Saturday, November 15, 2008

ये चंदा रूस का ना ये जापान का


ये चंदा रूस का ना ये जापान का

ना ये अमरीकन प्यारे

ये तो है हिन्दुस्तान का!


जी हाँ, भारत का पहला मानव रहित अंतरिक्ष यान, चंद्रयान, 1, अंततः चंद्रमा की सतह पर पहुँच ही नहीं गया वरन भारतीय तिरंगे से चित्रित "प्रोब" को भी चांद की सतह पर रख दिया।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार भारतीय ध्वज के साथ चित्रित प्रोब ने दिनांक 14-11-2008 को भारतीय समय के अनुसार रात्रि 8-34 बजे (1504 GMT) चंद्रमा की सतह को छुआ।

हमारे वैज्ञानिकों ने ऐसे चन्द्रयान, जो कि चंद्रमा के वायुमंडल की संरचना को मापने सहित विभिन्न प्रयोगों के लिये सक्षम है, को सफलतापूर्वक चांद पर भेज कर साबित कर दिया है कि हमारा भारत भी किसी से कम नहीं है, निश्चित रूप से अब वह एक विश्व शक्ति के रूप में उभर रहा है।

चंद्रयान 1, जिसे कि भारतीय अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया था, ने तीन हफ्ते पहले चंद्रमा की परिक्रमा करना आरम्भ किया था तथा दिनांक 14-11-2008 को भारतीय समय के अनुसार रात्रि 8-34 बजे 30kg वजन वाले तिरंगे से चित्रित प्रोब को चंद्रमा की सतह पर रख कर मिशन के पहले चरण का समापन किया।

Monday, November 10, 2008

आखिर हिन्दी ब्लोग्स सामान्य पाठकों को कब आकर्षित करेंगे?

हिन्दी ब्लोग्स की टिप्पणियों को पढ़ कर यही प्रतीत होता है कि को आज भी केवल हिन्दी ब्लोगर्स ही एक दूसरे के ब्लोग्स को पढ़ते हैं। सामान्य पाठकों का उनके प्रति कोई आकर्षण कहीं पर भी दृष्टिगत नहीं होता। यह बात तो है कि अभी भी भारत में इंटरनेट का प्रयोग अपेक्षाकृत बहुत कम है। किन्तु यह भी सत्य है कि "ब्लोग" से अब लोग अपरिचित नहीं रहे हैं। अमिताभ बच्चन साहब के ब्लोग(जो कि अंग्रेजी में है) की सैकड़ों टिप्पणियाँ, जो कि सामान्य वर्ग के लोगों के द्वारा की गई होती हैं, सिद्ध करती हैं कि पाठकों की संख्या इतनी भी नगण्य नहीं है कि हमें हिन्दी ब्लोग्स के लिये पाठक ही न मिल पायें। अतः लगता है कि यदि कोई खामी है तो कहीं न कहीं हमारे ब्लोग लेखन में ही है। अब समय आ गया है कि हम अपने लेखन की स्वयं ही समालोचना करें और खामियों को दूर कर के कुछ ऐसा लिखें जो कि आम लोगों को आकर्षित कर सके।