Saturday, January 28, 2012

वसन्त पंचमी - वसन्त ऋतु का जन्मदिवस

प्रज्वलित अंगारों की भाँति पलाश के पुष्प! पर्णविहीन सेमल के विशाल वृक्षों की फुनगियों पर खिले रक्तवर्ण सुमन! मादकता उत्पन्न करने वाली मंजरियों से सुशोभित आम्रतरु! अनेक रंग के कुसुमों से आच्छादित लता-विटपों से सुशोभित एवं भाँति-भाँति के पक्षियों की मनोहारी स्वर लहरियों से गुंजित वन-उपवन! चहुँ ओर प्रवाहित होती शीतल-मन्द-सुवासित समीर! पवन झकोरों की मार से गिरे रंग-बिरंगे पुष्पों सुशोभित धरा! पीत-प्रसून आच्छादित सरसों के खेत। कहीं दूर से सुनाई देती कोकिला की कूक! कलकल नाद करती मन्द गति से प्रवाहित सरिताएँ! खिले हुए कंज एवं कुमुद से सुशोभित सरोवर!


वसन्त ऋतु की उपरोक्त विशेषताएँ ही उसे ऋतुराज बना देती हैं। समस्त छः ऋतुओं, वसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त और शिशिर, में वसन्त का ही गुणगाण हमारे प्राचीन गंथों में सर्वाधिक मिलता है। वसन्त ऋतु में मानव-हृदय मादकता एवं उद्दीप्त कोमल भावनाओं से भर उठता है। यही कारण है कि प्राचीनकाल से ही हमारे देश में वसन्त ऋतु में वसन्तोत्सव एवं मदनोत्सव मनाने की प्रथा रही है। प्राचीन काल के नगरों में मदनोद्यान बना होता था जिसका निर्माण विशेष रूप से मदनोत्सव मनाने के उद्देश्य से ही करवाया गया होता था। इस मदनोद्यान के मध्य में भगवान कामदेव का मन्दिर हुआ करता था। मदनोत्सव के दिन इसी मदनोद्यान में नगर के समस्त स्त्री-पुरुष एकत्र होते, फूल चुनकर हार बनाते, एक दूसरे पर अबीर-कुंकुम डाल कर क्रीड़ा करते और नृत्य-संगीत आदि का आयोजन कर मनोविनोद किया करते थे। प्रातःकाल से ही लोगों का मदनोद्यान में आना आरम्भ हो जाता था जो कि सांयकाल तक अबाध गति से चलते रहता था। "भवभूति" के "मालती-माधव" में मदनोत्सव का अत्यन्त शान्त-स्निग्ध चित्र दृष्टिगत होता है।  "मालती-माधव" में अमात्य भूरिवसु की कन्या मालती के मदनोद्यान में आकर भगवान कन्दर्प के पूजन का वर्णन आता है। इस वर्णन से स्पष्ट है कि इस मन्दिर में राज परिवार तथा नगर के प्रतिष्ठित परिवारों की कन्यायें भी पूजन हेतु आया करती थीं। उनका मुख्य उद्देश्य भगवान कन्दर्प की कृपा से मनोवांछित वर की प्राप्त करने ही होती थी। मदनोत्सव के वर्णन से ज्ञात होता है कि प्राचीन भारत के लोग मनोविनोद तथा आमोद-प्रमोद में भी कलात्मकता को महत्व दिया करते थे।

मदनोत्सव के दिन ही अन्तःपुर के अशोक वृक्ष में दोहद उत्पन्न किया जाता था। इसके लिए एक सुन्दरी समस्त प्रकार के आभरणों से सुसज्जित होकर एवं महावर लगे पैरों में नूपुर धारण कर अपने बायें चरण से अशोक वृक्ष पर आघात करती थी जिसके परिणामस्वरूप अशोक वृक्ष नीचे से ऊपर तक पुष्प-गुच्छों से आच्छादित हो जाता था। सामान्यतः अशोक वृक्ष में दोहद की क्रिया रानी ही करती थी किन्तु "कालिदास" कृत "मालविकाग्निमित्र" में वर्णन आता है कि रानी के पैर में चोट आ जाने के कारण उसकी परिचारिकाओं में सर्वाधिक अनिंद्य सुन्दरी "मालविका" को इस कार्य के लिए नियुक्त किया गया था। मालविकाग्निमित्र में कालिदास स्पष्ट वर्णन करते हैं -

मालविका की एक सखी बकुलाविका ने उसके पैरों में महावर लगा कर नूपुर पहना दिये। तदोपरान्त मालविका ने अशोक वृक्ष के पास जाकर उसके पल्लवों के एक गुच्छे को हाथ से पकड़ा और दाहिनी ओर झुक कर बायें पैर से अशोक वृक्ष पर मृदु आघात किया जिससे उसका नूपुर झनझना गया और यह कृत्य समाप्त हुआ।

मान्यता है कि ऋतुराज वसन्त का आरम्भ वसन्त पंचमी के दिन से होता है और इसी कारण से वसन्त पंचमी को वसन्त ऋतु का जन्मदिवस भी कहा जाता है। वसन्त पंचमी से लेकर रंग पंचमी तक का समय वसन्त की मादकता, होली की मस्ती और फाग का संगीत से सभी के मन को मचलाते रहता है।

Friday, January 27, 2012

कौन सा नाम गौरवशाली - भारत या इण्डिया?

