Sunday, December 13, 2009

आखिर गूगल ने ब्लोगिंग के लिये मुफ्त प्लेटफॉर्म क्यों दिया है?

कभी आपने सोचा भी है कि आखिर गूगल ने ब्लोगिंग के लिये मुफ्त प्लेटफॉर्म क्यों दिया है?

गूगल कोई धर्मार्थ सेवा करने वाली संस्था नहीं बल्कि एक व्यवसायी कम्पनी है। किसी भी व्यवसायी कम्पनी का हर कार्य फायदा को ध्यान में रख कर किया जाता है।

हमें हिन्दी ब्लोगिंग के लिये मुफ्त प्लेटफॉर्म देने के साथ ही साथ हिन्दी को नेट में बढ़ावा देने में भी गूगल का बहुत बड़ा योगदान है।

तो क्या फायदा है उसे इस प्रकार से ब्लोगिंग के मुफ्त प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने से?

आनलाइन विज्ञापन मुख्य धंधा है गूगल का। अपने विज्ञापनों को हमारे ब्लोगों में दिखा कर धन कमाना उसका उद्देश्य है। धन कमाने के लिये हमारे ब्लोगों में पाठकों की भीड़ होना आवश्यक है क्योंकि उस भीड़ से ही बिजनेस को चलना है। यदि पाठक नहीं आयेंगे तो विज्ञापनों को देखेगा कौन? दरअसल हिन्दी को बढ़ावा देना और मुफ्त प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराना गूगल के व्यवसाय का एक इन्व्हेस्टमेंट है फायदा कमाने के लिये।

हममें से कुछ लोगों का यह विचार भी हो सकता है कि हमें और आपको पाठकों के भीड़ की आवश्यकता नहीं है। किन्तु गूगल, जो हमें मुफ्त सुविधा दे रही है, को इस भीड़ की सख्त आवश्यकता है। फिलहाल हिन्दी ब्लोगों में पाठकों की अधिक संख्या नहीं आ पा रही है किन्तु गूगल को विश्वास है कि जल्दी ही पाठकों की भीड़ इकट्ठी होनी शुरू हो जायेगी। इसके लिये वह हर सम्भव प्रयास कर रहा है और हम ब्लोगरों से भी उम्मीद रखता है कि हम उच्च गुणवत्ता वाले पोस्ट लिख कर पाठकों की भीड़ लायें। मेरे स्वयं के विचार से भी पाठकों की भीड़ की बहुत आवश्यकता है। भला कौन नहीं चाहेगा कि उसके लिखे को अधिक से अधिक लोग पढ़ें। और मैं यह भी समझता हूँ कि जहाँ इस भीड़ से गूगल को आर्थिक लाभ होगा वहीं हमें भी इससे आमदनी मिलने लगेगी। किसी और को हो या न हो किन्तु मुझे तो अपने ब्लोग से कमाई करने की बहुत अपेक्षा है।

अब मान लीजिये कि पूरे प्रयास के बावजूद भी पाठकों की भीड़ नहीं आती है तो क्या होगा? क्या गूगल अपना धन खर्च करके हमें अपनी मुफ्त सुविधाएँ देता रहेगा? बिल्कुल नहीं, इस बात की पूरी सम्भावना है कि वह बन्द कर देगा मुफ्त सुविधाएँ देना। अब तक उसने जो कुछ भी खर्च किया है उसे अपना घाटा मान लेगा और आगे खर्च करना बंद कर देगा। हमारी सुविधाओं को बंद करके वह अंग्रेजी सहित उन भाषाओं को अधिक सुविधा देना शुरू कर देगा जिनसे उसे बिजनेस मिल रहा है और फायदा हो रहा है। इसका परिणाम यह होगा कि हम कम से कम ब्लोगर प्लेटफॉर्म से तो वंचित हो ही जायेंगे। हिन्दी में एडसेंस की उम्मीद बिल्कुल खत्म हो जायेगी सो अलग।

17 comments:

