Friday, March 25, 2011

तू ऐसा कुछ लिख ही नहीं सकता जो लाखों-करोड़ों को नहीं तो कम से कम हजार लोगों को आकर्षित कर सके

गूगल ने ब्लोगर के डैशबोर्ड पर "आँकड़े" के रूप में एक अच्छी सुविधा हमें प्रदान की है। यह जानने के लिए कि मेरे ब्लोग में कितने लोग आते हैं, मैं प्रायः इस सुविधा का उपयोग करता हूँ किन्तु अपने ब्लोग के ट्रैफिक जानकर मुझे हमेशा असन्तोष ही होता है क्योंकि मेरे ब्लोग में आने वालों की संख्या पिछले अनेक माह से एक सौ से भी कम ही नजर आती है।

ट्रैफिक माह के अनुसारः



ट्रैफिक हर समय के अनुसारः

सोचने लगता हूँ कि आखिर मेरे ब्लोग को पाठक क्यों नहीं मिलते? और इस प्रश्न के उत्तर में मेरे भीतर से आवाज आती है "तू ऐसा कुछ लिख ही नहीं सकता जो लाखों-करोड़ों को नहीं तो कम से कम हजार लोगों को आकर्षित कर सके।"

14 comments:

  1. अवधिया जी,

    @ तू ऐसा कुछ लिख ही नहीं सकता जो लाखों-करोड़ों को नहीं तो कम से कम हजार लोगों को आकर्षित कर सके।"
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    इस सब के चक्कर से बाहर निकलिए ....कहां इन पचड़ों में फंस गये कि कितने आये कितने गये। ब्लॉगिंग में इन सब बातों को तवज्जो देने लगे तो कर चुके ब्लॉगिंग। ब्लॉगिंग अपने मन के सुकून के लिये किजिए। लिखिए जो जैसा भी बन पड़े....दिल से लिखिए...आवक जावक की फिकर छोड़ कर।

    वैसे भी मैं कह ही चुका हूं कि टिप्पणियों -फिप्पणियों से न भी पता चले किंतु लेखक को अंदर से पता होता है कि उसने वाकई अच्छा लिखा है या केवल मजमा जुटाया है :)

    Happy Blogging :)

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  2. धन्यवाद सतीश जी!

    कम ट्रैफिक से निराशा तो होती है किन्तु इतनी भी नहीं कि लिखना ही छोड़ दूँ। विश्वास रखिए कि मैं आगे भी लिखता ही रहूँगा।

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  3. मुझे तो स्वान्त: सुखाय वाला मामला अच्छा लगता है..

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  4. ट्रैफिक माह के अनुसार का जो चित्र आप दिखा रहे हैं , अगर आप ग्राफ को ध्यान से देखें तो X-रेखा पर दिन हैं और y-रेखा पर पाठक संख्या | इसलिए किसी निर्धारित दिन कितने पाठकों ने आपका पेज देखा है , उसके लिए X -रेखा पर दी गयी दिनांक के समकक्ष Y - रेखा पर पाठक संख्या देखें | इस तरह से देखें तो आपको महीने में १०० नहीं अपितु एक दिन में सौ पाठक पढ़ते हैं |

    वहीँ दूसरे चित्र में X - रेखा पर माह और Y - रेखा पर पाठक संख्या है | उदाहरण, जुलाई २०१० में लगभग ५००० बार आपका पेज विज़िट किया गया | जबकि अक्टूबर २०१० में संख्या घटकर २५०० रह गयी |

    उम्मीद है आपको कुछ मदद मिली होगी |

    वैसे सतीश जी की बात भी सही है , लेकिन अगर मैं कहूँगा तो अंगूर खट्टे हैं वाली बात हो जायेगी :)

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  5. हिंदी ब्लॉग जगत में पाठक उन्हें ही ज्यादा मिलते है जो दूसरो को ज्यादा पढ़ते है एक हाथ दे और एक हाथ ले ज्यादा होता है | किसने कितना अच्छा लिखा इस पर कोई भी ध्यान नहीं देता है | कई ऐसे ब्लॉग भी देखे है जो बहुत ही अच्छा लिखते है किन्तु उन्हें कभी एक भी टिपण्णी नहीं पाते पाठक के बारे में तो पता नहीं है फिर भी वो निरंतर लिख रहे है | अब ये तो आप पर निर्भर है की आप ब्लोगिंग किस लिए कर रहे है जिन्हें टिप्पणियों का मोह है वो रोज ७०-८० ब्लॉग पर टिपण्णी कर आते है और बदले में ५०- ६० टिपण्णी पा भी जाते है कुछ बस खास १० -१२ ब्लॉग ही पढ़ते है और ८-१० टिप्पणियों से संतोष कर लेते है कुछ चुप चाप बस लिखते जाते है जो उन्हें लिखना है किसी को पढ़ना है तो पढ़े ना पढ़ना है ना पढ़े किसी की टिपण्णी पाने के लिए टिपण्णी नहीं देने वाला विचार रखते है |

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  6. अवधिया जी , जो लेखक होते हैं ,पाठक भी वही होते हैं। इसलिए लिखना और पढना , दोनों आवश्यक है । जितना आप पढेंगे , उतना ही दूसरे भी पढेंगे । इसीलिए यह भी एक लेन देन है ।
    वैसे भी मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । एक समाज का होना ज़रूरी है । १०० पाठक प्रतिदिन , बहुत अच्छी संख्या है ।

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  7. डॉ टी एस दराल जी से भी सहमत.

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  8. अवधिया जी,
    आपको तो हम लोगों को समझाना चाहिए ऐसी सोच से बचने के लिए। आप किन चक्करों में फंस गये?
    अंशुमाला जी से पूरी सहमती है।

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  9. जब तक एक भी पढ़ने वाला रहेगा, उसके लिये लिखते रहेंगे। यदि स्वानतः सुखाय लिखेंगे तो अपने पढ़ने के लिये तो लिखेंगे ही।

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  10. मस्त रहे ओर लिखते रहे...

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  11. tippani sae kabhie aaklan naa karey ki aap ko kitnae padhtey haen

    paathak chahiyae to muddo par likhiyae samajik muddo par

    log blog par samajik muddo sae jud rahey haen

    kam tar aur behatar laekhan nahin hotaa haen

    hindi blog laekhan networking jyadaa haen

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