Friday, May 14, 2010

कौन है बड़ा ब्लोगर?

ब्लोगरी न हुई लड़ाई का मैदान हो गया। घमासान मचा हुआ है किसी को बड़ा ब्लोगर और किसी को छोटा ब्लोगर सिद्ध करने के लिये।

ब्लोगर तो ब्लोगर होता है, न वह छोटा होता है और न ही बड़ा। ब्लोगर का काम है अपने ब्लोग के माध्यम से अपनी भाषा के साथ ही साथ लोगों का और स्वयं का भला करना। इसमें बड़े और छोटे का प्रश्न कहाँ से आ गया? क्यों किसी को बड़ा और किसी को छोटा माना जाये?

क्या ब्लोगिंग का उद्देश्य किसी को बड़ा और किसी को छोटा दर्शाना ही रह गया है?

हमारे विचार से तो जो ब्लोगिंग के माध्यम से "सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय" का कार्य कर रहा है वही सबसे अच्छा ब्लोगर है।

20 comments:

  1. बड़े भाई सौ टके की बात कहीं आपने... आभार

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  2. बड़ा ब्लोगर यानि खजूर का पेड कौन है? जरा हमें तो बताओ इस लिये मालूम कर रहा हूँ हमें तो बस खास ब्‍लागरों की खबर रहती है

    सहमत 'ब्लोगर का काम है अपने ब्लोग के माध्यम से अपनी भाषा के साथ ही साथ लोगों का और स्वयं का भला करना।'

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  3. ब्लोगिंग का उद्देश्य किसी को बड़ा और किसी को छोटा दर्शाना बिलकुल नहीं होना चाहिए।

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  4. क्या अवधिया जी ,
    आप भी न ,औपश्न के साथ पूछते न ..

    मसलन ..साईज़ के हिसाब से,

    ब्लोग्स की संख्या के हिसाब से ,

    पोस्टों की संख्या के हिसाब से ,

    टिप्पणियों के हिसाब से ,

    और हा परिणाम किसमें बताना है

    मीटर में , लीटर में , किलोग्राम में , या फ़िर ....
    कुछ क्लीयर तो करिए न .......

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  5. अवधिया जी कौन ब्लागर बड़ा या कौन छोटा इसका फ़ैसला कौन करेगा?

    फ़ीता ले के यहां तो कद नापा जा रहा है।

    हमारे मित्र गिरीश बिल्लौरे जी
    ने ब्लागिंग को अलविदा कहा है बड़ा अफ़सोस है। यह हालात ठीक नहीं है।

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  6. झा जी के सवाल तो जाएज़ है साहब !!

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  7. गहन चिंतन और सार्थक सोच की अभिव्यक्ति आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं /

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  8. मैं यह मानने को तैयार ही नहीं हूं कि यहां सभी ब्लागर बराबर है। यह व्यवस्था तो हर जगह रहनी है अवधिया जी।
    साहब होता है फिर छोटा साहब होता है। बड़ा बाबू होता तो छोटा बाबू भी होता है।
    सुपर स्टार होता है तो स्टार भी होता है। कोई संपादक होता है तो कोई सिर्फ संवाददाता ही होता है। यह अलग बात है कि कई बार संवाददाता अपने संपादक से ज्यादा लोकप्रिय होता है। जब तक दुनिया है लोग अपनी-अपनी प्रतिभा की वजह से बड़े-छोटे कहलाते रहेंगे। झगड़ा इसलिए हो रहा है कि कुछ लोगों ने प्रतिभा के बजाय चमचों को श्रेष्ठ घोषित करने की कोशिश की है। मैं तो हमेशा से प्रतिभा का लोहा मानता हूं और जिसमें प्रतिभा नहीं है और ज्यादा उचकने की कोशिश करता है उसमें लोहा डालता हूं। बाकी कल की मंगलमय यात्रा के लिए आपको धन्यवाद।

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  9. टिप्पणी-१
    हम उडनतश्तरी पर राजकुमार सोनी साहब की टिप्पणी का सौ प्रतिशत समर्थन करते हुये अपना बात नीचे रखना चाहूंगा. अगर आप में दम हो तो इसको जस का तस छापिये अऊर अगर आप भी अपने आपको त्रिदेव समझते हो तो रहने दिजिये.

