tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post2079988720986583125..comments2024-02-01T17:17:24.739+05:30Comments on धान के देश में!: होल्डर से जेल पेन तकAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-7140421309837761082011-12-03T22:34:36.133+05:302011-12-03T22:34:36.133+05:30वाह! खड़िया/पाटी/स्लेट/बत्ती/होल्डर/निब/फ़ाउन्टेन पे...वाह! खड़िया/पाटी/स्लेट/बत्ती/होल्डर/निब/फ़ाउन्टेन पेन के दिन याद आ गये। :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-21391546165244425672011-12-01T20:45:49.239+05:302011-12-01T20:45:49.239+05:30हमारे मास्टर साहब कलम से लिखवाते थे, हाथ पकड़ के।हमारे मास्टर साहब कलम से लिखवाते थे, हाथ पकड़ के।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-84475639540045324992011-12-01T19:44:39.864+05:302011-12-01T19:44:39.864+05:30हमने तो छठी क्लास तक लकड़ी की कलम का इस्तेमाल किया ...हमने तो छठी क्लास तक लकड़ी की कलम का इस्तेमाल किया था । सच , बहुत सुन्दर लिखावट आती थी ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-90432407303135751372011-12-01T18:21:29.834+05:302011-12-01T18:21:29.834+05:30पूर्व में लेखनी पर बहुत ध्यान दिया जाता था लेकिन ...पूर्व में लेखनी पर बहुत ध्यान दिया जाता था लेकिन आज नहीं। धीरे-धीरे सारे ही संस्कार जिनसे हमारा व्यक्तित्व बनता था समाप्त होते जा रहे हैं। अब तो हमें भी आदत नहीं रही पेन से लिखने की। नहीं तो निब वाले अच्छे से अच्छे पेन की चाहत रहती थी।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-84850218535501337112011-12-01T17:43:55.409+05:302011-12-01T17:43:55.409+05:30मजा आ गया, लेकिन मन नहीं भरा.मजा आ गया, लेकिन मन नहीं भरा.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-39669053056361571502011-12-01T17:12:19.508+05:302011-12-01T17:12:19.508+05:30आज के बच्चों को calligraphy के बारे में किताबों मे...आज के बच्चों को calligraphy के बारे में किताबों में ही पढ़ने को मिलता है बताता कोई नहीं. कलम दवात व लकड़ी की तख़ती उनके लिए ancient बातें हैं. लिखाई सुंदर होनी चाहिये इस बात का आज कोई मतलब नहीं रह गया है. हमारे समय में अच्छी लिखाई वाली तख्तियां प्रार्थना सभा में ऊंची कर के सबको दिखाई जाती थीं, सुंदर लिखने वालों का सीना गर्व से ऊंचा हो जाता था. मेरे बच्चों ने बताया कि उनके यहां प्रार्थना सभा नहीं होती, सभी कमरों में PA (public address) सिस्टम लगा हुआ है, उसी से कुछ कुछ अनाउंसमेंट हो जाती हैं...Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.com