tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post8625406913804707267..comments2024-02-01T17:17:24.739+05:30Comments on धान के देश में!: क्या आपने SMS जोक्स पढ़े हैं?Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-17169803171583310352010-03-25T08:26:54.569+05:302010-03-25T08:26:54.569+05:30बाज़ार अपना सामान मुफ्त मे तो नही देता । और वह कचर...बाज़ार अपना सामान मुफ्त मे तो नही देता । और वह कचरे से भी पैसा कमाता है हमे सोचना है कचरा क्या है और क्या नही।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-80115725608994998802010-03-24T10:14:05.160+05:302010-03-24T10:14:05.160+05:30आपकी पोस्ट पर द्विवेदी जी की टीप के बाद कुछ भी कहन...<i> <b> आपकी पोस्ट पर द्विवेदी जी की टीप के बाद कुछ भी कहने सुनने की गुंजाईश नहीं है ....बहुत सटीक मुद्दा उठाया आपने </b> </i><br /><a href="http://www.google.com/profiles/ajaykumarjha1973#about" rel="nofollow"> अजय कुमार झा </a>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-15894083640783006142010-03-24T08:56:51.046+05:302010-03-24T08:56:51.046+05:30बिलकुल सही मुद्दा,
नैतिक रूप से समाज पतन की राह पर...बिलकुल सही मुद्दा,<br />नैतिक रूप से समाज पतन की राह पर चल पड़ा है...और सबसे बड़ी बात यह है कि इसे बुरा भी नहीं माना जा रहा है...<br />जैसे कि 'कमीना' शब्द....उसी तरह और भी कुछ शब्द हैं जिनको बोलने में हमलोगों को आज भी झिझक है....ये sms का माहौल भी कुछ ऐसा ही है....लोगों को न पढने से परहेज है न भेजने से न ही सुनने से....स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-63818828422714595082010-03-24T08:47:41.982+05:302010-03-24T08:47:41.982+05:30सही कह रहो है अवधिया जी।सहमत हूं आपसे।सही कह रहो है अवधिया जी।सहमत हूं आपसे।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-43212901843509383712010-03-24T08:29:17.108+05:302010-03-24T08:29:17.108+05:30अवधिया जी, क्षमा चाहूँगा कि आपको गोदियाल जी समझ कर...अवधिया जी, क्षमा चाहूँगा कि आपको गोदियाल जी समझ कर संबोधित कर बैठा. गलती से mistake हो गया :-) <br />दरअसल आपके ब्लॉग "धान के देश में" और गोदियाल जी के ब्लॉग "अंधड" का नियमित पाठक हूँ. मैंने ये पाया है कि आप दोनों के कुछ विचार काफी हद तक मिलते जुलते है और शायद इसी वजह से ये गलती हो गई.Bhavesh (भावेश )https://www.blogger.com/profile/14963074448634873997noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-75232315094525846082010-03-24T06:53:19.107+05:302010-03-24T06:53:19.107+05:30और फिर लोग सगर्व उन्हें फॉरवर्ड भी करते हैं और पूछ...और फिर लोग सगर्व उन्हें फॉरवर्ड भी करते हैं और पूछते है कि कैसा लगा!!<br /><br />-<br /><br />हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!<br /><br />लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.<br /><br />अनेक शुभकामनाएँ.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-91379739262900363392010-03-23T23:38:09.147+05:302010-03-23T23:38:09.147+05:30जमाना बदला नही बिगड गया है डॉ टी एस दराल जी, आवधिय...जमाना बदला नही बिगड गया है डॉ टी एस दराल जी, आवधिया जी आप ने सही लिखा है, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-17253103054337709542010-03-23T16:32:25.159+05:302010-03-23T16:32:25.159+05:30ज़माना बदल गया है अवधिया जी ।
लगता है अब तो हमें भी...ज़माना बदल गया है अवधिया जी ।<br />लगता है अब तो हमें भी बदलना ही पड़ेगा।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-30513111200276074352010-03-23T13:42:41.769+05:302010-03-23T13:42:41.769+05:30नैतिकता, सभ्यता, संस्कृ्ति इत्यादि तो जैसे बीते यु...नैतिकता, सभ्यता, संस्कृ्ति इत्यादि तो जैसे बीते युग की बातें हो चुकी हैं... <br />अन्धेर नगरी, चौपट राजा वाला हाल है......Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-81159525983855613062010-03-23T13:04:54.254+05:302010-03-23T13:04:54.254+05:30कुंए में ही भांग पड़ी है।
अब क्या कहा जाए?