    १. यह सत्य है कि आज समीरलाल के इर्द गिर्द या आसपास भी कोई ब्लागर कसी मामले में नही टिकता.

    २. जानदत्तवा अऊर अनूपवा का पिराब्लम ही सबसे बडा ई है कि वो दोनो अपने आपको सबका बाप समझते हैं. और समीरलाल की प्रसिद्धि से जलते हैं. समीरलाल ने यह प्रसिद्धि अपने बल पर और मेहनत पर पाई है.

    ३, जैसा कि उपर सोनी जी ने कहा कि ज्ञानदत्तवा अपने आपको सबसे बडा जज समझता है जो कि खुद कलर्क बनने के काबिल नही है. उसको ये समझना चाहिये कि ये तीन चार साल पुराना ब्लागजगत नही है जो उसकी अफ़सरी को लोग सहन करेंगे बल्कि अब उससे भी बडे बडॆ अफ़सर ब्लागरी कर रहेहैं. अच्छा हुआ रेल का इंजन ब्लाग पर दौडाना छोड दिया अऊर ब्लाग पर हाथ गाल पर टिका के बैठ गया.

    क्रमश:......

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  10. टिप्पणी-२
    ४. ज्ञानदत्त ने जो पोस्ट लिखी वो उसकी और फ़ुरसतिया की सोची समझी रणनीती थी. ये दोनों लोग सारे ब्लागरों को बेवकूफ़ समझते हैं. इनको आजकल सबसे बडी पीडा यही है कि इन दोनों का जनाधार खिसक चुका है. समीरलाल को लोकप्रिय होता देखकर ये जलने लेगे हैं.

    ज्ञानदत्त ने जानबूझकर अपनी पोस्ट मे समीरलाल के लेखन को इस लिये निकृष्ट बताया कि उसको मालूम था इस पर बवाल मचेगा ही. और बवाल का फ़ायदा सिर्फ़ और सिर्फ़ मिलेगा ज्ञानदत्त अऊर अनूप को. और वही हुआ जिस रणनीती के तहत यह पोस्ट लिखी गई थी. समीरलाल के साथ साथ ज्ञानदत्त अऊर अनूप भी त्रिदेवों में शामिल होगये. अबे दुष्टों क्या हमारे त्रिदेव इतने हलकट हैं कि तुम जैसे चववन्नी छाप लोग ब्रह्मा विष्णु महेश बनेंगे? अपनी औकात मत छोडो.

    ५. ज्ञानदत अऊर अनूप ऐसे कारनामे शुरु से करते आये हैं. इसके लिये हमारी पोस्ट 'संभाल अपनी औरत को नहीं तो कह चौके में रह' का अवलोकन कर सकते हैं. और इनकी हलकटाई की एक पोस्ट आँख की किरकिरी की पढ सकते हैं. ज्ञानदत्तवा के चरित्तर के बारें मा आप असली जानकारी बिगुल ब्लाग की "ज्ञानदत्त के अनाम चमचे ने जारी की प्रेस विज्ञप्ति" इस पोस्ट पर पढ सकते हैं जो कि अपने आप मे सौ टका खरी बात कहती है.

    ६. अब आया जाये तनिक अनूप शुक्ल पर = इस का सारा चरित्तर ही घिनौना और हलकट है. इसकी बानगी नीचे देखिये और अब तो आप को हम हमेशा ढूंढ ढूंढ कर बताता ही रहूंगा.

    शेष भाग अगली टिप्पणी में....

