Saturday, April 10, 2010

बहुत बड़े दिल गुर्दा का काम है हिन्दी ब्लोगिंग में बने रहना

हिन्दी ब्लोगिंग शुरू करना आसान है किन्तु इसमें बने रहना बहुत बड़े दिल गुर्दे का काम है। बहुत सी चोटें, मिलती हैं बेगानों से भी और अपनों से भी। चोटें भी ऐसी कि असहनीय। इन चोटों को सहन करना सभी के वश की बात नहीं होती। लोग टूट जाते हैं।

यह हिन्दी ब्लोग जगत है ही ऐसा कि लोग अपने स्वार्थवश दो अभिन्न लोगों को भिन्न करने का प्रयास करने लगते हैं और सुप्रयास सफल हो या न हो किन्तु कुप्रयास तो सफल ही होता है।

किन्तु कुप्रयास को विफल कर सुप्रयास को ही सफल बनाना क्या हम सबका कर्तव्य नहीं है?

Friday, April 9, 2010

शवयात्रा से वापस आने पर नीमयुक्त पानी से स्नान

हमारे छत्तीसगढ़ में एक परम्परा है कि जब कोई व्यक्ति किसी की शवयात्रा में जाता है तो उसके घर में गृहणी घर के दरवाजे के पास मिट्टी के चूल्हा जला कर उस पर पानी से भरी हुई मिट्टी की हांडी चढ़ा देती है साथ ही हांडी के भीतर के पानी में नीम की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं। जब व्यक्ति शवयात्रा से वापस आता है तो उसे उसी पानी से स्नान करना पड़ता है और स्नान के बाद बचे पानी में अपने कपड़े को डाल देना होता है।

कमोबेश पूरे भारत में इस प्रकार की परम्पराएँ पाई जाती हैं। स्पष्ट है कि हमारे पूर्वज अच्छी प्रकार से जानते थे कि शवदाह से उत्पन्न धुएँ में विषाक्त कीटाणु होते हैं। इन्हीं कीटाणुओं को जो कि व्यक्ति के शरीर और कपड़ों में चिपक कर घर तक आ जाते हैं नीमयुक्त पानी, जो कि प्राकृतिक एंटीसेप्टिक है, नष्ट कर देता है।

कितनी विज्ञानसम्मत हैं हमारी परम्पराएँ! हमें अपनी परम्पराओं पर गर्व है!

Thursday, April 8, 2010

सपने वो नहीं होते जिन्हें आप नींद में देखते हैं .. सपने वो होते हैं जो आपकी नींद गायब कर देते हैं

क्या किसी सपने ने कभी आपकी नींद हराम की है? मैं उन सपनों की बात नहीं कर रहा हूँ जिन्हें आप सोते हुए देखते हैं, मैं बात कर रहा हूँ आपके जीवन के सपने की, आपकी महत्वाकांक्षओं की, जीवन में आपके लक्ष्य की। महत्वाकांक्षाएँ आखिर हमारे सपने ही तो हैं और इन सपनों को यदि हम पूरा करने में जुट जायें तो हमारी नींद हराम हो जाती है। अंग्रेजी में एक बहुत ही सुन्दर कहावत हैः

Dreams are not the ones which come when you sleep, but they are the ones which will not let you sleep.

इसका भावार्थ है सपने वो नहीं होते जिन्हें आप सोते हुए देखते हैं, बल्कि सपने वो होते हैं जो आपकी नींद गायब कर देते हैं।

भाषाएँ सभी महान होती हैं और उनमें सुन्दर-सुन्दर कहावतें, मुहावरे होती हैं जिनका प्रयोग हमारे लेखने और बोलचाल में चार चाँद लगा देता है। हमने अंग्रेजी के दो सौ से भी अधिक सुन्दर-सुन्दर कहावतों का संग्रह किया है और उनके हिन्दी भावार्थ को लिखा है जो कि ईपुस्तक के रूप में एक डिजिटल प्रोडक्ट बन गया है। इस ईपुस्तक का हमने नाम दिया है "English Proverbs With  Hindi meaning अंग्रेजी कहावतें - हिन्दी भावार्थ"। इस ईपुस्तक का नमूना आप यहाँ क्लिक कर के मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं।

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भविष्य में हम आप लोगों के लिये और भी गुणवत्ता से परिपूर्ण बहुत सी ईपुस्तके प्रस्तुत करने का प्रयास करेंगे।

Wednesday, April 7, 2010

खल वन्दना

खल ...

अर्थात् दुष्ट ...