  1. आप चिंता न करें हिन्दी का बाजार बहुत विकसित हुआ है और बहुत होना है। फिर हिन्दी नेट उपभोक्ताओं और गूगल का हित इसी में है कि नेट पर अधिकाधिक जानकारी उपलब्ध हो।गूगल का यह मुफ्त स्रोत जल्दी बंद होने वाला नहीं है।

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  2. अवधिया जी आपने सही जानकारी दी है, ब्लाग और पाठक दोनो बढने चाहिए जिससे ब्लाग लेखकों को भी फ़ायदा होगा और उनकी भी कुछ आय होगी, आभार

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  3. गूगल का विश्वास गलत नहीं है कि जल्दी ही पाठकों की भीड़ इकट्ठी होनी शुरू हो जायेगी।, मैंने जाना है कि भीड तो हिन्‍दी ब्‍लागिंग के बाहर खडी है उसे अन्‍दर लाने वाला कोई नहीं है, नए ब्‍लागर्स को अंदर लाने के लिए प्राइमरी स्‍कूल चाहिए यहां सब युनिवर्सियाँ लिए बैठे हैं,

    मिसाल के तौर पर
    सब ब्लागवाणी से मेम्‍बरशिप लेना चाहते मेरे अलावा सब ले भी लेते हैं, कैसे कोई नया ब्‍लागर इसपर अपना ब्लाग कैसे दिखाऐं, इस दौरान आने वाली समस्‍याओ और समाधान पर पोस्‍ट कहीं है तो आजतक मैं ना देख सका, स्‍वयं आप 20 मिन्‍ट में ब्‍लागवाणी मेम्‍बरशिप हासिल कर चुके, मैं थक जाऊँगा रोज़ बता बता के पूछने वाले नहीं थकेंगे,
    इस लिए इस विषय पर बडी पोस्‍ट बनाने का आपसे निवेदन करता हूँ,

    आज आपने चलते-चलते नहीं दिया उसका धन्‍यवाद, आप देंखेंगे आपकी बात आज हंसी में नहीं उडेगी

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  4. बहुत अच्छी जानकारी है धन्यवाद कुछ तो मिले कम से कम नेट का खर्च ही निकले।

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  5. गुगल बंद भी देगा तो कोई फर्क नही पडेगा। वर्डप्रेस आदी बहुत से मुफ्त ब्लाग बना सकते हैं।

    co.in वाला ब्लाग, वर्डप्रेस,आदी बहुत से हैं।

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  6. वो सुबह कभी तो आएगी...

    तब तक भजन में ही मगन रहिए...

    जय हिंद...

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  7. silsila ye pyaar ka-vyaapaar ka
    chalta hi rahega

    deep hindi bloging ka jaltaa rahega

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  8. आशा में दुनिया टिकी है, अगर ऐसा हो तो क्‍या हम इसके लिए तैयार हैं. इस बात का चिंतन भी आवश्‍यक है.

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  9. उम्मीद करते हैं कि वो दिन भी आएगा जब हम भी कह सकेंगें कि हमने अपने ब्लाग से कुछ कमाई की है......

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  10. यह तो विदेशियो की आदत है पहले मुफ़्त फ़िर आगे पीछे का सब बसूल . चाय , वनस्पति घी का भी तो ऎसे ही प्रचार किया था /

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  11. मुफ्त में चलता रहे, यही काफी है।

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  12. बिलकुल सही कहा है -- हिंदी मैं गुणवत्ता वाली सामग्री की सख्त आवश्यकता है |

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  13. तो भीतर की जानकारी बाहर

    कब आयेगी पैसों की बहार

    कब तक करें नोटों का इंतजार

    हम तो करते रहेंगे सदा हिंदी से प्‍यार।

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  14. यदि लंबे अंतराल तक हमें इस मुफ्त सुविधा का उपयोग करना है .. तो इंटरनेट में हिन्‍दी को बढाने के लिए हमें कमर कसनी होगी !!

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