Saturday, October 3, 2009

पप्पू का प्रश्न खुशदीप अंकल से

(खुशदीप जी, नाराज मत होना अपुन तो आप ही का बताया फंडा इस्तेमाल कर रहे हैं।)


खुशदीप जी ने अपनी टिप्पणी में हमें बतायाः

...और ये पप्पू तो अभी से ही ब्लॉगिंग के टिप्स, टिप्पणियों के तरीके... कंप्यूटर का ज्ञान... पता नहीं क्या-क्या
तेजी के साथ सीख रहा है।

जैसे मदारी साँप और नेवले की लड़ाई दिखाने की बात कह कर और डुगडुगी बजा कर मजमा इकट्ठा कर लेता है और बाद में साँप नेवले की लड़ाई दिखाने के बदले ताबीज बेचना शुरू कर देता है वैसे ही हमने भी ऊपरोक्त बातें लिखकर आप लोगों की भीड़ इकट्ठा किया है क्योंकि हमें भी अपनी ताबीज बेचना है। घबराइये नहीं भाई हम पप्पू के प्रश्न पर भी आयेंगे पर थोड़ा धैर्य धारण कीजिए, ताबीज बेचने के रूप में थोड़ा सा हमे झेलिए।

अब हम यदि पहले कहते कि कल हमारा धंधा मंदा रहा, हमारे नियमित पाठक भी हमें पढ़ने नहीं आए तो क्या आप यहाँ आते? अरे, आना क्या झाँकते भी नहीं हुजूर। खैर, हमें पढ़ना तो क्या, कल किसी ने भी किसी को शायद ही पढ़ा होगा। हमने ही कल एक दो लोगों को छोड़ कर किसी को नहीं पढ़ा, आखिर सभी जगह गांधी ही गांधी होगा तो उन्हें पढ़ने कौन जाए? सभी जगह वही घिसे पिटे महात्मा और वही राष्ट्रपिता के सिवाय कुछ और पढ़ने के लिए मिलेगा क्या? खैर, हमें कल अविनाश वाचस्पति जी और राजकुमार ग्वालानी जी के पोस्ट क्रमशः "गर महात्मा गांधी जी ने अपना हिन्दी ब्लोग बनाया होता?" और "गांधी को युवाओं से सरोकार नहीं" पसंद आया। पर हमें नहीं लगता कि गांधी जी अपना हिन्दी ब्लोग बनाते। भई बनाना ही होता तो अपनी खुद की ईजाद की गई "बादशाह राम" और "बेगम सीता" वाली हिन्दुस्तानी भाषा का ही ब्लॉग बनाते, हिन्दी से उन्हे क्या लेना देना था। अस्तु, हमने अपनी पसंद के दोनों लेखों के लिंक यहाँ पर दे दिया है और आप यदि पसंद करें तो उन्हें पढ़ सकते हैं पर शर्त यह हैं कि वहाँ पर हमारी टिप्पणी को भी आपको पढ़ना होगा। तो देखा आपने कि कैसे हमने भी अपनी टिप्पणी वाली ताबीज बेचना शुरू कर दिया।

चलिए अब आते हैं पप्पू के प्रश्न पर।

खुशदीप जी पप्पू को लेकर गार्डन में घूमने के लिये गये। वहाँ पर एक आदमी, जिसकी तोंद निकली हुई थी, को देख कर पप्पू ने पूछा, "अंकल, अंकल, उस आदमी का पेट इतना बड़ा क्यों है?" खुशदीप जी ने बताया, "बेटा पप्पू, वो 'उद्योगपति' है। उद्योगपतियों के पेट बहुत बड़े हो जाते हैं।"

थोड़ी देर के बाद पप्पू ने एक गर्भवती महिला को देखा और बोला, "अंकल, अंकल, देखिए एक और उद्योगपति!"

खुशदीप जी ने भन्ना कर कहा, "चुप बे, वो 'पतिउद्योग' है।"

Friday, October 2, 2009

गांधी देशभक्त ... सुभाष बंगालभक्त(?) ... और भगतसिंह?

