Monday, October 12, 2009

ये हिन्दी बलॉगिंग तो हमारा दिवाला निकाल रहा है

हम तो नेट के संसार में आए थे कुछ कमाई करने के उद्देश्य से। हमने सुन रखा था कि नेट से भी कमाई की जाती है इसलिए सन् 2004 में स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने के बाद हम लग गए इसी चक्कर में। बहुत शोध किया, डोमेननेम रजिस्टर कराया, होस्टिंग सेवा ले ली और कुछ अंग्रेजी लेख डाल कर खोल दिया अपना वेबसाइट। कुछ अंग्रेजी ब्लॉग्स भी बना लिया। एडसेंस पब्लिशर बन गये। बहुत सारे एफिलियेट लिंक्स डाल दिया अपने वेबसाइट्स में। कहने का मतलब यह कि बहुत पापड़ बेला। और आखिर में आठ महीने बाद हमारा पहला एडसेंस चेक हमें मिला।

इस बीच में हिन्दी ब्लॉगिंग के विषय में पता चला तो उसमें घुस गये। हिन्दी में भी गूगल एड्स आते थे उस समय। बस क्या था अपने मेन साइट को हिन्दी कर डाला। बहुत सारे सबडोमेन बना डाले और कई प्रकार के लेख लिख डाले उदाहरण के लिए देखे हमारी साइट भारतीय सिनेमा। एडसेंस ने भी रंग दिखाना शुरू किया और आठ महीने से पाँच, पाच से तीन होते होते हर महीने चेक आने लगा। तो अंग्रेजी लेखन के तरफ से ध्यान हटा कर हिन्दी में ही लिखने लगे। पर एकाएक हिन्दी में एडसेंस आना बंद हो गया, आता भी था तो गूगल का सार्वजनिक सेवा विज्ञापन। तो कमाई कम हो गई। अंग्रेजी के कुछ साइट्स से अभी भी कमाई हो रही है कुछ कुछ, याने कि हर तीसरे महीने गूगल से एक चेक मिल जाता है।

तो इस प्रकार से हिन्दी ब्लॉग ने दिवाला निकाल कर रख दिया हमारा। अब अंग्रेजी लेखन के तरफ ध्यान जाता ही नहीं। हिन्दी ब्लॉगिंग का चस्का ऐसा लग गया है कि सारा समय उसी में बीत जाता है। बस हम तो यही मना रहे हैं कि हिन्दी से भी जल्दी से जल्दी कमाई होना शुरू हो जाये।

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संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण की दूसरी किश्त - राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म - बालकाण्ड (2)
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20 comments:

  1. हा...हा....हा..अवधिया जी एक आईडिया है..हिंदी से दिवाला मनाईये और अंग्रेजी वाले से दिवाली...अपना ठीक है चेक की कोई टैंशन ही नहीं है..सब नकद होता है..अजी मेरा मतलब..नेट वाला ले जाता है हर महीने नकद...

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  2. हिन्दी में कमाई बहुत मुश्किल दिख रही है.

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  3. ये लो गुरुजी, जब आप जैसे लोग हार मान लेंगे, तो हम जैसे क्या करेंगे… :)

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  4. संजय जी, धैर्य धारण कीजिए। हिन्दी से कमाई होगी, जरूर होगी और जल्दी ही होगी। क्या गूगल हिन्दी से कमाई को छोड़ देगा? नहीं भाई, उनके लिए बहुत बड़ा बाजार है हिन्दी तो। बस समस्या है तो उनके हिन्दी डाटाबेस के अपडेट होने की और हिन्दी को ध्यान में रख कर कुछ तकनीकी सुधार की, जिसके लिए गूगल और अन्य व्यावसायिक पोर्टल जम कर भिड़े हुए हैं।

    पर साथ ही साथ हिन्दी ब्लोगरों को भी व्यावसायिक होना होगा।

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  5. अजी हिन्दी वाले अब सायाने हो गये है:)

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  6. ye kis kis ki mbat kar rahe hea ,sir

