Saturday, April 26, 2008

मेरे ब्लोग का अपहरण हो गया

मैं तो परेशान हूँ बन्धु, मेरे ब्लोग का अपहरण हो गया। कल शाम को लगभग पाँच बजे (भारतीय मानक समय के अनुसार) तो था पर रात को नौ बजे गायब हो गया। इस बीच पता नहीं कैसे अपहरण हो गया उसका। अब ब्लोग पुलिस तो है नहीं जो रिपोर्ट लिखाता। इसीलिये ब्लोग पंचायत में सूचना दे रहा हूँ।

हमने तो मना किया था अपने ब्लोग को कि मत जाओ भैया 'आज ज्यादा पढ़े गये' की दौड़ में शामिल होने। पर माना ही नहीं। आज कल बड़ों की बात मानने का रिवाज ही कहाँ रह गया है? जब नहीं माना तो हमने कहा अच्छा पहले पता तो कर लो कि दौड़ में शामिल होने के मानदण्ड (criterion) क्या है? पर उसके पास समय ही कहाँ था पता करने के लिये। बिना पता किये ही हो गया दौड़ में शामिल और दौड़ के दौरान अपहृत हो गया।


अब हम परेशान। रात भर ठीक से सो नहीं पाये। सबेरे उठते ही फिर से पता करने दौड़े। हो सकता है शायद बीच में थोड़ी देर के लिये चाय सिगरेट के लिये कहीं पर रुक गया रहा हो और अब तक फिर से दौड़ में वापस आ गया हो। वह तो वापस नहीं आया था पर इस बीच एक दो ब्लोग और भी अपहृत हो चुके थे। अब पता नहीं कि उन ब्लोग वालों को जानकारी है भी नहीं कि उनके ब्लोग का भी अपहरण हो चुका है।

दौड़ के आयोजन कराने वालों से तो हमारा परिचय नहीं है। हम तो समझते थे कि हिन्दी भक्त लोग ही हिन्दी की सेवा के लिये एग्रीगेटर्स बनाते हैं, दौड़ करवाते हैं और भी न जाने क्या क्या करते हैं। तो हमें शक हुआ कि कहीं हमारा पोस्ट अचानक कहीं हिन्दी से अंग्रेजी में तो नहीं बदल गया। अपने इस शक पर खुद ही हमें हँसी आने लगी कि ऐसा कैसे हो सकता है। पर दिमाग के जिस हिस्से ने शक पैदा किया था हमें डाँटते हुये कहा क्यों नहीं हो सकता? अरे अचानक लिंग परिवर्तन हो सकता है तो भाषा परिवर्तन भी तो हो सकता है। हम सकते में आ गये। जा कर देखा तो पोस्ट तो अभी भी हमें हिन्दी में ही दिखी। अब इस बात का तो पता नहीं दूसरों को अंग्रेजी में दिख रही हो।

बहरहाल दौड़ के आयोजन करवाने वाले बन्धुओं से अनुरोध है कि भैये या तो आयोजन करवाओ ही मत या फिर यदि आयोजन करवाते ही हो तो दौड़ के शुरू से आखिर तक सही व्यवस्था भी रखो। और नहीं तो कम से कम जिन्हें आखिर तक नहीं दौड़ने देना है उन्हें दौड़ में शामिल ही मत होने दो। ब्लोग यदि खुद्दार होगा तो किसी दौड़, किसी एग्रीगेटर की मदद के बिना भी अपने लिये पाठक जुटा लेगा या फिर गर्दिश के गर्त में दफ़्न हो जाना पसंद करेगा।

पुनश्चः प्रशांत जी का बहुत बहुत धन्यवाद! मुझे अपनी भूल का एहसास हो गया है और टिप्पणी में मैंने आप लोगों से क्षमा की प्रार्थना की है। शायद कुछ लोगों का ध्यान टिप्पणी में की गई क्षमा प्रार्थना पर न जाये इसलिये मूल पोस्ट में भी क्षमा याचना कर रहा हूँ।

पुनः पुनश्चः एक विचार यह ही आया था कि इस पोस्ट को मिटा दूँ पर अपनी गलती को छुपाना मैं उचित नहीं समझता इसलिये नहीं मिटा रहा हूँ।