गांधी जयन्ती के दिन देश भर में अवकाश रखा जाता है और सुभाषचन्द्र बोस के जन्मदिन सिर्फ बंगाल में। तो इस प्रकार से गांधी देशभक्त हुए और सुभाषचन्द्र बोस बंगालभक्त। मैं पूछता हूँ कि यदि गांधी ने देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया तो क्या सुभाषचन्द्र बोस ने सिर्फ बंगाल की स्वतन्त्रता के लिए ही संघर्ष किया? अब भगतसिंह के जन्मदिन में तो कहीं अवकाश ही नहीं रहता तो क्या भगतसिंह ने देश के लिए कुछ भी नहीं किया?

कल ही मैंने एक पोस्ट पढ़ा है "शहीद भगतसिंह पर भारी लता मंगेषकर!!!" और मैंने वहाँ पर टिप्पणी की थीः

"इसमें किसी अखबार का दोष नहीं बल्कि हमारी शिक्षा पद्धति का दोष है। हमें बचपन से जो बताया और सिखाया जाता है वह हमारे लिए नींव का पत्थर है।

क्या बताया और सिखाया गया है कल याने दो अक्टूबर को खुद ही दिख जाएगा। भगतसिंह, चन्द्रशेखर आजाद का स्वतन्त्रता प्राप्ति में योगदान गांधी से कम रहा होगा। स्वतन्त्रता तो क्रान्ति से नहीं अहिंसा से मिली(?)"
गांधी का सम्मान गर्व की बात है पर सुभाषचन्द्र बोस, भगतसिंह, चन्द्रशेखर आजाद आदि हमारे क्रान्तिकारी वीरों को गौण रखना मुझे दुःखी करता है।

स्कूलों में प्रतिदिन महात्मा 'गांधी की जै' के नारे लगवाना और अन्य क्रान्तिकारी वीरों को कभी कभार ही स्मरण करना या बिल्कुल विस्मृत कर देना क्या उचित है?

ब्रिटिश शासन को गांधी से डर नहीं था डर था तो क्रान्तिकारियों से और इसीलिए अंग्रेजों ने खुद ही गांधी की लोकप्रियता बढ़ाई। ब्रिटिश शासन ने क्रान्तिरूपी रेखा को छोटी बताने के लिए उसके सामने गांधीरूपी बड़ी रेखा खींच दी।

सत्ता पाने और सत्ता में बने रहने के लिए कांग्रेस ने शुरू से ही गांधी की लोकप्रियता को भुनाया और आज तक भुना रही है। गांधी एक नाम है जो कि वोट दिलाती है। शायद इसीलिए भाजपा जैसी पार्टी ने भी गांधीवाद को समर्थन देना उचित समझा।

गांधी जयन्ती के दिन शासन के द्वारा शराब दूकानें और कसाईखाने बन्द क्यों करवा दी जाती हैं? क्या ऐसा करने से लोगों के मन में गांधी के प्रति श्रद्धा और आस्था जागती है? कांग्रेस शासन तो खैर अपने स्वार्थ के लिए ऐसा करती है किन्तु छत्तीसगढ़ में भाजपा शासन का ऐसा करने के पीछे क्या कारण है?

गांधी जयन्ती के दिन शासन के द्वारा शराब दूकानें और कसाईखाने बन्द करवाना गांधी का अपमान करना है क्योंकि लोग इससे गांधी जी के सिद्धांत को अपना कर मांस-मदिरा का त्याग नहीं कर देते वरन छुपकर सेवन करते हैं।

आज गांधी जयन्ती के दिन मैं उनका हार्दिक सम्मान करता हूँ किन्तु मैं यह भी चाहता हूँ कि हमारे क्रान्तिकारी वीरों को भी उनका उचित सम्मान मिले़, उनके साथ जो अन्याय हो रहा है वह खत्म हो।

Thursday, October 1, 2009

स्पैम याने कि कचरा टिप्पणी क्या होती है

इंटरनेट से सम्बन्धित एक शब्द है स्पैम। स्पैम का अर्थ है रद्दी या कचरा। इंटरनेट में कुछ दुष्ट प्रकृति के विघ्नसन्तोषी लोग दो प्रकार के कार्य करते हैं पहला स्पैम ईमेल भेजना और दूसरा स्पैम टिप्पणी करना इनका कार्य ही है नेट में यहाँ वहाँ कचरा फैलाते रहना।

