Sunday, April 4, 2010

मौन मूर्खता को छिपाता है

मौन रह कर लोगों को सोचने दो कि तुम मूर्ख हो या नहीं, मुँह खोल कर उन्हे समझ जाने का अवसर मत दो कि तुम वास्तव में मूर्ख हो!

(Better to remain silent and be thought a fool, than to open your mouth and remove all doubt.)

13 comments:

  1. सही कहा अवधिया जी न बोले तो कौयें कोयलों कि बीच खप सकता है।

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  2. आपने पहले नही बताया. हमारी इसी आदत के कारण हमारा मुर्ख होना पकडा गया.

    रामराम.

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  3. बहुत खूब। आपने सच्‍ची बात कही।

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  4. मैं तो अवधिया साहब, चुप रह ही नहीं सकता .... हा...हा...हा !

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  5. बहुत अच्छा
    अभी "विचारों" का सिलसिला जारी है

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  6. इस कुहराम में चुप रहना ही अच्छा है
    बिन बोले जो कहा जायेगा वह गहराई से सुना जायेगा.

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  7. शायद इसीलिए यहाँ कुछ लोग मुद्दों पर जुबान नहीं खोलते। चुप्पी साध जाते हैं :-)

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  8. यह पोस्ट आप प्रवचन देने बाले पोस्ट और ब्लॉग पर डाल देन...
    सौरी अब मौन हो जाता हूँ,,,,
    .संवेदनशील प्रस्तुति......
    http://laddoospeaks.blogspot.com/

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  9. अच्छा इसलिए ज्यादा कुछ नहीं कहा अपने।
    और देखिये फिर भी आप टॉप पर पहुच गए।
    कथन जिसका भी है एकदम सत्य है।
    पर फिर भी मुझे तो अपनी बात कहने के लिए
    खूब बोलना, खूब लिखना अच्छा लगता है।
    वही यहाँ पर भी करूँगा।
    मैं नहीं सुधरूंगा । बोलता ही रहूँगा..........बोलता ही रहूँगा....... बोलता ही रहूंगा.......बोलता ही रहूँगा......

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  10. अंग्रेजी और हिन्‍दी के अनुवाद में साम्‍यता दिखायी नहीं दे रही है कृपया भाव स्‍पष्‍ट करें।

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  11. अंग्रेजी और हिन्‍दी के अनुवाद में साम्‍यता दिखायी नहीं दे रही है कृपया भाव स्‍पष्‍ट करें।

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