Tuesday, April 22, 2008

प्रकाशित होना पोस्ट का और आना टिप्पणी का

अब देखिये ना, मैंने ब्लोगर में एक नया पोस्ट कर के प्रकाशित किया नहीं कि फटाक से मेरे गूगल टॉक ने संदेश दिया कि एक नई टिप्पणी आई है। मन प्रसन्नता से झूम उठा, अरे भाई हूँ तो मैं भी साधारण ब्लोगिया ही, टिप्पणी के बारे में जान कर भला कैसे खुश नहीं होउंगा? और इस बार तो बात ही विशेष थी। विशेषता यह थी कि पोस्ट प्रकाशित हुआ नहीं कि टिप्पणी आ गई। जैसे कोई इंतिजार करते हुये बैठा था कि कब ये पोस्ट प्रकाशित हो और कब मैं टिप्पणी करूँ। जब स्कूल में पढ़ता था तो हिन्दी के सर ने अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण बताया था - 'हनूमान के पूँछ में लगी पाई आग। लंका सिगरी जल गई गये निशाचर भाग॥' उदाहरण से अच्छी प्रकार से समझ में आ गया था कि अतिशयोक्ति अलंकार क्या होता है। पर पोस्ट प्रकाशित होते ही टिप्पणी आने पर जरा सा भी नहीं लगा कि यह अतिशयोक्ति हो सकती है। और लगे भी क्यों भाई, भले ही अच्छा न लिख पाउँ पर समझता अवश्य हूँ कि मैं भी एक लिख्खाड़ हूँ। अब पोस्ट प्रकाशित होते ही टिप्पणी आ जाने पर यही तो सोचूँगा न कि अब तो मैं बहुत अच्छा लिख्खाड़ हो गया हूँ, भला यह क्यों सोचने लगा कि यह अतिशयोक्ति टाइप की कुछ चीज हो सकती है?

यह भी विचार नहीं आया कि मेरे पोस्ट में तो प्रायः टिप्पणी आती ही नहीं। और आये भी क्यों? मैं खुद तो टिप्पणी करने के मामले में संसार का सबसे आलसी प्राणी हूँ, कभी किसी के ब्लोग में जा कर टिप्पणी नहीं करता। तो भला क्या किसी को क्या पागल कुत्ते ने काटा है कि मेरे ब्लोग में आ कर टिप्पणी करेगा? यह बात अलग है कि दूसरों के ब्लोग में टिप्पणियों को देख कर कुढ़ता अवश्य हूँ। सोचता हूँ कि इतने साधारण लेख पर इतनी सारी टिप्पणियाँ और मेरे सौ टका विशेष लेख पर एक भी नहीं। खैर, यह सोच कर स्वयं को तसल्ली दे लेता हूँ कि अभी लोगों की बुद्धि इतनी विकसित नहीं हुई है कि मेरी बात को समझ पायें। जब सही तरीके से समझेंगे ही नहीं तो भला टिप्पणी क्या करेंगे।

ऐसा भी नहीं है कि मेरे ब्लोग में कभी टिप्पणी आती ही न हो। आती है भइ कभी-कभार चार छः महीने में। अब संसार सहृदय व्यक्तियों से बिल्कुल खाली तो नहीं हो गया है। किसी सहृदय व्यक्ति को तरस आ जाता है कि बेचारा चार छः महीनों से बिना टिप्पणियों के ही लिखा चला आ रहा है, चलो आज इसके ब्लोग पर भी टिप्पणी कर दें।

हाँ तो मैं कह रहा था कि पोस्ट प्रकाशित हुआ नहीं कि टिप्पणी आ गई।


Warning! See Please Here

अरे! यह भी कोई टिप्पणी हुई? ये तो कोई चेतावनी है। टिप्पणीकर्ता 'यहाँ देखो' कह कर शायद यह बता रहा है कि मैंने किसी और स्थान से लेख चोरी कर के अपने ब्लोग में पोस्ट कर दिया है। सरासर चोरी का इल्जाम लग रहा है यह तो। प्रसन्नता काफूर हो गई।

