Thursday, May 1, 2008

आर्टिकल डायरेक्टरी के फायदे

आर्टिकल डायरेक्टरी (article directory) जिसे हिन्दी में कृति निर्देशिका कहते हैं क्या होता है?

आर्टिकल डायरेक्टरी (article directory) जिसे हिन्दी में कृति निर्देशिका कहते हैं एक प्रकार की निर्देशिका होती है जिसमें कोई भी रचनाकार अपनी किसी भी रचना को अपने नाम तथा अपने ब्लोग/वेबसाइट के लिंक के साथ मुफ्त में प्रकाशित कर सकता है तथा उसमें प्रकाशित रचनाओं का उपयोग कोई भी व्यक्ति मुफ्त में अपने ब्लोग/वेबसाइट आदि में प्रकाशन के लिये कर सकता है किन्तु बिना किसी प्रकार की हेर-फेर किये और रचनाकार के नाम तथा ब्लोग/वेबसाइट के लिंक के साथ।

क्यों आवश्यकता हुई कृति निर्देशिकाओं की?

सभी चाहते हैं कि उसके ब्लोग/वेबसाइट को सर्च इंजिन में प्राथमिकता मिले। सर्च इंजिन उन ब्लोग/वेबसाइट को प्राथमिकता देते हैं जिनको प्रायः रोज ही अपडेट किया जाता है अर्थात् जिनमें प्रतिदिन नई लेखन-सामग्री (new content) डाली जाती है। अब प्रतिदिन एक नई रचना रच लेना हर किसी के बस की बात नहीं होती। किन्तु सर्च इंजिन को इससे कोई सरोकार नहीं है कि आप रोज नया लेख लिख सकते हैं या नहीं, उसे तो आपके ब्लोग/वेबसाइट को प्राथमिकता देने के लिये रोज नई सामग्री चाहिये ही। इसीलिये कृति निर्देशिकाओं की आवश्कता हुई कि लोग एक दूसरे की रचनाओं का उपयोग कर सकें।

कृति निर्देशिकाओं के क्या फायदे हैं?

सभी ब्लोगर्स/वेबमास्टर्स को नई सामग्री प्राप्त हो जाती है।

जो स्वयं अपना लेख नहीं लिख सकते, और पेशेवर लेखकों की सेवाएँ खरीदने में भी असमर्थ होते हैं, उन्हें भी अपने ब्लोग/वेबसाइट के लिये मुफ्त रचनाएँ मिल जाती हैं।

जो रचनाकार अपनी रचनाएँ कृति निर्देशिकाओं को प्रदान करते हैं उन्हें लोकप्रियता तो मिलती ही है, सैकड़ों तथा हजारों की तदात में बैकलिंक्स भी मिल जाते हैं। (किसी ब्लोग/वेबसाइट का किसी दूसरे ब्लोग/वेबसाइट में लिंक होने को बैकलिंक कहा जाता है)। सर्च इंजिन के लिये बैकलिंक्स का महत्व डेली अपडेशन से कहीं अधिक होता है। यदि आपके ब्लोग/वेबसाइट के पास 100 वेबलिंक्स हैं और मेरे ब्लोग/वेबसाइट का केवल 1 तो इस स्थिति में सर्च इंजिन आपके ब्लोग/वेबसाइट को मेरे ब्लोग/वेबसाइट से पहले दिखायेंगे, भले ही आपका ब्लोग/वेबसाइट मेरे ब्लोग/वेबसाइट की अपेक्ष बिल्कुल ही नया क्यों न हो। अधिक पेज रैंक वाले ब्लोग/वेबसाइट में बैकलिंक्स होने का और भी बहुत महत्व होता है।

मान लीजिये आपने हिंदी वेबसाइट कृति निर्देशिका (वर्तमान पेज रैंक 3) में अपनी एक रचना प्रकाशित की। तो आपके ब्लोग/वेबसाइट को पेज रैंक 3 वाली वेबसाइट में 1 बैकलिंक तो मिल ही जायेगा अब यदि आपकी रचना को 100 लोगों ने पसंद किया और उसका प्रकाशन अपने ब्लोग/वेबसाइट में कर दिया तो आपको 100 बैकलिंक्स और भी मिल गये। इस प्रकार से अधिक से अधिक बैकलिंक्स मिलने से आपके ब्लोग/वेबसाइट का पेज रैंक बढ़ता जायेगा और सर्च इंजिन के पहले पेजों में ही उसे स्थान मिलने लगेगा।

