Monday, October 19, 2009

बेवकूफों के लिये यहाँ कोई जगह नहीं है

एक आदमी मर गया। यमदूत लेने के लिये नहीं आये। उसकी आत्मा बेचारी भटक रही थी। भटकते भटकते आत्मा एक ऐसे स्थान पर पहुँची जहाँ पर दो बड़े बड़े दरवाजे थे। एक पर लिखा था स्वर्ग और दूसरे पर नर्क। उसने स्वर्ग वाला दरवाजा खटखटाया।

द्वारपाल ने दरवाजा खोल कर पूछा, "क्या चाहते हो?"

आत्मा ने कहा, "भीतर आना है।"

द्वारपाल ने फिर पूछा, "शादी की थी तुमने?"

"हाँ की थी।"

"तो भीतर आ जाओ भाई, नर्क तो तुम पहले ही भोग चुके हो।"

कहकर द्वारपाल ने उसे भीतर जाने दिया। पीछे एक और आत्मा खड़ी थी और पूरी वार्तालाप सुन रही थी।

पहली आत्मा के भीतर जाने पर दूसरी आत्मा ने द्वारपाल से कहा, "मैंने दो शादी की थी।"

"बाजू के दरवाजे में जाओ, बेवकूफों के लिये यहाँ कोई जगह नहीं है।" कहकर द्वारपाल ने दरवाजा बंद कर दिया।

15 comments:

  1. haaaaa haaa haaa
    बहुत सुन्दर, मैने तो एक ही की है

    ReplyDelete
  2. हा-हा-हा... चार शादी वाला पहुँच जाता तो उसे द्वारपाल किन शब्दों में संबोधित करता, अंदाजा लगाया जा सकता है !

    ReplyDelete
  3. अवधिया जी,
    गलती एक बार ही माफ होती है...बार-बार नहीं...

    जय हिंद...

    ReplyDelete
  4. हा हा हा....लाजवाब्!
    इन्सान अगर एक बार गलती करे तो उसे भूल मानकर क्षमा भी किया जा सकता है....लेकिन कोई मूर्ख ही होगा जो दुबारा से वही गलती करेगा.:)

    ReplyDelete
  5. ...मै तो अभी कुंवारा हूँ, तो मै क्या करूं ?....

    ReplyDelete
  6. श्रीश पाठक 'प्रखर' जी

    आप पहले शादी कर लो! :-)

    पर कितनी शादी करना है ये सीख इस पोस्ट से अवश्य ले लेना!! :-)

    ReplyDelete
  7. अवधिया जी अभी तक कोई नारी नही आई टिपण्णी देने, तो यह नारिया कहा जायेगी मर ने के बाद??
    ओर बिना नारी के स्वर्ग भी क्या खाक अच्छा लगेगा??
    बहुत सुंदर कहा आप ने मजा आ गया.
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  8. मान गये भाटिया जी! बड़े रसिक हैं आप!

    भाई नारी तो नर्क की रचना करती है पुरुषों के लिए पर स्वयं स्वर्ग में ही रहती हैं।

    (महिलाओं से क्षमाप्रार्थना सहित निवेदन कि यह कटाक्ष नहीं वरन निर्मल हास्य है।)

    ReplyDelete
  9. तैं ता गा लफ़ड़ा करा देबे बबा ? बाकी मन कहाँ जाही? नारी हाँ घर ला सरग बनाथे अऊ गोसंईया ला सरगबासी, ता ओखरो अधिकार सरग मा बनथे चाहे कतको मेनका,रम्भा, उर्वशी रहाय। अऊ तोपी......

    ReplyDelete
  10. अपन भी एक ही वाले है, चलो कुछ तो आस बंधी !

    ReplyDelete
  11. वाकई बहुत बढ़िया ...

    ReplyDelete
  12. अवधिया जी कॉलेज के जमाने मे इस चुटकुले पर एक कविता लिखी थी ... दस्तक हुई स्वर्ग के द्वार पर /देवदूत ने दरवाज़ा खोला / सामने खड़ा था एक कोलेज कुमार/ मुह मे दहक रहा था सिगरेट् का शोला ... इस टाइप की । वह याद आ गई

    ReplyDelete