tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post7914279456961041061..comments2024-02-01T17:17:24.739+05:30Comments on धान के देश में!: क्या हिन्दी में छंदबद्ध कविताएँ लिखनी खत्म हो जायेंगी?Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-52002859386353605382010-01-26T10:01:33.084+05:302010-01-26T10:01:33.084+05:30गौतम राजरिशी aur संजीव तिवारी dono se sahamatगौतम राजरिशी aur संजीव तिवारी dono se sahamatAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-52138894514670737252010-01-26T06:55:08.880+05:302010-01-26T06:55:08.880+05:30प्रेम के गीत लिख व्याकरण पर न जा
मन की पीड़ा समझ आच...प्रेम के गीत लिख व्याकरण पर न जा<br />मन की पीड़ा समझ आचरण पर न जा<br />देख मेरा मन कोई गीता से कम नही<br />खोलकर पृष्ठ पढ आवारण पर न जा,<br /><br />यह कविता है जो मुक्त है बंधनों से (मुक्तक)<br /><br />जब तक गुरु शिष्य परम्परा कायम रहेगी तब तक छंद मे आबद्ध रचनाएं मिलती रहेगी, छंद विद्या गुरु के चरणों मे बैठकर ही मिलती है कई वर्षों की तपस्या के बाद्। अस्तु<br /><br />गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएंब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-82495667234484899622010-01-26T00:20:33.662+05:302010-01-26T00:20:33.662+05:30अलंकारयुक्त छंदबद्ध रचनाएँ लुप्तप्राय होते जा रही ...अलंकारयुक्त छंदबद्ध रचनाएँ लुप्तप्राय होते जा रही है... सही कहा आपने ....इसका कारण सिर्फ व्याकरण से दूर होना है.... बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट...डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-72719318016099515272010-01-25T21:17:18.191+05:302010-01-25T21:17:18.191+05:30अगर हमारे कवि लोग लिखना बन्द कर दे तो, लेकिन कवि ...अगर हमारे कवि लोग लिखना बन्द कर दे तो, लेकिन कवि क्यो बन्द करेगे लिखना?<br />आप को गणतंत्र दिवस की मंगलमय कामनाराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-41843347397089004432010-01-25T17:40:03.528+05:302010-01-25T17:40:03.528+05:30अवधिया जी, यदि आप कुछ टिप्स दें तो हम भी प्रयास कर...अवधिया जी, यदि आप कुछ टिप्स दें तो हम भी प्रयास कर सकते हैं, छंद में कविता लिखने का।<br />वर्ना हम तो खाली पढ़ ही पाते हैं।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-4728649982162169352010-01-25T17:11:53.982+05:302010-01-25T17:11:53.982+05:30ग्रहृय = ग्राह्यग्रहृय = ग्राह्य36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-66900996844285130912010-01-25T17:10:52.843+05:302010-01-25T17:10:52.843+05:30नहीं होंगी अवधिया जी; आज भी छंदबद्ध कवितायें लिखी ...नहीं होंगी अवधिया जी; आज भी छंदबद्ध कवितायें लिखी जा रही हैं. छंद जैसी शास्त्रीयता से परे छंदअबद्ध कवितायें भी लिखी जा रही हैं. लिखी जाती रहेंगी; जो भी हो शब्दों में कविता का मूल स्वरूप 'लिरिक' जब तक उपस्थित रहेगी सभी कवितायें हृदय में ग्रहृय होंगीं.36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-54868212211840758862010-01-25T16:12:56.694+05:302010-01-25T16:12:56.694+05:30sahi farmaya aapne...ab to jo dil ko bha jaye vo k...sahi farmaya aapne...ab to jo dil ko bha jaye vo kavita hai.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-49964738506459281772010-01-25T15:56:06.574+05:302010-01-25T15:56:06.574+05:30पहले की कविताओं में मात्राओं की गिनती भी छंद के अन...पहले की कविताओं में मात्राओं की गिनती भी छंद के अनुसार आती थी।<br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-58715247038694134402010-01-25T14:30:15.853+05:302010-01-25T14:30:15.853+05:30आपका प्रश्न पढकरकोई बात अंदर ऐसी चुभ गई है कि उसकी...आपका प्रश्न पढकरकोई बात अंदर ऐसी चुभ गई है कि उसकी टीस अभी तक महसूस कर रहा हूं। अब तो हमें भी लगता है कि सुविधा परस्त ज़माने में मात्राऒं की गिनती से लोग बचना चाहते हैं। गद्य की तरह फ़टाफ़ट कविताएं लिखना चाहते हैं लोग। पर ऐसी कविताएं कितने लोगों की ज़ुबान पर चढती हैं और कितने दिनों तक चढी रहती हैं!!मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-49285061028777206812010-01-25T13:52:17.703+05:302010-01-25T13:52:17.703+05:30अवधिया जी,
क्या कहूं, अपुन तो इस मामले में ढपोरशंख...अवधिया जी,<br />क्या कहूं, अपुन तो इस मामले में ढपोरशंख हैं...लेकिन कविता हो या गद्य, जो भी अच्छा लगता है, दिल को छूता है, उसकी फिल्मी गानों के ज़रिए तारीफ़ ज़रूर कर देते हैं...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-48079590588874302142010-01-25T12:10:41.102+05:302010-01-25T12:10:41.102+05:30sahi kaha hai aapne, aajkal kavita lekhana ek khel...sahi kaha hai aapne, aajkal kavita lekhana ek khel ban gayaa hai.arvindhttps://www.blogger.com/profile/15562030349519088493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-77383484124754331152010-01-25T11:12:12.585+05:302010-01-25T11:12:12.585+05:30ठीक फरमाया अवधिया साहब आपने ! इसका मुख्य कारण मैं ...ठीक फरमाया अवधिया साहब आपने ! इसका मुख्य कारण मैं समझता हूँ यह है कि हिन्दी व्याकरण की अधिक जानकारी न होना ! क्योंकि अधिकाश पठन-पाठन आज अंगरेजी में होता है ! मैं भी यह कमजोरी महसूस करता हूँ !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-14841171536616596942010-01-25T11:11:38.618+05:302010-01-25T11:11:38.618+05:30सच कहा है आपने। सुविधाभोगी कवितायें लिखी जा रही......सच कहा है आपने। सुविधाभोगी कवितायें लिखी जा रही....लोग बस गद्य की चंद पंक्तियों को ऊपर-नीचे लिख कर कवि हो जाना चाहते हैं।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.com