Thursday, November 5, 2009

मैं जानता हूँ कि मेरा कौन सा पोस्ट हिट होगा और कौन सा पटखनी खायेगा

एग्रीगेटर्स तो सभी पोस्ट्स को दर्शाते हैं किन्तु कुछ पोस्ट्स को सभी पढ़ते हैं और कुछ सिर्फ पाठको का इंतिजार ही करते रहते हैं। तो आखिर क्यों कुछ पोस्ट हिट होते हैं और क्यों कुछ पोस्ट पटखनी खाते हैं?

यदि आप जरा सा इस बात का विश्लेषण करेंगे कि आखिर ज्यादा पढ़े जाने वाले पोस्टों में क्या विशेषताएँ होती हैं तो निश्चय ही आप भी यही कहेंगे कि "मैं जानता हूँ कि मेरा कौन सा पोस्ट हिट होगा और कौन सा पटखनी खायेगा"।

कैसे करें विश्लेषण

पोस्ट को पढ़ने वाला सबसे पहले क्या देखता है? सबसे पहले देखी जाने वाली चीज होती है 'शीर्षक' (heading)। शीर्षक ही वह चीज है जो सबसे पहले पाठकों को प्रभावित करती है। पाठकों को खींचने के लिये एक आकर्षक और अच्छा सा शीर्षक बहुत जरूरी है। यदि आपको अपने पोस्ट के लिये अच्छा और आकर्षक शीर्षक मिल गया तो समझ लीजिये कि आधी सफलता आपको मिल गई। किन्तु याद रखें कि शीर्षक का आकर्षक होने के साथ ही साथ आपके पोस्ट के विषयवस्तु से सम्बन्धित भी होना भी जरूरी है।

शीर्षक बाद पहले पैराग्राफ की बारी आती है। यदि आपने बहुत अच्छा लेख लिखा है पर उसका पहला पैरा ही अच्छा नहीं बन पाया है तो समझ लीजिये कि सिर्फ एक दो लाइन पढ़ कर पाठक वापस चला जायेगा। इसके विपरीत पहला पैरा अत्यंत आकर्षक है और बाद के एक दो पैरा कुछ अच्छे नहीं बन पड़े हैं तो भी पाठक इस उम्मीद में पढ़ता चला जायेगा कि आगे भी पहले पैराग्राफ जैसी कुछ न कुछ उम्दा सामग्री मिल सकती है।

तीसरी बात ध्यान देने वाली यह है कि आप जो कुछ भी लिख रहे हैं वह आपके अपने लिये नहीं बल्कि पाठकों के लिये है। अतः लिखते वक्त ध्यान में रखें कि पाठक क्या पसंद करता है। वैसे भी आपके पाठक आपको एक विशेषज्ञ मानते हैं क्योंकि जो विचार आपके मन में आते हैं उन्हें शब्दों में समाहित कर एक आकृति देने क्षमता आप में है। विचार तो पाठकों के मन में भी आते हैं पर वे उसे लिख पाने में स्वयं को समर्थ नहीं पाते और इसीलिये वे आपको विशेषज्ञ मानते हैं। तो आपको अपने पाठकों की भावनाओं को ध्यान में रख कर लिखना है, न कि स्वयं की इच्छा के अनुसार।

फिर बारी आती है शब्दों के चयन, वाक्य-विन्यास, भाषा की शुद्धता, लेखन शैली आदि की। एक अच्छा पोस्ट इन सभी का एक संगम होता है। यह भी ध्यान रखें कि आपका पोस्ट ज्ञानवर्धक हो। पाठक आपके पोस्ट को ज्ञानवर्धन के लिये ही पढ़ता है। पोस्ट की भाषा भद्र हो और विषयवस्तु किसी की भावना को ठेस पहुँचाने वाला न हो।

और सबसे बड़ी बात है आत्मविश्वास। लिखना शुरू करने से पहले ही यदि मन में संशय आ जाये कि पता नहीं लोग इसे पढ़ेंगे या नहीं तो समझ लीजिये कि उस पोस्ट की सफलता के नहीं के बराबर अवसर हैं। और यदि आप में पूर्ण आत्मविश्वास है, आप यह सोच कर लिखते हैं कि मेरा यह पोस्ट सफल होगा ही तो मान के चलिये कि वह पोस्ट अवश्य ही सफल होगा।

पोस्ट की असफलता से निराश होने की आवश्यकता जरा भी नहीं है। आपको अनेक ऐसे अनेक पोस्ट मिल सकते हैं जो कि बहुत सुंदर और पठनीय हैं, फिर भी पाठकों का जुगाड़ नहीं कर पाये। जिन ब्लोगर्स के पोस्ट ज्यादा पढ़े जाते हैं उनके भी कई पोस्ट ऐसे होते हैं जो पाठकों की राह देखते रहते हैं। तो असफलता से निराश होने की जरा भी जरूरत नहीं है।

और फिर कोई भी निश्चित रूप से नहीं कह सकता कि कौन सा पोस्ट सफल होगा और और कौन सा नहीं।

मेरे इस पोस्ट को पढ़ने वाले अधिकांश मेरे ब्लोगर बन्धु ही हैं और वे सब अपने क्षेत्र में महारत रखते हैं। उपरोक्त लिखी बातों को वे अच्छी तरह से जानते हैं। उन्हें ज्ञान देने वाला मैं भला कौन होता हूँ? फिर भी यह विचार कर के कि कहीं हनुमान जी की तरह वे अपनी क्षमता को भूल न गये हों, अग्रज होने के नाते मैंने, जाम्बवन्त के जैसे, उन्हें याद दिलाना अपना कर्तव्य समझा।


चलते-चलते

एक जाने माने हिन्दी ब्लोगर से किसी ने पूछा, "ये आप इतना अच्छा लिख कैसे लेते हैं?"

