Saturday, September 12, 2009

हिन्दी ब्लोगिंग को योजनाबद्ध तरीके से प्रचारतंत्र बनाया जा रहा है

आजकल हिन्दी ब्लोग्स में ऐसी ऐसी टिप्पणियाँ आ रही हैं जिन्हें टिप्पणी न कह कर लोगों की भावना को ठेस पहुँचाने और अपने विचारों को थोपने का प्रयास कहना अधिक उचित होगा। इन टिप्पणियों के अन्त में कुछ लिंक होते हैं जो कि विज्ञापन का कार्य करते हैं। इन लम्बी लम्बी टिप्पणियों का मात्र उद्देश्य है जिस ब्लोग में टिप्पणी की गई है उसके ब्लोगर के विचारों को येन-केन-प्रकारेण गलत सिद्ध करना और उसकी भावनाओं को ठेस पहुँचाना, अपने विचारों को थोपने की भरपूर कोशिश करना और अपने अनुरूप साइट्स का विज्ञापन करना। एक दो ऐसी टिप्पणियाँ आप इन ब्लोग्स में देख सकते हैं

http://panditastro.blogspot.com/2009/09/blog-post.html

http://induslady.blogspot.com/2009/09/blog-post_09.html

इन्हें ज्योतिष, पुनर्जन्म, हिन्दू जैसे शब्दविशेष दिखे नहीं कि पहुँच गए वहाँ अपनी दूकान लगाने के लिए। भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाली इनकी टिप्पणियों में प्रभाव उत्पन्न करने के लिए बड़े बड़े नामों, जैसे कि मैक्समूलर, राधाकृष्णन, चाणक्य, और भी बहुत से, का उल्लेख किया जाता है। इनका उद्देश्य है कि भावनाओं को ठेस पहुँचा कर हममें कुंठा उत्पन्न करें और धीरे धीरे हमारी ये कुंठा हीन भावना में बदल जाए। बहुत बड़ी साजिश है ये।

हिन्दी ब्लोगिंग स्वस्थ विचार विमर्श का माध्यम है और हम इसे दुष्प्रचारतंत्र कदापि नहीं बनने देंगे। हमारा ब्लोग हमारा घर है और प्रेमपूर्वक वहाँ आने वाले का हम स्वागत करेंगे, अतिथि बना कर सिर-आँखों पर बिठायेंगे पर हमारे घर में गंदगी फैलाने की नीयत से आने वाले को हम भीतर घुसने ही नहीं देंगे। प्रचार और विज्ञापन ही करना है तो अपने घर से करो, अपने ब्लोग से करो, हम वहाँ जाकर रोकने वाले नहीं हैं। पर अपने प्रचार और विज्ञापन के लिए तुम हमारे घरों का प्रयोग नहीं कर सकते।

हम लोग तो सीधे-सरल या सही अर्थों में 'परबुधिया' आदमी हैं, दूसरों की बुद्धि के अनुसार चलने वाले। जो जैसा कहता है मान लेते हैं। किसी ने कह दिया कि तुम्हारे देश का नाम आर्यावर्त या भारतवर्ष नहीं है बल्कि हिन्दोस्तान (हिन्दुस्तान) या इंडिया है और हमने मान लिया। किसी ने कह दिया कि तुम सनातन धर्मी नहीं हिन्दू धर्मी हो और हमने मान लिया। अब कोई और कह रहा है कि हिन्दू कोई धर्म नहीं है बल्कि एक शब्द है, एक क्षेत्रविशेष में निवास करने वालों को हिन्दू कहा जाता है और हम उसे भी मान लेंगे। हमारी इसी सरलता का हमेशा फायदा उठाया जाता रहा है।

हिन्दी ब्लोगिंग एक मनोहर वाटिका है, यहाँ उल्लुओं को प्रवेश देकर हम इसे उजड़ने नहीं देंगे। हिन्दी ब्लोगिंग एक स्वच्छ सरोवर है, हम गंदी मछलियों को इसे गंदा करने का अधिकार बिल्कुल नहीं देंगे।

