tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post2660839955750579375..comments2024-02-01T17:17:24.739+05:30Comments on धान के देश में!: हम पोस्ट लिखते हैं नामी बनकर ... वे चुटकियों में उड़ा देते हैं बेनामी बनकरAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-14039872025480104722010-02-07T09:19:57.125+05:302010-02-07T09:19:57.125+05:30आदरणीय अवधिया जी...
पता नहीं क्यूँ ...आपके ब्लॉग ...आदरणीय अवधिया जी...<br /><br />पता नहीं क्यूँ ...आपके ब्लॉग पे कमेन्ट ४ दिनों से पोस्ट ही नहीं हो रहा है.... आपके ब्लॉग पर कहीं भी क्लिक नहीं हो रहा है..... क्या यह टेम्पलेट की गलती है? <br /><br /><br />यह जो बेनामी टिप्पणी कर के गए हैं... इनका लेवल बहुत लो है.... मत ध्यान दीजिये.... इनको गाली देना भी इनको महत्व देना है... यह गाली के लायक भी नहीं हैं.... यह वो लोग हैं जो खुद कुछ नहीं कर पाते हैं.... और अपनी ज़िन्दगी में असफल हैं....<br /><br /><br /><br /><br /><br />बहुत ख़ुशी हुई कि आपके ब्लॉग पर अब कमेन्ट कर पा रहे हैं.... नहीं तो ...पिछले ५ दिनों से कमेन्ट ही नहीं कर पा रहे थे.... लगता है आपने तेम्प्लैत में कुछ सुधार किया है.... बहुत बहुत धन्यवाद आपका.... उपरोक्त टिप्पणी मैं "ये इन्द्रधनुष होगा नाम तुम्हारे........." पर कर चुका था.... वही टिप्पणी यहाँ फिर कर रहा हूँ.... <br /><br />सादर <br /><br />महफूज़....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-22722670317514194632010-02-07T08:27:35.874+05:302010-02-07T08:27:35.874+05:30अवधिया जी,
आपके ब्लाग में सिर्फ टिप्पणियां दिख रह...अवधिया जी, <br />आपके ब्लाग में सिर्फ टिप्पणियां दिख रही हैं, पोस्ट का पता नहीं है। लगता है आपकी पोस्ट मिस्टर इंडिया हो गई है, कृपया ध्यान दें।राजकुमार ग्वालानीhttps://www.blogger.com/profile/08102718491295871717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-70844834408932960372010-02-07T05:25:04.059+05:302010-02-07T05:25:04.059+05:30भईया,
आप किस बेवकूफ की बात सुन रहे हैं...
इन साहब ...भईया,<br />आप किस बेवकूफ की बात सुन रहे हैं...<br />इन साहब को पता होना चाहिए...ज्यामिति किसी शुरुआत बिंदु से होती है....<br />बड़े-बड़े भाषण देना आसन होता है....लेकिन इस तरह प्रयोग करके समझाना मुश्किल...<br />मुझे हमेशा ये सालता रहा की अगर हमारे शिक्षक हमें ..बगीचे में ले जाकर , calyx , corola , gynoecium, androecium बात दिए होते...तो बहुत सी बातों को समझने में इतनी दिक्कत नहीं होती...<br />आप न इनलोगों की बातों से बिलकुल भी दुखी मत हुआ कीजिये...<br />इन्हें क्या पता आप क्या हैं...<br />आप तो बस खुश रहा कीजिये...<br />आप सब कुछ बहुत अच्छा लिखते हैं....बस..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-72641325872589529802010-02-06T19:25:21.210+05:302010-02-06T19:25:21.210+05:30.... कुछ भयभीत,डरे,सहमे लोग "बेनामी" बनक....... कुछ भयभीत,डरे,सहमे लोग "बेनामी" बनकर "अटैक" कर देते हैं, अब उनका क्या किया जा सकता है ........<br />......प्रभावशाली लेख!!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-40622134278960332532010-02-06T19:09:59.379+05:302010-02-06T19:09:59.379+05:30kahe dhyan dete ho avadhiya ji.mast raho,bahut din...kahe dhyan dete ho avadhiya ji.mast raho,bahut din ho gaye bhent nahi huiAnil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-53918716983859616272010-02-06T18:34:15.597+05:302010-02-06T18:34:15.597+05:30अवधिया जी-आपने सही लिखा है। आभारअवधिया जी-आपने सही लिखा है। आभारब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-1662717620704395862010-02-06T16:05:20.257+05:302010-02-06T16:05:20.257+05:30ये बेनामी किसी दूसरे ग्रह से थोडे ही आते हैं। हैं ...ये बेनामी किसी दूसरे ग्रह से थोडे ही आते हैं। हैं तो हम आप में से ही, बस छिपकर अपनी भडास निकालते रहते हैं।<br />--------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">ये इन्द्रधनुष होगा नाम तुम्हारे...</a><br /><a href="http://%20ts.samwaad.com/" rel="nofollow">धरती पर ऐलियन का आक्रमण हो गया है।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-6924991528324652572010-02-06T13:10:57.353+05:302010-02-06T13:10:57.353+05:30vakai shirshak shandar haivakai shirshak shandar haiSanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-27945957725137608302010-02-06T13:09:15.924+05:302010-02-06T13:09:15.924+05:30ऎसे मूर्खों की बुद्धि पर तो सिर्फ तरस की किया जा स...ऎसे मूर्खों की बुद्धि पर तो सिर्फ तरस की किया जा सकता है.....ये वो लोग हैं जो स्वयं को महाविद्वान और सामने वाले को अज्ञानी मानकर मिथ्या भ्रम में जीते है।Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-65255979063133716952010-02-06T11:16:30.954+05:302010-02-06T11:16:30.954+05:30ऐसी टिप्पणियाँ भी मनोरंजन कर जाती है.
वैसे शीर्ष...ऐसी टिप्पणियाँ भी मनोरंजन कर जाती है.<br /><br /><br />वैसे शीर्षक बहुत मजेदार लगा. शेर (शायरीवाला) जैसा.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-40802444455890531942010-02-06T10:58:54.690+05:302010-02-06T10:58:54.690+05:30कुछ लोग अक्सर कहते सुने जाते हैं कि ये बैल-गाड़ी क...कुछ लोग अक्सर कहते सुने जाते हैं कि ये बैल-गाड़ी के युग में हमें ले जाना चाहते है जबकि हम तो राकेट युग के हैं। क्या बैल-गाड़ी का जब अविष्कार हुआ था, या पहला पहिया बना था तब वो विज्ञान नहीं था? वह विज्ञान का प्रारम्भ था, वहीं से हमने अब तक की यात्रा की है। इसलिए प्रत्येक अविष्कार चाहे छोटा दिखता हो या फिर बड़ा लगता हो सभी विज्ञान हैं। मैं आपकी बात से सहमत हूँ।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-61405435866863215492010-02-06T10:51:38.188+05:302010-02-06T10:51:38.188+05:30तभी तो कहा गया है कि
नाम हो , बदनाम हो
मगर बेनाम...तभी तो कहा गया है कि <br />नाम हो , बदनाम हो <br />मगर बेनाम न हो ...<br /><br />वैचारिक मतभेद हो सकते है लेकिन बात को उचित तरीके से रखा जा सकता था !<br />खैर, यह उनकी शायद कोई मजबूरी हो, हिम्मत से न कह पाने की !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.com