Saturday, April 19, 2008

नेट में कमाई ऐसे भी हो सकती है

हम सभी को प्रायः रोज ही किसी न किसी सर्च इंजिन (search engine) का प्रयोग कर के कुछ न कुछ सर्च (search) करने की आवश्यकता पड़ती है। कुछ दिनों पहले मुझे जानकारी मिली कि सर्च (search) करके कमाई भी की जा सकती है। यू.के. की 'माय सर्च फंड्स' (My Search Funds) नामक संगठन (organization) लोगों को इंटरनेट में सर्च (search) करने के एवज में रकम (पाउंड्स में) देती है बशर्ते कि उनके सर्च (search) इंजिन (search engine) का प्रयोग करके सर्च (search) किया जावे। 'माय सर्च (search) फंड्स' (My Search Funds) के सर्च इंजिन (search engine) के द्वारा सर्च (search) करके कमाई करने के लिये पहले उनका सदस्य बनना पड़ता है। और यह सदस्यता बिल्कुल मुफ्त मिलती है अर्थात् सदस्य बनने के लिये एक दमड़ी भी खर्च नहीं करना पड़ता। बिना सदस्य बने भी उनक सर्च इंजिन (search engine) से सर्च (search) किया जा सकता है पर उस सर्च (search) के एवज में आपकी किसी भी प्रकार की कमाई नहीं होगी।

यदि ये सब पढ़ कर आपको लग रहा है कि ये सब बकवास है तो मैं आपसे गुजारिश करूँगा कि आप लेख को और आगे पढ़ कर अपना बहुमूल्य समय बर्बाद न करें क्योंकि यह लेख आपके लिये नहीं है। आप अपने बहुमूल्य समय का सदुपयोग कहीं और कर सकते हैं।

हाँ तो मैं बता रहा था कि 'माय सर्च फंड्स' (My Search Funds) के सर्च इंजिन (search engine) (search engine) के द्वारा सर्च (search) करके कमाई करने के लिये पहले उनका सदस्य बनना पड़ता है। सदस्य बन जाने के बाद उनके साइट में आपका खाता बन जाता है और उस खाते में आपका सारा लेखा-जोखा प्रविष्ट होना शुरू हो जाता है। मैं पिछले माह छः तारीख को अर्थात् 6 मार्च को उनका सदस्य बना हूँ और मेरे खाते में अब तक ₤3.04 जमा हो चुके हैं। (नीचे का स्क्रीनशॉट देखें)

नेट में कमाई ऐसे भी हो सकती है

(खाते में रकम सर्च करने के 24 घंटे बाद अर्थात् दूसरे दिन जमा होती है इसलिये जिस रोज कोई सदस्य बनता है और सर्च करता है तो भी उसके खाते में कुछ भी रकम जमा नहीं दिखाई देती, हाँ सर्च की संख्या अवश्य ही वहाँ पर दर्ज रहती है।)

सर्च (search) कर के कमाई करने के लिये 'माय सर्च फंड्स' (My Search Funds) ने कुछ नियम बनाये हैं जिनमें से सबसे प्रमुख यह है कि प्रतिदि आप जितने चाहें उतने सर्च कर सकते हैं किन्तु सर्च उसी प्रकार से होनी चाहिये जिस प्रकार से सदस्य बनने के पहले आप किसी और सर्च इंजिन का प्रयोग कर के किया करते थे। मतलब यह कि केवल कमाई करने के उद्देश्य से अनाप-शनाप कुछ भी सर्च नहीं की जानी चाहिये। यदि संगठन को ऐसा लगा कि आप उनकी इस सेवा का केवल अपने लाभ के लिये दुरुपयोग कर रहे हैं तो आपकी सदस्यता रद्द कर दी जावेगी।

भुगतान

आपके द्वारा की गई कमाई के भुगतान के लिये नियम यह है कि जिस माह आप के खाते में ₤20.00 या उससे अधिक रकम जमा हो जाती है उस माह के अन्तिम तिथि से 45 दिनों के बाद उस रकम को आपके PayPal खाते में जमा कर दिया जाता है।

संगठन को भुगतान के लिये रकम कहाँ से प्राप्त होता है?

