- लोग भूत-प्रेत के अस्तित्व में विश्वास करें या न करें किन्तु भूत-प्रेत के प्रति अपनी रुचि अवश्य ही प्रदर्शित करते हैं।
- यद्यपि भूत-प्रेतों के अधिकांश प्रमाण उपाख्यात्मक होते हैं फिर भी इतिहास गवाह है कि आरम्भ से ही लोगों का भूत-प्रेत में व्यापक रूप से विश्वास रहा है।
- भूत-प्रेत की अवधारणा उतनी ही पुरानी है जितना कि स्वयं मनुष्य है।
- कहा जाता है कि भूत-प्रेत मृतक व्यक्तियों के आभास होते हैं जो कि प्रायः मृतक व्यक्तियों के जैसे ही दृष्टिगत होते हैं।
- अनेकों देशों की लोकप्रिय संस्कृतियों में भूत-प्रेतों का मुख्य स्थान है। सभी देशों के संस्कृतियों में भूत-प्रेतों से सम्बंधित लोककथाएँ तथा लिखित सामग्री पाई जाती हैं।
- एक व्यापक धारणा यह भी है कि भूत-प्रेतों के शरीर धुंधलके तथा वायु से बने होते हैं अर्थात् वे शरीर-विहीन होते हैं।
- अधिकतर संस्कृतियों के धार्मिक आख्यानों में भूत-प्रेतों का जिक्र पाया जाता है।
- हिन्दू धर्म में "प्रेत योनि", इस्लाम में "जिन्नात" आदि का वर्णन भूत-प्रेतों के अस्तित्व को इंगित करते हैं।
- पितृ पक्ष में हिन्दू अपने पितरों को तर्पण करते हैं। इसका अर्थ हुआ कि पितरों का अस्तित्व आत्मा अथवा भूत-प्रेत के रूप में होता है।
- गरुड़ पुराण में भूत-प्रेतों के विषय में विस्तृत वर्णन उपलब्ध है।
- श्रीमद्भागवत पुराण में भी धुंधकारी के प्रेत बन जाने का वर्णन आता है।
- भूत-प्रेत प्रायः उन स्थानों में दृष्टिगत होते हैं जिन स्थानों से मृतक का अपने जीवनकाल में सम्बन्ध रहा होता है।
- मरे हुए जानवरों के भूत के विषय में भी जानकारी पाई जाती है।
- जहाँ भूत-प्रेतों का वास हो उन्हें भुतहा स्थान कहा जाता है।
- सन् 2005 के गेलुप पोल (Gallup poll) से ज्ञात होता है कि 32% अमरीकी भूत-प्रेतों में विश्वास रखते हैं।
- भूत-प्रेतों से सम्बंधित फिल्में तथा टी वी कार्यक्रम भी व्यापक रूप से लोकप्रिय रहे हैं।
चलते-चलते
एक आदमी अपनी पत्नी के कटु व्यवहार से इतना त्रस्त हुआ कि उसने शराब पीना शुरू कर दिया। पत्नी को चिन्ता हुई कि पति के शराब की आदत को कैसे छुड़ाया जाये। वह आदमी रात में जब शराब पीकर घर आता था तो रास्ते में श्मशान पड़ता था। एक रात्रि उसके आने के समय में उसकी पत्नी अपनी सूरत शकल बदल कर विकराल भूत के रूप में श्मशान के पास अंधेरे स्थान में बैठ गई। ज्योंही उसका पति वहाँ पर पहुँचा उसने भयंकर आवाज करते हुए उसे रोका। घोर अंधेरे और नशे में होने के कारण पति ने उसे भूत ही समझा।
भूतरूपी पत्नी ने भैरवनाद करते हुए उससे कहा, "कल से तूने यदि दारू पीना नहीं छोड़ा तो मैं तुम्हें खा जाउँगा।"
उस आवाज को सुनकर पहले तो पति भयभीत हुआ, फिर हिम्मत जुटाकर उसने कहा, "तू मुझे नहीं नहीं खा सकता।"
भयंकर आवाज, "क्यों नहीं खा सकता?"
"अबे, मुझे खा कर अपनी बहन को विधवा बनायेगा क्या?"
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"संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण" का अगला पोस्टः
आप अपना विश्लेषण या निष्कर्ष लिखिए संतुलित होकर जिससे की उसपर बात की जा सके.
ReplyDeleteभूत प्रेत के बारे में प्रचलित धारणाओं के बारे में तो सब जानते हैं .. अपने ब्लाग में आपको इसपर अपना मंतब्य लिखना चाहिए था .. शराबियों को तो दुनिया की कोई ताकत डरा नहीं सकती .. ये भूत प्रेत कौन बडी चीज है .. पर 'चलते चलते'का शराबी तो नशे में भी पूरे होश में था !!
ReplyDeleteअवधिया साहब, उसे भूत कहू या फिर आत्मा, मगर यह मेरा खुद का पूरे होशोहवास में घर और आस-पास के लोगो के समक्ष महसूस किया हुआ है की कुछ दैविक चीज होती है, क्योंकि जो अद्भुत दवानी और आवाज मैंने सूनी थी वह न सिर्फ मै बल्कि कई सारे लोगो ने एक साथ सूनी और महसूस की थी ! इस लिए मैं भी मानता हूँ की कुछ तो चीज होती है ! उस घटना के बाद मेरे लिए इस बात को नकारना नामुमकिन सा है ! वैसे जनरली मैं ऐसे लिंक देना पसंद नहीं करता, मगर चूँकि मेरी यह कहानी भी ऐसी ही एक सत्य घटना पर आधारित थी जो कुछ महीनो पहले मैंने अपने ब्लॉग पर पोस्ट की थी अगर कोई इस बात में इंटेरेस्ट रखता हो तो उस कहानी को पढ़ सकता है !
