Saturday, April 9, 2011

अपना अपना भाग्य!

एक ओर तो एक भला आदमी जीवन भर ईमानदारीपूर्वक काम करता है पर अपने लिए एक छोटा सा मकान भी नहीं बनवा सकता, केवल अपने परिवार के भरण-पोषण के लायक ही धन कमा पाता है, वह भी बहुत मुश्किल से, जीवन भर कष्ट ही झेलते रहता है और दूसरी तरफ एक भ्रष्ट आदमी अत्यन्त ही अल्पावधि में जमीन-जायदाद, स्वर्णाभूषणादि सभी कुछ बना लेता है, खान-पान में किसी प्रकार की कमी नहीं रहती, सदा सुख भोगते रहता है ..... अपना अपना भाग्य!

देश की स्वतन्त्रता के लिए प्राणों की आहुति दे देने वाले क्रान्तिकारियों को भुला दिया जाता है, उनके परिजनों की आर्थिक स्थिति बेहाल रहती है और अहिंसक आन्दोलनों में भाग लेकर अल्पकाल के लिए जेल में रहकर आने वालों को स्वतनत्रता सेनानी के सम्मान से नवाजा जाता है, उनके परिजनों को सरकार की ओर से अनेक प्रकार की सुविधा प्रदान की जाती है ..... अपना अपना भाग्य!

निर्वाचित नेताओं को डेढ़ रुपये में दाल मिलता है और गरीब जनता के लिए उसी दाल की कीमत इतनी अधिक है कि वह दाल के बगैर ही भोजन करने को विवश हो जाता है ..... अपना अपना भाग्य!

सामान्य वर्ग का एक होनहार युवक अधिक योग्यता रखने के बाद भी बेरोजगार रहता है और कम योग्यता होने के बावजूद सिर्फ आरक्षण की योग्यता रखने वाला युवक अच्छी नौकरी पा जाता है ..... अपना अपना भाग्य!

धनवान दिनों दिन और भी धनवान होते जाते हैं और गरीब दिनों दिन और भी गरीब होते जाते हैं ..... अपना अपना भाग्य!

एक ही समय में दो शिशुओं का जन्म होता है, एक अत्यन्त धनाढ्य परिवार में पैदा होता है तो दूसरा किसी कंगाल के घर ..... अपना अपना भाग्य!

चलते-चलते

कौन कहता है भारत में मँहगाई है?

संसद केंटीन के रेट्स देखिए और खुद बताइए कि क्या भारत में मँहगाई है!

चाय ..... रु.1

सूप ..... रु.5.50

दाल ..... रु.1.50

शाकाहारी थाली (दाल, सब्जी, 4 रोटी, चाँवल/पुलाव, दही और सलाद) ..... रु.12.50

मांसाहारी थाली ..... रु.22

दही चाँवल ..... रु.11

वेज पुलाव ..... रु.8

चिकन बिरयानी ..... रु.34

फिश करी और चाँवल ..... रु.13

राजमा चाँवल ..... रु.7

टोमेटो राइस ..... रु.7

फिश फ्राइ ..... रु.17

चिकन करी ..... रु.20.50

चिकन मसाला ..... रु.24.50

बटर चिकन ..... रु.27

प्रति चपाती ..... रु.1

प्रति प्लेट चाँवल ..... रु.2

दोसा ..... रु.Rs.4

प्रति कटोरी खीर ..... रु.5.50

फ्रुट केक ..... रु.9.50

फ्रुट सलाद ..... रु.7

उपरोक्त दर पर हमारे द्वारा निर्वाचित नेता खाना खा सकते हैं, हम नहीं ..... अपना अपना भाग्य!

Friday, April 8, 2011

ये हाल है हिन्दी का!

आज यदि हम अपने बच्चे यदि कहते हैं यह चौंतीस रुपये का है तो वह झट से पूछता है "चौंतीस याने कि थर्टी फोर" होता है ना? "दाहिना" या "दायाँ" और "बायाँ" क्या होता है उसे पता ही नहीं है वह तो "राइट" और "लेफ्ट" ही जानता है, गनीमत है कि "सीधा हाथ" और "उल्टा हाथ" कहने पर वह समझ लेता है। "राम" वह "रामा" कहता है। "माँ", "पिताजी" जैसे शब्दों का तो लोप ही हो चुका है, उनके स्थान पर "मम्मी", "ममी", "पापा", "डैडी", "डैड" जैसे शब्दों का ही प्रचलन जहाँ-तहाँ दिखाई देता है

तो ये हाल है हिन्दी का!