वास्तव में संगठन के सर्च रिजल्ट में तथा उसके साथ साथ कुछ कम्पनियों के विज्ञापन भी आते हैं। इन विज्ञापनों को प्रदर्शित करने के लिये संगठन को विज्ञापनदाता कम्पनियों से अच्छी-खासी रकम प्राप्त होती है और उस प्राप्त रकम का एक छोटा से हिस्से को संगठन भुगतान के रूप में खर्च करती है।

खामियाँ

इस सेवा की सबसे बड़ी खामी मैंने यह महसूस की है कि इनके सर्च रिजल्ट गूगल के सर्च रिजल्ट से उन्नीस होते हैं। मतलब यह कि कभी कभी मनचाहे परिणाम नहीं आ पाते।

जोखिम (Risk)

चूँकि भुगतान के लायक रकम अब तक मेरे खाते में जमा नहीं हुई है और अब तक मुझे कोई भुगतान नहीं मिला है, मैं नहीं कह सकता कि वास्तव में मुझे भुगतान की राशि मिल पायेगी या इंटरनेट के कई अन्य धोखाधड़ी करने वाली कम्पनियों के जैसे ही यह संगठन भी SPAM निकलेगी। किन्तु संगठन का दावा है कि वह eBay तथा इंटरनेट की कई अन्य रेपुटेड संस्थाओं के साथ मिल कर काम करती है और इसीलिये मुझे उम्मीद है कि संगठन भुगतान अवश्य ही करेगी। पर फिलहाल मैं इसे एक जोखिम (risk) मान कर चल रहा हूँ। मेरे लिये यह केवल एक इंटरनेट से कमाई का एक प्रयोग ही है जो किस सफल हो भी सकता है और नहीं भी।

नेट में कमाई ऐसे भी हो सकती हैउपरोक्त सारी बातों को पढ़ कर यदि आपको लगता है कि आपको भी इस संगठन का सदस्य बनना चाहिये तो यहाँ या इस लेख के किसी भी लिंक को क्लिक कर के आप सदस्य बन सकते हैं।

पुनश्चः श्री रामचन्द्र मिश्र जी ने टिप्पणी कर के मेरी एक भूल के विषय में बताया है और मैं भूल सुधार कर रहा हूँ। इस पूरे लेख में जहाँ कहीं भी लिंक हैं वे सभी मेरे रेफरल लिंक्स हैं अर्थात् इस लिंक को क्लिक कर के यदि आप सदस्य बनेंगे तो उससे मेरा भी फायदा होगा। आप लोग यदि चाहें तो मिश्र जी टिप्पणी में दर्शाये लिंक्स को भी क्लिक कर के सदस्य बन सकते हैं। भूल के क्षमाप्रार्थी हूँ।

Friday, April 18, 2008

ब्लोग क्या होता है

प्रसन्नता की बात है कि हिन्दी में ब्लोग्स की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है। नये नये ब्लोगर्स आते जा रहे हैं। तो हम सभी ब्लोगर्स के लिये यह जान लेना अधिक अच्छा होगा कि ब्लोग क्या होता है।

ब्लोग (blog) शब्द की उत्पत्ति web और log शब्दों के मेल से हुई है। ब्लोग की परिभाषा अनेक विद्वानों ने अनेक प्रकार से दिया है जिनमें से कुछ उदाहरण के रूप में नीचे दर्शाया जा रहा है।

व्यक्तिगत विचारों तथा वेब लिंक्स का कालक्रम के अनुसार कुछ-कुछ अन्तराल में प्रकाशन को ब्लोग कहा जाता है।

‘A frequent, chronological publication of personal thoughts and Web links.’ (स्रोत)

वेबलॉग (ब्लोग) टैक्स्ट, इमेजेस, मीडिया आब्जेक्ट्स तथा डाटा का कालक्रम के अनुसार व्यवस्थित तारतम्य होता है जिसे कि HTML ब्राउसर में देखा जा सकता है

‘A weblog is a hierarchy of text, images, media objects and data, arranged chronologically, that can be viewed in an HTML browser.’ (स्रोत)

Web और log से बना ब्लोग मूलतः वेब में उपलब्ध एक जर्नल होता है। ब्लोग के नवीनीकरण (updating) करने को ब्लोगिंग कहा जाता है और ब्लोग रखने वाले को ब्लोगर कहा जाता है।

