tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post9103534714144531266..comments2024-02-01T17:17:24.739+05:30Comments on धान के देश में!: यह हिन्दी की समृद्धि है या हिन्दी की ऐसी तैसी?Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-64808790922471664892010-03-03T17:13:29.027+05:302010-03-03T17:13:29.027+05:30आपने सही फ़रमाया. जरूरत भर के शब्द अंग्रेजी से लिये...आपने सही फ़रमाया. जरूरत भर के शब्द अंग्रेजी से लिये जाना तक तो ठीक है परंतु जबरन अंग्रेजी घुसेड़कर हिन्दी को हिंग्लिश बना देना ठीक नही.<br />यहां तो नवभारत टाइम्स जैसे अखबार भी हिन्दी को डुबोने में लगे हैं. कई बार अंग्रेजी का महिमा मंडन करते हुए लेख ये प्रकाशित करते रहते हैं. और अंग्रेजी को हिन्दी में जमकर घुसेड़कर अपने अखबार में प्रयोग करते हैं.<br />जाकर उनका विचार मंच वाला कालम देख लीजिए.अंकुर गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/11895780087694607022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-8885508134828067592010-03-03T17:11:29.682+05:302010-03-03T17:11:29.682+05:30This comment has been removed by the author.अंकुर गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/11895780087694607022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-62424725186501310432010-02-16T01:19:00.433+05:302010-02-16T01:19:00.433+05:30महोदय, मेरे विचार से यदि हिन्दी के लेखों में अंग्र...महोदय, मेरे विचार से यदि हिन्दी के लेखों में अंग्रेजी तथा अन्य इतर भाषाओं के शब्द स्वाभाविक रूप से आते हैं, तो वे क्षम्य हैं. किन्तु यदि उन्हें बलपूर्वक प्रविष्ट कराया जाता है, तो वे अस्वाभाविक लगते हैं और लेख की बोधगम्यता पर भी प्रभाव डालते हैं. पर इन सब बातों से पहले ये देखना चाहिये कि लेख का विषय क्या है? निश्चित ही साहित्यिक-सांस्कृतिक विषयों पर लिखे गये लेख और निबंधों की भाषा शुद्ध हिन्दी ही होनी चाहिये, किन्तु आत्मपरक निबन्ध, व्यंग्य, व्यक्तिगत अनुभव और कोई ऐसा समसामयिक लेख, जिसके विषय में लिखते हुये अंग्रेजी का प्रयोग अपेक्षित हो, आदि में शुद्ध हिन्दी का अधिक आग्रह ठीक नहीं. इसके अतिरिक्त कुछ शब्द ऐसे हैं, जिनको आधुनिक संस्कृत-साहित्य में भी यथावत् ले लिया गया है. जैसे-रेलयानम्, मोटरयानम्, चायम् आदि. तो इन्हें हिन्दी में प्रयुक्त न करने में आपत्ति क्यों ?muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-84024870600261126892010-02-15T19:20:26.272+05:302010-02-15T19:20:26.272+05:30लोग हिन्दी लिखते हैं यह बड़ी बात है।लोग हिन्दी लिखते हैं यह बड़ी बात है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-51887355016140431102010-02-15T17:31:15.289+05:302010-02-15T17:31:15.289+05:30अन्तर सोहिल जी,
यहाँ पर प्रश्न कम या अधिक पढ़े लिख...अन्तर सोहिल जी,<br /><br />यहाँ पर प्रश्न कम या अधिक पढ़े लिखे लोगो का नहीं बल्कि यह है कि क्या हिन्दी के साथ कुछ भी प्रयोग करते रहना उचित है?<br /><br />यदि आप समझ रहे हैं कि मैंने "नालंदा" भूलवश "नलंदा" टाइप किया है तो यह आपकी भूल है, मैंने जिस शब्दकोश का जिक्र किया है उसका नाम ही "नलंदा विशाल शब्दसागर" है और मेरी जानकारी में यह हिन्दी के सबसे अधिक शब्दों को समाहित करने वाला शब्दकोश है। रही बात "आक्सफोर्ड" की तो यह एक अंग्रेजी शब्द है जिसे हिन्दी में "आकस्फोर्ड" या "ऑकस्फोर्ड" दोनों ही तरह से लिखा जाता है। अंग्रेजी ही नहीं हिन्दी के भी कई शब्दों को एक से अधिक तरह से लिखा जाता है जैसे कि "अन्तर" और "अंतर" "पाञ्चजन्य" और "पांचजन्य"।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-74445711739964571412010-02-15T17:20:17.201+05:302010-02-15T17:20:17.201+05:30बच्चा समझ कर क्षमा कर दीजियेगा जी
कृप्या नलंदा और ...बच्चा समझ कर क्षमा कर दीजियेगा जी<br />कृप्या नलंदा और आक्फोर्ड पर गौर करें<br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-25095539624209591372010-02-15T17:18:09.285+05:302010-02-15T17:18:09.285+05:30साबित हो गया कि मेरे जैसे कम पढे-लिखे और लोग भी ब्...साबित हो गया कि मेरे जैसे कम पढे-लिखे और लोग भी ब्लागिंग में हैं<br /><br />प्रणाम स्वीकार करेंअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-33612697669465198692010-02-15T16:53:15.298+05:302010-02-15T16:53:15.298+05:30दराल जी,
हिन्दी ब्लोग्स को तो हम सभी पढ़ते हैं तो ...दराल जी,<br /><br />हिन्दी ब्लोग्स को तो हम सभी पढ़ते हैं तो फिर उदाहरण देने की क्या जरूरत है? गौर करेंगे तो अपने आप सैकड़ों उदाहरण मिल जायेंगे।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-80666553586986109862010-02-15T16:49:23.530+05:302010-02-15T16:49:23.530+05:30अवधिया जी , यदि कुछ उदाहरण भी दे देते तो और भी अच्...अवधिया जी , यदि कुछ उदाहरण भी दे देते तो और भी अच्छा होता।<br />आजकल लोगों को हिंगलिश की आदत सी पड़ गई है।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-81125777148447741212010-02-15T11:57:11.376+05:302010-02-15T11:57:11.376+05:30mudda sahi hai apka vicharniymudda sahi hai apka vicharniyvikas mehtahttps://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com