Thursday, December 17, 2009

मुझे टिप्पणी मिले ना मिले, मेरे पोस्ट की चर्चा हो ना हो, पर मुझे तो पाठक चाहिये

टिप्पणियों और चर्चाओं की उतनी चाह नहीं है मुझे जितनी चाह पाठक मिलने की है। टिप्पणियाँ मिल जाये तो बहुत अच्छी बात है, न भी मिले तो भी कोई बात नहीं। मेरे पोस्ट की चर्चा हो जाये तो खुशी होती है मुझे पर न हो तो कोई गम नहीं होता।

पर मैं लिखूँ और पढ़ने वाला न मिले तो बहुत दुःख होता है। बस पाठकों की चाहत रखता हूँ मैं। आखिर वह लिखना भी किस काम का जिसे कोई पढ़ने ना आये?

अपने ब्लोगर बन्धुओं को मैं पाठक नहीं बल्कि अपना स्वजन और हितचिन्तक समझता हूँ इसलिए मैं उन्हें अपने पाठकों की श्रेणी में नहीं रखता। वे लोग तो आयेंगे ही मुझे पढ़ने के लिये। और एग्रीगेटर्स से आये ट्रैफिक को भी मैं ट्रैफिक नहीं समझता क्योंकि एग्रीगेटर्स का इस्तेमाल अधिकतर हम ब्लोगर्स ही करते हैं, इन्टरनेट में आने वाले आम लोग नहीं।

अपने ब्लोग लेखन को मैं तभी सफल मानूँगा जब पाठक खोज कर मेरे ब्लोग में आयेंगे। और मुझे पूरा विश्वास है कि बहुत जल्दी ही वह दिन आयेगा।

मेरे पास अपने इस विश्वास का कारण भी है। कुछ अस्थाई कारणों से मैं अपने संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण को पिछले कई रोज से अपडेट नहीं कर पा रहा हूँ किन्तु स्टेट काउंटर बता रहा है कि उसमें पाठकगण रोज आ रहे हैं और उसे खोज कर ही आ रहे हैं।



गूगल के "है बातों में दम" प्रतियोगिता में मेरे लेखों को इस सप्ताह 430 लोगों ने पढ़ा। इससे पता चलता है कि हिन्दी में पाठकों की कमी नहीं है, जरूरत है तो सिर्फ उन्हें उनकी पसंद की जानकारी देने की।

18 comments:

  1. आपका लेख पढ़कर उत्साहवर्धन हुआ !

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  2. गोदियालजी से सहमत हूं।

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  3. अवधिया जी...
    आप अपने मस्त अंदाज़ में आगे बढ़ते जाइए...पीछे मुड़ के देखेंगे तो पाएंगे कारवां बढ़ता
    जा रहा है...

    जय हिंद...

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  4. आप बहुत अच्छा लिखते हैं

    उर्जावान हैं ..समर्थ हैं

    __पाठकों की चिन्ता व्यर्थ है

    __करण- अर्जुन आयेंगे....ज़रूर आएंगे............

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  5. आप महत्वपूर्ण लिखने में जुटे रहिए पाठक बढ़ बढ़ कर आते रहेंगे।

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  6. यही है सार्थक लेखन, भविष्‍य में भी आपके लेखों की उपादेयता जीवंत रहेगी.

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  7. बहुत अच्छी बात कही आपने !

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  8. आपने कथन ने तो हमारे अन्दर भी नवीन उर्जा का संचार कर दिया.......

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  9. सर काहे चिंता करते हैं जब भी कोई ऐसी बात लिखता है हम तो फ़ट से कह देते हैं कि जब मिश्रा जी आ गए , झा जी आ गए ..तो भला पाठक जी कितने दिनों तक छुपे बैठे रहेंगे ....?

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  10. आपके लेख दिलचस्प होते हैं। लिखते रहिये, अवधिया जी।

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  11. अच्छा लेखन प्रभावित करता है ..आप बहुत बढ़िया तरीके से अपनी बात कहते हैं ..शुक्रिया

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  12. आपका कहना बिल्कुल ठीक है कि हिन्दी में पाठकों की कमी नहीं है, जरूरत है तो सिर्फ उन्हें उनकी पसंद की जानकारी देने की।

    मेरे खुद के ब्लॉग पर, द्विवेदी जी को छोड कर, शायद ही किसी सक्रिय ब्लॉगर की टिप्पणी आती हो। लेकिन पाठक औसत पिछले कई माह के हिसाब से लगभग 400 प्रतिदिन तो है ही। जबकि ब्लॉगवाणी जैसे एग्रीगेटर पर ही दिन भर में यह आंकड़ा शायद ही दहाई के अंक तक जाता हो।

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  13. sriman avadhiya chacha ji,
    AAp ne kai jagah likha hai ki aap avadh nahi gaye hain lekin avadhiya hain aap ki iccha poorti k liye main aap ko sadar amantrit kar raha hoon avadh chetr k janpad barabanki mein .

    sadar
    aap ka bhatija
    Randhir singh suman
    loksangharsha.blogspot.com
    mobile no. 09450195427

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  14. सुमन जी,

    आपकी टिप्पणी व आमन्त्रण के लिये धन्यवाद!

    किन्तु मैं जी.के. अवधिया वाला अवधिया हूँ, अवधिया चाचा वाला नहीं। शायद आपने मेरा यह पोस्ट नहीं देखा है - "मेरा "अवधिया चाचा" से दूर से भी कोई सम्बन्ध नहीं है"

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