Friday, January 22, 2010

मुझे अतीत ही अच्छा लगता है क्योंकि मैं वृद्ध हूँ ... पर इसका मतलब यह नहीं होना चाहिये कि मैं युवाओं को बोर करूँ

यह एक स्वाभाविक बात है कि पुरानी पीढ़ी वर्तमान में रहते हुए भी अतीत में जीने का प्रयास करती रहती है जबकि नई पीढ़ी के लिये वर्तमान ही सबकुछ होता है। इसीलिये वृद्धों को हमेशा अतीत अच्छा लगता है और युवाओं को वर्तमान। परिणामस्वरूप प्रायः दोनों पीढ़ियों के बीच बहस, चर्चा आदि जोर पकड़ लेती है, मतभेद बढ़ते जाता है और उनके बीच की खाई बढ़ने लगती है।

वृद्धजन भूल जाते हैं कि कभी वे भी नई पीढ़ी थे और अपनी पुरानी पीढ़ी की उसी प्रकार आलोचना किया करते थे जिस प्रकार से आज की नई पीढ़ी उनकी आलोचना करती है। अपने बेलबॉटम को अपने पिता के चौड़ी मोहरी वाले फुलपेंट से ज्यादा अच्छा समझते थे। पिताजी की पसंद के गायक के. एल सहगल की हँसी उड़ाते थे और रफी किशोर की प्रशंसा करते नहीं थकते थे। बात-बात पर माता-पिता से कह दिया करते थे कि आप लोग कुछ समझते तो हैं नहीं और अपनी चलाने की कोशिश करते रहते हैं।

दूसरी ओर नई पीढ़ी को भी यह सोचना जरूरी है कि यद्यपि वे आज नई पीढ़ी हैं किन्तु कल उन्हें पुरानी पीढ़ी बनना ही पड़ेगा और उनके बाद आने वाली पीढ़ी के लिये उनका कुछ महत्व ही नहीं रहेगा। उनके बच्चे भी कल उनसे यही कहेंगे कि आप लोग कुछ समझते तो हैं नहीं और अपनी चलाने की कोशिश करते रहते हैं।

यदि दोनों पीढ़ी के लोग यदि एक दूसरे की भावनाओं का जरा खयाल रखें तो कभी भी मतभेद न हो। अच्छाई और बुराई तो हर काल में बनी ही रहती हैं। अतीत हो या वर्तमान, कोई भी पूर्णरूपेण न तो अच्छा ही हो सकता है और न ही बुरा। यदि हम दोनों ही कालों की अच्छाइयों को स्वीकार कर लें, याने कि वृद्धजन वर्तमान की और युवावर्ग अतीत की अच्छाइयों को स्वीकार करें तो मतभेद की स्थिति कभी उत्पन्न ही न हो।

13 comments:

  1. बिहनिया-बिहनिया काबर बोर करत हस
    डोकरा मन ला परवचन छोर कहत हस
    सि्यान मन के इही बुता हावय गा बबा
    तेहां अपन गुन-गियान ले धन्य करत हस

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  2. आपसी सामंजस्य और उसी पल खुद को उसी स्थिति में खड़ा देखने की प्रवृति रिश्तों को मधुर बनाती ही है ...!!

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  3. सत्य वचन । धन्यवाद और शुभकामनायें

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  4. सही कहा वाणी जी ने - सामंजस्य

    कहावत है जब बाप का जूता बेटे के पैर में आने लगे तो उसे मित्र बना लेना चाहिए

    वैसे बुढ़ापा एक सोच की अवस्था है

    अपने आप को युवा माने और परिवर्तन महसूस करें :)

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  5. समय के साथ 'अपडेट' होते रहें, समस्या आएगी ही नहीं.

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  6. बहुत सही अवधिया साहब , जनरेशन गैप को भरते रहने की कोशिश लगातार की जानी चाहिए !

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  7. अगर ऐसा हो जाए तो आधी लड़ाईयां, ख़त्म समझिए। सोच में वक़्त के साथ बदलाव लाना बेहद ज़रूरी है।

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  8. इसे ही शायद जेनेरेशन गैप कहते हैं , मगर जैसा कि संजय जी ने कहा कि अपडेटेड होते रहना , यानि समय के साथ चलना और बदलना जरूरी होता है
    अजय कुमार झा

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  9. आज का बुढ़ऊ आज के नौजवानों के बीच बैठ कर अतीत ही याद करेगा। पर उस में से भी बहुत कुछ आज के नौजवानों के लिए निकाल कर ला सकता है।

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  10. अरे अरे अवधिया जी। ये क्या कह रहे हैं। आप कहाँ वृद्ध है । आदमी उतना ही बूढा होता है, जितना वो सोचता है।
    नौज़वानों की संगत में रहो, थोडा उनकी सुन लो और मान लो। थोड़ी अपनी सुना दो और मनवा लो।
    फिर देखिये कौन वृद्ध और कौन ज़वान।

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  11. ... प्रभावशाली अभिव्यक्ति !!!

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  12. आपकी कथन से असहमति का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं हो सकता...लेकिन हम तो ये कहना चाह रहे हैं कि आप पोस्ट का शीर्षक बडा धांसू टाईप का रखते है...बन्दा शीर्षक देखते ही दौडा चला आता है :)

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  13. बहुत सुंदर बात कही आप ने, जब हम बच्चो के मित्र बने गे तो बच्चे भी हमारा साथ देगे

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