ऐसे में यदि हम अपने बच्चों से हाथ की अंगुलियों के नाम पूछें तो क्या वह बता पायेगा?

यदि हम उन्हें बताएँ भी कि -

  • जिसे हम साधारणतः अँगूठा कहते हैं उसका वास्तविक नाम अंगुष्ठ है।
  • अँगूठे के बाद वाली अंगुली का नाम तर्जनी है।
  • हाथ केबीच वाली अंगुली का नाम मध्यमा है।
  • बीच वाली अंगुली तथा सबसे छोटी वाली अंगुली के बीच वाली उंगली का नाम अनामिका है।
  • हाथ की सबसे छोटी अंगुली का नाम कनिष्ठा है।
तो दूसरे ही दिन वह उसे भूल जाता है।

बच्चों की बात छोड़िए, आज हमारे समाचार पत्रों, ब्लोगों, छपी हुई किताबों तक में भी चन्द्रबिन्दु नजर नहीं आता, उसके स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग होता है।

Thursday, April 7, 2011

शाकुन्त लावण्य

स्वच्छ नीले आकाश में उड़ती हुई चिड़ियाएँ हर किसी के मन को मोह लेती हैं। शाम के समय उद्यानों में पक्षियों का कलरव में शोर का अंश होते हुए भी एक अलग प्रकार की मधुरता होती है। रंग-बिरंगी चिड़ियाओं का अपना अलग ही मनमोहक सौन्दर्य होता है। पक्षियों के इस लावण्य को ही "शाकुन्त लावण्य" कहा जाता है। आजकर हिन्दी में चिड़िया के पर्याय में प्रायः पक्षी शब्द का प्रयोग होता है, खग शब्द का भी प्रयोग कर लिया जाता है किन्तु पक्षी के लिए हिन्दी में और भी बहुत से पर्यायवाची शब्द हैं, जो हैं - विहंग, विहग, विहंगम्, शकुन, शकुन्ति, शकुनि, शाकुन्त, द्विज, अण्डज आदि।

मेनका जब विश्वामित्र से उत्पन्न अपनी कन्या को वन में एक वृक्ष के नीचे छोड़ कर चली गई थी तो शाकुन्तों (पक्षियों) ने ही उसकी रक्षा की थी। कण्व ऋषि उस कन्या को अपने आश्रम में उठा ले आए थे और चूँकि शाकुन्तों (पक्षियों) ने ही उसकी रक्षा की थी, उसका नाम शकुन्तला रख दिया था। उसी शकुन्तला ने राजा दुष्यन्त से गन्धर्व विवाह किया था तथा उनके पुत्र भरत के महाप्रतापी होने के कारण ही हमारे देश का नाम भारतवर्ष हुआ।

उपरोक्त पर्यायों में एक पर्याय द्विज भी है। इस पोस्ट में यह उल्लेख करना कि द्विज शब्द 'द्वि' और 'ज' से बना है, अनुचित नहीं होगा। "द्वि" का अर्थ होता है 'दो' और "ज" (जायते) का अर्थ होता है 'जन्म होना' या 'जन्म लेना' अर्थात् जिसका दो बार जन्म हो उसे द्विज कहते हैं। द्विज शब्द का प्रयोग पक्षी के अलावा ब्राह्मण तथा दाँत  के लिये भी होता है क्योंकि पक्षी एक बार अंडे के रूप में जन्म लेता है और दूसरी बार पक्षी के रूप में, इसी प्रकार ब्राह्मण एक बार माता के गर्भ से शिशु के रूप में जन्म लेता है और दूसरी बार उपनयन संस्कार होने पर ब्राह्मण के रूप में और दूध के दाँत एक बार उगकर बाद में गिर जाते हैं तथा बाद में पुनः नए दाँत उगते हैं।

Wednesday, April 6, 2011

अद्भुत् है हिन्दी का शब्द भण्डार!