नैतिकता...कुंए में ही भांग पड़ी है।<br /><br />अब क्या कहा जाए?<br />नैतिकता को व्यावसायिकता ने <br />ठिकाने बैठा दिया है।<br /><br /><br />जोहार ले-बबाब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-18187240176009221602010-03-23T11:32:11.230+05:302010-03-23T11:32:11.230+05:30अवधिया साहब लगता है मार्केट में मेरी टी आर पी काफी...अवधिया साहब लगता है मार्केट में मेरी टी आर पी काफी बढ़ गई है इसी लिए तो भावेश जी ने आपकी जगह मुझे संबोधित कर दिया , इसके लिए कठमुल्लों का shukriyaa हा-हा-हापी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-16918033368632096772010-03-23T11:21:14.034+05:302010-03-23T11:21:14.034+05:30लगता है इस सबके जरिये जनता का ध्यान मुख्य समस्या स...लगता है इस सबके जरिये जनता का ध्यान मुख्य समस्या से हटाने मे किया जाता है. मस्त चुटकले पढकर जनता हंसती रहे और सरकार से महंगाई और बेरोजगारी के बारे मे कोई उलटी सीधी मांग ना करे. और कार्पोरेट सैकटर भी सरकार को चांदी काट कमाई मे हिस्सा देता रहे.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-16130109373530543032010-03-23T11:19:32.005+05:302010-03-23T11:19:32.005+05:30बात तो सही है आपकी अवधिया जी
लेकिन ताली दोनों हाथो...बात तो सही है आपकी अवधिया जी<br />लेकिन ताली दोनों हाथों से बजती है<br /><br />जब तक उपयोगकर्ता की सहमति नहीं होगी<br />तब तक मोबाईल प्रदाता ऐसे-वैसे संदेश कैसे-क्यों भेजेगा?<br /><br /><a href="http://www.google.com/profiles/bspabla" rel="nofollow"> बी एस पाबला</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-31131135150119224362010-03-23T11:00:56.838+05:302010-03-23T11:00:56.838+05:30भावेश की बात से सहमति कि
गलती टेलेफोन कंपनियों के...भावेश की बात से सहमति कि<br /><br /><b>गलती टेलेफोन कंपनियों के साथ साथ सब्सक्राइबर की भी बराबरी की है</b><br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-11651815898818370542010-03-23T10:33:57.580+05:302010-03-23T10:33:57.580+05:30गोदियाल जी, आज के ज़माने में तो "बाप बड़ा न भैय...गोदियाल जी, आज के ज़माने में तो "बाप बड़ा न भैया, भैया सबसे बड़ा रुपैया" वाली कहावत ही चरितार्थ होती है. लोग ऐसे चुटकुले चटखारे लेकर देखते/पढते है और इसलिए ये कंपनियां इस चीज़ को भुनती है. आज अगर टेलेफोन कंपनियां नैतिकता का ख्याल रखने बैठ गई तो इस गला काट प्रतिस्पर्धा में ये कमाएंगी कैसे. गलती टेलेफोन कंपनियों के साथ साथ सब्सक्राइबर की भी बराबरी की है.Bhavesh (भावेश )https://www.blogger.com/profile/14963074448634873997noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-34953250205617781882010-03-23T10:00:52.964+05:302010-03-23T10:00:52.964+05:30आम जनता को भोग विलास में डुबोकर ही राज किया जा सकत...आम जनता को भोग विलास में डुबोकर ही राज किया जा सकता है और पैसा कमाया जा सकता है।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-78871226556674881002010-03-23T09:48:55.869+05:302010-03-23T09:48:55.869+05:30दादा हों, पिता हों, पुत्र हों या पौत्र सभी के अपने...दादा हों, पिता हों, पुत्र हों या पौत्र सभी के अपने अपने कूड़ाघर हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com