‘From “Web log.” A blog is basically a journal that is available on the web. The activity of updating a blog is “blogging” and someone who keeps a blog is a “blogger.”‘ (स्रोत)

गूगल के ब्लोगर.कॉम के अनुसारः
ब्लॉग एक व्यक्तिगत डायरी है. एक दैनिक प्रवचन मंच. एक सहयोगपूर्ण स्थान. एक राजनैतिक सोपबॉक्स. एक ताज़ा समाचार आउटलेट. लिंकों का एक संग्रह. आपके अपने निजी विचार. दुनिया को दिए जाने वाली ज्ञापन.

आपका ब्लॉग वैसा ही है जैसा आप उसे चाहते हैं. ऐसे लाखों हैं, सभी आकृति और आकारों में, और वास्तव में कोई खास नियम नहीं हैं.

सामान्य शब्दों में, ब्लॉग एक वेब साइट है, जहाँ आप नियमित तौर पर सामग्री लिखते हैं. नई सामग्री सबसे ऊपर दिखती है, ताकि आपके विजिटर पढ़ सकें कि नया क्या है. इसके बाद वे उस पर टिप्पणी कर सकते हैं या उसे लिंक कर सकते हैं या आपको ईमेल कर सकते हैं. या नहीं.(स्रोत)

ब्लोग की ऐसी ही सर्वमान्य और भी अनेक परिभाषाएँ हैं। इन परिभाषाओं को पढ़ कर लोग प्रायः ब्लोग के समझने के स्थान पर भ्रमित अधिक होते हैं।

तो आखिर ब्लोग है क्या???

भ्रमित होने की कोई आवश्यकता नहीं है। सरल शब्दों में कहा जाये तो ब्लोग कालक्रम के अनुसार व्यवस्थित एक प्रकार का वेबसाइट होता है जिसमें कि प्रायः अंतिम पोस्ट सबसे ऊपर और पुराने पोस्ट्स क्रमानुसार नीचे होते हैं।

ब्लोग में क्या लिखा जाता है???

प्रायः ब्लोग में ब्लोगर अपने विचारों को वेब में प्रचलित अन्य बातों के साथ लिखता है। किन्तु यह कोई नियम नहीं है। आप ब्लोग में कुछ भी लिख सकते हैं - राजनीति के विषय में लिख सकते हैं, साहित्य के विषय में लिख सकते हैं, विज्ञान के विषय में लिख सकते हैं, कहानी लिख सकते हैं, कविता लिख सकते हैं, मन की भड़ास निकाल सकते हैं, यानी कि कुछ भी लिख सकते हैं। ठीक वैसे ही जैसे कि आप अपनी दैनन्दिनी (diary) में लिखते हैं। वास्तव में ब्लोग किसी एक व्यक्‍ति (या एक से अधिक भी) के द्वारा लिखी गई दैनन्दिनी ही हैं।

टिप्पणी (comments)

अधिकतर ब्लोग्स में टिप्पणी करने के लिये स्थान होता है। टिप्पणी का स्थान देना जरूरी नही है किन्तु मेरे विचार से टिप्पणी का स्थान देना ही चाहिये। क्योंकि यदि आप अपने विचारों का दूसरों के समक्ष प्रदर्शन कर रहे है तो आपको सामने वाले के विचारों को भी जानना ही चाहिये। टिप्पणी तो विचारों के आदान-प्रदान का एक बहुत अच्छा माध्यम है।

Thursday, April 17, 2008

अजब गजब

जी हाँ, ऐसा सिर्फ़ भारत में ही होता है - ओनली इन इंडिया!

वास्तविक आकार का चित्र देखने के लिए चित्र पर क्लिक करें.

