हम तो नेट के संसार में आए थे कुछ कमाई करने के उद्देश्य से। हमने सुन रखा था कि नेट से भी कमाई की जाती है इसलिए सन् 2004 में स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने के बाद हम लग गए इसी चक्कर में। बहुत शोध किया, डोमेननेम रजिस्टर कराया, होस्टिंग सेवा ले ली और कुछ अंग्रेजी लेख डाल कर खोल दिया अपना वेबसाइट। कुछ अंग्रेजी ब्लॉग्स भी बना लिया। एडसेंस पब्लिशर बन गये। बहुत सारे एफिलियेट लिंक्स डाल दिया अपने वेबसाइट्स में। कहने का मतलब यह कि बहुत पापड़ बेला। और आखिर में आठ महीने बाद हमारा पहला एडसेंस चेक हमें मिला।
इस बीच में हिन्दी ब्लॉगिंग के विषय में पता चला तो उसमें घुस गये। हिन्दी में भी गूगल एड्स आते थे उस समय। बस क्या था अपने मेन साइट को हिन्दी कर डाला। बहुत सारे सबडोमेन बना डाले और कई प्रकार के लेख लिख डाले उदाहरण के लिए देखे हमारी साइट भारतीय सिनेमा। एडसेंस ने भी रंग दिखाना शुरू किया और आठ महीने से पाँच, पाच से तीन होते होते हर महीने चेक आने लगा। तो अंग्रेजी लेखन के तरफ से ध्यान हटा कर हिन्दी में ही लिखने लगे। पर एकाएक हिन्दी में एडसेंस आना बंद हो गया, आता भी था तो गूगल का सार्वजनिक सेवा विज्ञापन। तो कमाई कम हो गई। अंग्रेजी के कुछ साइट्स से अभी भी कमाई हो रही है कुछ कुछ, याने कि हर तीसरे महीने गूगल से एक चेक मिल जाता है।
तो इस प्रकार से हिन्दी ब्लॉग ने दिवाला निकाल कर रख दिया हमारा। अब अंग्रेजी लेखन के तरफ ध्यान जाता ही नहीं। हिन्दी ब्लॉगिंग का चस्का ऐसा लग गया है कि सारा समय उसी में बीत जाता है। बस हम तो यही मना रहे हैं कि हिन्दी से भी जल्दी से जल्दी कमाई होना शुरू हो जाये।
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संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण की दूसरी किश्त - राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म - बालकाण्ड (2)
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काश ऐसा हो
ReplyDeleteहा...हा....हा..अवधिया जी एक आईडिया है..हिंदी से दिवाला मनाईये और अंग्रेजी वाले से दिवाली...अपना ठीक है चेक की कोई टैंशन ही नहीं है..सब नकद होता है..अजी मेरा मतलब..नेट वाला ले जाता है हर महीने नकद...
ReplyDeleteहिन्दी में कमाई बहुत मुश्किल दिख रही है.
ReplyDeleteये लो गुरुजी, जब आप जैसे लोग हार मान लेंगे, तो हम जैसे क्या करेंगे… :)
ReplyDeleteसंजय जी, धैर्य धारण कीजिए। हिन्दी से कमाई होगी, जरूर होगी और जल्दी ही होगी। क्या गूगल हिन्दी से कमाई को छोड़ देगा? नहीं भाई, उनके लिए बहुत बड़ा बाजार है हिन्दी तो। बस समस्या है तो उनके हिन्दी डाटाबेस के अपडेट होने की और हिन्दी को ध्यान में रख कर कुछ तकनीकी सुधार की, जिसके लिए गूगल और अन्य व्यावसायिक पोर्टल जम कर भिड़े हुए हैं।
ReplyDeleteपर साथ ही साथ हिन्दी ब्लोगरों को भी व्यावसायिक होना होगा।
अजी हिन्दी वाले अब सायाने हो गये है:)
ReplyDeleteye kis kis ki mbat kar rahe hea ,sir
ReplyDeleteसब्र का फल मीठा होता है हम तो सब्र रख रहे है हाँ ब्लॉग की बजाय थोडी बहुत कमाई वेब साईट से जरुर हो जाती है हालाँकि साईट में सब कुछ हिंदी में ही लिखा है पर साईट सोफ्टवेयर स्क्रिप्ट की अंग्रेजी के चलते गूगल विज्ञापन दिखाई दे रहे है |
ReplyDeleteकमाल है! ब्लागिंग से कमाई के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृति :)
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग मैं भी कमाई तो होगी पर अभी अनावश्यक देर हो रही है |
ReplyDeleteहिंदी ब्लागरों और पाठकों को थोडा और मिहनत करना होगा ..
