Saturday, January 21, 2012

अंग्रेजों के लिए मुसीबत थे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस

वैसे तो भारत के प्रायः क्रान्तिकारियों ने अंग्रेजों के नाम में दम कर दिया था पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस तो अंग्रेजों के लिए साक्षात मुसीबत थे। "सुभाष" नाम सुनते ही अंग्रेजों के कान खड़े हो जाते थे, चाहे वह "सुभाष" नाम का व्यक्ति कोई भी क्यों न हो, बस नाम सुनते ही अंग्रेजी प्रशासन अपने सारे अमले को सतर्क कर दिया करता था। "सुभाष" नाम से अंग्रेजों के इतना घबराने का कारण भी था, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने एक नहीं बल्कि अनेक बार भेष बदल कर अंग्रेजी प्रशासन को छकाया था।

द्वितीय विश्वयुद्ध के समय अंग्रेजों ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को जेल भेज दिया था किन्तु दिसंबर 1940 में उन्होंने अंग्रेजों के मन में आमरण अनशन का  ऐसा भय बिठाया कि अंग्रेजों को विवश होकर उन्हें जेल से मुक्त करके उनके स्वयं के घर में नजरबंद करना पड़ा। नेताजी ने अपने घर के एक कमरे में एकांतवास की घोषणा कर दी और उस कमरे में बंद हो गए, यहाँ तक कि किसी से भी मिलना-जुलना तक छोड़ दिया। इस बीच उन्होंने अपनी दाढ़ी भी बढ़ा ली। जब दाढ़ी खूब बढ़ गई तो एक दिन उन्होंने अपना चश्मा उतार कर स्वयं दर्पण में देखा तो खुद ही खुद को नहीं पहचान पाये। उन्हें विश्वास हो गया कि बढ़ी हुई दाढ़ी में बिना चश्मा के कोई उन्हें नहीं पहचान पाएगा। उनका वह कमरा तो क्या उनका सारा घर पुलिस के पहरे में था पर सुभाष जी उन सबकी आँखों में धूल झोंक कर 17 जनवरी 1941 के दिन उस कमरे से नाटकीय ढंग से गायब हो गए। एक पठान के भेष धर कर तथा अपना नाम मोहम्मद जियाउद्दीन रखकर वे कलकत्ता से दूर गोमोह पहुँच गए, गोमोह पहुँचने में उन्हें शरद बाबू के ज्येष्ठ पुत्र शिशिर ने पूरी सहायता पहुँचाई। गोमोह से फ्रंटियर मेल पकड़कर वे पेशावर पहुँ गए जहाँ पर उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक के मियाँ अकबर से मुलाकात की। अकबर मियाँ के माध्यम से उनका परिचय कीर्ति किसान पार्टी के भगतराम तलवार से हुआ। भगतराम को साथ लेकर वे पेशावर से अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के लिए कूच कर गए। भगतराम तलवार, रहमतखान नाम के पठान बन गए  थे और सुभाषबाबू उनके गूंगे-बहरे चाचा। उन्होंने काबुली वेशष-भूषा बी धारण कर ली ताकि कोई उन पर शक नहीं कर सके। पासपोर्ट और नागरिकता की पहचान से बचने के लिए वे टेढ़े-मेढ़े रास्तों से पैदल गए। दुर्गम पहाडियों में रात-दिन भूखे प्यासे मीलों पैदल चलकर वे काबुल पहुँचे। जिस प्रकार से उन्होंने सर्द मौसम सर्द मौसम और कड़कड़ाती ठंड में रात-दिन एक कर अपना सफर पूरा किया उससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि उनके भीतर राष्ट्रभक्ति की भावना कैसे उफान मार रही थी। काबुल में सुभाषबाबू ने छुपकर दो महिने उत्तमचंद मल्होत्रा नाम के एक भारतीय व्यापारी के घर में बिताए। 1941 की अप्रैल महने की शुरुआत में वे अफगानिस्तान से ओर्लांदो मात्सुता नामके एक इटालियन व्यक्ति बनकर रूस की राजधानी मॉस्को होते हुए जर्मनी की राजधानी बर्लिन जा पहुँचे और जर्मनी पहुँचकर उन्होंने अपने आप को प्रकट कर दिया। नेताजी के घर से गायब होने से लेकर बर्लिन में स्वयं को प्रकट करने तक उनके बारे में अग्रेजी पुलिस तथा गुप्तचर सेवा को भनक तक नहीं लगी।

तो ऐसे थे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस!