इसके अतिरिक्त मान लीजिये कोई व्यक्ति, जो कि आपके ब्लोग/वेबसाइट के विषय में नहीं जानता, आपकी रचना को किसी अन्य ब्लोग/वेबसाइट में पढ़ता है तो रचना पसंद आने पर वह आपकी अन्य रचनाओं को पढ़ने के लिये अवश्य ही आपके ब्लोग/वेबसाइट में आयेगा और इस प्रकार से आपके पाठकों की संख्या में भी वृद्धि होगी।

तो क्या मुझे कृति निर्देशिका के लिये कोई नई रचना गढ़नी होगी?

जी नहीं। आप अपने किसी भी पुरानी (और लोकप्रिय भी) रचना को, जो कि भले ही पहले से ही आपके ब्लोग/वेबसाइट में प्रकाशित हो चुकी हो, किसी एक कृति निर्देशिका या एक से अधिक कृति निर्देशिकाओं में प्रकाशित कर सकते हैं और बैकलिंक्स बढ़ा सकते हैं। आप चाहें तो नई रचना भी रच सकते हैं। यह पूरी तरह से आपकी मर्जी पर निर्भर है कि आप कृति निर्देशिका को अपनी कौन सी रचना प्रदान करें।

अधिक से अधिक बैकलिंक्स के क्या फायदे हैं?

  • आपके ब्लोग/वेबसाइट को सर्च इंजिन के पहले पेजों में स्थान मिलता है।
  • आपके ब्लोग/वेबसाइट का पेज रैंक बढ़ते जाता है।
  • पेज रैंक बढ़ने से एडसेंस के मंहगे विज्ञापन आपके ब्लोग/वेबसाइट में स्वतः ही प्रकाशित होने लगते हैं और आपके एडसेंस रिव्हेन्यू में बढ़ोत्तरी होती जाती है।

Wednesday, April 30, 2008

तुम एक रचना दोगे, तो लाखों लोग पढ़ेंगे

हम भारतीय लोग बड़े विशिष्ट प्राणी होते हैं। अपने हाल में सन्तुष्ट। भगवान ने जितना दिया है उसी से संतोष कर लेंगे। आवश्यकता ही क्या है अतिरिक्त धनोपार्जन की? घर-परिवार चल रहा है न?

हम लोग विदेशियों, विशेष रूप से अमेरिकनों और यूरोपियनों, से बिल्कुल उलटे हैं। वे लोग ब्लोगिंग करते हैं 'मारकेटिंग' के लिये, हम लोग ब्लोगिंग करते हैं (हिन्दी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से) अपनी रचनाएँ पढ़वाने के लिये। वे लोग अपने ब्लोग में किसी प्रोडक्ट का (जिसकी बिक्री होने पर उन्हें प्रोडक्ट के मूल्य का 25% से 75% तक की राशि affiliate revenue के रूप में प्राप्त होती है) रिव्ह्यु लिखते हैं, हम लोग अपने ब्लोग में अपने लेख, कविता, कहानियाँ आदि लिखते हैं। वे लोग अपने ब्लोग में टिप्पणी करवाते हैं ब्लोग को सर्च इंजिनों में जल्दी लाने के लिये, हम लोग अपने ब्लोग में टिप्पणी करवाते हैं अपनी आत्म-तुष्टि के लिये।

मिली न टिप्पणियाँ तो खुद ही टिप्पणी कर ली.....

