यह तो हम सभी जानते हैं कि राजनीति, खास करके आज के जमाने की राजनीति, और जुतियाने में चोली दामन का सम्बन्ध है। जिस नेता के पास जुतियाने वाले चम्मचों की टीम नहीं होती, वास्तव में वह असली नेता ही नहीं होता। जुतियाना नेताओं के चम्मचों का जन्मसिद्ध अधिकार होता है। शक्ति प्रदर्शन करके अपना बड़प्पन स्वीकार करवाने का एक मात्र माध्यम जुतियाना ही है।
जब भी इंसान को गुस्सा आता है, किसी न किसी को जुतियाने का मन हो ही जाता है। अक्सर तो होता यह है कि गुस्सा किसी और पर आता है और जुतियाया कोई और जाता है। अब आप अपने से जादा ताकतवर को नहीं जुतिया सकते ना, पर गुस्सा शांत करने के लिये जुतियाना जरूरी भी है। इसीलिये जब आफिस में बॉस और घर में बीबी पर गुस्सा आता है तो चपरासी और नौकर ही जुतियाये जाते हैं।
'श्रीलाल शुक्ल' जी ने "राग दरबारी" में जुतियाने का जो तरीका बताया है वही तरीका हमें जुतियाने का सबसे अच्छा लगा। वास्तव में उससे अच्छा तरीका और हो ही नहीं सकता। उनके तरीके के अनुसार यदि किसी को जुतियाना हो तो उसे गिन कर 100 जूते लगाने चाहिये, न एक कम और न एक ज्यादा। और गिनती के 93-94 तक पहुँचने पर भूल जाना चाहिये कि अब तक कितने जूते लग चुके हैं। अब भूल गये तो फिर से जुतियाना तो शुरू करना ही पड़ेगा।
हम सोच रहे थे कि जुतियाना शब्द तो जूते से बना है। तो जब इस संसार में जूता नहीं हुआ करता था तो लोग भला कैसे अपना गुस्सा उतारते रहे होंगे? शायद जूते की जगह खड़ाऊ लगा कर। तो 'जुतियाने' को अवश्य ही 'खड़ुवाना' कहा जाता रहा होगा। और शायद उस जमाने में नेता के चम्मच के बजाय राजाओं के मुसाहिब और खुशामदी लोग 'खड़ुआते' रहे होंगे।
जुतियाने का सबसे बढ़िया प्रयोग तो फिल्म 'शोले' में किया गया था संजीव कुमार के द्वारा अमजद खान को बड़े बड़े कील वाले जूते खिलवा कर। सच्ची बात तो यह है कि जो जितना अधिक जुतियाने का प्रयोग करेगा वह उतना ही आगे बढ़ेगा। हम तो आज तक आगे नहीं बढ़ पाये क्योंकि हमें जुतियाना ही नहीं आता।
ab kisko fursat hai jutiyaane ki...aajkal to kism kism ke hathiyaar hai saheb.....
ReplyDeleteहमारी तरफ़ पहले उसको मट्ठे मे भिगो लेते थे..आज कल का पता नहीं :)
ReplyDeleteहा हा!! मिश्रा जी वाला साईड ठीक है, मट्ठे में भिंगो कर :)
ReplyDeleteबहुत खूब राग दरबारी मे कम से कम जुतियाने का एक तरीका तो मालूम हुआ
ReplyDeletesir ji, mere taraf se 1 free advice hai.
ReplyDeletejutyane jaroor lekin SHAHAD laga ke, taki baad me MADHUKHIYAN bhi kaate.MAKH