Wednesday, November 10, 2010

मान सहित मरिबो भलो… अपमान सहकर जीने से सम्मान के साथ मर जाना अच्छा है

रहिमन मोहि न सुहाय, अमिय पियावत मान बिनु।
बरु विष देय बुलाय, मान सहित मरिबो भलो॥


रहीम कवि कहते हैं कि यदि कोई बिना सम्मान के अमृत भी पिलाता है तो मुझे अच्छा नहीं लगता। यदि प्रेम से बुलाकर विष भी दे तो अधिक अच्छा है क्योंकि उससे सम्मान के साथ मृत्यु प्राप्त होगी।

7 comments:

  1. वे सही कह रहे हैं !

    ReplyDelete
  2. रहीम के नीतिपरक दोहों का कोई जवाब नहीं।
    इस प्रस्तुति के लिए धन्यवाद।

    ReplyDelete
  3. नेता तो कुर्सी के लिये कुछ भी पी सकते हैं किसी भी माहौल में...

    ReplyDelete
  4. वाह वाह !
    भाई जी आनंद आ गया !

    ReplyDelete
  5. vaah...bahut satik baat kahi hai aapne.

    ReplyDelete