इन विषैली टिप्पणियों को अपने ब्लोग में आने से रोकने के लिए हमारे पास टिप्पणी मॉडरेशन नाम का बहुत अच्छा साधन है और हम सभी अब इस साधन का प्रयोग करेंगे। आज से पहले मैं इस साधन का प्रयोग नहीं करता था पर अब मैंने टिप्पणी मॉडरेशन को सक्षम कर दिया है। क्यों झेलें हम किसी की गलत टिप्पणी को।

आप लोगों से भी अनुरोध है कि अपने ब्लोग में टिप्पणी मॉडरेशन सक्षम कर लें। वैसे तो सभी ब्लोगर बन्धु जानते ही होंगे कि टिप्पणी मॉडरेशन को कैसे सक्षम किया जाता है फिर भी हो सकता है कि कुछ लोगों को इसका ज्ञान न हो। तो समझ लीजिए कि इसे कैसे किया जाता है। बहुत सरल काम है यह। सबसे पहले आप अपने ब्लोगर खाते में लागिन करें और सेटिंग्स को क्लिक कर दें।

अब आपक कमेंट्स सेक्शन को क्लिक करें

अब नीचे स्क्रोल करके कमेंट मॉडरेशन में always को चेक कर दें।

हो गया आपका कार्य सम्पन्न।

(फिलहाल एडसेंस के विषय में मैं एक प्रयोग कर रहा हूँ याने कि अपने लड़के के नाम से एक नया एडसेंस खाता खोलने जा रहा हूँ। इस प्रयोग में सफल हो जाने के बाद मैं एडसेंस विषयक श्रृंखला की अगली कड़ी लिखूँगा ताकि आपको बता सकूँ कि मेरे लड़के के नाम से खाता कैसे खुला और खाता खुल जाने के बाद क्या और कैसे करना है।)

16 comments:

  1. आपके बात से सहमत हूँ, कुछ लोग ऐसे भी जो हिन्दी ब्लोग से धर्म का प्रचार भी कर रहें है।

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  2. पूर्णतया सहमत । बेहतर प्रविष्टि । आभार ।

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  3. अवधिया जी, आपने बिल्कुल ठीक कहा कि वास्तव में इन लोगों नें ब्लाग को अपने प्रचार का माध्यम बना डाला है। माना कि सबको अपनी बात रखने और अपने अनुरूप विषय पर लिखने का अधिकार है। यदि इन लोगों नें धर्म विशेष को अपना विषय बनाया ही है तो उसके माध्यम से समाज में फैले विद्वेष,आपसी मनमुटाव को मिटाने का कार्य करें..उसके जरिए समाज को कोई शिक्षा दीजिए.....लेकिन नहीं इन लोगों को तो बस दूसरे की मान्यताओं को खंडित करके अपने आप को बडा दिखाना है।
    सच कहूं तो अपने ब्लाग पर मियाँ कैराणवी की वो टिप्पणियाँ देखकर मुझे एक बार तो क्रोध आया लेकिन फिर उनकी नादानी पर हँसी भी आने लगी....कि कैसे लोग हैं बिना किसी विषय विशेष की जानकारी के नैट से सामग्री ढूंढ कर अपनी टिप्पणी में चिपका गये।
    मैने एक बार किसी जगह अपनी टिप्पणी में कह दिया था कि " इन लम्पटों को भाव देने की बजाय इनका बहिष्कार करना ही उचित है,क्यों कि इन लोगों का न तो धर्म से कुछ लेना देना है और न ही देश से" जिसे पढकर मियाँ कैराणवी मेरे ब्लाग पर धन्यवाद स्वरूप वो टिप्पणियाँ कर गये......लेकिन मुझे अब जाकर महसूस हुआ है कि इन लोगों के बारे में मैने वो टिप्पणी बिल्कुल ठीक की थी:)

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  4. आप ब्लाग प्रकाशक हैं तो आप को यह भी आना चाहिए कि लोग आप का इस्तेमाल न करें।

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  5. ब्लॉगिंग प्रचार का माध्यम भी है.
    मैं अपने ब्लॉग पर आने वाली ऐसी टिप्पणी को मिटा देता हूँ.

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  6. टिप्पणियों में असहमति को स्थान दिया जाना चाहिए.मोडरेशन के द्वारा केवल अश्लील और अभद्र टिप्पणियों को प्रतिबंधित करना चाहिए न कि असहमत टिप्पणियों को.