Wednesday, April 16, 2008

वेब-बेस्ड प्रॉक्सी (Web-based Proxy) क्या होता है

जब भी आप इन्टरनेट में किसी वेबसाइट को खोलते हैं तो उस वेबसाइट के द्वारा आपका IP Address नोट कर लिया जाता है। IP Address बताता है कि आप किस स्थान से उस वेबसाइट में पहुँचे हैं। यद्यपि IP Address आपकी व्यक्तिगत जानकारियाँ तो नहीं मिलतीं किन्तु यह अवश्य पता चल जाता है कि आप इन्टरनेट में सर्फिंग कहाँ से कर रहे हैं, अपने घर से, अपने आफिस से या किसी साइबर कैफे से। मतलब यह है कि इन्टरनेट में सर्फिंग करते वक्त आपकी गोपनीयता बरकरार नहीं रहती।

यदि आप अपनी गोपनीयता बरकरार रखना चाहते हैं तो आपको किसी ऐसे वेब-बेस्ड प्रॉक्सी के माध्यम से इन्टरनेट में सर्फिंग करना होगा जो कि आपके IP Address को प्रकट होने दे। ऐसे ही सर्व्हर्स को वेब-बेस्ड प्रॉक्सी (Web-based proxy) कहा जाता है। जब भी आप किसी वेब-बेस्ड प्रॉक्सी के माध्यम से इन्टरनेट में सर्फिंग करते हैं तो उस प्राक्सी सर्व्हर का ही IP Address नोट होता है कि आपका।

वास्तव में वेब-बेस्ड प्रॉक्सी आपके वेब ब्राउसर के भीतर बैठ जाता है और चाही गई वेबसाइट को स्वयं के भीतर लाकर आपके ब्राउसर के माध्यम से आपको दिखाता है। मान लीजिये कि आप Proxy Surf Anywhere! वेब-बेस्ड प्रॉक्सी के माध्यम से किसी वेबसाइट को खोलना चाहते हैं तो उसमें आपको नीचे दर्शाये अनुसार एक बॉक्स दिखाई पड़ेगा।


इसी बॉक्स में चाहे गये वेबसाइट का URL टाइप कर दिया जाता है और वह वेबसाइट वेब-बेस्ड प्रॉक्सी के माध्यम से आपके ब्राउसर में खुल जाता है और आप बिल्कुल बेनाम (anonymous) रह कर मजे के साथ सर्फिंग कर सकते हैं।

वेब-बेस्ड प्रॉक्सी के माध्यम से सर्फिंग के निम्न फायदे भी हैं।

  • बैंडविड्थ की बचत होती है और साइट्स शीघ्रतापूर्वक खुलते हैं।

  • ब्लॉक कर दिये गये वेबसाइट्स, जो कि ब्राउसर में नहीं खुल पाते, भी आसानी के साथ वेब-बेस्ड प्रॉक्सी के माध्यमसे खुल जाते हैं।

अधिकांशतः वेब-बेस्ड प्रॉक्सी ब्लॉक कर दिये जाते हैं क्योंकि उनका प्रयोग प्रायः स्कूलों तथा कार्यालयों में ब्लॉक कर दिये गये वेबसाइट्स को खोलने के लिये प्रयोग किया जाता है।

Monday, April 14, 2008

क्या श्री राम ने पिता के प्रति मर्यादा का पालन किया?

रामनवमी पर विशेष लेख

श्री राम की मर्यादा सुविख्यात है, उन्हें मर्यादा-पुरुषोत्तम के नाम से जाना जाता है। मर्यादा-पुरुषोत्तम अर्थात् 'मर्यादा का पालन करने वाले पुरुषों में उत्तम'। किन्तु कई प्रसंग ऐसे हैं जिनसे भ्रम सा होने लगता है कि शायद कहीं कहीं पर श्री रामचन्द्र जी ने शायद मर्यादा का पालन नहीं किया है। महाराज दशरथ तथा जटायु के मृत्यु के प्रसंग इसके अन्तर्गत आते हैं।

तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के अयोध्याकाण्ड में महाराज दशरथ की मृत्यु का वर्णन करते हुये लिखा है:-

