Tuesday, April 27, 2010

ट्रिक्स टिप्पणियाँ बढ़ाने के

हिन्दी ब्लोगिंग के लिये बने संकलकों के हॉटलिस्ट के तीन मुख्य आधार, व्ह्यूज़, पसंद और टिप्पणियों की संख्या हैं। इन्हीं तीनों के बढ़ने से कोई पोस्ट हॉटलिस्ट में ऊपर चढ़ते जाता है। इसका सीधा-सीधा मतलब यह है कि यदि कोई अपने पोस्ट में येन-केन-प्रकारेण टिप्पणियों की संख्या बढ़ाता जाये तो वह पोस्ट हॉटलिस्ट में चढ़ते चला जायेगा। टिप्पणियों की संख्या बढ़ाना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है। इसके लिये कई तरीके हैं जैसे किः
  • पोस्ट लिखने के बाद स्वयं ही टिप्पणी करना।
  • बेनामी बनकर खुद ही टिप्पणी करना।
  • मित्रों से सम्पर्क कर टिप्पणियाँ करवाना।
  • एक ही टिप्पणी को बार-बार दोहराते चले जाना।
आदि-आदि इत्यादि ...

यदि संकलक चाहे तो इन सारे तरीकों को खत्म कर सकते हैं, बस इसके लिये उन्हें सिर्फ ऐसी व्यवस्था करना पड़ेगा कि पोस्टकर्ता की और एक ही टिप्पणीकर्ता की एक से अधिक टिप्पणियाँ टिप्पणियों की संख्या में जुड़ने ना पाये। ऐसी व्यवस्था करना मुश्किल कार्य नहीं है।

22 comments:

  1. अवधिया साहब , मैं तो कहूंगा कि यह उसकी घोर ना समझी है, उससे क्या हो जाएगा, शेर की खाल पहनकर गधा शेर तो नहीं बन जाएगा ?

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  2. कुछ चिठ्ठों पर तो ऐसे-ऐसे "विद्वान"(?) पाये जाते हैं जो अपनी तरफ़ से एक शब्द भी नहीं कहते, बस उसी लेख में से 2-4 लाइन कॉपी-पेस्ट कर देते हैं…।

    अब ये शोध का विषय है कि ऐसे विद्वान हैं भी या लेखक खुद ही रैंक बढ़ाने के लिये फ़र्जी नामों से टीप रहे हैं। दूसरी सम्भावना अधिक लगती है, क्योंकि यदि टिप्पणी करने वाले इतने ही विद्वान होते तो खुद भी तो कुछ कहते… :) :)

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  3. क्या भरोसा कोई टिप्पणी करे?
    इसलिए अपना हाथ जगन्नाथ।
    स्वयं पढो स्वयं टिपियाओ-स्वालम्बी बनो।
    सुनहरे कल की ओर आगे बढो।

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  4. बस किसी का नाम मत लेने श्रीमान जी,

    बेमतलब ही साम्पर्दायिकता फ़ैल जायेगी फिर से!

    वैसे ललित जी ने खूब समझी है उनके दिल की बात!

    कुंवर जी,

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  5. चलो जी अच्छा आईडिया दिया...अपनी पोस्ट तो कभी नजर ही नही आती....कोशिश कर के देखेगें....वैसे ललित जी ने सही कहा है:)

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  6. अब क्या कहे दुनिया में भांति भांति के रंग है. चंद सौ या हज़ार ब्लॉगर समूह में भी लोग प्रसिद्द होने के लिए क्या क्या पैतरे अपनाते है. आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि कुछ विवादित लेखकों की पोस्ट पब्लिश होकर एक दो मिनिट में जब तक किसी वेब एग्रीगेटर (ब्लोग्वानी इत्यादि) पर आती है तब तक ही उसे दो या तीन पाठक (जो शायद लेखक के अलग अलग लोगिन आई डी है) पसंद कर चुके होते है.

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  7. आईडिया तो बढ़िया दिया है आपने ! वैसे अपन इस दौड़ में है ही नहीं ! जो २-४ लोग आ जाते है ब्लॉग पर वही बहुत है !

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  8. ..सबकी अपनी-अपनी पसंद है ..... टिपण्णी तो जब जिसे उसके मन का अच्छा दिखे वह तभी करता है और समय भी तो सभी के पास एक सा नहीं होता......
    ट्रिक्स के लिए धन्यवाद... हार्दिक शुभकामनाएं सहित

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  9. इन तिगड़मी विद्वानों पर पहले भी कहा गया था. आपने फिर से व्यंग्य कसा है.

