मैं फिल्म "तीन देवियाँ" की बात नहीं कर रहा हूँ। मैं तो उन तीन देवियों की बात कर रहा हूँ जो कि नेता, साहब, थानेदार, क्लर्क, छात्र, महिलाएँ, गृहस्थ, पत्नी, मुन्ना और कुत्ता के साथ पाई जाती हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि ये बुड्ढा आज जरूर सठिया गया है तभी कुछ भी ऊल-जलूल बके जा रहा है। हो सकता है कि मैं सठिया गया होऊँ पर साहब मैं ऊल-जलूल बक नहीं रहा हूँ। मैं तो बात कर रहा हूँ जनाब स्माइल 'जगदलपुरी' की रचना "तीन देवियाँ" की। लीजिये आप भी पढ़ियेः
तीन देवियाँ
स्माइल 'जगदलपुरी'
नेता
खादी नित पहना करें, सूरत है मनहूस।
तीन देवियाँ साथ हैं, चंदा, थैली, घूस॥
साहब
रिश्वत खाकर बढ़ गया, बड़े साब का पेट।
तीन देवियाँ साथ हैं, चाय, पान सिगरेट॥
थानेदार
छात्र पुलिस संघर्ष में, टूट गई है टाँग।
तीन देवियाँ साथ हैं, व्हिस्की, गाँजा, भाँग॥
क्लर्क
बहे पसीना देह से, तनिक न आवे चैन।
तीन देवियाँ साथ हैं, फाइल, चिट्ठी, पैन॥
छात्र
पीट दिया आचार्य को, करी खोपड़ी ठूँठ।
तीन देवियाँ साथ हैं, हाकी, पत्थर, बूट॥
महिलाएँ
फिल्म देखने को चली, महिलाओं की टीम।
तीन देवियाँ साथ हैं, रूज़, पाउडर, क्रीम॥
गृहस्थ
दर्जन भर बच्चे हुये, किस्मत का है खेल।
तीन देवियाँ साथ हैं, राशन, लकड़ी, तेल॥
पत्नी
घर आने में रात को, पति हो जायें लेट।
तीन देवियाँ साथ हैं, चिमटा, बेलन, प्लेट॥
मुन्ना
भाग गये स्कूल से, देख पिता जी दंग।
तीन देवियाँ साथ हैं, मंझा, डोर, पतंग॥
कुत्ता
मेम साब को देखकर, फौरन पूँछ हिलाय,
तीन देवियाँ साथ हैं, हलवा, रोटी, चाय॥
काह न करे अबला प्रबल ....मतलब तीन गुडे तेरह देवियाँ !
ReplyDeleteअवधि्या जी-आप भी क्या कमाल की चीज ढुंड कर लाए हैं। आभार
ReplyDeleteब्लॉगर...
ReplyDeleteउखाड़-पछाड़ ने बना दिया है पानीपत का मैदान,
3 देवियां साथ हैं- गुटबाज़ी, प्रतिद्वंदिता, जलन...
जय हिंद...
वाह वाह!
ReplyDeleteअरे! वाह.... यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी....
ReplyDeleteoh my god !
ReplyDeleteso nice post !
mazaa hi aa gaya ..........
hit hai ji hit !
बहुत खुब अवधिया जी मन खुश हो गया इन सभी देवियो से मिल कर.बहुत सुंदर
ReplyDeleteवाह्! अवधिया जी, आज तो सुबह सुबह देवी महात्म पढकर आनन्द आ गया :)
ReplyDeleteवाह अवधिया जी, आज तो प्रसन्न कर दिया।
ReplyDeleteबहुत अच्छी खोज है आपकी।
अच्छी पोस्ट, पर ब्लागरों की देवियाँ कहाँ रह गईँ?
ReplyDeleteबहुत कमाल की रचना ढूँढ कर लाये हैं आप धन्यवाद
ReplyDeleteबेहतरीन। लाजवाब।
ReplyDelete:)
ReplyDeletewah ji wah....kya baat kahi hai..
ReplyDeletematlab bina 3 dewiyon ke kahin bhi gujara nahi.....
bahut khoob.
अवधिया भईया
ReplyDeleteभईया अवधिया करते हैं बहुत पते की बात
तीन देवियाँ साथ हैं रचना, टिपण्णी, डांट
यहाँ रचना का अर्थ कृति, आलेख, कविता से है....कोई और न चढ़ दौड़े हमपर...हाँ नहीं तो.. !!
यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी....:)