स्पैम ईमेलः स्पैम ईमेल याने कि अवांछित ईमेल तो आप लोगों के पास भी बहुत से आते होंगे और जाहिर है कि जबरन के ये ईमेल आपको सिर्फ क्रोध ही दिलाते होंगे।

स्पैम टिप्पणीः स्पैम याने कि कचरा टिप्पणी वह होती है जिसका ब्लॉग के विषयवस्तु के साथ किसी भी प्रकार का सम्बन्ध नहीं होता। ये टिप्पणीयाँ या तो प्रचार के लिए होती हैं या फिर लोगों को परेशान करके तमाशा देखने के लिए। नीचे देखिए मेरे अंग्रेजी ब्लॉग Positive Musing के पोस्ट्स में आए हुए कुछ स्पैम कमेंट्स का स्क्रीनशॉटः

पर इन स्पैम कमेंट्स को हमारे वर्डप्रेस का एकिस्मेट प्लगिन आराम से झेल लेता है और हमें परेशान करने से बचा लेता है।

हिन्दी ब्लॉग जगत का वातावरण बहुत साफ है क्योंकि हिन्दी ब्लॉग में ऊपर दिखाए स्क्रीनशॉट जैसे कचरा टिप्पणियाँ नहीं आती किन्तु विगत कुछ दिनों से हिन्दी में भी कचरा टिप्पणियाँ आनी शुरू हो गई हैं। उदाहरण के लिए देखें श्री सुरेश चिपलूनकर के पोस्ट "यदि कांग्रेस खत्म हो जाये, तो हिन्दू-मुस्लिम दंगे नहींहोंगे…- सन्दर्भ मिरज़ के दंगे Miraj Riots & Communal Politics by Congress" की टिप्पणी का स्नैपशॉटः

इस टिप्पणी को पढ़ने से ज्ञात होता है कि इसका पोस्ट के विषयवस्तु से किसी प्रकार से भी सम्बन्ध नहीं है और यह टिप्पणी केवल प्रचार करने के साथ ही साथ अन्य लोगों को परेशान करने के लिए ही की गई है।

ब्लोगर में वर्डप्रेस के एकिस्मेट जैसा कोई भी प्लगिन नहीं है जो कि ऐसी टिप्पणियों को झेल ले किन्तु टिप्पणी मॉडरेशन सक्षम करके ऐसी टिप्पणियों से अवश्य बचा जा सकता है।

चलते-चलते

हमें "लिखता क्या है अपने आप को ब्लोगर शो करता है" कहने वाले हमारे मित्र आ धमके हमारे पास।

हमने उनसे पूछा, "क्यों यार! याद है तीसेक साल पहले हम दोनों काश्मीर गए थे?"

"बिल्कुल याद है।"

"और वहाँ किसी होटल में जगह नहीं मिलने के कारण हम लोग एक धनवान विधवा के गेस्ट हाउस में ठहरे थे।"

"हाँ भई"

"उस विधवा ने इसी शर्त पर ठहरने दिया था कि गेस्ट हाउस से लगे उस विधवा के कमरे में हम दोनों में से कोई भी नहीं जायेगा।"

"बिल्कुल, बिल्कुल, मुझे आज भी याद है कि बड़े मजे में हमारी रात गुजर गई थी।"

"अबे, हमारी नहीं तेरी रात मजे में गुजरी थी क्योंकि तू उसके कमरे में गया था।"

"अरे नहीं गया था यार।"

"झूठ मत बोल, तू गया था। और जब उसने तुझसे तेरा नाम-पता पूछा था तो तूने उसे अपनी जगह मेरा नाम और पता बता दिया था।"

"चल मान लेता हूँ कि तू सही कह रहा है। पर इतने साल बीत जाने पर तू आज ये सब क्यों पूछ रहा है?"

