भारत ने अपने एक लाख वर्ष के इतिहास में कभी किसी अन्य देश पर आक्रमण नहीं किया।
पुरातात्विक अनुसन्धानों के अनुसार आज से पाँच हजार वर्ष पूर्व, जब विश्व की अनेक संस्कृतियाँ कन्दराओं और घने जंगलों में निवास करती थीं, सम्पूर्ण भारत, विशेषतः सिन्धु घाटी, में एक अत्यन्त विकसित सभ्यता का आविर्भाव हो चुका था। वाल्मीकि रामायण में पाए जाने वाले अयोध्या, विशाखा, मिथिला, मलदा, करूप आदि विशाल अट्टालिकाओं, सुरम्य वाटिकाओं, साफ सुथरे चौड़े मार्गों वाले नगरों के वर्णन सिद्ध करते हैं कि भारत में इससे भी पूर्व नगरीय सभ्यता का विकास हो चुका था।
बौद्धिक खेल शतरंज का आविष्कार भारत में हुआ, शतरंज को प्राचीन भारत में चतुरंग के नाम से जाना जाता था।
बीजगणित (Algebra), त्रिकोणमिति (Trigonometry), चलन कलन (Calculus) आदि गणित के विभागों का उद्गम भारत में हुआ।
स्थान मूल्य प्रणाली (Place Value System) और दशमलव प्रणाली (Decimal System) का विकास भारत में ई.पू. 100 में हुआ।
विश्व का प्रथम गणतन्त्र वैशाली भारत में था।
संसार का पहला विश्वविद्यालय भारत के तक्षशिला में ई.पू. 700 में स्थापित हुआ जहाँ पर विश्व भर के 10,500 से भी अधिक विद्यार्थी 60 से भी अधिक विषयों का अध्ययन करते थे। चौथी शताब्दी में स्थापित नालंदा विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में भारत का महानतम उपलब्धि रही।
चिकित्सा के क्षेत्र में चिकित्सा की प्राचीनतम पद्धति आयुर्वद भारत की ही देन है। शल्य चिकित्सा का आरम्भ भारत से ही हुआ।
पृथ्वी के द्वारा सूर्य का एक चक्कर लगाने में लगने वाले समय की गणना हजारों साल पहले भास्कराचार्य ने कर लिया था। उनके अनुसार यह अवधि 365.258756484 दिन हैं।
बोधायन ने हजारों साल पहले "पाई" का मान ज्ञात कर लिया था।
सन् 1896 तक पूरे विश्व में भारत ही हीरे का अकेला स्रोत था।
17वीं शताब्दी तक भारत विश्व का सर्वाधिक धनाड्य देश रहा।
पुरातात्विक अनुसन्धानों के अनुसार आज से पाँच हजार वर्ष पूर्व, जब विश्व की अनेक संस्कृतियाँ कन्दराओं और घने जंगलों में निवास करती थीं, सम्पूर्ण भारत, विशेषतः सिन्धु घाटी, में एक अत्यन्त विकसित सभ्यता का आविर्भाव हो चुका था। वाल्मीकि रामायण में पाए जाने वाले अयोध्या, विशाखा, मिथिला, मलदा, करूप आदि विशाल अट्टालिकाओं, सुरम्य वाटिकाओं, साफ सुथरे चौड़े मार्गों वाले नगरों के वर्णन सिद्ध करते हैं कि भारत में इससे भी पूर्व नगरीय सभ्यता का विकास हो चुका था।
बौद्धिक खेल शतरंज का आविष्कार भारत में हुआ, शतरंज को प्राचीन भारत में चतुरंग के नाम से जाना जाता था।
बीजगणित (Algebra), त्रिकोणमिति (Trigonometry), चलन कलन (Calculus) आदि गणित के विभागों का उद्गम भारत में हुआ।
स्थान मूल्य प्रणाली (Place Value System) और दशमलव प्रणाली (Decimal System) का विकास भारत में ई.पू. 100 में हुआ।
