Sunday, September 19, 2010

हे विकराले! हे कटुभाषिणी! हे देवि! हे भार्या!

हे आर्यावर्त की आधुनिक आर्या!
हे विकराले! हे कटुभाषिणी!
हे देवि! हे भार्या!

पाणिग्रहण किया था तुझसे
सोच के कि तू कितनी सुन्दर है,
पता नहीं था
मेरी बीबी मेरी खातिर
"साँप के मुँह में छुछूंदर है"

निगल नहीं पाता हूँ तुझको
और उगलना मुश्किल है
समझा था जिसको कोमलहृदया
अब जाना वो संगदिल है

खब्त-खोपड़ी-खाविन्द हूँ तेरा
जीवन भर तुझको झेला हूँ
"पत्नी को परमेश्वर मानो"
जैसी दीक्षा देने वाले गुरु का
सही अर्थ में चेला हूँ

बैरी है तू मेरे ब्लोगिंग की
क्यूँ करती मेरे पोस्ट-लेखन पर आघात है?
मेरे ब्लोगिंग-बगिया के लता-पुष्प पर
करती क्यों तुषारापात है?

हे विकराले! हे कटुभाषिणी!
हे देवि! हे भार्या!

बस एक पोस्ट लिखने दे मुझको
और प्रकाशित करने दे
खाली-खाली हृदय को मेरे
उल्लास-उमंग से भरने दे
तेरे इस उपकार के बदले
मैं तेरा गुण गाउँगा
स्तुति करूँगा मैं तेरी
और तेरे चरणों में
नतमस्तक हो जाउँगा।

यह मत कहना कि पुराने पोस्ट को फिर से लगा दिया, भई इतवार का दिन है आज...

16 comments:

  1. हा हा हा हा
    हमको भी गम ने मारा// तुमको भी गम ने मारा
    ब्रह्माण्ड

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  2. पाणिग्रहण किया था तुझसे
    सोच के कि तू कितनी सुन्दर है,
    पता नहीं था
    मेरी बीबी मेरी खातिर
    "साँप के मुँह में छुछूंदर है"

    वाह क्या पंक्तियां है...बहुत खूब

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  3. फ्रेमकर टाँगने लायक।

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  4. :) पत्नि देवी नमस्तुभ्यम....नमस्तुभ्यम नमो नम:

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  5. पाणिग्रहण किया था तुझसे
    सोच के कि तू कितनी सुन्दर है,
    पता नहीं था
    मेरी बीबी मेरी खातिर
    "साँप के मुँह में छुछूंदर है"
    अवधिया जी क्या भाभी जी ने इसे नही पढा? बस शामत आयी समझिये
    शुभकामनायें।

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  6. भाभी सीधी सादी लगती हैं वर्ना...
    ब्लागिंग वाले दुख से सहमत :)

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  7. जय हो !

    बहुत रोचक पोस्ट !

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  8. हे आर्यावर्त की आधुनिक आर्या!
    हे विकराले! हे कटुभाषिणी!
    हे देवि! हे भार्या!

    ब्लागिंग दुःख में सहभागी ....

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  9. शब्‍दों का चयन, शैली और प्रस्‍तुति ऐसी कि सरपट चाल में वंदना ही लगेगी.

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  10. हा हा हा,
    अवधिया साहब,
    "निगल नहीं पाता हूँ तुझको
    और उगलना मुश्किल है"
    ऐसा होता सरकार तो लिख कहाँ पाते, हमने लिखा का कभी? हा हा हा।

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  11. :):) ...मतलब कि पोस्ट करने दिया तभी गुण गाये जा रहे हैं .....

    हास्य में डुबो कर मन की व्यथा रच दी है ...

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  12. उनको भी ब्लॉगिंग सिखा दीजिये ...!

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  13. क्या खूब!

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  14. वाह सर जी , क्या खूब , पति -पत्नी के नोंक-झोंक को अच्छे से शब्दों के सहारे संवारा है ,.

    बधाई

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