया ही तो कर रहे थे सुरेश जी किन्तु पा...पागल समझ कर दया ही तो कर रहे थे सुरेश जी किन्तु पागलपन की भी कोई सीमा होती है। ठीक है, आप कह रहे हैं तो अब आगे भी दया ही करेंगे।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-50886945429578488812010-03-31T13:42:41.674+05:302010-03-31T13:42:41.674+05:30एक बार मार दिया आपने, बस ठीक है… अब और नहीं…
&quo...एक बार मार दिया आपने, बस ठीक है… अब और नहीं… <br />"पागलों" पर दया करनी चाहिये ऐसा सामान्य व्यवहार कहता है…। यदि खाड़ी देशों से मिले पैसों का उपयोग और हिसाब नहीं करेगा तो बेचारा लिखेगा क्या? क्योंकि देश के किसी ज्वलंत मुद्दे पर लिखना तो आता नहीं…। <br /><br />हिन्दी पत्रिका "सरिता" के पुराने अंकों में से देख-देखकर नकल करता है बेचारा… जाने दीजिये सर, दया कीजिये…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-8993408114484397852010-03-31T11:43:28.504+05:302010-03-31T11:43:28.504+05:30एक बार गलती से या यूँ समझे की पहली बार जिज्ञासावश ...एक बार गलती से या यूँ समझे की पहली बार जिज्ञासावश एक पोस्ट पढ कर ही पता चल गया था कि <b>"इन तिलों में तेल नहीं".</b> बस उसके बाद तो उस गली का रास्ता ही नहीं पकड़ा. क्योंकि कबीरदासजी ने कहाँ है कि <b>ज्ञानी से कहिये कहाँ कहत कबीर लजाये, अंधे आगे नाचते कला अकारथ जाए. </b>Bhavesh (भावेश )https://www.blogger.com/profile/14963074448634873997noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-43362409049085003022010-03-31T11:35:02.431+05:302010-03-31T11:35:02.431+05:30वाह अवधिया जी,
आपने बहुत करारी पोस्ट लिखी है।
कुर्...वाह अवधिया जी,<br />आपने बहुत करारी पोस्ट लिखी है।<br />कुर्रम कुर्रम कुरकुरे वाली<br />अन्याय करना जितना बड़ा अपराध है, अन्याय सहना उससे भी बड़ा अपराध है। इसीलिये कभी-कभी "जिन मोहे मारा ते मैं मारे" वाले अंदाज में भी आना पड़ता है, ईंट का जवाब पत्थर से देना ही पड़ता है।<br /><br />सही जवाबsudha prajaptihttps://www.blogger.com/profile/07963406041844494481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-71231833412404305122010-03-31T11:32:10.153+05:302010-03-31T11:32:10.153+05:30मुझे तो अवधिया साहब , यही सोच-सोच कर हैरानी होती र...मुझे तो अवधिया साहब , यही सोच-सोच कर हैरानी होती रहती है कि जब इनके एक डाक्टर ( तथाकथित ) की मानसिकता ऐसी है तो बाकी के आम सलीमो की सोच पर तो हम खामख्वाह नाराजगी व्यक्त कर रहे थे!पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.com