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  11. टिप्पणी-३
    अ. आप सबको टिप्पू चच्चा तो याद ही होंगे. अब बताईये टिप्पू चच्चा की क्या गलती थी? टिप्पू चच्चा कभी कभार अपना बिलाग पर कुछ उनकी अपनी पसंद की टिप्पणीयां छापकर टिप्पणी चर्चा किया करते थे. अऊर चच्चा ने गलती से अनूपवा की चिठ्ठाचर्चा वाला टेंपलेटवा लगा लिया. बस अनूपवा अऊर उसके छर्रे को मिर्ची लग गईल.

    एक रोज अनूपवा के छर्रे* (इस छर्रे का नाम हम इस लिये नही ले रहा हूं कि जबरन इसको क्यों प्रचार दिया जाये) ने चच्चा के लिये टिप्पणि करदी कि टिप्पू चच्चा तो गुजरे जमाने की बात हो गईल. यहीं से सारा झगडा शुरु हुआ. चच्चा ने अनूपवा से टिप्पणी हटाने का आग्रह किया जो कि नही हटाई गई.

    ब. इसी से नाराज होकर चच्चा टिप्पूसिंह ने अनूपवा अऊर उसके तथाकथित छर्रे के खिलाफ़ मुहिम चलाई पर अफ़्सोस च्च्चा थक गये पर अनूप ने वो टिप्पणी नही हटाई. बेशर्मी की हद होगई.

    स.उल्टे अनूपवा ने अजयकुमार झा साहब को परेशान कर दिया कि तुम ही टिप्पू चच्चा हो. झा साहब को तब टेंपलेट बदलना त दूर लिंक लगाना नाही आता था. लेकिन साहब अनूप तो त्रिदेव हैं फ़तवा दे दिया त देदिया.

    द. इसी अनूपवा अऊर इसके छर्रे ने बबली जैसी महिला को इनकी चिठ्ठाचर्चा पर सरे आम बेइज्जत किया. अपनी कल की पोस्ट मे ये दावा (अपने से छोटो और महिलाओं को मौज (बेइज्जत) नही लेते) करने वाले अनूप बतावो कि बबली तुमको तुम्हारे से छोटी और महिला नही लग रही थी क्या?

    इ. अनूपवा आगे फ़रमाते हैं कि वो कभी किसी से बेनामी कमेंट नही करवाते. तो बबली के लिये आज तक यहां वहां बिखरे कमेंट और दूसरे ढेरों ब्लागो पर बिखरे कमेंट, तुम्हारे समर्थन मे लगाई गई हिंदिब्लागजगत की पोस्ट तुमने लगाई या तुम्हारे छर्रों ने लगाई? जिस पर तुम्हारा कमेंट भी था. अब तुम कहोगे कि हमारे समर्थन मे त एक ही लगी है समीरलाल के समर्थन मा बाढ आगई, तो अनूप शुकुल तुम्हारी इतनी ही औकात है.
    क्रमश:

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  12. टिप्पणी-४
    अब हमार ई लेक्चर बहुते लंबा हुई रहा है. हम इहां टिप्पू चच्चा से अपील करूंगा कि चच्चा आप जहां कहीं भी हो अब लौट आवो. अब तो अनूपवा भी पिंटू को बुला रहा है वैसन ही हम तौका बुलाय रहे हैं. हम तुम मिलकर इस अनूपवा, ज्ञानदत्तवा और इन छर्रे लोगों की अक्ल ठीक कर देंगे, लौट आवो चच्चाजी..आजावो..हम आपको मेल किया हूं बहुत सारा...आपका जवाब नाही मिला इस लिये आपको बुलाने का लिये ई टिप्पणी से अपील कर रहा हूं. अनूपवा भी अपना दूत भेज के ऐसन ही टिप्पणी से पिंटू को बुलाय रहा है. त हमहूं सोच रहे हैं कि आप जरुर लौट आवोगे.