हमारे देश का नाम भारत है किन्तु समस्त संसार के लोग इसे भारत नहीं बल्कि 'इण्डिया' के नाम से जानते हैं। मूलरूप से हमारे देश का नाम भारत है पर मुगलों ने इसका नाम 'हिन्दुस्तान' रख दिया और हमारा देश भारत से 'हिन्दुस्तान' बन गया। फिर अंग्रेज आए और उन्होंने हमारे देश का नाम 'इण्डिया' रख दिया और हमारा देश 'इण्डिया' कहलाने लगा। स्पष्ट लक्षित होता है कि हमारे देश के नाम को कोई भी विदेशी बदल सकता है। यह ठीक वैसा ही है जैसे कि किसी का नाम उसके माता पिता ने 'कालीचरण' रखा किन्तु दूसरे लोग उसे 'कालू' या 'कल्लू' कहने लगे। कालीचरण को भले ही 'कालू' या 'कल्लू' कहलाना बुरा लगे किन्तु हम भारतीयों को हमारे देश भारत का नाम बदल जाने का कभी भी बुरा नहीं लगता। तभी तो हमारे संविधान के प्रथम पृष्ठ में लिखा है "India, that is Bharat, shall be a union of states." (इण्डिया, जो कि भारत है, राज्यों का संघ होगा)। हमारा संविधान 'इण्डिया' नाम को 'भारत' नाम से अधिक महत्व देता है और सिर्फ 'भारत' नाम को 'इण्डिया' के बिना अधूरा बताता है।

'भारत' एक व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun) है। यह तो प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun) को चाहे किसी भी भाषा में बोला या लिखा जाए, उसमें कोई परिवर्तन नहीं होता। क्या 'चन्द्रप्रकाश' नाम को अंग्रेजी में 'Moonlight' या उर्दू में 'रोशनी-ए-माहताब' के रूप में बदला जा सकता है? किन्तु भारत को, व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun) होने के बावजूद भी, अंग्रेजी में 'India' के रूप में बदला जा सकता है। हमें स्वयं को भारतीय कहलाने की अपेक्ष 'इण्डियन' कहलाने में अधिक गर्व का अनुभव होता है। अंग्रेजों तथा अंग्रेजी का हम पर इतना अधिक प्रभाव क्यों है?

अंग्रेजी ने हमारे यहाँ के बहुत सारे नामों को बदल कर रख दिया है, पुण्यसलिला गंगा 'गेंजेस' हो गई हैं, भगवान राम "लॉर्ड रामा" हो गए हैं। यहाँ तक कि हमारे भारतवासी विद्वान भी यदि अपने देश का नाम 'इण्डिया' न लेकर 'भारत' लेते हैं तो बोलते समय उस नाम को 'भारत' न कहकर 'भारता' कहते हैं। हमारे विद्वजन तक "पाटलिपुत्र" को "पाटलिपुत्रा", इतिहास को "इतिहासा" आदि ही कहते हैं। किसी विषय पर जब कभी भी संगोष्ठी का आयोजन होता है तो वहाँ निमन्त्रित अधिकतर विद्वजन अपना शोधपत्र या भाषण अंग्रेजी में ही पढ़ना पसन्द करते हैं।

"बम्बई" बदल कर "मुम्बई" हो गया क्योंकि मुम्बईवासियों को बम्बई नाम की अपेक्षा मुम्बई नाम अधिक गौरवशाली लगता है, "मद्रास" बदल कर "चेन्नई" हो गया क्योंकि चेन्नईवासियों को मद्रास नाम की अपेक्षा चेन्नई नाम अधिक गौरवशाली लगता है, "कलकत्ता" बदल कर "कोलकाता" हो गया क्योंकि कोलकातावासियों को कलकत्ता नाम की अपेक्षा कोलकाता नाम अधिक गौरवशाली लगता है, पर "इण्डिया" बदल कर "भारत" शायद कभी भी न हो क्योंकि भारतवासियों तथा भारत के संविधान को भारत की अपेक्षा इण्डिया नाम ही अधिक गौरवशाली लगता है।