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  7. सब्र का फल मीठा होता है हम तो सब्र रख रहे है हाँ ब्लॉग की बजाय थोडी बहुत कमाई वेब साईट से जरुर हो जाती है हालाँकि साईट में सब कुछ हिंदी में ही लिखा है पर साईट सोफ्टवेयर स्क्रिप्ट की अंग्रेजी के चलते गूगल विज्ञापन दिखाई दे रहे है |

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  8. कमाल है! ब्लागिंग से कमाई के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृति :)

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  9. हिंदी ब्लॉग मैं भी कमाई तो होगी पर अभी अनावश्यक देर हो रही है |

    हिंदी ब्लागरों और पाठकों को थोडा और मिहनत करना होगा ..

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  10. अवधिया जी धीरज रखिये , गूगल क्र घर देर है अंधेर नहीं

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  11. मै तो यही कहूंगा धैर्य बनायें रखे। बाकी सब उपर वाले के नाम ।

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  12. अवधिया जी,
    जब तक गूगल बाबा को सेंस नहीं आती कि हिंदी को भी एड देना है, मुझे एक आइडिया आ रहा है...मैं केले खरीद लेता हूं...आप संतरे...और दोनों टोकरे लेकर ब्लॉगर्स चौक पर बैठ जाते हैं...शाम को देखिएगा...दोनों के टोकरे बिल्कुल खाली हो गए होंगे...आसपास केले और संतरों के छिलकों का ढेर लगा होगा...यानि दिन भर जबरदस्त सेल हुई...फिर आप कहेंगे चल भई खुशदीप सेल तो बहुत बढ़िया हो गई...अब ज़रा कैश गिन लें...लेकिन ये क्या आपकी पैंट की जेब से बामुश्किल दो रुपये का एक सिक्का ही निकला...और मेरी जेब से तो फूटी कौड़ी भी नहीं निकली...अब दोनों परेशान हो गए...माल सारा कैश बिका फिर कैश आखिर गया तो गया कहां...(दरअसल हुआ ये था कि सुबह अवधिया जी के जेब में दो रुपये का ही सिक्का था...पहले उन्होंने मुझसे दो रूपये देकर एक केला खाया...थोड़ी देर बाद मैंने वही दो रुपये अवधिया जी को देकर संतरा खाया...बस दोनों में यही सिलसिला पूरा दिन चलता रहा...)
    इसी तरह आप मेरी पोस्ट पढ़ते रहें और मैं आपकी पोस्ट...बस दोनों ही एक दूसरे को कमेंट देते रहें...फिर देखते हैं कौन सा सूरमा, हम दोनों से आगे निकलता है....

    जय हिंद...

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  13. अब अंग्रेजी लेखन के तरफ ध्यान जाता ही नहीं। हिन्दी ब्लॉगिंग का चस्का ऐसा लग गया है कि सारा समय उसी में बीत जाता है। बस हम तो यही मना रहे हैं कि हिन्दी से भी जल्दी से जल्दी कमाई होना शुरू हो जाये। bilkul sahi kah rahen hain aap.........

    main bhi english mein hi likhta tha,....... par ab hindi ki hi aadat ho gayi hai......... waise bhi english hamare as a third language hai........

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  14. अवधिया जी आपसे मिलना पड़ेगा,ये एडसेंस क्या होता है,कमाई क्या होती है,अपन को तो ये भी नही पता?

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  15. ये तो, अपनी भी राम-कहानी है...

    बाकी, आशा पर आकाश थमा है!!!

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  16. अवधिया जी अपन ने भी अभी हाल मे वी आर लिया है और यही सब सोच रहे थे लेकिन आपकी इस पोस्ट से बहुत झटका लगा है .. सो आपके दुख मे दुखी हूँ चलिये यहाँ प्यार और अपनापन तो मिल रहा है और यह पैसे से नही खरीदा जा सकता ..मैने लिखा भी है ..पैसे से क्या क्या तुम खरीदोगे ?

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