    चच्चाजी सारा ब्लाग्जगत तुम्हरे साथ है. आकर इन दुष्टों से इस ब्लाग जगत को मुक्त करावो. सोनी जी के शब्दों मे तटस्थता भी अपराध है. हे चच्चा टिप्पू सिंह जी आपके अलावा अऊर किसी के वश की बात नाही है. अब तक केवल अनूपवा अऊर उसका छर्रा ही था अब त एक बहुत बडा हाथ मुंह पर धरे बडका आफ़सर भी न्याया धीश बन बैठा है. आवो च्च्चा टिप्पूसिंह जी...औ हम आपको मेल किया हूं. मुझे आपकी टिप्पणी चर्चा मे चर्चा कार बनावो. क्योंकि मेरी पोस्ट पर तो इन लोगों के दर से कोई आता ही नही है.

    अब हम अपने बारे मा बता देत हूं... हम सबसे पुराना ब्लागर हूं. जब अनूपवा भी नही थे ज्ञानदत्तवा भी नाही थे और समीरलालवा भी नाही थे. ई सब हमरे सामने पैदा भये हैं. अब हम आगया हूं अऊर चच्चा टिप्पू सिंह का इंतजार कर रहा हूं. अब आरपार की बात करके रहेंगे.

    इस हिसाब से हम आप सबके दद्दाजी लगते हैं औ हमे दद्दा ढपोरसिंह के नाम से पुकारा जाये.

    छर्रे का मतलब ज्ञानदत्तवा स्टाइल मा समझा देत हैं.

    छर्रे = pupil = प्युपिल = चेलवा = शिष्य = पढा जाये :- अव्यस्क व्यक्ति

    श्रंखला जारी रहेगी............

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  13. ज्ञानदतक नपुंसकों को क्या मालूम कि उनक ेचहेते पिछ्ले कितने दिनों से उड़नतश्तरी पर आक्रमण जारी रखे हुए थे?बात यही थी कि उड़नतश्तरई से हिन्दी सेवा की अपील होती थी और मानसिक हलचल पर अंग्रेजी के बिगडाऊ शब्द लिखे जाते थे जो गंगा किनारे वाले छोरे को अपने हीरे लगते थे।इसके अलावा किसी महिला ब्लोगर द्वारा उडनतश्तरी को 'सो क्यूट' कहा जाना इतना नागवार गुजरा कि खुन्नस उतर ही नहीं रही।कोई भी मर्द का बच्चा जाकर पिछले तीन महीने की पोस्ट और इधर उधर की गई कमेट देख ले।फिर तरप्फदारी करे गंगा किनारे जा करगर नहीं हिम्मत है तीन महीने की खबर लेने की तो जा कर जननी की गोद में आराम करे।

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  14. हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा

    "अनूप जी और ज्ञानदत्त जी दबे हुए संस्कार ऐसे ही बाहर निकल आते हैं" वाली पोस्ट के बाद ब्लॉगवाणी तिलमिलाई!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

    जिसने धर्म के नाम पर आने वाली संवेदनशील ब्लोगों को नहीं निकाला उसने इस अनोखे ब्लोग को घबड़ाकर ब्लोगवाणि से निकाल दिया!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

    आज की पोस्ट देखनी है तो आगे पढ़ें

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  15. भईया बडो का तो पता नही हम है सब से छोटे ब्लांगर, ना किसी से दुशमनी ना किसी से प्यार

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  16. bada koun hai ?

    pata chale toh hamen bhi batana....

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  17. हम भी अपने आपको भाटिया जी वाली पंक्ति मे ही खडा पाते हैं...बहुत ही मामूली से ब्लागर.

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  18. समीर लाल, द साउंड ऑफ़ साइलेंस...

    अनूप शुक्ल, द कैटेलिस्ट ऑफ ब्लॉगवुड...

    कोई शक...

    जय हिंद...

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