tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post1010177688707347662..comments2024-02-01T17:17:24.739+05:30Comments on धान के देश में!: 'ररुहा सपनाय दार-भात' याने कि दरिद्र को सपने में भी दाल-भात नजर आता हैAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-77618639881949320942010-05-27T16:17:58.934+05:302010-05-27T16:17:58.934+05:30बात तो सही है..मगर मानव स्वभाव में यह संतोष धन कहा...बात तो सही है..मगर मानव स्वभाव में यह संतोष धन कहाँ.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-45149240331431784282010-05-27T15:26:21.784+05:302010-05-27T15:26:21.784+05:30कोनो ला अभाव रथे त कोनो खाथे हदरही मा। बाकी प्रेमच...कोनो ला अभाव रथे त कोनो खाथे हदरही मा। बाकी प्रेमचन्द जी के द्रिष्टिकोण के बाते अलग हे जी। बहुत बढिया चित्रण करे हव आप।सूर्यकान्त गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/05578755806551691839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-64058106381201989752010-05-27T14:09:05.132+05:302010-05-27T14:09:05.132+05:30आप के लेख से सहमत है,वेसे हालात सच मै बहुत ही खराब...आप के लेख से सहमत है,वेसे हालात सच मै बहुत ही खराब भी है, मैने मजदुरो ओर रिक्क्षे वालो को बहुत नजदीक से देखा.... काश भगवान सब को खाने को देराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-68432927175089876602010-05-27T11:55:01.899+05:302010-05-27T11:55:01.899+05:30हालात दिनोंदिन बद से बदतर होते जा रहे हैंहालात दिनोंदिन बद से बदतर होते जा रहे हैंAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/02964602014678479457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-55355224152737080702010-05-27T11:42:19.762+05:302010-05-27T11:42:19.762+05:30बने कहेस गा नवतप्पा के गरमी मा ररूहा सपनावै एसी.बने कहेस गा नवतप्पा के गरमी मा ररूहा सपनावै एसी.36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-15779823356116924632010-05-27T10:49:14.060+05:302010-05-27T10:49:14.060+05:30जबतक लालसा है, तबतक दरिद्रता रहेगी ही।
सच कहा आपने...जबतक लालसा है, तबतक दरिद्रता रहेगी ही।<br />सच कहा आपने हम सब दरिद्र हैं<br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-8253536040665463502010-05-27T10:40:07.390+05:302010-05-27T10:40:07.390+05:30सही कहा आपने, यह मार्मिक कहानी नहीं आज की सच्च...सही कहा आपने, यह मार्मिक कहानी नहीं आज की सच्चाई है ! अभी कुछ दिनों पहले अपना ऑफिस का ड्राइवर गाँव से छुट्टी बिताकर लौटा तो मैंने यों ही पूछ लिया कि गाँवों मेंक्या हाल है, महंगाई का ! छूटते ही बोला, साहब, आप विस्वास नहीं करेंगे लोग मंडवे की रोटी में गूंदते वक्त ही चुटकी भर नमक मिलकर चाय के साथ नमकीन रोटी खाने को मजबूर हैं ! खेतो के किनारे उगी हरी सब्जी बना भी ली तो उसे दो दिन चलाते है ! उसकी बात सुन मुझे लगा कि स्थित सचमुच भयावह है, जो हम लोग नहीं देख पाते !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-77108828785682817732010-05-27T10:25:12.336+05:302010-05-27T10:25:12.336+05:30अउ नेता सपनाए.... (सत्ता, कुर्सी, रूपया, पैसा और ...अउ नेता सपनाए.... (सत्ता, कुर्सी, रूपया, पैसा और छत्तीसगढ़ी में आप बताएं)Aayush Maanhttps://www.blogger.com/profile/16881943545761000895noreply@blogger.com