अवधिया जी धीरज रखिये , गूगल क्र घर देर है अंधेर नहीं
ReplyDeleteमै तो यही कहूंगा धैर्य बनायें रखे। बाकी सब उपर वाले के नाम ।
ReplyDeletejai ho jai ho
ReplyDeleteअवधिया जी,
ReplyDeleteजब तक गूगल बाबा को सेंस नहीं आती कि हिंदी को भी एड देना है, मुझे एक आइडिया आ रहा है...मैं केले खरीद लेता हूं...आप संतरे...और दोनों टोकरे लेकर ब्लॉगर्स चौक पर बैठ जाते हैं...शाम को देखिएगा...दोनों के टोकरे बिल्कुल खाली हो गए होंगे...आसपास केले और संतरों के छिलकों का ढेर लगा होगा...यानि दिन भर जबरदस्त सेल हुई...फिर आप कहेंगे चल भई खुशदीप सेल तो बहुत बढ़िया हो गई...अब ज़रा कैश गिन लें...लेकिन ये क्या आपकी पैंट की जेब से बामुश्किल दो रुपये का एक सिक्का ही निकला...और मेरी जेब से तो फूटी कौड़ी भी नहीं निकली...अब दोनों परेशान हो गए...माल सारा कैश बिका फिर कैश आखिर गया तो गया कहां...(दरअसल हुआ ये था कि सुबह अवधिया जी के जेब में दो रुपये का ही सिक्का था...पहले उन्होंने मुझसे दो रूपये देकर एक केला खाया...थोड़ी देर बाद मैंने वही दो रुपये अवधिया जी को देकर संतरा खाया...बस दोनों में यही सिलसिला पूरा दिन चलता रहा...)
इसी तरह आप मेरी पोस्ट पढ़ते रहें और मैं आपकी पोस्ट...बस दोनों ही एक दूसरे को कमेंट देते रहें...फिर देखते हैं कौन सा सूरमा, हम दोनों से आगे निकलता है....
जय हिंद...
अब अंग्रेजी लेखन के तरफ ध्यान जाता ही नहीं। हिन्दी ब्लॉगिंग का चस्का ऐसा लग गया है कि सारा समय उसी में बीत जाता है। बस हम तो यही मना रहे हैं कि हिन्दी से भी जल्दी से जल्दी कमाई होना शुरू हो जाये। bilkul sahi kah rahen hain aap.........
ReplyDeletemain bhi english mein hi likhta tha,....... par ab hindi ki hi aadat ho gayi hai......... waise bhi english hamare as a third language hai........
अवधिया जी आपसे मिलना पड़ेगा,ये एडसेंस क्या होता है,कमाई क्या होती है,अपन को तो ये भी नही पता?
ReplyDeleteto aap kamaai karne ke liye likhne chale the, avadhiyaji ?
ReplyDeleteये तो, अपनी भी राम-कहानी है...
ReplyDeleteबाकी, आशा पर आकाश थमा है!!!
धैर्य बनायें रखे....
ReplyDeleteअवधिया जी अपन ने भी अभी हाल मे वी आर लिया है और यही सब सोच रहे थे लेकिन आपकी इस पोस्ट से बहुत झटका लगा है .. सो आपके दुख मे दुखी हूँ चलिये यहाँ प्यार और अपनापन तो मिल रहा है और यह पैसे से नही खरीदा जा सकता ..मैने लिखा भी है ..पैसे से क्या क्या तुम खरीदोगे ?
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