"उस धनवान विधवा के वकील की चिट्ठी आई है मेरे पास इसलिए पूछ रहा हूँ ।"

अब मित्र ने कुछ कुछ परेशानी के स्वर में पूछा, "क्या लिखा है चिट्ठी में?"

"यही कि वो स्साली धनवान विधवा मर गई है और वसीयत में अपनी सारी जायजाद मेरे नाम कर गई है।"

Wednesday, September 30, 2009

5 टिप्स टिप्पणी के

सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि टिप्पणी है क्या चीज? किसी के विचार को जानने के बाद प्रतिक्रियास्वरूप उत्पन्न अपने विचारों से अन्य लोगों को अवगत कराना ही टिप्पणी है।

किसी भी लेख को पढ़ने के तत्काल बाद ही हमारे मन में भी उस लेख के विषयवस्तु के सम्बन्धित कई प्रकार के विचार उठने लगते हैं और हम चाहने लगते हैं कि अपने मन में उठने वाले इन विचारों से पढ़े गए लेख के लेखक के साथ ही साथ अन्य लोगों को भी अवगत कराएँ। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। और हम अपने उन विचारों से टिप्पणी के द्वारा ही अन्य लोगों को अवगत कराते हैं।

पत्र-पत्रिकाओं में टिप्पणी करने की सुविधा उपलब्ध नहीं होती क्योंकि पत्र-पत्रिकाएँ एकतरफा संवाद वाली माध्यम है किन्तु ब्लॉग में हम इस सुविधा का अवश्य इस्तेमाल कर सकते हैं। ब्लॉग की सबसे बड़ी विशेषता है इसका दोतरफा संवाद वाला माध्यम होना।

5 टिप्स टिप्पणी के

1. अपनी टिप्पणी में मुख्य लेख की विषयवस्तु से सम्बन्धित विचारों का ही उल्लेख करें, विषयान्तर न होने दें।

2. अपनी टिप्पणी में सदैव शालीनता का ध्यान रखें। अभद्र भाषा का प्रयोग कदापि न करें।

3. अपनी टिप्पणी में कभी भी व्यक्तिगत आक्षेप को स्थान न दे।

4. ऐसी टिप्पणी न करें जिससे कि किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचे।

5. हमेशा ध्यान रखें कि टिप्पणी आप किसी अन्य के ब्लॉग में कर रहे हैं अतः टिप्पणी के माध्यम से कभी भी गलत बातों का प्रचार न करें। वैसे टिप्पणी के माध्यम से प्रचार को प्रायः बुरा नहीं समझा जाता किन्तु यदि आपका प्रचार ब्लॉग के मालिक को यदि पसंद नहीं आता तो वह आपकी टिप्पणी को मिटा सकता है।

चलते-चलते

"बीएसपी (बी एस पाबला) एंड केडीएस (खुशदीप सहगल) फ्री स्माइल्स कंपनी" के फ्लॉप हो जाने पर खुशदीप सहगल जी ने अपनी स्लॉग ओवर की दुकान खोल ली। एक स्लॉग ओवर सुनाने की फीस मात्र रु.100.00 ! हँसाने की पूरी पूरी गारंटी!! हँसी न आने पर रु.100.00 के बदले में रु.10,000.00 वापस!!!

लोग रु.100.00 के बदले में रु.10,000.00 पाने की आस लिए आते थे पर खुशदीप जी ने भी कच्ची गोलियाँ नहीं खेली थी, ऐसे ऐसे स्लॉग ओवर्स सुनाते कि सुनने वाला हँसने के लिए मजबूर हो जाता था। दुकान जोर-शोर से चल निकली।

एक दिन खुशदीप जी के पास एक खूँसट बुड्ढा (जी.के. अवधिया टाइप का) ग्राहक आया। खुशदीप जी ने अपनी फीस वसूल करने के बाद एक जोरदार स्लॉग ओवर बुड्ढे को सुनाया। पर ये क्या? आश्चर्य! बुड्ढा हँसा ही नहीं। मायूस होकर खुशदीप जी ने बुड्ढे को रु.10,000.00 दे दिए।

दूसरे रोज शाम को खुशदीप जी किसी काम से घर से बाहर निकले तो रास्ते में एक शवयात्रा दिखी। पता चला कि मरने वाला कल वाला बुड्ढा ही है।

खुशदीप जी ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा, "अरे कल शाम को तो ये अच्छे भले थे। कैसे मर गए?"

