एक ओर तो एक भला आदमी जीवन भर ईमानदारीपूर्वक काम करता है पर अपने लिए एक छोटा सा मकान भी नहीं बनवा सकता, केवल अपने परिवार के भरण-पोषण के लायक ही धन कमा पाता है, वह भी बहुत मुश्किल से, जीवन भर कष्ट ही झेलते रहता है और दूसरी तरफ एक भ्रष्ट आदमी अत्यन्त ही अल्पावधि में जमीन-जायदाद, स्वर्णाभूषणादि सभी कुछ बना लेता है, खान-पान में किसी प्रकार की कमी नहीं रहती, सदा सुख भोगते रहता है ..... अपना अपना भाग्य!
देश की स्वतन्त्रता के लिए प्राणों की आहुति दे देने वाले क्रान्तिकारियों को भुला दिया जाता है, उनके परिजनों की आर्थिक स्थिति बेहाल रहती है और अहिंसक आन्दोलनों में भाग लेकर अल्पकाल के लिए जेल में रहकर आने वालों को स्वतनत्रता सेनानी के सम्मान से नवाजा जाता है, उनके परिजनों को सरकार की ओर से अनेक प्रकार की सुविधा प्रदान की जाती है ..... अपना अपना भाग्य!
निर्वाचित नेताओं को डेढ़ रुपये में दाल मिलता है और गरीब जनता के लिए उसी दाल की कीमत इतनी अधिक है कि वह दाल के बगैर ही भोजन करने को विवश हो जाता है ..... अपना अपना भाग्य!
सामान्य वर्ग का एक होनहार युवक अधिक योग्यता रखने के बाद भी बेरोजगार रहता है और कम योग्यता होने के बावजूद सिर्फ आरक्षण की योग्यता रखने वाला युवक अच्छी नौकरी पा जाता है ..... अपना अपना भाग्य!
धनवान दिनों दिन और भी धनवान होते जाते हैं और गरीब दिनों दिन और भी गरीब होते जाते हैं ..... अपना अपना भाग्य!
एक ही समय में दो शिशुओं का जन्म होता है, एक अत्यन्त धनाढ्य परिवार में पैदा होता है तो दूसरा किसी कंगाल के घर ..... अपना अपना भाग्य!
चलते-चलते
कौन कहता है भारत में मँहगाई है?
संसद केंटीन के रेट्स देखिए और खुद बताइए कि क्या भारत में मँहगाई है!
चाय ..... रु.1
सूप ..... रु.5.50
दाल ..... रु.1.50
शाकाहारी थाली (दाल, सब्जी, 4 रोटी, चाँवल/पुलाव, दही और सलाद) ..... रु.12.50
मांसाहारी थाली ..... रु.22
दही चाँवल ..... रु.11
वेज पुलाव ..... रु.8
चिकन बिरयानी ..... रु.34
फिश करी और चाँवल ..... रु.13
राजमा चाँवल ..... रु.7
टोमेटो राइस ..... रु.7
फिश फ्राइ ..... रु.17
चिकन करी ..... रु.20.50
चिकन मसाला ..... रु.24.50
बटर चिकन ..... रु.27
प्रति चपाती ..... रु.1
प्रति प्लेट चाँवल ..... रु.2
दोसा ..... रु.Rs.4
प्रति कटोरी खीर ..... रु.5.50
फ्रुट केक ..... रु.9.50
फ्रुट सलाद ..... रु.7
उपरोक्त दर पर हमारे द्वारा निर्वाचित नेता खाना खा सकते हैं, हम नहीं ..... अपना अपना भाग्य!
देश की स्वतन्त्रता के लिए प्राणों की आहुति दे देने वाले क्रान्तिकारियों को भुला दिया जाता है, उनके परिजनों की आर्थिक स्थिति बेहाल रहती है और अहिंसक आन्दोलनों में भाग लेकर अल्पकाल के लिए जेल में रहकर आने वालों को स्वतनत्रता सेनानी के सम्मान से नवाजा जाता है, उनके परिजनों को सरकार की ओर से अनेक प्रकार की सुविधा प्रदान की जाती है ..... अपना अपना भाग्य!
निर्वाचित नेताओं को डेढ़ रुपये में दाल मिलता है और गरीब जनता के लिए उसी दाल की कीमत इतनी अधिक है कि वह दाल के बगैर ही भोजन करने को विवश हो जाता है ..... अपना अपना भाग्य!
सामान्य वर्ग का एक होनहार युवक अधिक योग्यता रखने के बाद भी बेरोजगार रहता है और कम योग्यता होने के बावजूद सिर्फ आरक्षण की योग्यता रखने वाला युवक अच्छी नौकरी पा जाता है ..... अपना अपना भाग्य!
धनवान दिनों दिन और भी धनवान होते जाते हैं और गरीब दिनों दिन और भी गरीब होते जाते हैं ..... अपना अपना भाग्य!
एक ही समय में दो शिशुओं का जन्म होता है, एक अत्यन्त धनाढ्य परिवार में पैदा होता है तो दूसरा किसी कंगाल के घर ..... अपना अपना भाग्य!
चलते-चलते
कौन कहता है भारत में मँहगाई है?
संसद केंटीन के रेट्स देखिए और खुद बताइए कि क्या भारत में मँहगाई है!
चाय ..... रु.1
सूप ..... रु.5.50
दाल ..... रु.1.50
शाकाहारी थाली (दाल, सब्जी, 4 रोटी, चाँवल/पुलाव, दही और सलाद) ..... रु.12.50
मांसाहारी थाली ..... रु.22
दही चाँवल ..... रु.11
वेज पुलाव ..... रु.8
चिकन बिरयानी ..... रु.34
फिश करी और चाँवल ..... रु.13
राजमा चाँवल ..... रु.7
टोमेटो राइस ..... रु.7
फिश फ्राइ ..... रु.17
चिकन करी ..... रु.20.50
चिकन मसाला ..... रु.24.50
बटर चिकन ..... रु.27
प्रति चपाती ..... रु.1
प्रति प्लेट चाँवल ..... रु.2
दोसा ..... रु.Rs.4
प्रति कटोरी खीर ..... रु.5.50
फ्रुट केक ..... रु.9.50
फ्रुट सलाद ..... रु.7
उपरोक्त दर पर हमारे द्वारा निर्वाचित नेता खाना खा सकते हैं, हम नहीं ..... अपना अपना भाग्य!
गरीबों को भी इसी रेट पर मिले खाना।
ReplyDeleteajab desh ki gajab kahani..
ReplyDeletejai baba banaras.....
जो मंहगाई मंहगाई कहते हैं, वे झूठ बोलते हैं, थाली से तो यही लगता है..
ReplyDeleteसंसद की बात सड़क तक आए, प्रतीक्षा है.
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