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  7. पुनरपि जननं, पुनरपि मरणम
    पुनरपि जननी जठरे शयनम
    इह संसारे, बहु दुस्तारे
    कृपया पारे, पाहि मुरारे!
    ---------
    आदिशंकर ने सभी लम्पटाचार्यों की दुकानदारी बन्द की थी! यह उन्ही का पद है! :)

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  8. अवधिया जी , ये कैरानवी नाम का धर्मांध प्राणी आज कल ब्लॉगजगत में घुस आया है . ऐसे लोगों की बात करना अपने ब्लॉग का एक पोस्ट को बर्बाद करना है . इस मोहदय का क्या कहना ? जनाब जहाँ भी जाते हैं , अपनी घटिया विचारधारा को जबरदस्ती थोपते हैं . जहाँ नज़र डाले "अपने मुंह मिया मिट्ठू " मियां कैरानवी अपना मुंह उठाये चले आते हैं . चलिए आपने जिस पोस्ट की चर्चा की है वहां कम से पोस्ट में लिखे गये मुद्दों पर कुतर्क किया गया है परन्तु आपको पता होगा कि ये तो किसी भी मुद्दे पर बस अंतिम अवतार वाला फंडा आजमाने चले आते हैं . इन्हें शायद पता नहीं है . इनके पूर्वज जब भारत में सत्तासीन थे उनके पास पूरी ताकत थी तब भी भारत के लोगों को अपने विचारों ,धर्म और संस्कृति के सूक्ष्म तत्वों से विलग नहीं कर पाए थे ! ये भला इस वैज्ञानिक युग में पढ़े -लिखे की महफ़िल अर्थात ब्लॉगजगत में ऐसे अनर्गल प्रलाप से अपने कू-उद्देश्यों में कामयाब नहीं हो सकते . अरब के पैसों पर पलने वालों को इतना भाव देना ठीक नहीं !

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  9. हाँ दुखद है यह !

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  10. हिंदी ब्लाग जगत के ब्लागर काफ़ी परिपक्व हैं और यदि कोई भटकाव का रास्ता चुनता है तो उसे भी राह पर लाने में सक्षम। तिस पर भी यदि कोई पगला गया तो उसे मारा तो नहीं जाता, इग्नोर कर दो भाई। अपना मूड क्यों खराब करते हॊ!

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  11. ऐसे लोगों का बहिस्कार करो ! यही सबसे बढ़िया तरीका है कुछ दिन बाद ये लोग अपने आप उकता जायेंगे !

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  12. देर आये दुरुस्त आये. आपको कमेन्ट मॉडरेशन की अत्यन्त आवश्यकता है. मुझे अचरज हो रहा था कि आप अपने ब्लॉग को चंद धर्मांधों के प्रचार हेतु क्यों इस्तेमाल होने दे रहे थे.

    संजय बेंगाणी जी की बात सुनी आपने? यही रास्ता है.

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  13. ...sahi samay par apne cheta diya..thanks.

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  14. इनको काली सूची में डाल दो
    या इन्‍हें सूची से निकाल दो

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  15. जी.के. अवधिया जी आप ने बहुत सुंदर बात कही, अब इस खरपतवार को साफ़ करना ही चाहिये,सहमत ओर असहमत टिपण्णियाम तो ठीक है, लेकिन अपने को बडा, अपने धर्म को बडा बताना कहा उचित है..... यह तो एक नासमझी है, या फ़िर एक चलाकी.छोडे इन लोगो को
    आप का धन्यवाद सब को जागरुक करने के लिये

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  16. अवधिया जी इस उल्लुओं से छुटकारा पाना ही चाहिए नहीं तो ढेर सारी उर्जा इन उल्लुओं के पीछे ही खर्च हो जायेगी | गलती तो हमारी भी है की हम भी ऐसी टिप्पणियों को हटाते नहीं , पता नहीं क्यूँ हमलोग इतना कुछ नोलते हुए भी उनकी टिप्पणी delete क्यूँ नहीं करते ?

    मैं तो इनकी १-२ irrelevant टिप्पणी को delete कर चुका हूँ | पता नहीं दिनेश जी ने उनकी टिप्पणी अब तक डिलीट क्यूँ नहीं किया ?

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