मैंने भी सोचा कि चलो देखें तो सही कि ये कहाँ जाने को कह रहा है, आखिर मैंने चोरी किस जगह से की है। क्लिक कर दिया भैया। अब क्लिक कर देने पर जो शामत आई है उसके बारे में मत ही पूछो तो अच्छा है। न जाने कौन कौन से साइट्स खुलने लगे। चेतावनी पर चेतावनी - आपके कम्प्यूटर में ये वायरस आ गया है, वो वायरस आ गया है, हमसे मुफ्त स्कैन करवायें। मुफ्त स्कैन करवाने पर वायरसों की एक लम्बी फेहरिस्त आ गई जिसे दूर करने के लिये उनके एन्टीवायरस को खरीदने की सलाह दी गई थी। मैने तो केवल एक बार क्लिकिया था बन्धु, यकीन मानिये कि एक बार क्लिक करने के बाद हिम्मत ही नहीं हुई दुबारा क्लिक करने की। पर न जाने कैसे बिना क्लिक किये ही वो साइट अपने आप खुल जाती थी कुछ कुछ देर में और मेरे कम्प्यूटर का मुफ्त स्कैन होने लगता था। लगता था कि कोई भूत घुस आया है मेरे कम्प्यूटर में। अब बन्धु मेरे, बड़ी मुश्किल से उस भूत को भगा पाया मैं।

बड़ी कोशिश करके भूत को भगाने के बाद थोड़ा धीरज बंधा और थोड़ी शान्ति मिली। अब मन में विचार आया कि वो टिप्पणी तो अभी भी मेरे ब्लोग में है। यदि मेरे पाठकों ने उस पर क्लिक कर दिया तो? जरूर वह भूत उन्हें भी तंगायेगा। यह टिप्पणी तो बीच रास्ते में केले का छिलका बन कर पड़ा हुआ है, कोई फिसल कर गिर न जाये। इस टिप्पणी को मिटाना ही पड़ेगा।

अब भइ, इससे पहले कभी कोई टिप्पणी मिटाई नहीं थी। अब कभी-कभार आये हुये टिप्पणी को मैं मिटाने क्यों लगा - क्या मैं इतना बेवकूफ़ हूँ कि अपने ब्लोग से टिप्पणी को मिटा दूँ। हाँ तो टिप्पणी मिटाने का मुझे कुछ अनुभव ही नहीं था। मैंने ब्लोगर एक एक हिस्से को छान मारा पर टिप्पणी मिटाने के उपाय के बारे में कहीं कुछ न मिला। हाँ इस दौरान मुझे ब्लोगर से संकेत जरूर मिला कि कोई स्वतः टिप्पणी करने वाला सॉफ्टवेयर आपके ब्लोग में ऐसे वायरस न फेंक दे इसके लिये वर्ड व्हेरिफिकेशन का प्रयोग करें। हाँ तो मुझे ब्लोगर में टिप्पणी मिटाने का उपाय नहीं मिला (शायद कहीं हो भी तो अक्ल का अंधा होने के कारण मैं उसे देख नहीं पाया), निदान मैं ब्लोगर के फोरम में गया और ढ़ूंढ़-ढ़ांढ़ कर टिप्पणी मिटाने का उपाय प्राप्त कर ही लिया। टिप्पणी को मिटाया और ब्लोगर.कॉम महाशय के सुझाव के अनुसार वर्ड व्हेरिफिकेशन भी लगा दिया।

फिर मैंने सोचा कि अरे, यह मैंने क्या कर दिया। कभी-कभार तो मेरे ब्लोग में टिप्पणी आती है और वर्ड व्हेरिफिकेशन लगा कर मैंने उस कभी-कभार आने वाले टिप्पणी का रास्ता भी बंद कर दिया। एकदम पागल हूँ मैं। दस मिनट बाद ही मैंने उस वर्ड व्हेरिफिकेशन को हटा भी दिया पर इस दस मिनट के दौरान हमारे सभी ब्लोगर बन्धुओं को उस वर्ड व्हेरिफिकेशन के विषय में पता चल गया।

तो साहब किया टिप्पणीकर्ता सॉफ्टवेयर ने और भरना मुझे पड़ा।

पर बाद में "टिप्पणी कर और गाली खा!!" पढ़ कर मन फिर से एक बार प्रसन्नता से झूम उठा क्योंकि मेरे वर्ड व्हेरिफिकेशन लगाने के कार्य से समीर लाल जी जैसे ख्यातिप्राप्त व्यंगकार को एक आइडिया मिला और एक महान व्यंग रचना का जन्म हो गया।

Sunday, April 20, 2008

गूगल सर्च विशेषज्ञ बनें!

