tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post8568077176537600930..comments2024-02-01T17:17:24.739+05:30Comments on धान के देश में!: "बिल्कुल मुफ्त" याने कि लोगों को लूटने के लिये सबसे बड़ा हथियारAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-34399924117722630172009-11-26T22:28:18.503+05:302009-11-26T22:28:18.503+05:30अवधिया जी, देखिये आजकल ग्राहकों को कैसे चूना लगाया...अवधिया जी, देखिये आजकल ग्राहकों को कैसे चूना लगाया जा रहा है. आमतौर पर हम यह मानते हैं की वाशिंग पाउडर का पैक एक किलो का होता है. कल मैं एक किलो फेना और एक किलो टाइड लेकर आया. फेना के पैक पर १५० ग्राम मुफ्त था और पैक का कुल वजन था १०५० ग्राम. टाइड के पैक पर भी १५० ग्राम पाउडर फ्री था और उसका कुल वजन था केवल ९०० ग्राम. हम यही समझते रहे की वाशिंग पाउडर पुराने दाम में ज्यादा मिल रहा है.<br /><br />टी वी पर फर्जी प्रोडक्ट खूब दिखाते हैं जिनमें २००० रुपयों की खरीद करने पर ४००० रुपये के प्रोडक्ट फ्री देते हैं. और वे पूरे सप्ताह यह कहते हैं की दस मिनट के भीतर फोन करनेवालों को विशेष उपहार भीमिलेगा.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-88301276135217554472009-11-26T21:42:14.238+05:302009-11-26T21:42:14.238+05:30लोगों को इतनी सी बात समझ में नहीं आती कि भला आज के...लोगों को इतनी सी बात समझ में नहीं आती कि भला आज के जमाने में जहाँ हवा-पानी तक मुफ्त नहीं हैं..वहाँ आप लोग इन कम्पनी वालों से ये उम्मीद पाले बैठे हो कि वो लोग आपको मुफ्त में माल बाँट देंगें... <br />आपके बताए से हमें भी अब जाकर पता चला कि हमारे मेलबाक्स में इतनी स्पैम मेल्स कैसे इकट्ठी हो जाती हैं....शुरू शुरू में एक दो बार हम भी नैट से एन्टीवायरस और कुण्डली जैसे साफ्टवेयर फ्री के चक्कर में डाऊनलोड कर बैठे थे.... <br /><br />चलते चलते भी खूब रही :)Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-81119820217531783762009-11-26T13:34:51.132+05:302009-11-26T13:34:51.132+05:30सही लिखा है आपने यूँ ही मुफ्त के चक्कर में फंसते ह...सही लिखा है आपने यूँ ही मुफ्त के चक्कर में फंसते हैं .चलते चलते मजेदार है ..रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-40300663194401086882009-11-26T13:11:06.531+05:302009-11-26T13:11:06.531+05:30बहुत बढीया बात कही है जी आपने
एक बात और फ्री के चक...बहुत बढीया बात कही है जी आपने<br />एक बात और फ्री के चक्कर में हम लोग जो जरूरत से ज्यादा खरीदी करते हैं, इस कारण उस वस्तु का पूर्ण उपयोग भी नही हो पाता है। जैसे आपने साबुन ज्यादा खरीदा है तो जिस साबुन के टुकडे से एक दिन का काम और चल सकता था वो उपयोग करना थोडा असहज हो जाता है। क्योंकि हमारे पास दूसरा साबुन अतिरिक्त है।<br /><br />चलते-चलते हर बार की तरह मजेदार<br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-4760027739747658922009-11-26T10:30:29.907+05:302009-11-26T10:30:29.907+05:30गंजो के शहर मे कंघी बेचना
भोभला को मंजन बेचना
अंधे...गंजो के शहर मे कंघी बेचना<br />भोभला को मंजन बेचना<br />अंधे को अंजन बेचना<br />भुखे को चुरन बेचना<br />यही तो मार्केटिंग है अवधिया जी<br />बहेलिया आयेगा जाल बिछायेगा, जाल में नही फ़ंसना है और फ़िर फ़ंस जाते हैं।<br />बहुत बढिया चिंतन-आभारब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-8543210829333694842009-11-26T10:29:22.445+05:302009-11-26T10:29:22.445+05:30ये इस तरह के फंडे भी मूर्ख लोगो को ही मूर्ख बनाने...ये इस तरह के फंडे भी मूर्ख लोगो को ही मूर्ख बनाने में कामयाव है ! सांफा वाला प्रसंग बढ़िया है !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-8963406550407618592009-11-26T10:28:12.512+05:302009-11-26T10:28:12.512+05:30'मुफ्त' पर आपने जो आलेख लिखा .. वह बगडे स्...'मुफ्त' पर आपने जो आलेख लिखा .. वह बगडे स्तर पर व्यावसायिक मानसिकता रखनेवालों के लिए ही है .. छोटे मोटे दुकानदार भी कुछ दिन उधार देकर आने दुकान को समाप्त कर देते हैं .. बौद्धिक मानसिकता रखनेवाले तो सबकुछ मुफ्त में लुटा देते हैं .. और हमारे आपके जैसे ब्लागर ब्लागिंग में मुफ्त ही तो अपने ज्ञान का प्रदर्शन किए जा रहे हैं .. आपके दोनो चलते चलते पढकर यह गलतफहमी दूर हुई कि शहरी ही गांववालों को बेवकूफ बना सकते हैं !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-35588299274400807162009-11-26T10:28:12.513+05:302009-11-26T10:28:12.513+05:30अवधिया जी,
हम हिंदुस्तानियों को फ्री में कुछ भी मि...अवधिया जी,<br />हम हिंदुस्तानियों को फ्री में कुछ भी मिल रहा हो उसे लेने का चस्का है...मल्टीनेशन कंपनियां हमारी इस फितरत को खूब पहचानती हैं...वो पहले ही रेट बढ़ा देती हैं और फिर बाय वन गेट टू जैसी स्कीम निकालती है...और हम भी बिना सोचे समझे पसीने की गाढ़ी कमाई इन आफर्स पर लुटाते रहते हैं...<br /><br />इस पर मुझे अपने पापा का सुनाया एक किस्सा याद आ रहा है...1947 से पहले की बात है। पाकिस्तान (तब पाकिस्तान भी भारत था) में एक बूढ़ी माई अपने दो पोतों के बाल कटाने नाई के पास ले गई...बाल कटाने का रेट पूछा तो नाई ने बताया...चार आने में तीन कटिंग...बूढी माई ने दोनों पोतों के बाल कटा लिए...नाई ने बाल कटाने के बाद उस्तरा वगैरहा संभालना शुरू कर दिया तो बूढ़ी माई बोली...सामान क्या संभाल रहा है, चार आने में तीन की कटिंग बताई है...चल मेरा सिर भी मूंढ... <br /><br />जय हिंद...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.com