Saturday, February 6, 2010

हम पोस्ट लिखते हैं नामी बनकर ... वे चुटकियों में उड़ा देते हैं बेनामी बनकर

Anonymous said...

याने कि बेनामी ने कहा ...

अरे भाई कुछ कहना है तो सामने आकर कहो! बुरका ओढ़ कर क्यों कहते हो। प्रशंसा करो, आलोचना करो, जो चाहे सो करो पर अपना परिचय देकर तो करो। जैसे हमने नामी बनकर पोस्ट लिखा है वैसे ही आप भी नामी बनकर टिप्पणी करो।

हमने पोस्ट लिखा "ये इन्द्रधनुष होगा नाम तुम्हारे........." बाकायदा अपना नाम देकर। अब किन्हीं सज्जन को हमारी यह पोस्ट बचकानी लगी। लगी तो लगी। हम रोक थोड़े ही सकते हैं बचकानी लगने से। तो पोस्ट के बचकानी लगने को उन्होंने व्यक्त किया अपनी टिप्पणी में कुछ इस तरह सेः

Anonymous said...

i think aap logon ko blog kaa naam change kar lena chaahiye.
science blogger association ki jagah " children kahani assosiation" theek rahega. haa haa haa haa......
याने कि उन्हें पोस्ट इतनी बचकानी लगी कि उन्होंने ब्लॉग का नाम ही बदल देने का सुझाव दे दिया। शायद वे विज्ञान के महारथी होंगे और उनके विचार से विज्ञान से सम्बन्धित भारी भरकम शब्दों में लिखी गई विशिष्ट जानकारी ही आनी चाहिये। शायद उनकी नजर में विज्ञान की अत्याधुनिक क्लिष्ट बाते हीं विज्ञान हैं। हम उनके विचार का सम्मान करते हैं किन्तु अपनी मन्दबुद्धि का क्या करें जो यह सोचती है कि चर्खी (Wheel), घिर्री (Pulley), धुरी (Axle) , लिव्हर (Lever), कोणीय तल (Inclined Plane), पेंच (Screw) आदि सामान्य यन्त्र भी विज्ञान के अन्तर्गत ही आते हैं और इनके विषय में भी बताया जाना चाहिये। भले ही हमारे ये पोस्ट अति विद्वान वैज्ञानिक मित्रों को बचकानी लगे किन्तु हम तो यही सोचते हैं कि बहुत से लोगों को यह पसंद ही आयेगा क्योंकि ब्लोग पढ़ने वाले सभी व्यक्ति विज्ञान के महारथी नहीं हैं, बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिनका विषय कभी विज्ञान रहा ही नहीं है।

हम तो यही बताना चाहेंगे कि हम तो पोस्ट लिखते ही रहेंगे नामी बनकर भले ही कोई उन्हें चुटकियों में उड़ाता रहे बेनामी बनकर।

12 comments:

  1. तभी तो कहा गया है कि
    नाम हो , बदनाम हो
    मगर बेनाम न हो ...

    वैचारिक मतभेद हो सकते है लेकिन बात को उचित तरीके से रखा जा सकता था !
    खैर, यह उनकी शायद कोई मजबूरी हो, हिम्मत से न कह पाने की !

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  2. कुछ लोग अक्‍सर कहते सुने जाते हैं कि ये बैल-गाड़ी के युग में हमें ले जाना चाहते है जबकि हम तो राकेट युग के हैं। क्‍या बैल-गाड़ी का जब अविष्‍कार हुआ था, या पहला पहिया बना था तब वो विज्ञान नहीं था? वह विज्ञान का प्रारम्‍भ था, वहीं से हमने अब तक की यात्रा की है। इसलिए प्रत्‍येक अविष्‍कार चाहे छोटा दिखता हो या फिर बड़ा लगता हो सभी विज्ञान हैं। मैं आपकी बात से सहमत हूँ।

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  3. ऐसी टिप्पणियाँ भी मनोरंजन कर जाती है.


    वैसे शीर्षक बहुत मजेदार लगा. शेर (शायरीवाला) जैसा.

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  4. ऎसे मूर्खों की बुद्धि पर तो सिर्फ तरस की किया जा सकता है.....ये वो लोग हैं जो स्वयं को महाविद्वान और सामने वाले को अज्ञानी मानकर मिथ्या भ्रम में जीते है।

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  5. ये बेनामी किसी दूसरे ग्रह से थोडे ही आते हैं। हैं तो हम आप में से ही, बस छिपकर अपनी भडास निकालते रहते हैं।
    --------
    ये इन्द्रधनुष होगा नाम तुम्हारे...
    धरती पर ऐलियन का आक्रमण हो गया है।

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  6. अवधिया जी-आपने सही लिखा है। आभार

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  7. kahe dhyan dete ho avadhiya ji.mast raho,bahut din ho gaye bhent nahi hui

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  8. .... कुछ भयभीत,डरे,सहमे लोग "बेनामी" बनकर "अटैक" कर देते हैं, अब उनका क्या किया जा सकता है ........
    ......प्रभावशाली लेख!!!

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  9. भईया,
    आप किस बेवकूफ की बात सुन रहे हैं...
    इन साहब को पता होना चाहिए...ज्यामिति किसी शुरुआत बिंदु से होती है....
    बड़े-बड़े भाषण देना आसन होता है....लेकिन इस तरह प्रयोग करके समझाना मुश्किल...
    मुझे हमेशा ये सालता रहा की अगर हमारे शिक्षक हमें ..बगीचे में ले जाकर , calyx , corola , gynoecium, androecium बात दिए होते...तो बहुत सी बातों को समझने में इतनी दिक्कत नहीं होती...
    आप न इनलोगों की बातों से बिलकुल भी दुखी मत हुआ कीजिये...
    इन्हें क्या पता आप क्या हैं...
    आप तो बस खुश रहा कीजिये...
    आप सब कुछ बहुत अच्छा लिखते हैं....बस..

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  10. अवधिया जी,
    आपके ब्लाग में सिर्फ टिप्पणियां दिख रही हैं, पोस्ट का पता नहीं है। लगता है आपकी पोस्ट मिस्टर इंडिया हो गई है, कृपया ध्यान दें।

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  11. आदरणीय अवधिया जी...

    पता नहीं क्यूँ ...आपके ब्लॉग पे कमेन्ट ४ दिनों से पोस्ट ही नहीं हो रहा है.... आपके ब्लॉग पर कहीं भी क्लिक नहीं हो रहा है..... क्या यह टेम्पलेट की गलती है?


    यह जो बेनामी टिप्पणी कर के गए हैं... इनका लेवल बहुत लो है.... मत ध्यान दीजिये.... इनको गाली देना भी इनको महत्व देना है... यह गाली के लायक भी नहीं हैं.... यह वो लोग हैं जो खुद कुछ नहीं कर पाते हैं.... और अपनी ज़िन्दगी में असफल हैं....





    बहुत ख़ुशी हुई कि आपके ब्लॉग पर अब कमेन्ट कर पा रहे हैं.... नहीं तो ...पिछले ५ दिनों से कमेन्ट ही नहीं कर पा रहे थे.... लगता है आपने तेम्प्लैत में कुछ सुधार किया है.... बहुत बहुत धन्यवाद आपका.... उपरोक्त टिप्पणी मैं "ये इन्द्रधनुष होगा नाम तुम्हारे........." पर कर चुका था.... वही टिप्पणी यहाँ फिर कर रहा हूँ....

    सादर

    महफूज़....

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