ReplyDeletehttp://www.blogger.com/posts.g?blogID=1061352642193126435&searchType=ALL&page=1
काफी अच्छी जानकारी है, मैं स्वयं तो कभी आभास ना कर सका, मुझे ही भूत कह देते हैं वह बात अलग, जिन्नात बारे में भी आप ठीक लिखते हैं, इसी लिये हमें शिक्षा दी जाती है की कही पडी हडडी और कोयला को गंदा ना करें यह जिन्नात की खुराक होती है,
ReplyDeleteक्षमा चाहता हूँ अवधिया साहब, पिछली पोस्ट में लिंक सही नहीं दे पाया : सीधा लिंक यह है :http://gurugodiyal.blogspot.com/2009/08/blog-post_16.html#comments
ReplyDeleteउपर लि्खि जानकारी अच्छी है-लेकिन नीचे बताया गया भुत भी उसका बाप है-बने कहे कका-हा हा हा
ReplyDeleteजय होवे तोर,
मेरे विचार में तो न सिर्फ भूत होते हैं बल्कि भविष्य भी होते हैं.
ReplyDeletebadhiya jaan kari......
ReplyDeletemaza aa gaya........
bhut ki bahan ka samvaad likh kar chaar chaand laga diye
जब से सोचने का तरीका वैज्ञानिक हुआ है, भूतों से विश्वास उठ गया है. भय ही भूत है.
ReplyDeleteप्रचलित अवधारणाओं की अपेक्षा यदि आप इस विषय में अपने निजि विचार रखते तो शायद ओर अच्छा लगता.....
ReplyDeleteलेकिन मुझे लगता है कि शायद साईंस ब्लाग के सदस्य होने के कारण ही आप इस बारे में अपने विचार नहीं दे पाए :)
चलते चलते बढ़िया रहा :)
ReplyDelete.
ReplyDelete.
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आदरणीय अवधिया जी,
पंडित वत्स जी की टिप्पणी पर जरूर गौर फरमायें... हमें भी तो पता चले कि आप किस पाले में खड़े हैं... भूत, प्रेत, जिन्न आदि के मामले में... :)
भाई मुझे तो आज कल सारे भुत ही नजर आते है... इंसान तो एक भी नजर नही आता( अजी ब्लांग की दुनिया को छोड कर)
ReplyDeleteअवधिया जी,
ReplyDeleteआजकल भूतन की पलटन बना रहे हैं क्या...शमशान में बैठी भूतनी के आगे तो बड़े से बड़ा भूत भी पानी मांगने
लगेगा...
खैर ये तो हुई मजाक की बात...
मैं भूत-प्रेत में विश्वास नहीं रखता...लेकिन एक सवाल मन में उठता है...साइंस कहती है हर वस्तु परमाणु या एटम्स की बनी होती है...साइंस ये भी कहती है कि परमाणु कभी नष्ट नहीं होते...परमाणु बस अपना स्वरूप बदल लेते हैं....आदमी का शरीर भी परमाणुओं से ही बना होता है...तो क्या मरने के बाद शरीर को जलाने या ज़मीन में दफन किए जाने पर डिकम्पोस होने की स्थिति में ये परमाणु भी स्वरूप बदल
लेते हैं...अवधिया जी इस पर कुछ रौशनी डालिएगा...
जय हिंद...
@खुशदीपजी
ReplyDeleteपरमाणु कभी नष्ट नहीं होते...परमाणु बस अपना स्वरूप बदल लेते हैं -- यह गलत है| यह तथ्य उर्जा के लिये है| उर्जा कभी नष्ट नही होती, बस अपना स्वरूप बदल लेती है| इसे उर्जा की अविनाशिता का नियम कहते है|
परमाणू सुक्ष्मतम कण नही है, परमाणू इलेक्ट्रान, प्रोटान और न्युट्रान से बना होता है| प्रोटान/न्युट्रान/इलेक्ट्रान भी अन्य सुक्ष्मतम कण क्वार्क से बने है| इसके अलावा कुछ अन्य मूलभूत कण भी है|
परमाणू मिलकर अणू बनाते है, इन्ही अणुओ से तत्व/मिश्रण(रासायनिक पदार्थ) बनते है| कुछ रासायनिक पदार्थ (जिनके अणु काफी जटिल होते है) से डी एन ए बनता है जो जिवन का मूल है|इन डी एन ए और कुछ रासायनिक पादार्थ जैसे (प्रोटीन, कार्बनीक पदार्थ, ग्लूकोज, स्तार्च, अमीनो अम्ल इत्यादी) से शरीर बनता है| शरीर मे इन रासायनिक पदार्थो के कारण जिवन की मूलभूत प्रक्रिया जिसे मेटाबालीज्म कहते है चलती रहती है| जिस दिन मेटाबालीज्म खत्म शरीर मृत !शरीर अपने मूलभूत पदार्थो मे डीकम्पोज हो जाता है !
चलते चलते ... मजेदार रही
ReplyDeletesir ji, islaam se "bhoot" nahi hota, ialaam ke hisab "zinnat" 1 agal kaum hise aag se paida kiya gaya hai aur insaano ko mitti se.
ReplyDeleteGoogle Ki Khoj Kisne Ki
ReplyDeleteGoogle in Hindi
Bulb Ka Avishkar Kisne Kiya
Proton Ki Khoj Kisne Ki
Lotus in Hindi
GDP in Hindi
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