    बेनामी से ज्यादा रोचक ब्लॉग लेखक द्वारा ही अपने ब्लॉग की दो तीन पंक्तियों को टिप्पणी के रूप में डालना लगता है. हँसी आती है इस हरकत पर. यह भी पता चलता है कि लेखक ब्लॉग को लेकर कितने गम्भीर है.

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  10. हम तो इस मामले में ललित शर्मा जी से इतेफ़ाक रखते हैं. और यूं भी स्वालंबन का पाठ गांधी जी बिनोबा जी से पढे हुये लोग हैं हम.

    रामराम

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  11. ब्लॉग और ब्लोगिंग के सशक्तता और पारदर्शिता के लिए एक अच्छा और विचारणीय सुझाव / ब्लॉग अग्रीगेटरों को इस पर अविलब विचार करना चाहिए / ऐसे ही विचारों के सार्थक प्रयोग ब्लॉग के जरिये करने से ही ब्लॉग को सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित करने में सहायता मिलेगा / हम आपको अपने ब्लॉग पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर देश हित में १०० शब्दों में ,विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित करते हैं / उम्दा विचारों को हमने सम्मानित करने का भी प्राबधान कर रखा है / पिछले हफ्ते उम्दा विचार व्यक्त करने के लिए अजित गुप्ता जी सम्मानित की गयी हैं /

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  12. अजी अपने मुहं मियां बनाने वाली बात है, उस से क्या होगा अगर मेरी वेबकुफ़ियो(चलाकी उन के लिये जो यह करते है) की वजह से पोस्ट ऊपर भी आ जाये तो??? लोग कहते कुछ नही लेकिन हंसते ओर समझते जरुर है... हमे जो समझ मै आया लिखा ओर कभी नही देखा हम किस जगह है,कोन सी ऊंचाई हम ने पा ली... क्योकि इन सब बातो के लिये समय ही नही है हमारे पास

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  13. मैंने तो सुना है maximum कमेंट्स मिलने वालों के लिए भारत सरकार जल्दी ही कोई इनाम घोषित करने वाली है.
    वाह रे वाह कमेंट्स देने वाले और कमेंट्स लेने वाले .प्रभु कुछ सहायता कर इन सबकी.तू सबका पालनहार है,प्रभु सबको छोड़,इनकी तरफ नज़रें इनायत कर,नहीं तो जाने ये क्या कर गुजरें.

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  14. tabhi to kaha gaya hai.......... MERA BHARAT MAHAAN..........yahan charchit hone ke liye log koi bhi maapdand apna sakte hain.........vaise mere khyal se to agar aapki post ko padhkar kisi ek bhi shakhs ne tippani sahi dhang se kar di to hi sarthak hai varna bekar hai ..........kyunki ajkal logon ke pass waqt kam hai aur posts jyada isliye kuch log tobina padhe hi comment kar dete hain ab unhein kya kaha jaaye.
    tippniyon ki sankhya se jyada post ki sarthakta jaroori hai.

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  15. भईया,
    अच्छा ट्रिक बताया आपने....
    ये तो पोस्ट को ऊपर ले जाने कि बात है....और लोग इस्तेमाल भी करते हैं...
    लेकिन आज कल एक नया ट्रेंड चला है पोस्ट को नीचे लाने का...बिना बात के लोग नापसंद का चटका जो लगा रहे हैं उसके बारे में भी कुछ लिखिए न....
    अच्छी प्रस्तुति...

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  16. साधुवचन
    आपके ट्रिक सुन्दर हैं और आजमाने योग्य है

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  17. हम भी इस मामले में ललित शर्मा जी से इतेफ़ाक रखते हैं आखिर आत्मनिर्भरता भी तो जरुरी है |

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  18. ऎसे जुगाड लडाने की न तो हम इच्छा रखते हैं और न ही हमारे पास फालतू का इतना समय है कि उसे यूँ खोटी किया जाए....अपना तो एक ही उसूल है..पोस्ट पब्लिश की और चुप कर बैठ गए...कईं बार तो टिप्पणियाँ देखने का भी समय नहीं मिल पाता.....

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  19. कि फरक पेंदा?? अपन संकलक से पढ़ना ही छोड़ दिया है.. वहाँ अपन जाते हैं सिर्फ और सिर्फ नया ब्लॉग ढूँढने..

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  20. हा हा । टिप्पणियाँ बढ़ के भी क्या होगा और घट के भी क्या होगा ?
    ..........

    ये टिप्पणी अगर मिल भी जाए तो क्या है ??

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  21. अच्छी जानकारी दी है...पर ये भी सही कहा है कि--

    टिप्पणियां अगर मिल भी जाएँ तो क्या है?

    लेखन पर सार्थक समीक्षा करते हुए टिप्पणी आये तो बात बने

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