Thursday, March 10, 2011

टिप्पणी तो करा दीजिये

मुझको ब्लोगर बना दीजिये
मेरी रचना पढ़ा दीजिये

अच्छा लिखूँ मैं या ना लिखूँ
टिप्पणी तो करा दीजिये

लोकली मैं छपूँ ना छपूँ
नेट पर तो छपा दीजिये

पोस्ट चोरी का है ये मेरा
मत किसी को बता दीजिये

मूल गज़ल

लज़्ज़त-ए-गम बढ़ा दीजिये
आप यूँ मुस्कुरा दीजिये

कीमत-ए-दिल बता दीजिये
खाक लेकर उड़ा दीजिये

चांद कब तक गहन में रहे
आप ज़ुल्फें हटा दीजिये

मेरा दामन अभी साफ है
कोई तोहमद लगा दीजिये

आप अंधेरे में कब तक रहें
फिर कोई घर जला दीजिये

एक समुन्दर ने आवाज दी
मुझको पानी पिला दीजिये

मूल गजल सुनें:

10 comments:

  1. @पोस्ट चोरी का है ये मेरा
    मत किसी को बता दीजिये

    आज तक बताया क्या? :)

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  2. अच्छा समिश्रण किया अवधिया साहब !

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  3. अल्‍लाह आपकी तमन्‍ना पूरी करे.

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  4. 'मूड़' से लग रहा है होली आ गयी।
    वैसे ललितजी तो अरसे से रंगबिरंगे बन 'मैसेजवा' दिए जा रहे हैं।

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  5. टिप्पणियों में दम है ।

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  6. अल्लाह करे जोरे-नेट और जियादा.. दोनों ही बढ़िया हैं..

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  7. वाह वाह आपकी गज़ल तो लाजवाब बनी है। बधाई लो जी हमने टिप्पणी कर दी।

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  8. गज़ल की तर्ज़ पर यह हज़ल अच्छी लगी ।

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