वैसे तो प्रत्येक भाषा में एक शब्द के लिए अनेक पर्याय मिलते हैं किन्तु हिन्दी में शब्दों के पर्यायों की संख्या अद्भुत् है। हिन्दी के कई शब्द तो ऐसे हैं जिनके पन्द्रह-बीस पर्याय तक मिलते हैं। उदाहरण के लिए पानी शब्द को ही लें तो पानी के वर्तमान में प्रचिलित पर्यायवाची शब्द हमें मिलते हैं - जल, नीर सलिल, वारि। इन प्रचलित शब्दों के अलावा कम प्रयोग होने वाले पानी के पर्यायवाची शब्द हैं - आपस्, वार्, वारि, अम्भः, अम्बु, शम्बर, मेघपुष्प, घनरस। नीर शब्द का प्रयोग हिन्दी काव्य में अनेक सुन्दर प्रयोग मिलते हैं जैसे कि -
  • नयन नीर पुलकित अति गाता!
  • कबिरा मन निर्मल भया, जैसे गंगा नीर!
  • प्रियतम तो परदेस बसे हैं, नयन नीर बरसाये रे!
  • मालव धरती गहन गंभीर, पग पग रोटी डग डग नीर!
हिन्दी काव्य में कमल शब्द के पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग भी बहुतायत से पाया जाता है। कमल के प्रचलित पर्यायवाची शब्द हैं - पद्म, नलिन, अरविन्द, राजीव, सरोरुह! कमल के कम प्रयोग होने वाले पर्यायवाची शब्द हैं - महोत्पल, सहस्रपत्र, शतपत्र, कुशेशय, पंकेरुह, तामरस, सारस, सरसीरुह, विसप्रसून, राजीव, पुष्कर, अम्भोरुह आदि।

देवनागरी की एक विचित्रता यह भी है कि एक ही शब्द के अनेक अनेक मिलते हैं जैसे कि "हरि" शब्द के अर्थ हैं - विष्णु, सूर्य, चन्द्र, इन्द्र, शुक्र, यम, यमराज, उपेन्द्र (वामन), पवन, वायु, किरण, सिंह, घोड़ा, तोता, सर्प, सांप, वानर और मेढक।

हरि शब्द के प्रयोग किए गए यमक अलंकार से युक्त इस दोहे का उदाहरण देखिए -

हरि हरसे हरि देखकर, हरि बैठे हरि पास।
या हरि हरि से जा मिले, वा हरि भये उदास॥

(अज्ञात)

इस दोहे का अर्थ है -

मेढक (हरि) को देखकर सर्प (हरि) हर्षित हो गया (क्योंकि उसे अपना भोजन दिख गया था)। वह मेढक (हरि) समुद्र (हरि) के पास बैठा था। (सर्प को अपने पास आते देखकर) मेढक (हरि) समुद्र (हरि) में कूद गया। (मेढक के समुद्र में कूद जाने से या भोजन न मिल पाने के कारण) सर्प (हरि) उदास हो गया।

तो है न हमारी हिन्दी गर्व करने योग्य भाषा! हमारी हिन्दी तो ऐसी समृद्ध भाषा है हमारी मातृभाषा हिन्दी! इस पर हम जितना गर्व करें कम है!!

चलते-चलते

डॉ. सरोजिनी प्रीतम की हँसिकाओं में यमक और श्लेष अलंकार के प्रयोगः

यमक अलंकार -

तुम्हारी नौकरी के लिए कह रखा था,
सालों से, सालों से।

श्लेष अलंकार -

क्रुद्ध बॉस से
बोली घिघिया कर
माफ कर दीजिये सर
सुबह लेट आई थी
कम्पन्सेट कर जाऊँगी
बुरा न माने गर
शाम को 'लेट' जाऊँगी।

Tuesday, April 5, 2011

जय दुर्गे मैया


(स्व. श्री हरिप्रसाद अवधिया रचित कविता)


जय अम्बे मैया,
जय दुर्गे मैया,
जय काली,
जय खप्पर वाली।

वरदान यही दे दो माता,
शक्ति-भक्ति से भर जावें;
जीवन में कुछ कर पावें,
तुझको ही शीश झुकावें।

तू ही नाव खेवइया,
जै अम्बे मैया।

सिंह वाहिनी माता,
दुष्ट संहारिणि माता;
जो तेरे गुण गाता,
पल में भव तर जाता।

तू ही लाज रखैया,
जय अम्बे मैया।

महिषासुर मर्दिनि,
सुख-सम्पति वर्द्धिनि;
जगदम्बा तू न्यारी,
तेरी महिमा भारी।

तू ही कष्ट हरैया,
जय अम्बे मैया।

(रचना तिथिः रविवार 12-10-1980)

Monday, April 4, 2011

स्वागत् हिन्दू नववर्ष!

