tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post5789093560263280934..comments2024-02-01T17:17:24.739+05:30Comments on धान के देश में!: अब रोज-रोज तो कुछ सूझता नहीं इसलिये आज अगड़म-बगड़म लिख रहा हूँ ... जो पढ़ें उसका भी भला, जो ना पढ़ें उसका भी भलाAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-6138292503272847772010-06-02T06:24:00.587+05:302010-06-02T06:24:00.587+05:30अच्छा जी, अगड़म बगड़म इसे कहते हैं? इसीलिये अच्छी ...अच्छा जी, अगड़म बगड़म इसे कहते हैं? इसीलिये अच्छी लगी आपकी पोस्ट।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-7751635262009669772010-06-01T23:28:10.977+05:302010-06-01T23:28:10.977+05:30अच्छी अगड़म बगड़म ...ऐसी ,,,रोज़ लिखे ....पढने को ...अच्छी अगड़म बगड़म ...ऐसी ,,,रोज़ लिखे ....पढने को आतुर हैRahttps://www.blogger.com/profile/08726389437723424230noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-47343693413716628592010-06-01T21:12:50.705+05:302010-06-01T21:12:50.705+05:30भाई ये अगड़म बगड़म है तो रोज़ किया करें ...... अगड...भाई ये अगड़म बगड़म है तो रोज़ किया करें ...... अगड़म बगड़म !अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-6819534437699203302010-06-01T18:36:01.756+05:302010-06-01T18:36:01.756+05:30विचित्र प्राणी है मनुष्य। संसार के समस्त प्राणियों...विचित्र प्राणी है मनुष्य। संसार के समस्त प्राणियों से बिल्कुल अलग-थलग। यह एक ऐसा प्राणी जो जन्म के पूर्व से मृत्यु के पश्चात् तक खर्च करवाता है। ईश्वर ने इस पर विशेष अनुकम्पा कर के इसे बुद्धि प्रदान की है ताकि यह इस बुद्धि का सदुपयोग करे किन्तु यह प्रायः बुद्धि का सदुपयोग करने के स्थान पर दुरुपयोग ही करता है। सत्ता, महत्ता और प्रभुता प्राप्त करने के लिये यह कुछ भी कर सकता है।<br /><br />ये तो प्रकृति के काम करने का अपना ढंग है वह हर किसी को उसके कर्मों और कुकर्मों का फल किसी व्यक्ति के द्वारा बुद्धि के सदुपयोग या दुरूपयोग के आधार के माध्यम से ही देता है ,इसलिए अगर प्रकृति के प्रकोप से बचना है तो बुद्धि का सदुपयोग ही सर्वोत्तम मार्ग है |honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-44840015256702850342010-06-01T18:10:32.460+05:302010-06-01T18:10:32.460+05:30इतने घोर लेखन को भला कौन अगड़म बगड़म मानेगा...अगर ...इतने घोर लेखन को भला कौन अगड़म बगड़म मानेगा...अगर अगड़म बगड़म लिखना है तो फिर से ट्राई करिये/<br /><br />बहुत बढ़िया पोस्ट रही.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-12171211575478778932010-06-01T15:50:36.298+05:302010-06-01T15:50:36.298+05:30कमाल है अवधिया जी! इतनी बढिया ज्ञानवर्धक पोस्ट को ...कमाल है अवधिया जी! इतनी बढिया ज्ञानवर्धक पोस्ट को आप अगडम बगडम बता रहे हैँ... आप भी घणा बढिया मजाक कर लेते हैं :-)Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-899603023729586782010-06-01T14:27:31.346+05:302010-06-01T14:27:31.346+05:30यह एक ऐसा प्राणी जो जन्म के पूर्व से मृत्यु के पश्...यह एक ऐसा प्राणी जो जन्म के पूर्व से मृत्यु के पश्चात् तक खर्च करवाता है... अजी कमाता भी तो यही है अगड़म बगड़म कर के... तो खर्च होने दोराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-86281227797660172082010-06-01T14:10:19.573+05:302010-06-01T14:10:19.573+05:30जी अवधिया जी, आपके बाबू जी को अच्छी तरह से जानता र...जी अवधिया जी, आपके बाबू जी को अच्छी तरह से जानता रहा हूँ|<br />आप लम्बे समय तक बैंक में रहे| छुरा जैसे क्षेत्रों में आज भी आपको लोग आपके व्यवहार से याद करते हैं| उन दिनों के अनुभवों को आप लिखे तो हम सब को अच्छा लगेगा|<br /><br />"धान के देश" को आप आगे बढ़ा सकते हैं| आपके पिताजी ने अपने समय की बातें उसमे डाली, आप इस समय की बातें कह सकते हैं|<br /><br />वो अंगरेजी का ड्यूक शब्द छत्तीसगढ़ी के डउका शब्द से बना है, इस पर भी आप ही प्रकाश डाल सकते हैं| मुझे मालूम है कि आपके पास जानकारियों का अम्बार है पर हनुमान जी की तरह आपको भी आपकी शक्ति का अहसास कराने की जरूरत है| वही मैं कर रहा हूँ|Cancerianhttps://www.blogger.com/profile/00206108517681220983noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-6008518184420211582010-06-01T13:27:20.525+05:302010-06-01T13:27:20.525+05:30अगड़म बगड़म लिखे मा चल जाथे बूता
अब बता कहां जा्बे त...अगड़म बगड़म लिखे मा चल जाथे बूता<br />अब बता कहां जा्बे तैं माना या तूता<br /><br />जय हो बने लिखत हस गुरुदेवब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-73878858474740006322010-06-01T13:03:11.870+05:302010-06-01T13:03:11.870+05:30आईये, मन की शांति का उपाय धारण करें!
