Friday, December 5, 2008

किसके प्रति रोष है लोगों का?

मुंबइ के हादसे के बाद लोगों में रोष तो है पर किसके प्रति है? आतंकवाद के प्रति या पाकिस्तान के प्रति या राजनीतिबाजों के प्रति या फिर स्वयं अपने ही प्रति कि आखिर हम क्यों कुछ कर नहीं पाये। सब कुछ गडमड सा हो गया है।

मानसिक हलचल में एकदम सही प्रश्न उठाया गया है कि आखिर घायलों के प्रति किसे सहानुभूति है। उनका हालचाल जानने के लिये न तो मोमबत्तियाँ जलाने वाले ही गये और न ही मीडिया गई। मीडिया तो सिर्फ लोगों के रोष को और भी हवा देने में लगी हुई है। लोगों और राजनीतिबाजों के बीच टकराव करवा के उन्हें नई नई स्टोरीज़ जो मिलेंगी। चौबीसों घंटे उन्हें अपना चैनल चलाना है तो दिखाने के लिये नई स्टोरीज़ भी तो चाहिये न?

रोष में आने से या फिर आपस मे कलह करने से कुछ भी नहीं होने वाला है। अब तो भैया यह सोचना है कि जो कुछ भी हुआ है वह फिर से भविष्य में फिर से न हो। भविष्य में आतंकवादी हमारी तरफ नजरें उठा कर देख भी न पायें। और यह तभी हो सकता है जब हम सभी मिलकर एक जुट हो पायेंगे।

Thursday, December 4, 2008

आम लोगों के लिये पेट्रोल महंगा क्यों?

संसार भर में मंदी के चलते कच्चे तेल की कीमत में भारी गिरावट आ गई है। जब कच्चे तेल की कीमत 147 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी तो सरकार ने, यह कहकर कि कीमतें न बढ़ाने पर तेल कंपनियां तबाह हो जाएंगी, पेट्रोल-डीजल के दाम को बढ़ा दिया था। किन्तु आज जब कच्चे तेल की कीमत 48 डॉलर प्रति बैरल से भी कम हो चुकी हैं तो सरकार आज भी तेल कंपनियों को बढ़े दामों में पेट्रोल-डीजल क्यों बेचने दे रही है। तेल कंपनियाँ रु.35.00 की खरीदी वाले पेट्रोल को रु.50.00 प्रति लीटर में बेच रही हैं यानी कि 40% से भी अधिक मुनाफा कमा के।

जब दाम बढ़ने पर लोगों को पेट्रोल डीजल को महंगा किया जाता है तो कीमत घट जाने पर क्या सस्ता नहीं करना चाहिये?

Wednesday, December 3, 2008

प्लीज मुझे बचा लो मैं मरना नहीं चाहता

जब दूसरों की जान से खेलने वाले की अपनी जान पर बन आती है तो वह यही कहता है "प्लीज मुझे बचा लो। मैं मरना नहीं चाहता।" यही शब्द जिंदा पकड़े जाने वाले आतंकवादी के भी थे। अपनी जान बख्श देने की मिन्नत करते वक्त जरूर उसके जेहन में कहीं न कहीं रहा होगा कि ये लोग तो भारतीय हैं। सभी पर दया करने वाले। इन्हें तो हमेशा " अहिंसा परमो धर्मः" ही याद रहता है। पर उसे क्या पता कि गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन को यह उपदेश भी दिया है कि "जो तुझे मारे तू उसे मार!"

इन आतंकवादियों को तो यही लगता है कि "उनका खून खून है और दूसरों का पानी।"

अब उसे बचाया तो जरूर गया है किन्तु दया करके नहीं बल्कि कूटनीति के जन्मदाता चाणक्य की दी गई शिक्षाओं पर अमल करने के लिये। यह पता करने के लिये कि 170 से भी अधिक लोगों, जिनमें 40 मुस्लिम तथा 10 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं, की जान से खेलने वालों के सहायकों में पाकिस्तानी सरकार भी है या नहीं या फिर पाकिस्तान, जैसा कि वह कहता है, वाकइ में निर्दोष है। और यदि पाकिस्तान उनके सहायकों में से है तो अब अपनी गलती को सुधारने के लिये अपराधियों को भारत के हवाले करता है या नहीं।

Monday, December 1, 2008

नेता जी का नियुक्तिपत्र

नेता जी ने माइक्रोसॉफ्ट के किसी पद में आवेदन के लिये अपना बायोडाटा भेजा।

कुछ रोज बाद उन्हें जवाब मिला जो कि नीचे दिया जा रहा हैः

Dear Mr. Neta Ji,

You do not meet our requirements. Please do not send any further correspondence.
No phone call shall be entertained.

Thanks
Bill Gates.

इस जवाब को पढ़कर नेता जी खुशी से उछल पड़े। उन्होंने तत्काल प्रेस कांफ्रेंस बुला कर कहा, "आप लोगों को जान कर खुशी होगी कि हम को अमरीका में नौकरी मिल गई है। अब हम आप सब को अपना नियुक्ति पत्र पढ़ कर सुनाते हैं। पर पत्र अंग्रेजी में है इसलिये साथ साथ हिन्दी में अनुवाद भी करते जायेंगे।

"Dear Mr. Neta Ji ----- प्यारे नेता जी

"You do not meet -----आप तो मिलते ही नहीं हैं

"our requirement ----- हमको जरूरत है

"Please do not send any further correspondence ----- अब लेटर वेटर भेजने की कोई जरूरत नहीं।

No phone call ----- फोन करने की भी जरूरत नहीं है

shall be entertained ----- बहुत खातिर की जायेगी।

Thanks ----- आपका बहुत बहुत धन्यवाद!

Bill Gates. ---- बिल गेट्स"