tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post8428737735063235479..comments2024-02-01T17:17:24.739+05:30Comments on धान के देश में!: क्यों मनाते हैं हम भारतीय अप्रैल फूल दिवस?Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-55923397723669556182011-04-01T22:54:42.552+05:302011-04-01T22:54:42.552+05:30अंग्रेजी की मूर्खता का उत्सव बना लें इसे।अंग्रेजी की मूर्खता का उत्सव बना लें इसे।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-83633002124848410812011-04-01T22:33:17.073+05:302011-04-01T22:33:17.073+05:30क्यों मनाते हैं ? क्योंकि अंग्रेजों के गुलाम रह चु...क्यों मनाते हैं ? क्योंकि अंग्रेजों के गुलाम रह चुके हैं । बात तो सही है ।<br />लेकिन अंग्रेज़ क्यों मनाते हैं ?डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-9632751762149110132011-04-01T21:10:07.048+05:302011-04-01T21:10:07.048+05:30कम से कम फादर्स और मदर्स डे से तो बेहतर है, व्यवसा...कम से कम फादर्स और मदर्स डे से तो बेहतर है, व्यवसायीकरण तो नहीं है उतना...भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-14170675608469296822011-04-01T19:29:43.855+05:302011-04-01T19:29:43.855+05:30ये गुलामी नहीं है गोदियाल साहब। यह तो दूसरों की कु...ये गुलामी नहीं है गोदियाल साहब। यह तो दूसरों की कुछ अच्छी बातें हैं जिन्हें हमे स्वीकार करना चाहिये। हां, अगर किसी की गलत बात हो तो हमें उनसे दूर ही रहना चाहिये।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-53603364994596364112011-04-01T17:30:04.994+05:302011-04-01T17:30:04.994+05:30ये उत्सव नहीं है जो इसे मनाया जाये या न मनाया जाय...ये उत्सव नहीं है जो इसे मनाया जाये या न मनाया जाये ये तो बस एक दिन निर्धारित है हंसी मजाक के लिए हमारे यहाँ ये सब होली पर ये सब किया जाता है | जिसकी इच्छा हो इस दिन भी वही मजाक करे जिसकी नहीं है वो न करे |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-13163171671435783342011-04-01T13:02:11.880+05:302011-04-01T13:02:11.880+05:30अप्रैल फूल में ऐसी मनानेवाली या न मनाने वाली कोई...अप्रैल फूल में ऐसी मनानेवाली या न मनाने वाली कोई बात नहीं . न कोई पार्टी देता/लेता है , न कोई विशेष आयोजन किया जाता है . संक्षेप में एक दमड़ी खर्च किये बिना थोडा हंसी मजाक कर लेने में हर्ज़ ही क्या है . इसमें ग़ुलामीवाली भी कोई बात परिलक्षित नहीं होती और न ही cultural invasion है. कब तक हम हर बात पर पहरा बिठाने का प्रयास करते रहेंगे ?aarkayhttps://www.blogger.com/profile/04245016911166409040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-57041076688480103952011-04-01T12:36:24.720+05:302011-04-01T12:36:24.720+05:30"अंग्रेजियत हमारे नस-नस में खून बन कर दौड़ रही...<b>"अंग्रेजियत हमारे नस-नस में खून बन कर दौड़ रही है। हमें नहीं पता कि संस्कृत भाषा और हमारी संस्कृति किस चिड़िया का नाम है, हिन्दी भाषा हमारे लिए गौण हो चुका है। हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं तो सिर्फ अंग्रेजी भाषा और अग्रेंजी सभ्यता एवं संस्कृति!" </b><br /><br />बिलकुल मन की बात कह दी आपने , भाषा के स्तर पर गुलामी तो फिर भी एक बार समझ में आती है पर हमारे देश में तो हर स्तर पर गुलामी की जा रही है , उस पर "तार्किक" होने का दावा अलग :))<br />खैर ...... उम्मीद ही की जा सकती है की "धीरे धीरे सब समझ जायेंगे"<br /><br />आखिर उम्मीद पर दुनिया कायम हैएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.com