Thursday, January 19, 2012

भाषा से सम्बन्धित कुछ रोचक जानकारी!

  • वर्तमान में विश्व भर में प्रचलित लगभग 41,806 अलग-अलग भाषाएँ हैं।
  • हवायन (Hawaiian) वर्णामाला में केवल 12 अक्षर होते हैं।
  • उर्दू और अंग्रेजी दोनों के ही वर्णमालाओं में 26 अक्षर होते हैं।
  • अंग्रेजी का शब्द 'News' चार दिशाओं North, East, West, और South के प्रथम अक्षरों को मिला कर बना है।
  • अमेरिका की अपेक्षा चीन में अधिक लोग अंग्रेजी भाषा बोलते हैं।
  • राजभाषा अधिनियम के अनुसार हिन्दी भाषा के लिए देवनागरी लिपि तथा भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप प्रयोग किया जाता है।
  • ‘racecar,’ ‘kayak’ और ‘level’ अंग्रेजी के ऐसे शब्द हैं जिन्हें चाहे बायें से दायें पढ़ें कि दायें से बायें, वे एक जैसे ही पढ़े जाते हैं।
  • WAS IT A CAR OR A CAT I SAW. अंग्रेजी का ऐसा वाक्य है जो उल्टा सीधा एक समान है।
  • अंग्रेजी शब्द Stressed को उल्टा पढ़ने पर अंग्रेजी का ही एक दूसरा शब्द Desserts बन जाता है।
  • अंग्रेजी का सबसे छोटा पूर्ण वाक्य है - 'Go'।
  • अंग्रेजी के केवल चार शब्द ऐसे हैं जिसके अन्त में “dous” आता है, वे हैं - hazardous, horrendous, stupendous, and tremendous।
  • "The quick brown fox jumps over a lazy dog." वाक्य में अंग्रेजी के सभी अक्षर प्रयुक्त होते हैं।
  • बगैर कोई स्वर (vowel) वाला अंग्रेजी का सबसे बड़ा शब्द है "Rhythms"!
  • "uncopyrightable" अंग्रेजी का एक ऐसा शब्द है जिसमें प्रयुक्त कोई भी अक्षर दो बार नहीं आता।
  • अंग्रेजी में 'E' का प्रयोग सबसे अधिक होता है और 'Q' का सबसे कम।
  • अंग्रेजी का सबसे लंबा शब्द है - pneumonoultramicroscopicsilicovolcanoconioses! (न्युमोनोअल्ट्रामाइक्रोस्कोपिकसिलिकोव्होल्कानोकोनिओसेस)

Monday, January 16, 2012

भारत की प्रथम महिला छायाचित्रपत्रकार - होमाई व्यारावाल उर्फ "डालडा 13"

क्या आपको पता है कि भारत की प्रथम महिला छायाचित्रपत्रकार (photo journalist) - होमाई व्यारावाल उर्फ "डालडा 13" हैं? 1913 में जन्मीं व्यारावाला ने सन् 1938 में फोटोग्राफी के क्षेत्र में पदार्पण किया। उन दिनों फोटोग्राफी को पुरुषों का क्षेत्र माना जाता था और इस क्षेत्र में व्यारावाला, जो कि महिला थीं, की सफलता एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। उल्लेखनीय है कि भारत में फोटोग्राफी की शुरुवात 1840 में हुई और चूँकि यह कला भारत में ब्रिटेन से आई थी, अधिकतर भारतीय फोटोग्राफर फोटोग्राफी के लिए ब्रिटिश फोटोग्राफर्स की शैली को ही अपनाया करते थे। भारत में फोटोग्राफी उन दिनों अभिजात्य वर्ग के लोगों का शौक हुआ करता था, आजीविका के लिए इसका प्रयोग यदा-कदा ही देखने को मिलता था। भारत में फोटोग्राफी को पेशेवर तौर पर अपनाया जाना बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ के बाद से ही शुरू हुआ और उन दिनों यह क्षेत्र पुरुषप्रधान ही था। यद्यपि उन्नीसवी शताब्दी के द्वितीय दशक के आरम्भ से महिलाएँ भी शौकिया फोटोग्राफी के क्षेत्र में कदम रखने लगी थीं किन्तु इस पुरुषप्रधान क्षेत्र में एक पेशेवर के रूप में होमाई व्यारावाला का आना उनका एक साहसपूर्ण कदम था। होमाई व्यारावाला भारत की प्रथम महिला प्रेस फोटोग्राफर बनीं और वे इस क्षेत्र में 1938 से1973 तक सफलतापूर्वक कार्य करती रहीं। उन्होंने अपना फोटोग्राफिक कैरियर का आरम्भ बम्बई (वर्तमान मुम्बई) से किया।