गत हिन्दू वर्ष की अन्तिम अमावस्या की अंधेरी रात व्यतीत हो चुकी है। विक्रम विक्रम संवत् 2068 तथा शक संवत् 1933 के प्रथम दिवस अर्थात् चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के ऊषाकाल में भगवान भास्कर की प्रथम किरण ने भारतभूमि का स्पर्श कर लिया है। इसके साथ ही हिन्दू नववर्ष का आगमन हो चुका है। हिन्दू नववर्ष के स्वागत में पलाश के द्रुम चटक रक्तवर्ण पुष्पों से सुसज्जित हो गए हैं, आम्रमंजरियाँ आमफलों में परिवर्तित हो चुकी है, वृक्षों के कठोर सूखे पर्णों ने अपना स्थान त्याग दिया है और नवजात शिशु के गात की भाँति कोमल नव-पल्लवों ने उनका स्थान ले लिया है, पंकिल सलिल से सराबोर सरोवरों में पंकज खिल उठे हैं जिन पर गीत गाते हुए भ्रमर मँडराने लगे हैं, नववर्ष का नवप्रभात खगों के कलरव से कलरवयुक्त होने लगा है, धरा ने हरीतिमा का परिधान धारण कर सौन्दर्यमयी श्रृंगार कर लिया है, अम्बर धवल प्रकाश से सुशोभित होने लगा है, प्रकृति शक्तिरूपा होने लगी है, मन्दिरों के ऊपर के पावन पताके शीतल-मन्द-समीर के प्रवाह में मन्द-मन्द फहराने लगे हैं, उनके भीतर मधुर घण्टों की ध्वनि गूँज रही है तथा बाहर भक्तजनों की भीड़ बढ़ने लगी है!

वसन्त नवरात्रि का प्रारम्भ हो चुका है, शक्तिरूपी देवियों के मन्दिरों में असंख्य घृत एवं तैल ज्योति प्रज्वलित हो चुके हैं! शाक्त भक्त प्रार्थना करने लगे हैं

शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।
सर्वस्यार्त हरे देवि नारायणि नमो नमः॥

आज सृष्टि अपना एक अरब पंचानबे करोड़ अंठावन लाख पच्यासी हजार एक सौ बारहवाँ जन्म-दिवस मना रही है! इस मधुमास के आज ही के दिन भगवान श्री राम ने सिंहासनारूढ़ होकर राम-राज्य की स्थापना की थी।

इस हिन्दू नववर्ष का हम सभी के लिए मंगलमय और कल्याणकारी होने का संकेत इस बात से मिल ही चुका है कि इसने अपने आगमन से पूर्व ही हमें विश्वविजेता बनने का उपहार दे दिया है!

Sunday, April 3, 2011

नाग के फनों से ढँके शिवलिंग की आकृति वाला फूल - शिव कमल

प्रकृति ने मनुष्य को अनेक विचित्र देन दिए हैं जिनमें से एक है नाग के फनों से ढँके शिवलिंग की आकृति वाला फूल - शिव कमल! शिव कमल का पेड़ तटीय क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक एक वृक्ष होता है जिसमें नाग के फनों से ढँके शिवलिंग की आकृति वाले फूल खिलते हैं। शिव कमल का वनस्पतीय नाम Couroupita guianensis है तथा इस सामान्यतः Ayahuma और Cannonball Tree के नाम से जाना जाता है।

 शिव कमल या शिवलिंग फूल को तमिल में नागलिंगम, बंगाली में नागकेशर, कन्नड़ में नागलिंग पुष्प और तेलुगु में नागमल्ली तथा मल्लिकार्जुन पुष्प के नाम से जाना जाता है। हिन्दूओं के बीच इस फूल को अत्यन्त पावन माना हैं और प्रायः शिव मन्दिरों में इसके वृक्षों को लगाया जाता है।