विश्व का प्रथम गणतन्त्र वैशाली भारत में था।
संसार का पहला विश्वविद्यालय भारत के तक्षशिला में ई.पू. 700 में स्थापित हुआ जहाँ पर विश्व भर के 10,500 से भी अधिक विद्यार्थी 60 से भी अधिक विषयों का अध्ययन करते थे। चौथी शताब्दी में स्थापित नालंदा विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में भारत का महानतम उपलब्धि रही।
चिकित्सा के क्षेत्र में चिकित्सा की प्राचीनतम पद्धति आयुर्वद भारत की ही देन है। शल्य चिकित्सा का आरम्भ भारत से ही हुआ।
पृथ्वी के द्वारा सूर्य का एक चक्कर लगाने में लगने वाले समय की गणना हजारों साल पहले भास्कराचार्य ने कर लिया था। उनके अनुसार यह अवधि 365.258756484 दिन हैं।
बोधायन ने हजारों साल पहले "पाई" का मान ज्ञात कर लिया था।
सन् 1896 तक पूरे विश्व में भारत ही हीरे का अकेला स्रोत था।
17वीं शताब्दी तक भारत विश्व का सर्वाधिक धनाड्य देश रहा।
इन सभी बातों पर हम गर्व कर सकते हैं, और साथ में अपनी आने वाली पीधिई को गौरवान्वित करने के लिए फिर से वैसा ही भारत बनाने का प्रयत्न कर सकते हैं
ReplyDeleteज्ञानवर्द्धक जानकारी।
ReplyDelete"17वीं शताब्दी तक भारत विश्व का सर्वाधिक धनाड्य देश रहा।"
ReplyDeleteगुस्ताखी के लिए क्षमा अवधिया साहब , हम तो आज भी विश्व के सबसे धनाड्य देश है ! एक साल में ३ लाख करोड़ का घोटाला, है किसी अन्य देश की ऐसी हिम्मत ? हमारे पास जब है तभी तो कर रहे है !
proud on my INDIA...AND BEING AN INDIAN.
ReplyDeleteशुक्रिया ..... इस पोस्ट का.
ReplyDeleteअब भी सर्वाधिक धनाड्य है पर स्विस बैंक में सो रहा है।
ReplyDeleteरोचक और अविश्वसनीय लगने वाले.
ReplyDeleteदेश अमीर लेकिन नागरिक गरीब हैं..
ReplyDeleteमै मुंबई विश्विद्यालय में राजनीती शास्त्र से एम ए की पढाई कर रही थी हमारे साथ अमेरिकी सेना का एक कमांडो भी पढता था ( पता नहीं क्यों ??) उसने एक दिन बड़े गर्व से कहा की गणतंत्र प्रणाली अमेरिका की देन है तो क्लास में एक लड़की ने उठ कर उन्हें बताया की ये आप की देन कम से कम भारत के लिए नहीं है क्योकि हमारे पास ये व्यवस्था पांच हजार साल पहले वैशाली में था जिसका जिक्र महाभारत में है तो उनकी बोलती बंद हो गई माना तब जब इंटरनेट पर इसकी ठीक से पड़ताल कर ली |
ReplyDeleteआप ले लेख की एक एक बात से सहमत हे जी, ओर आज भी भारत विश्व मे सर्वाधिक धनाड्य देश ही हे बस हमारे सिस्टम ओर हमारे निकमे नेताओ ने हमे भिखारी सा बना दिया हे, विदेशो मे बसे भारतिया आज भी इन गोरो से अच्छा जीवन व्यतीत करते हे, अच्छा पहनते हे, अच्छी अच्छी गाडी चलाते हे, ओर यही मेहनती लोग अपने ही देश मे हम से चार गुणी ज्यादा मेहनत कर के भी....्भुखे मरते हे, कारण इन का हिस्सा कोई ओर खाता हे.
ReplyDeleteधन्यवाद
ज्ञानवर्द्धक जानकारी
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