राम राम कहि राम कहि राम राम कहि राम।
राम राम कहि राम कहि राउ गये सुरधाम॥

अर्थात् राम का नाम रटते-रटते महाराज दशरथ सुरधाम (देवलोक) सिधार गये।

यहाँ पर यह ध्यान देने योग्य बात है कि महाराज दशरथ देवलोक गये जिसे कि हिन्दू मान्यता के अनुसार 6वाँ लोक माना जाता है और फिर से जन्म ले कर वहाँ से पुनः पृथ्वी लोक में आने के पर्याप्त अवसर बने रहते हैं। मतलब यह कि महाराज दशरथ का मोक्ष नहीं हुआ (मान्यता है कि विष्णुलोक जिसे कि हरिधाम भी कहा जाता है और जो कि 7वाँ लोक है पहुँचने पर ही मोक्ष होता है)। सभी को विदित है कि यदि मृत्यु के समय एक बार भी राम का नाम मुख से निकले तो मोक्ष प्राप्त हो जाता है। यहाँ पर तो दशरथ की मृत्यु राम राम रटते हुये ही हुई थी। फिर भी श्री राम ने, जो कि भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं, उन्हें मोक्ष प्रदान नहीं किया। यहाँ तक कि राम ने अपने पिता का अन्तिम संस्कार भी नहीं किया जबकि ज्येष्ठ पुत्र होने के नाते यह उनका कर्तव्य था।

दूसरी ओर तुलसीदास जी जटायु की मृत्यु का वर्णन करते हुये लिखते हैं:-

अविरल भगति मांगि वर गीध गये हरिधाम।
तेहिके क्रिया जथोचित निज कर कीन्हीं राम॥

अर्थात् जटायु विष्णुलोक गये, उनका मोक्ष हो गया और जटायु का क्रियाकर्म स्वयं अपने हाथों से किया।

इन प्रसंगों को पढ़ कर पहली दृष्टि में लगता तो यही है कि श्री राम ने शायद कहीं कहीं पर मर्यादा का पालन नहीं किया। किन्तु ऐसा नहीं है। उपरोक्त दोनों दोहों की सही व्याख्या करने से भ्रम दूर हो जाता है। वास्तव में अपनी मृत्यु के समय महाराज दशरथ मोहवश अपना पुत्र समझ कर राम का नाम जप रहे थे न कि मोक्षदाता भगवान विष्णु समझ कर। और हिन्दू दर्शन के अनुसार मृत्यु के समय जरा भी मोह रह जाने से मोक्ष कभी प्राप्त हो ही नहीं सकता। अपने पिता के वचन पालन करके सांसारिक मर्यादा निभाने के लिये ही श्री राम अपने पिता के अन्तिम संस्कार करने के लिये अयोध्या वापस नहीं आये। यदि वे वापस आ गये होते तो पिता का वचन पालन न करने का आरोप अवश्य ही उन पर लग गया होता। वे यह भी जानते थे कि हिन्दू कर्मकाण्ड के अनुसार ज्येष्ठ पुत्र की अनुपस्थिति में कनिष्ठ पुत्र को अन्तिम संस्कार करने का पूर्ण अधिकार है।

जटायु की मृत्यु के प्रसंग में तुलसीदास जी लिखते हैं कि 'अविरल भगति मांगि वर' अर्थात् जटायु की भक्ति अविरल थी और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर श्री राम न उनसे वरदान मांगने के लिये कहा था। इस पर जटायु ने दो वर मांगे थे - पहला मोक्ष प्राप्ति का और दूसरा अपना क्रिया कर्म स्वयं भगवान के हाथों से कराने का जो कि 'भूतो न भविष्यति' कार्य है। श्री रामचन्द्र जी अपने द्वारा दिये गये वरदानों के कारण विवश थे और इसीलिये उन्हें जटायु को मोक्ष प्रदान करना पड़ा तथा उनका क्रिया कर्म भी करना पड़ा।

Sunday, April 13, 2008

कैसे बढ़ेगा अन्तर्जाल में हिन्दी का वर्चस्व

कैसे बढ़ेगा अन्तर्जाल में हिन्दी का वर्चस्व

आज हिन्दी ब्लोग्स की संख्या हजारों में पहुँच चुकी है यह सुन कर हमें बहुत खुशी होती है। 2003 के पूर्व एक भी हिन्दी ब्लोग नहीं था तो आज हिन्दी ब्लोग्स की संख्या हजारों में पहुँच जाना वास्तव में एक बड़ी उपलब्धि है। किन्तु यदि हम 56 करोड़ हिन्दीभाषियों की संख्या को ध्यान में रख कर इस हजारों ब्लोग्स पर विचार करें तो हमें लगेगा कि हिन्दी ब्लोग्स की संख्या नगण्य है और इसके सहारे अंतर्जाल में हिन्दी का वर्चस्व कदापि नहीं बढ़ सकता।

