Thursday, February 4, 2010

"कुकुर के मुँह में लउड़ी हुड़सना" ... याने कि किसी को जबरन छेड़ना

मानव मस्तिष्क भी विचित्र वस्तु है। कभी-कभी यह किसी को जबरन छेड़ कर मौज लेता है। इसे ही छत्तीसगढ़ी हाना (लोकोक्ति) में "कुकुर के मुँह में लउड़ी हुड़सना" कहा जाता है। मनोविज्ञान के अनुसार यह एक मानसिक खेल है जो अक्सर महज मौज-मजा लेने के लिये किया जाता है और संसार का शायद ही कोई व्यक्ति हो जिसने कभी भी ऐसा न किया हो। एक सीमा तक ही यह खेल जारी रहे तो कुछ अधिक नुकसानदायक नहीं है यह किन्तु प्रायः यह खेल अपनी सीमा पार कर जाती है और साधारण चुहलबाजी एक विवाद का रूप धारण कर लेती है। बेहतरी इसी में है कि हम इस मानसिक खेल से बच कर ही रहें।

लोकोक्ति की बात चली है तो आपको हम यह बता दें कि जब जीवन का यथार्थ ज्ञान नपे-तुले शब्दों में मुखरित होता है तो वह लोकोक्ति बन जाता है याने कि लोकोक्ति एक प्रकार से "गागर में सागर" होता है। छत्तीसगढ़ी में लोकोक्ति को "हाना" के नाम से जाना जाता है। छत्तीसगढ़ी भाषा में बहुत से सुन्दर हाना हैं जिन्हें उनके हिन्दी अर्थसहित जानकर आपको बहुत आनन्द आयेगा। यहाँ पर हम कुछ ऐसे ही रोचक छत्तीसगढ़ी हाना उनके हिन्दी अर्थ सहित प्रस्तुत कर रहे हैं:
  • "अपन पूछी ला कुकुर सहरावै" अर्थात् अपनी तारीफ स्वयं करना याने कि अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना।
  • "चलनी में दूध दुहय अउ करम ला दोष दै" अर्थात् खुद गलत काम करना और किस्मत को दोषी ठहराना।
  • "घर के जोगी जोगड़ा आन गाँव के सिद्ध" अर्थात् घर के ज्ञानी को नहीं पूछना और दूसरे गाँव के ज्ञानी को सिद्ध बताना याने कि आप कितने ही ज्ञानी क्यों न हों घर में आपको ज्ञानी नहीं माना जाता।
  • "अपन मरे बिन सरग नइ दिखय" अर्थात् स्वयं किये बिना कोई कार्य नहीं होता।
  • "आज के बासी काल के साग अपन घर में काके लाज!" अर्थात् अपने घर में रूखी-सूखी खाने में काहे की शर्म।
  • "अजान बैद परान घातिया" अर्थात् नीम-हकीम खतरा-ए-जान।
  • "कउवा के रटे ले बइला नइ मरय" अर्थात् कौवा के रटने से बैल मर नहीं जाता याने कि किसी के कहने से किसी की मृत्यु नहीं होती।
  • "उप्पर में राम-राम तरी में कसाई" अर्थात् मुँह में राम बगल में छुरी।
  • "करनी दिखय मरनी के बेर" अर्थात् किये गये अच्छे या बुरे कर्मों की परीक्षा मृत्यु के समय होती है।
  • "खेलाय-कुदाय के नाव नइ गिराय पराय के नाव" अर्थात् प्रशंसा कम मिलती है और अपयश अधिक।

11 comments:

  1. वाह! अवधिया जी, आज तो 36गढी कहावतों का अम्बार लगा दिया। बहुत सुंदर, आभार

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  2. kahaavate dekh kar aanand aa gayaa. mere pichale do upanyaaso me iname se teen khaavate jagah paa chulki hai.kuchh ka istemaal ab baad me karoonga. sachmuch ye hit kahaavate hai.

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  3. मुहावरों और लोकोक्तियों की अच्छी जानकारी होने के बावजूद कई पहली बार पढने को मिली ...!!

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  4. छात्तीसगढ़ की भाषा में लोकोक्ति (हाना ) पढ़ना अच्छा लगा...नयी जानकारी के लिए आभार....

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  5. मैंने सारे लोकोक्तियाँ सहेज का रख ली है अवधिया साहब , बोलने की घर में पहले बीबी से शुरुआत करूंगा , पिटा तो आप जिम्मेदार होंगे !

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  6. bahut badhiya, shukriya inhe yaha dene ka aur arth bhi batane ka

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  7. ये छतीसगढी कहावतें बहुत अच्छी लगी। धन्यवाद्

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  8. जब पढ़ने में इतनी अच्छी लग रही है तो सुनने में कैसी लगेगी, कभी छत्तीसगढ़ आना हुआ तो सुनने का मौका भी मिल जायेगा,

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  9. छतीसगढी कहावतें और लोकोक्तियाँ बहुत अच्छी लगी...
    इसे भारतीय लोकसंस्कृ्ति की व्यापकता की कहा जा सकता है कि एक ही प्रकार की कहावतें,मुहावरे,लोकोक्तियाँ भारत की प्रत्येक भाषा में मौजूद हैं....मानो भारतीय समाज को इन्होने भीतर से एकसूत्र में बाँध रख हो...

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  10. ye bahut accha kaam kiya bhaiya aapne isi bahane hamein any chetreey bhashaaon ka gyan bhi ho raha hai..
    saadhuwaad..

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  11. अवधिया जी,
    अपने बारे में फैसला कर लिया...बस हर वक्त यही कहा करूंगा...

    "अपन पूछी ला कुकुर सहरावै"

    जय हिंद...

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