आचार्य जीआईये, मन की शांति का उपाय धारण करें!<br />आचार्य जीआचार्य उदयhttps://www.blogger.com/profile/05680266436473549689noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-42813762125751683802010-06-01T12:45:25.227+05:302010-06-01T12:45:25.227+05:30@ व्योम
आपकी टिप्पणी के बहुत बहुत धन्यवाद! मैंने ...@ व्योम<br /><br />आपकी टिप्पणी के बहुत बहुत धन्यवाद! मैंने गूगल बुक्स नहीं देखी है। मेरे पिताजी का नाम श्री हरिप्रसाद अवधिया है और यदि उनकी कोई पुस्तक गूगल बुक्स में है तो यह मेरे लिये सौभाग्य की बात है। उनकी बहुत सारी रचनाओं को बहुत पहले मैं अपने इसी ब्लोग में प्रकाशित कर चुका हूँ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-77096235168810828552010-06-01T12:43:34.851+05:302010-06-01T12:43:34.851+05:30अवधिया जी ये दादाजी कौन है जरा इसका पता लगाकर बताए...अवधिया जी ये दादाजी कौन है जरा इसका पता लगाकर बताएं.. इसने मेरे ब्लाग पर दो तीन टिप्पणी मारी है। जब मैं इसका ब्लाग खोलता हूं तो वहां पृथ्वीराज कपूर की फोटो दिखाई देती है।<br />हां.. आपकी पोस्ट हमेशा की तरह ज्ञानवर्धक है... लेकिन पहले जरा दादाजी को पकड़ने का काम करें।राजकुमार सोनीhttps://www.blogger.com/profile/07846559374575071494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-6609053067914417712010-06-01T12:17:35.797+05:302010-06-01T12:17:35.797+05:30आपके गूगल बुक देखी क्या? उसमे आपके पिताजी की पुस्त...आपके गूगल बुक देखी क्या? उसमे आपके पिताजी की पुस्तकें दिखती हैं और साथ में उनके द्वारा निकाले गए अखबार के पंजीयन की खबर भी| आप से अनुरोध है कि उनके अमूल्य योगदान को ई बुक के रूप में प्रकाशित करें| सार ब्लॉग पर देवे| मुझे विशवास है कि आप जैसे नामी-गिरामी ब्लॉगर केपिता श्री की रचनाए हर कोइ पढ़ना चाहेगा| इससे आपको कुछ आमदनी भी हो जायेगी|Cancerianhttps://www.blogger.com/profile/00206108517681220983noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-61068682922692522732010-06-01T11:51:42.021+05:302010-06-01T11:51:42.021+05:30मनुष्य यदि ऊपर उठना चाहे तो देवताओं से भी ऊपर जा स...मनुष्य यदि ऊपर उठना चाहे तो देवताओं से भी ऊपर जा सकता है और नीचे गिरना चाहे तो पशुओं से भी निकृष्ट बन सकता है'<br />देवताओं से ऊपर तो जो जाते होंगे तो जाते होंगे पर पशुओं से भी निम्न गमन तो रोज ही देखते हैं.M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-46947356394833010612010-06-01T11:21:47.093+05:302010-06-01T11:21:47.093+05:30आप कभी-कभी ऐसी ही अगडम-बगडम लिखते रहिये।
बहुत प्रे...आप कभी-कभी ऐसी ही अगडम-बगडम लिखते रहिये।<br />बहुत प्रेरक लगती हैं मुझे<br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-44463253348055956892010-06-01T11:18:50.802+05:302010-06-01T11:18:50.802+05:30हमारी अगड़म-बगड़म टिपण्णी ...
अरथ अमित अति आखर थोर...हमारी अगड़म-बगड़म टिपण्णी ...<br />अरथ अमित अति आखर थोरे<br />(थोड़े शब्दों में अपार अर्थ)मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-78801634130058886462010-06-01T11:18:11.584+05:302010-06-01T11:18:11.584+05:30ये अगडम बगडम भी विचारणीय हैये अगडम बगडम भी विचारणीय हैसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7873472974131739342.post-18679704563467668042010-06-01T11:15:14.778+05:302010-06-01T11:15:14.778+05:30लीजिये संभालिये हमारी अगड़म-बगड़म टिपण्णी, मैथली श...लीजिये संभालिये हमारी अगड़म-बगड़म टिपण्णी, मैथली शरण गुप्त जी ने बिलकुल सही कहा था !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.com