होमाई व्यारावाला अपने मूलनाम की अपेक्षा अपने छद्रमनाम "डालडा 13" से अधिक जानी जाती रहीं। व्यारावाला ने जब पहली बार अपनी कार का रजिस्ट्रेशन करवाया तो उन्हें कार का नम्बर मिला था - "DLD 13"। कार के इस नम्बर से ही उन्हें अपना छद्मनाम "डालडा 13" रखने की प्रेरणा मिली और उन्हें उनके इस छद्मनाम ने बहुत लोकप्रियता दिलाई।

होमाई व्यारावाला को स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह, भारत-पाकिस्तान के विभाजन पर विचार के लिए हुई निर्णायक बैठक तथा अन्य अनेक ऐतिहासिक पलों की फोटोग्राफी के लिए याद किया जाता है।

यद्यपि होमाई व्यारावाला आज हमारे बीच नहीं हैं किन्तु उनके द्वारा खींचे गए चित्रों ने उन्हें अमर बना दिया है।

होमाई व्यारावाल उर्फ "डालडा 13" के द्वारा खींचे गए कुछ लोकप्रिय चित्र

भूगोल से सम्बन्धित कुछ रोचक तथ्य

  • समस्त महाद्वीपों के नाम अंग्रेजी के जिस अक्षर से शुरू होते हैं, उसी अक्षर से खत्म भी होते हैं (America के North और South को छोड़ने पर)। स्वयं देख लीजिए - Asia, Africa, North America, South America, Antarctica, Europe, और Australia।
  • अन्टार्टिका में पानी इतना ठंडा है कि उसके अन्दर की कोई भी वस्तु कभी भी सड़ती-गलती नहीं है।
  • यदि अन्टार्टिका में जमी बर्फ की सारी पत्तरें गल जाएँ तो संसार के सभी सागर 60 से 65 मीटर अर्थात 200 से 210 फुट तक और भर जाएँगे।
  • अब तक के रेकार्ड के अनुसार अन्टार्टिका का सर्वाधिक गर्म तापमान 3 डिग्री फैरनहीट है।
  • एक औसत हिमशैल (ice berg) का वजन लगभग दो करोड़ टन होता है।
  • विश्व के समस्त वन क्षेत्र का 25% से भी अधिक भाग साइबेरिया में हैं।
  • समुद्र की एक बूंद पानी को भाप बनकर पूरे विश्व में प्रसारित होने में 1000 साल से भी अधिक समय लग जाता है।
  • टैक्सास का होस्टन नगर धसान (दलदल) में बसा हुआ है और धीरे-धीरे धँसकते जा रहा है।
  • विश्व में उत्पन्न होने वाले समस्त ऑक्सीजन का 20% से भी अधिक भाग अमेजान के वर्षावनों में उत्पन्न होता है।
  • समुद्र के एक घन मील (One cubic mile) पानी में लगभग 50 पौंड सोना घुला होता है।
  • संसार में प्रतिवर्ष 50,000 से भी अधिक भूकंप आते हैं।
  • स्टेट ऑफ फ्लोरिडा पूरे इंग्लैंड से भी बड़ा है।
  • अमेरिका का 'माम्मोह केव्ह सिस्टम' (Mammoth Cave System) संसार का सबसे लंबा खोह है जो कि5,60,000 मीटर गहरा है।
  • इजराइल का मृत सागर समुद्र सतह से 1,312 फुट नीचे में है।
  • एक पूर्ण रूप से विकसित रक्त दारु वृक्ष (redwood tree) के पत्तों से 2 टन से भी अधिक पानी निष्कासित होता है।
  • जंगल में लगी आग नीचे की अपेक्षा ऊपर की ओर तेजी से फैलती है।
  • अलास्का में प्रतिवर्ष लगभग 5,000 भूकंप आते हैं।
  • यूरोप एकमात्र ऐसा महाद्वीप हैं जिसमें कोई भी मरुस्थल नहीं है।
  • चन्द्रमा के सिर के ठीक ऊपर आने पर उसके गुरुत्वाकर्षण के कारण आपका वजन जरा सा कम हो जाता है।
  • अटलांटिक महासागर प्रशान्त महासागर से अधिक खारा है।
  • एक ज्वालामुखी में राख को 50 किलोमीटर से भी ऊपर फेंकने की शक्ति होती है।