हममें से शायद ही कोई ऐसा होगा जो कि गूगल सर्च इंजिन का प्रयोग न करता हो। पर अधिकांश लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होगी कि गूगल सर्च इंजिन में क्या क्या विशेषताएँ हैं। वास्तव में गूगल सर्च इंजिन को इस तरह से बनाया गया है कि मनचाहे सर्च परिणाम प्राप्त हो सकें और अनचाही जानकारियों को सर्च परिणामों में शामिल होने से रोका जा सके।

तो आइये जानें गूगल सर्च के विषय में कुछ गूढ़तम बातें -

विशिष्ट परिणाम प्राप्त करना: मान लीजिये आप 'ब्लोग से कमाई' के विषय में सर्च कर रहे हैं। तो सर्च बॉक्स में ब्लोग से कमाई टाइप करने पर गूगल का सर्च इंजिन 'ब्लोग', 'कमाई' और 'ब्लोग से कमाई' तीनों से सम्बन्धित सर्च परिणाम देगा। किन्तु आप सिर्फ 'ब्लोग से कमाई' से सम्बन्धित सर्च परिणाम प्राप्त करना चाहते हैं। तो इसके लिये आप सर्च बॉक्स में टाइप करते समय 'डबल कोट्स' लगा कर सर्च करें। गूगल सर्च इंजिन केवल 'ब्लोग से कमाई' से सम्बन्धित सर्च परिणाम प्रदर्शित करेगा तथा 'ब्लोग' और 'कमाई' शब्दों से सम्बन्धित सर्च परिणामों को शामिल होने से रोक देगा।

अवांछित शब्द वाले परिणाम हटाना: अब यदि आप चाहते हैं कि 'ब्लोग से कमाई' के सर्च परिणामों में 'अंग्रेजी' शब्द न आये तो सर्च बॉक्स में 'ब्लोग से कमाई -अंग्रेजी' टाइप करें। गूगल सर्च इंजिन सर्च परिणामों में से उन सारे परिणामों को आने ही नहीं देगा जिनमे कहीं पर भी 'अंग्रेजी' शब्द आया हो।

विशिष्ट साइट सर्च: कई बार हम चाहते हैं कि किसी विशेष वेबसाइट में हमारे टाइप किये गये शब्द या वाक्यांश से सम्बन्धित सर्च परिणाम ही मिले। अर्थात् हम वेबसर्च के बदले साइटसर्च करना चाहते हैं। उदाहरण के लिये यदि आप 'उड़न तश्तरी' ब्लोग में 'धार्मिकता' शब्द से सम्बन्धित सर्च परिणाम चाहते हैं तो इसके लिये आप सर्च बॉक्स में 'धार्मिकता site:udantashtari.blogspot.com' टाइप करें। आपको वैसे ही सर्च परिणाम प्राप्त होंगे जैसा कि आप चाहते हैं।

समान तथा समानार्थी शब्द: यदि आप चाहते हैं कि 'मिलनसार एवं व्यवहारकुशल' सर्च करने पर 'धार्मिक' शब्द (या धार्मिक के समानार्थी शब्द) वाले परिणाम प्राप्त हों तो सर्चबॉक्स में 'मिलनसार एवं व्यवहारकुशल ~धार्मिक' टाइप करें।

विशिष्ट डाकुमेंट सर्च: विशिष्ट डाकुमेंट (जैसे कि सिर्फ पॉवर पाइंट प्रस्तुतीकरण) वाले ही परिणाम प्राप्त करने के लिये टाइप करें - 'online business filetype: ppt'

गूगल सर्च को केलकुलेटर जैसे प्रयोग करें: सर्चबॉक्स में आप कोई भी गणित का एक्सप्रेशन टाइप करें और गूगल सर्च आपको केलकुलेटर के जैसे ही उसका परिणाम दे देगा।

उदाहरणः 12116 * 2.34

परिभाषा: किसी भी शब्द (जैसे कि physics) की परिभाषा जानने के लिये गूगल सर्चबॉक्स में टाइप करें -

define: physics

इस जानकारी से यदि आप लोगों को किंचित् मात्र भी लाभ होगा तो मुझे अत्यन्त प्रसन्नता होगी।