जवाब मिला, "भई, जो कुछ भी सूझते जाता है उसे लिखता चला जाता हूँ।"

"तब तो लिखना बहुत आसान काम है।"

"हाँ लिखना तो तो बहुत आसान काम है पर ये जो सूझना है ना, वही बहुत मुश्किल है।"

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"संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण" का अगला पोस्टः

पंचवटी में आश्रम - अरण्यकाण्ड (5)

22 comments:

  1. सचमुच लिखना तो आसान है .. पर सूझना कठिन .. पर आपको प्रतिदिन कुछ सुझ ही जाता है .. इसके लिए बधाई .. वैसे हमें भी कुछ न कुछ सूझ ही रहा है अबतक .. फिर भी हमारा ज्ञानवर्द्धन करने के लिए धन्‍यवाद !!

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  2. एक ज्ञान वर्धक लेख अवधिया जी, कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण बाते आपने कही !

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  3. सूझना? ठीक है। वही लिखो जो सूझ जाए।

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  4. अवधिया जी...
    आप भी न बस...ये ट्रेड सीक्रेट मुफ्त में बांटे जा रहे हैं...क्या अपने और मेरे लिए फिर संतरे-केले बेचने वाली नौबत लानी है....वैसे ये जो सूझने की जो बात कही है, उस पर मुझे अपने मक्खन का फंडा हमेशा याद रहता है...दिमाग ते बड़ा है, इस्तेमाल नहीं करीदा...कित्थे मुक (खत्म) गया ते किधे कोलो मंगदे फिरांगे (किससे मांगते फिरेंगे)...

    व्यस्तता के चलते नियमित टिप्पणियां नहीं कर पा रहा हूं...आशा है आप मेरी मजबूरी को समझेंगे...

    जय हिंद...

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  5. आत्‍मविश्‍वास उत्‍पन्‍न करने वाली पोस्‍ट। सच है लिखना आसान है बस सूझना ही मुश्किल काम है। एक बार मैंने एक गृहणी से पूछा कि तुम्‍ह‍ें नाश्‍ते के इतने प्रकार कैसे सूझ जाते हैं? उनका जवाब था कि जैसे आपको लिखने के विषय सूझ जाते हैं।

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  6. आपको क्या खुब सुझा जी. :)

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  7. लिखना और सूझना इनमें से कोई सरल नहीं | मेरे लिए तो दोनों ही महत्व रखते हैं |

    मुझ जैसे नौसिखिये के लिए आपका ये पोस्ट सही दिशा दिखायेगा |

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  8. bilkul sahi...

    ekdam sahi........

    __dhnyavaad !

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  9. उम्दा और ज्ञान वर्धक लेख अवधिया जी,धन्‍यवाद !!

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  10. बढ़िया लिखा है आपने सही बात कही ..शुक्रिया

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  11. सुन्दर जानकारी धन्यवाद

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  12. पोस्ट कैसे सूझे, यह भी प्रकाश डालें!

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  13. लिखना तो तो बहुत आसान काम है पर ये जो सूझना है ना, वही बहुत मुश्किल है

    एकदम सही

    बी एस पाबला

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  14. बहुत उपयोगी है आपकी बातें. आगे से इन बातो पर ध्यान रखूँगा.

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  15. एक बात और, यह कतई आवश्यक रोज लिखें लेकिन जब भी लिखें, अपना १००% दें. अच्छा लिखेंगे तो आज नहीं तो कल, पाठ्क आयेंगे ही.


    आपका कहना:

    लिखना तो तो बहुत आसान काम है पर ये जो सूझना है ना, वही बहुत मुश्किल है

    एकदम सही!! :)

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  16. मुझे कुछ नहीं सूझ रहा है..........:)

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  17. बिलकुल सही बात ....बहुत पते की बात ..हर ब्लागर का उत्साह बढ़ाने वाली पोस्ट

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  18. अभी कई दिनो से मुझे यह सूझना नही सुझ रहा, ओर लिखने को उंगलियां तडप रही है.
    आप ने बहुत काम की बात कही, लेकिन आप को इतनी सुंदर पोस्ट केसे सुझी

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  19. बहुत ही ज्ञानदायक रही ये पोस्ट....
    जैसा कि ऊपर की टिप्पणियों में बहुत से लोग कह ही चुके हैं कि ये सूझना ही तो सबसे मुश्किल काम है....इसका कोई उपाय आपके पास हो तो कृ्प्या जरूर बताएं :)

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  20. ये लिखना वाकई आसान कार्य है पर सूझ से झूजना पड़ता है।

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