जवाब मिला, "अजी साहब, कुछ मत पूछिए, कुछ देर पहले इन्हें बड़ा अजीब सा दौरा पड़ा। ताली पीट-पीट कर जोर जोर से कहते थे 'अब समझ में आया', 'अब समझ में आया' और हँसते जाते थे। बस हँसते हँसते ही इनके प्राण निकल गए।"

Tuesday, September 29, 2009

आखिर ये ब्लॉगवाणी पसंद है क्या बला जिसके कारण इतना बवाल मचा

आप सभी ने देखा होगा कि ब्लॉगवाणी में दिखने वाले सभी लेख के आगे एक बटन होता है जिसमें "पसंद" लिखा होता है और एक संख्या दिखती रहती है। यह बहुत ही काम का बटन है क्योंकि किसी भी लेख के आगे के बटन को क्लिक करके आप दर्शा सकते हैं कि वह लेख आपको पसंद आया है। ज्योंही आप बटन पर क्लिक करते हैं, बटन में दिखाई देने वाली संख्या एक अंक से बढ़ जाती है। इस बटन की सहायता से आप केवल अपनी पसंद दर्शाते हैं बल्कि उस लेख के लेखक को प्रोत्साहन भी देते हैं। भला ऐसा कौन लेखक होगा जो कि अपने लेख को अधिक से अधिक लोगों के द्वारा पसंद किए जाते देख कर खुश न होगा? उस लेखक को न केवल खुशी मिलती है बल्कि और भी अच्छे लेख लिखने की प्रेरणा भी मिलती है।

यह पसंद बटन एक और भी महत्वपूर्ण कार्य करता है वह है अधिक पसंद किए जाने वाले लेखों को ब्लॉगवाणी के दाँईं ओर के हाशिये में बने "आज अधिक पसंद प्राप्त" कॉलम में ले जाने का और वहाँ पर उसे पसंद की संख्या के अनुसार क्रम देने का। याने कि अधिकतम पसंद किए गए लेख को सबसे ऊपर और कम पसंद किए गए लेखों को क्रमवार उसके नीचे लाने का। जाहिर है कि जिस लेख को बहुत से लोगों ने पसंद किया हो उसे आप भी पढ़ना चाहेंगे। हो सकता है कि वह लेख ब्लॉगवाणी के पहले पेज से निकलकर दूसरे, तीसरे और भी आगे के पेज में पहुँच गया हो पर उसे पढ़ने के लिए आपको ब्लॉगवाणी के पेजेस को खंगालना नहीं पड़ता क्योंकि "आज अधिक पसंद प्राप्त" में ही उस लेख को क्लिक करने से वह लेख आपके समक्ष होता है। मैं तो ब्लॉगवाणी खोलते ही सबसे पहले "आज अधिक पसंद प्राप्त" को ही देखता हूँ और बहुत से लेखों को पढ़ जाता हूँ। मेरे जैसे ही और भी बहुत से लोग होंगे। खैर, मैं आपको यही बताना चाहता हूँ कि यह ब्लॉवाणी पसंद बटन बड़े काम की चीज है। मेरा तो विश्वास है कि भविष्य में यह हिन्दी के लेखों की लोकप्रियता का एक मानदंड बन जाएगा!