ब्लोग का आरम्भ सन् 1997 में हुआ। उन दिनों अंग्रेजी तथा कुछ अन्य भाषाओं में ब्लोग्स लिखे जाते थे। 1997 से 2003 अर्थात् हिन्दी ब्लोग के आरम्भ के वर्ष तक (6 वर्षों में) अंग्रेजी तथा अन्य भाषाओं की संख्या करोड़ों में पहुँच गई थी जबकि 2003 से अब तक (5 वर्षों में) हिन्दी ब्लोग्स की संख्या केवल कुछ हजार तक पहुँची है। तुलनात्मक रूप से हिन्दी ब्लोग अन्य भाषाओं के ब्लोग से बहुत पीछे है।

हम सभी ब्लोगरों की महत्वकांक्षा है कि अन्तर्जाल में हिन्दी का वर्चस्व शीघ्रातिशीघ्र स्थापित हो जायें किन्तु हिन्दी ब्लोग्स/वेबसाइट्स की वर्तमान संख्या से तो हिन्दी का वर्चस्व स्थापित होना असम्भव सा लगता है।

तो कैसे बढ़ेगा अन्तर्जाल में हिन्दी का वर्चस्व?

हमें हिन्दी ब्लोग्स की संख्या त्वरित गति से बढ़ाने होंगे। वर्तमान में जितने हिन्दी ब्लोगर्स है वे अथक एवं अनवरत् प्रयास करें तो भी हजारों की संख्या करोड़ों में तो नहीं पहुँच सकती। स्पष्ट है कि नये-नये लोगों को ब्लोगिंग करने के लिये प्रोत्साहित करना होगा।

सिर्फ ब्लोग से ही काम नही चलने वाला। हिन्दी के ब्लोग्स के अलावा व्यक्तिगत वेब पेजेस, वेबसाइट्स, वेब डायरेक्ट्री, हिन्दी विकीज़, गोष्ठियाँ (फोरम्स), कृति निर्देशिकायें (article directories), सामुदायिक वेबसाइट्स (shocial bookmarking websites) आदि का निर्माण भी करना होगा।

लोगों को उकसाना होगा कि अन्तर्जाल में जहाँ कहीं भी मुफ्त वेब पेज बनाने की सुविधा उपलब्ध है (जैसे कि iGoogle, geocity, yahoo 360 आदि) वहाँ जाकर अपना हिन्दी वेब पेज बनायें।

ऐसे भी लोग है जो कि अपना हिन्दी ब्लोग बनाना चाहते है किन्तु लेख लिखने में सक्षम नहीं होने के कारण नहीं बना पाते। यदि पर्याप्त मात्रा में कृति निर्देशिकायें (article directories) का निर्माण हो जायें और उसमें हिन्दी के लेखक अपनी रचनायें डाल दे तो वे लोग भी जो लेख लिखने में सक्षम नहीं है निर्देशिकाओं से लेख प्राप्त करके अपना ब्लोग बनाने में समर्थ हो सकेंगे।

फिलहाल तो परिचर्चा, सर्वज्ञ, कृति निर्देशिका, गँठजोड़ आदि को अपना सहयोग अवश्य दें और इसी प्रकार की अन्य वेबसाइट्स के निर्माण करने का प्रयास भी करें।

मुझे विश्वास है कि हम सभी के प्रयास से हिन्दी अपनी मंजिल पर अवश्य ही पहुँचेगी।

कम से कम सौजन्यता तो व्यक्त करें

किसी की रचना को यदि आपने बिना किसी पूर्वानुमति के अपने ब्लोग में प्रकाशित कर दिया तो मूल रचनाकार की क्या प्रतिक्रिया होगी यह तो इस पर निर्भर करता है कि मूल रचनाकार किस स्वभाव का व्यक्ति है। संयोग से इस बार मूल रचनाकार मैं ही हूँ और अपने स्वभाव के अनुसार मैं इसका बुरा नहीं मानूंगा किन्तु जरा सी सौजन्यता की अपेक्षा तो अवश्य ही रखूंगा अब यह बात और है कि सौजन्यता मिले या मिले। नीचे के स्क्रीनशाट्स देख कर समझ में जायेगा कि मैं यह क्यों लिख रहा हूं।