उन्होंने मारकेटिंग और एडव्हरटाइजिंग को बढ़ावा देने के अनेकों तरीके निकाल रखे हैं प्रेस रिलीज़ (press release), आर्टिकल डायरेक्टरीज़ (article directories) जैसे।

मैंने इंटरनेट में हिन्दी आर्टिकल डायरेक्टरी खोजा तो मुझे एक भी नहीं मिल पाया। मुझे लगा कि हिन्दी की रचनाओं के लिये भी कृति निर्देशिका (article directory) अवश्य ही होनी चाहये ताकि हिन्दी के लेखकों को अपनी रचनाएँ, ब्लोग/वेबसाइटस आदि का प्रचार करने के लिये एक माध्यम मिल सके। और ऐसे लोगों को, जो अपना हिन्दी ब्लोग तो बनाना चाहते हैं पर लिख नहीं पाते, अन्य लेखकों की रचनाओं पर आधारित ब्लोग बनाने का अवसर मिल सके।

मैंने आर्टिकल डायरेक्टरी बनाने के लिये एक मुफ़्त स्क्रिप्ट जुगाड़ा, अंग्रेजी को हिन्दी में बदला और एक कृति निर्देशिका तैयार कर के रख दिया।

अब बन्धुओं, उस कृति निर्देशिका को अब तक सिर्फ जाकिर अली रजनीश "रजनीश" जी से ही रचनाएँ मिल पाई। आज वो कृति निर्देशिका कई महीनों से रचनाओं के लिये तरस रही है। आज मैं इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी लोगों का सहयोग माँग रहा हूँ कि आप लोग अपनी कम से कम एक रचना उसे प्रदान करने की कृपा करें (अधिक से अधिक रचनाएँ भी दे सकते हैं) और अपने मित्रों तथा परिचितों को वहाँ से रचनाएँ ले कर ब्लोग बनाने के लिये प्रेरित करें। यदि हम सभी ठान लें कि कम से कम पाँच नये ब्लोग्स अवश्य बनवायेंगे तो नेट में हिन्दी ब्लोग्स की संख्या अवश्य ही तेजी के साथ बढ़ेगी।

इस प्रकार से हिन्दी के ब्लोग तो बढ़ेंगे ही, आप लोगों की रचनाओं का जितने भी ब्लोग्स में प्रयोग किया जायेगा उतने स्थान में आपका नाम तथा आपके ब्लोग का लिंक भी जायेगा और आपके ब्लोग का पेज रैंक भी बढ़ेगा।

और कहने की जरूरत नहीं है कि मुझ नाचीज पर आप लोगों का एहसान तो होगा ही।

अपनी रचना यहाँ पोस्ट करें - कृति निर्देशिका

Monday, April 28, 2008

जब हिन्दी के ब्लोगर झूमेंगे, और एडसेंस रकम बरसायेगी

वो सुबह कभी तो आयेगी

इन 'हिन्दी ब्लोग के पोस्टों' से, जब रात का आंचल ढलकेगा
जब 'गूगल' का दिल पिघलेगा, जब 'डॉलर' का सागर छलकेगा
जब हिन्दी के ब्लोगर झूमेंगे, और एडसेंस रकम बरसायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी

जिस सुबह की खातिर जुग-जुग से, चिट्ठाकार मरते-जीते हैं
जिस सुबह के अमृत की धुन में, वे जहर के प्याले पीते हैं
इन मेहनतकश चिट्ठाकारों पर, इक दिन तो करम फर्मायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी

माना कि अभी इन हिन्दी के, 'पोस्टों' की कीमत कुछ भी नहीं
मिट्टी का भी है कुछ मोल मगर, चिट्ठाकारों की कीमत कुछ भी नहीं
चिट्ठाकारों के मेहनत को इक दिन जब, सिक्कों में ही तोली जायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी

जब हिन्दीगण 'चैटिंग' छोड़ेंगे, 'एडल्ट साइट्स' से नाता तोड़ेंगे
जब ज्ञान-पिपासा जागेगी, जब ब्लोग्स से नाता जोड़ेंगे
हिन्दी पाठकों की संख्या, बढ़ती और बढ़ती जायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी

बीतेंगे कभी तो दिन आख़िर, ये फोकट के लाचारी के
टूटेंगे कभी तो बुत आख़िर, अंग्रेजी की इजारादारी के
जब हिन्दी की अनोखी दुनिया की बुनियाद उठाई जायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी

(महान शायर साहिर लुधियानवी से क्षमायाचना सहित, कृपया इसे भी देख लें या यदि पहले देखा हो तो एक बार फिर से याद ताजा कर लें।)