यह बटन ब्लॉगवाणी सॉफ्टवेयर का एक हिस्सा है और स्वतः ही (ऑटोमेटेड) कार्य करता है। तो इसी बटन की निष्पक्षता पर सन्देह उठने के कारण ही सारा बवाल मचा।

प्रसन्नता की बात यह है कि बवाल अब शान्त हो चुका है। ब्लॉगवाणी बन्द हुई और पुनः शुरू हो गई। हम कामना करें कि भविष्य में इस प्रकार का कोई बवाल फिर कभी न उठ पाए।

बहुत से लोग लेखों को पसंद तो करते हैं किन्तु इस बटन का प्रयोग नहीं करते। यदि आप किसी लेख को पसन्द करते हैं तो उसके लेखक को प्रोत्साहित करना भी आपका नैतिक कर्तव्य होता है। इसलिए मेरा आप सभी से अनुरोध है कि आप बटन का बेझिझक प्रयोग करें और अपने प्रिय लेखकों को प्रोत्साहित करें।

अन्त में सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा कि ब्लॉवाणी टीम ने अपने ब्लॉग में बताया है कि निकट भविष्य में ही वे हमें एक नई ब्लॉवाणी देने जा रहे जिसमें और भी बहुत सी सुविधाएँ उपलब्ध होंगी और हिन्दी के पाठको की संख्या बढ़ाने पर भी ध्यान दिया जायेगा।

शाबास ब्लॉगवाणी पसंद ... तेरे पास होगा अब निराला ढंग

गम छोड़ के मनाओ रंगरेली ...

देर आयद दुरुस्त आयद।

खुशखबरी मिल चुकी है ... ब्लॉवाणी फिर शुरू हो चुका है ...

धन्यवाद ब्लॉगवाणी!!!

ब्लॉगवाणी ने अपने प्रशंसकों और समर्थकों के अनुरोध को स्वीकार कर उनकी मनोभावनाओं का सम्मान किया इसके लिए ब्लॉगवाणी को कोटिशः धन्यवाद!

अस्थाई ब्लॉगवाणी जारी रखते हुए एक नये और बेहतर ब्लॉवाणी की शुरुवात की घोषणा बहुत ही बुद्धिमत्तापूर्ण तथा स्वागतेय कार्य है।

निकट भविष्य में होगी एक नई ब्लॉगवाणी पसंद ... जिसका होगा काम करने का निराला ढंग!

मैं ब्लॉवाणी टीम की सहनशीलता, विवेकशीलता और भलमनसाहत को नमन् करता हूँ।

Monday, September 28, 2009

वाह रे ब्लॉगवाणी पसंद ... तूने ही कर दिया ब्लॉगवाणी बंद

ऐसा लगता है कि शायद ब्लॉगवाणी टीम को दिनभर किसी के ब्लोग की पसंद की संख्या बढ़ाने और किसी के ब्लोग की पसंद की संख्या बढ़ने से रोकने के सिवाय और कुछ काम ही नहीं रहता था। ब्लॉगवाणी शायद ऑटोमेटेड सॉफ्टवेयर न होकर मेनुअल वर्क रहा होगा कि जिसे चाहे आगे बढ़ाना है बढ़ा लें और जिसे चाहे पीछे धकेलना है धकेल दें। या फिर यदि ब्लॉगवाणी शायद ऑटोमेटेड सॉफ्टवेयर रहा होगा तो हन्ड्रेड परसेंट परफैक्ट रहा होगा जिससे कि कभी किसी प्रकार की गलती होती ही नहीं रही होगी।

मैं प्रोग्रामर तो नहीं हूँ पर इतना अवश्य जानता हूँ कि किसी भी सॉफ्टवेयर में कभी भी खामी आ सकती है। कोडिंग में जरा सी त्रुटि हुई कि गड़बड़ी शुरू। कोडिंग की त्रुटि कई बार अपने आप भी आ जाती है, कोई जानबूझ कर गलती नहीं करता। यह मैं अपने अनुभव के आधार पर कह रहा हूँ क्योंकि मैंने भी कुछ स्क्रिप्ट्स का प्रयोग किया है और कॉन्फिगरेशन्स सही करने तथा गलतियाँ रोकने में मुझे दाँतों पसीना आ चुका है।

जब ब्लॉगवाणी किसी के ब्लॉग को दिखाने के लिए कोई शुल्क भी नहीं लेता था तो क्या अधिकार था किसी को उसकी आलोचना करने की? यदि ब्लॉगवाणी में इतनी ही खामियाँ नजर आती थीं तो हटा लेते वहाँ से अपने ब्लॉग को और कभी भी मत खोलते ब्लॉगवाणी को अपने कम्प्यूटर में।

किसी के ब्लॉग की पसंद की संख्या बढ़ने से रुक जाए तो ब्लॉवाणी क्यों जवाबदेह हो? और यदि जवाब न मिले तो ब्लॉगवाणी को जनतांत्रिक तरीके से काम करने के विरुद्ध समझा जाना कहाँ तक उचित है? एक अच्छे कार्य में गलतियों पर गलतियाँ निकाल कर उन्हें इस प्रकार से बताना कि अच्छे काम को करने वाले के मर्म को ही छेदने लगे कहाँ तक जायज है?

