आज आप परस्पर गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाओं का आदान प्रदान कर रहे हैं क्योंकि बड़े खुश हैं आप!
पर किसलिए खुश हैं आप?
श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा नहीं फहराया जा सकता इसलिए?
विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वालों की लिस्ट मिल गई है पर उनका सार्वजनिक नहीं किया जाएगा इसलिए?
आतंक का राक्षस न जाने कब, किसे और कहाँ निगल ले इसलिए?
अफजल को फाँसी की सजा मिलने के बाद भी फाँसी नहीं लगी इसलिए?
कसाब कारागार में फाइव स्टार होटल वाली सुविधा पा रहा है इसलिए?
चार-छः महीनों के भीतर पेट्रोल के दाम तीन बार बढ़ाए गए इसलिए?
आपका बच्चा भोजन में दाल खाने को तरस रहा है और आपका नेता रु.1.50 में कटोरी भर के दाल खा रहा है इसलिए?
दाल, सब्जी आदि जीवन निर्वाह के लिए आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ गए हैं इसलिए?
मँहगाई आसमान छू रही है इसलिए?
प्याज, जो कि दैनिक जीवन का अंग सा बन गया था, अब सपना बन गया है इसलिए?
अपने बच्चों के गणवेश, पुस्तकें आदि स्कूल से ही या स्कूल द्वारा निर्धारित किसी निश्चित दुकान से चार पाँच गुना दाम देकर खरीदना पड़ रहा है इसलिए?
किसलिए खुश हैं आप?
सिर्फ इसलिए खुश हैं न कि भारत में गणतन्त्र है और आज गणतन्त्र दिवस मनाया जा रहा है!
पर कैसा गणतन्त्र है ये?
जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन वाला गणतन्त्र या नेता, अधिकारी और व्यापारी द्वारा, अधिकारी और व्यापारी के लिए, अधिकारी और व्यापारी का शासन वाला गणतन्त्र?
जरा सोचिए इन प्रश्नों के उत्तर और दीजिए जवाब।
किसलिए खुश हैं आप?
पर किसलिए खुश हैं आप?
श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा नहीं फहराया जा सकता इसलिए?
विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वालों की लिस्ट मिल गई है पर उनका सार्वजनिक नहीं किया जाएगा इसलिए?
आतंक का राक्षस न जाने कब, किसे और कहाँ निगल ले इसलिए?
अफजल को फाँसी की सजा मिलने के बाद भी फाँसी नहीं लगी इसलिए?
कसाब कारागार में फाइव स्टार होटल वाली सुविधा पा रहा है इसलिए?
चार-छः महीनों के भीतर पेट्रोल के दाम तीन बार बढ़ाए गए इसलिए?
आपका बच्चा भोजन में दाल खाने को तरस रहा है और आपका नेता रु.1.50 में कटोरी भर के दाल खा रहा है इसलिए?
दाल, सब्जी आदि जीवन निर्वाह के लिए आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ गए हैं इसलिए?
मँहगाई आसमान छू रही है इसलिए?
प्याज, जो कि दैनिक जीवन का अंग सा बन गया था, अब सपना बन गया है इसलिए?
अपने बच्चों के गणवेश, पुस्तकें आदि स्कूल से ही या स्कूल द्वारा निर्धारित किसी निश्चित दुकान से चार पाँच गुना दाम देकर खरीदना पड़ रहा है इसलिए?
किसलिए खुश हैं आप?
सिर्फ इसलिए खुश हैं न कि भारत में गणतन्त्र है और आज गणतन्त्र दिवस मनाया जा रहा है!
पर कैसा गणतन्त्र है ये?
जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन वाला गणतन्त्र या नेता, अधिकारी और व्यापारी द्वारा, अधिकारी और व्यापारी के लिए, अधिकारी और व्यापारी का शासन वाला गणतन्त्र?
जरा सोचिए इन प्रश्नों के उत्तर और दीजिए जवाब।
किसलिए खुश हैं आप?
क्या कीजिएगा, कुछ बड़ों के आशीर्वाद से बाकी बचा खुचा आदतन खुश हैं हम.
ReplyDeleteखुश इसलिये हैं कि वह सुबह कभी तो आयेगी, दुखी मन से कभी नहीं आने वाली।
ReplyDeleteखुश इसलिये कि झेलने की आदत जो है। खुश इसलिये कि महज औपचारिकता ही सही, कम से कम आज "तिरंगे" याद जीवित है। न जाने कब लुप्त हो जावे……………आपका कहना सौ प्रतिशत जायज है।
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ReplyDeleteया तेल माफिया एक ईमानदार ऑफिसर को जिन्दा जला देता है..इसलिए खुश हैं ?
ReplyDeleteन जाने कितना पतन देखना बाकी है ?
कभी तो सुबह आएगी ..इसी उम्मीद पर ---
गणतन्त्र दिवस की सभी को हार्दिक शुभ-कामनाये
खुश इसलिये कि इस गणतंत्र का तंत्र नहीं तो तंतु कभी तो अच्छे सच्चे गणो के हाथ आयेगा। इसी आशा को उत्सव बनाकर उत्साहित हो रहे है।
ReplyDeleteजय हिंद.............. कभी तो सुबह आएगी ..इसी उम्मीद पर ---
ReplyDeleteगणतन्त्र दिवस की सभी को हार्दिक शुभ-कामनाये
Jaayaz Sawaal!
ReplyDelete26th January has never been more than a pleasant but paradoxical reminder for us that INDIA is a REPUBLIC.
..but our Central Govt has left no stone unturned to even fizz out that sense of reminder.
मैं तो संज्ञान-हीन सा हो चुका हूं..
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई !
ReplyDeletehttp://hamarbilaspur.blogspot.com/2011/01/blog-post_5712.html
दो बहादुरों ने झंडा फ़हरा दिया, ऐसी सूचना मिली है। अब खुशी मनाईए। बाकी समस्या को बाद में देखेंगे।
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई !
हमने अभी हार मानी
ReplyDeleteगणतन्त्र पर भरोसा है बेशक नेताओं पर न हो । जै हिन्द । गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई !
गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ... जय हिंद
ReplyDeleteक्यो खुश हे हम .... कभी कभि सच मे मे सवाल दिमाग मे कोंधता हे, चारो ओर लूट मची हे...
ReplyDeleteबचपन से सिखाया गया है हर परिस्थिति में खुश रहो.ऊपर वाले के घर देर है अंधेर नहीं...शायद इसलिए....
ReplyDeleteहम आपको चिढाने के लिए खुश हो रहे थे अवधिया साहब ! :)
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