Monday, January 23, 2012

विचित्र कानून-कायदे

  • फ्रांस में किसी मृत व्यक्ति से विवाह करना वैध है।
  • हांग कांग में पति के द्वारा छली गई पत्नी अपने पति की हत्या कर सकती है, किन्तु इसके लिए वह केवल अपने नंगे हाथों का ही प्रयोग कर सकती है। दूसरी ओर वह अपने पति की प्रेमिका की हत्या मनचाहे तरीके से कर सकती है।
  • स्कॉटलैंड में गाय रखने वाले व्यक्ति का मदिरा पीकर मतवाला होना गैरकानूनी है।
  • न्यू यार्क में बच्चों के द्वारा सिगरेट तथा सिगार के टोंटे एकत्रित करना गैरकानूनी है।
  • केन्टुकी Kentucky, यूनाइटेड स्टेट्स में प्रत्येक नागरिक को साल में कम से कम एक बार नहाना जरूरी है।
  • सऊदी अरब में पति के द्वारा पत्नी को कॉफी की आपूर्ति न करने पर पत्नी को पति से तलाक लेने का अधिकार हासिल है।
  • मियामी में किसी जानवर की नकल करना नाजायज है।
  • 1960 तक किसी लंबे बाल वाले व्यक्ति को डिजनीलैंड में जाने की अनुमति नहीं दी जाती थी।
  • आइसलैंड के रेस्टॉरेंट्स में टिप देने को अपमान करना माना जाता है।
  • स्त्रियों को व्होट देने का अधिकार सबसे पहले न्यूजीलैंड में मिला।
  • मास्को में मौसम पूर्वानुमानकर्ता को मौसम के गलत पूर्वानुमान करने पर जुर्माना भरना पड़ सकता है।
  • शंघाई, चीन में लाल रंग की कार रखना अवैधानिक है।
  • एरिजोना में ऊँट का शिकार करना अवैधानिक है।
  • सिंगापुर में चुइंग गम रखना या बेचना अवैधानिक है।
  • फ्लोरिडा में घोड़ा चोरी करने पर फाँसी की सजा हो सकती है।
  • प्राचीन इंग्लैंड में कोई भी व्यक्ति राजा की सहमति न मिलने पर यौनाचार नहीं कर सकता था।

Sunday, January 22, 2012

रविवार!

रविवार अर्थात इतवार सभी का प्यारा दिन होता है, स्कूल की छुट्टी, आफिस की छुट्टी, काम-धंधे की छुट्टी! रविवार याने कि मौज मनाने का दिन, नियम-बंधन से परे होकर मनमाफिक समय बिताने का दिन या फिर लम्बी तान कर सोने का दिन! रविवार याने कि एक लम्बी प्रतीक्षा के बाद आने वाला दिन!

किन्तु कई मुस्लिम देशों में रविवार लम्बी तानकर सोने का दिन नहीं होता क्योंकि वहाँ रविवार का दिन अवकाश का दिन नहीं होता।

अन्तर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार रविवार सप्ताह का अन्तिम दिन होता है किन्तु क्रिश्चियन, इस्लामिक तथा हिब्रू कैलेण्डर सहित और भी कई कैलेण्डरों के अनुसार यह सप्ताह का पहला दिन होता है।

सप्ताह के सात दिनों में से पाँच दिन अर्थात् मंगलवार, बुधवार, वृहस्पतिवार, शुक्रवार तथा शनिवार के नाम ग्रहों के आधार पर है, एक दिन अर्थात् सोमवार उपग्रह चन्द्रमा के आधार पर है (यह अलग बात है कि हिन्दू ज्योतिष में चन्द्रमा को भी एक ग्रह ही माना गया है), केवल रविवार ही एक ऐसा दिन है जिसका नाम एक तारे अर्थात् सूर्य पर आधारित है।

मजे की बात है कि ग्रैगेरियन कैलेण्डर की कोई भी शताब्दी रविवार से आरम्भ नहीं होती और कोई भी यहूदी नया साल का पहला दिन, जिसे कि रोश हश्नाह (Rosh Hashanah) कहा जाता है, रविवार से शुरू हो ही नहीं सकता, यहूदी नया साल तो रविवार के अलावा बुधवार और शुक्रवार से भी शुरू नहीं हो सकता।

रविवार याने कि Sunday के आधार पर बहुत से दिनों के नामकरण हुए हैं यथा - Black Sunday, Bloody Sunday,  Cold Sunday, Easter Sunday, Gaudete Sunday, Gloomy Sunday, Good Shepherd Sunday, Laetare Sunday, Low Sunday, White Sunday, Quasimodo Sunday, Divine Mercy Sunday, Palm Sunday, Passion Sunday, Selection Sunday, Super Bowl Sunday आदि।

बहरहाल रविवार अधिकतर लोगों का प्यारा दिन है।