Monday, March 14, 2011

भारत को भारत रहने दो

(स्व. श्री हरिप्रसाद अवधिया रचित कविता)

तुलसी का सन्देश यही है
सियारम मय जग को जानो,
अपने भीतर सबको देखो
सबमें अपने को पहचानो।

स्वाति बूंद है राम रमापति
उसके हित चातक बन जावो,
आत्म-शक्ति जागेगी तुममें
राम-भक्त जो तुम हो जावो।

भौतिकता में रावण पलता
आध्यात्मिकता में श्री राम,
राम-राज का सुख चाहो तो
मत जगने दो मन में काम।

काम-अर्थ के चक्कर में तुम
धर्म-मोक्ष को भूल गये हो,
अति अनाचार के झूले में
रावण के संग झूल गये हो।

"मानस" पढ़ कर निज मानस में
तुलसी की ही स्मृति जगने दो,
आदर्श राम का जागृत कर
भारत को भारत रहने दो

(रचना तिथिः 04-08-1995)

4 comments:

  1. भौतिकता में रावण पलता
    आध्यात्मिकता में श्री राम,
    राम-राज का सुख चाहो तो
    मत जगने दो मन में काम।

    काम-अर्थ के चक्कर में तुम
    धर्म-मोक्ष को भूल गये हो,
    अति अनाचार के झूले में
    रावण के संग झूल गये हो।

    laajabaab !

    ReplyDelete
  2. मानस के आदर्श भारत के आधार हैं।

    ReplyDelete
  3. बहुत भावमयी सुन्दर रचना

    ReplyDelete