ब्लॉगवाणी टीम की सबसे बड़ी गलती यही थी कि वे एक अच्छा कार्य कर रहे थे। और बन्धुओं, अच्छा कार्य करने में नेकनामी नहीं हमेशा बदनामी ही मिला करती है।

असत्य पर सत्य की विजय?????



सत्‌युग!!!! .....


सत्य ही सत्य!!!!!



त्रेता!!!!?
.....

असत्य पर सत्य की विजय!!!!!

"शानदार विजय हुई।"



द्वापर!!!?? .....

असत्य पर सत्य की विजय!!!??

"विजय हुई किन्तु असत्य की सहायता से"

"कैसे?"

"युधिष्ठिर उवाच् - 'अश्वत्थामा हतो ...' "



कलियुग????? .....

असत्य पर सत्य की विजय?????

"हो ही नहीं सकती"

"अरे होती है भई!"

"कहाँ?"

"हमारी कल्पना में (विजयादशमी के दिन)

और

हमारे राष्ट्रीय नारे में

॥सत्यमेव जयते॥"

Sunday, September 27, 2009

अपने ब्लोग के अक्षरों को बड़ा कैसे करें

मैने देखा है कि बहुत से हिन्दी ब्लोग्स में अक्षर इतने छोटे होते हैं कि पढ़ने में तकलीफ होने लगती है। यह सत्य है कि इसमें हमारे ब्लोगर बन्धुओं की कहीं भी कोई गलती नहीं है क्योंकि उन्हें तो बना बनाया ब्लोग टेम्प्लेट ही मिलता है और उनमें फोंट की साइज नियत रहती है। हाँ यह जरूर है कि हमारे ब्लोगर साथियों को यह जानकारी यदि मिल जाए कि फोंट साइज कैसे बढ़ाया जाए तो वे अपने ब्लोग के अक्षरों का आकार अवश्य बड़ा कर सकते हैं। मैं इस पोस्ट को यही जानकारी देने के लिए लिख रहा हूँ।

यहाँ पर मैं ब्लोगर के ब्लोग टेम्प्लेट्स की ही बात करूँगा क्योंकि हमारे अधिकांश हिन्दी ब्लोग ब्लोगर में ही स्थित हैं।

ब्लोगर में फोंट साइज को निम्न तरीके से बढ़ाया जा सकता हैः

ब्लोगर खाते में लागिन करें।

डैशबोर्ड में जिस ब्लोग के अक्षरों को बढ़ाना है उसके लेआउट को क्लिक करें।

नये खुलने वाले विंडो में "एडिट एचटीएमएल" को क्लिक करें।

यहाँ दिखने वाले बॉक्स में है आपके ब्लोग के टेम्प्लेट का पूरा कोड! सबसे पहले इसकी एक कॉपी बना कर रख लें अर्थात् बैकअप ले लें ताकि यदि कोई गलती हो जाए तो फिर से पुराना कोड वापस डाल सकें।

अब उस कोड में वहाँ चले जाइए जहाँ

body {

लिखा हो।

इसके नीचे आपको कहीं पर font या font-size या text-font लिखा हुआ मिलेगा जिसके आगे फोंट का साइज या तो पिक्सल्स में (जैसे कि 9 या 10) या फिर यह प्रतिशत में (जैसे कि 90%) लिखा दिखेगा। यदि यह पिक्सल्स में है तो इसे 14 और यदि यह प्रतिशत में है तो इसे 100% करके सेव्ह टेम्प्लेट बटन को क्लिक कर दें।

बस हो गया आपका काम!