दुष्टता के मूल में व्यक्ति की हीन भावना ही होती है। हीन भावना से ग्रसित व्यक्ति जानता है कि उसमें बहुत सारी कमियाँ हैं और इसी कारण से वह भीतर ही भीतर क्षुब्ध रहता है। अपनी क्षुब्धता से प्रेरित हो वह अपनी कमियों को छिपाने के लिये विवश हो अन्य लोगों को यह दर्शाता है कि वह महान है। उसकी यह झूठी महानता उसमें अहंकार उत्पन्न करती है। और अहंकार से उत्पन्न होती है दुष्टता। दुष्ट व्यक्ति का कार्य होता है दूसरों को दुःख पहुँचाना। इसके लिये वह सदैव दूसरों को उकसाने, जलाने, भड़काने और कुण्ठाग्रस्त करने का प्रयास करते रहता है।

किन्तु हमारी संस्कृति में खल कि भी वन्दना करने की परम्परा रही है इसीलिये "रामचरितमानस" की रचना करते समय गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी खल-वन्दना की है। दुष्टों की वन्दना करते हुए वे कहते हैं किः

अब मैं सच्चे भाव से दुष्टों की वन्दना करता हूँ जो बिना किसी प्रयोजन के दायें-बायें होते रहते हैं। दूसरों की हानि करना ही इनके लिये लाभ होता है तथा दूसरों के उजड़ने में इन्हें हर्ष होता है और दूसरों के बसने में विषाद। ये हरि (विष्णु) और हर (शिव) के यश के लिये राहु के समान हैं (अर्थात् जहाँ कही भी भगवान विष्णु या शिव के यश का वर्ण होता है वहाँ बाधा पहुँचाने वे पहुँच जाते हैं)। दूसरों की बुराई करने में ये सहस्त्रबाहु के समान हैं। दूसरों के दोषों को ये हजार आँखों से देखते हैं। दूसरों के हितरूपी घी को खराब करने के लिये इनका मन मक्खी के समान है (जैसे मक्खी घी में पड़कर घी को बर्बाद कर देती है और स्वयं भी मर जाती है वैसे ही ये दूसरों के हित को बर्बाद कर देते हैं भले ही इसके लिये उन्हें स्वयं ही क्यों न बर्बाद होना पड़े)। ये तेज (दूसरों को जलाने वाले ताप) में अग्नि और क्रोध में यमराज के समान हैं और पाप और अवगुणरूपी धन में कुबेर के समान धनी हैं। इनकी बढ़ती सभी के हित का नाश करने के समान केतु (पुच्छल तारा) के समान है। ये कुम्भकर्ण के समान सोये रहें, इसी में सभी की भलाई है। जिस प्रकार से ओला खेती का नाश करके खुद भी गल जाता है उसी प्रकार से ये दूसरों का काम बिगाड़ने के लिये खुद का नाश कर देते हैं। ये दूसरों के दोषों का बड़े रोष के साथ हजार मुखों से वर्णन करते हैं इसलिये मैं दुष्टों को (हजार मुख वाले) शेष जी के समान समझकर उनकी वन्दना करता हूँ। ये दस हजार कानों से दूसरों की निन्दा सुनते हैं इसलिये मैं इन्हें राजा पृथु (जिन्होंने भगवान का यश सुनने के लिये दस हजार कान पाने का वरदान माँगा था) समझकर उन्हें प्रणाम करता हूँ। सुरा जिन्हें नीक (प्रिय) है ऐसे दुष्टों को मैं इन्द्र (जिन्हे सुरानीक अर्थात देवताओं की सेना प्रिय है) के समान समझकर उनका विनय करता हूँ। इन्हें वज्र के समान कठोर वचन सदैव प्यारा है और ये हजार आँखों से दूसरों के दोषों को देखते हैं। दुष्टों की यह रीत है कि वे उदासीन रहते हैं ( अर्थात् दूसरों को दुःख पहुँचाने के लिये यह नहीं देखते कि वह मित्र है अथवा शत्रु)। मैं दोनों हाथ जोड़कर प्रेमपूर्वक दुष्टों की वन्दना करता हूँ।

मैंने अपनी ओर से वन्दना तो की है किन्तु अपनी ओर से वे चूकेंगे नहीं। कौओं को बड़े प्रेम के साथ पालिये , किन्तु क्या वे मांस के त्यागी हो सकते हैं?

यह तो हुआ तुलसीदास जी के कथन का भावार्थ, अब मूल पाठ भी पढ़ लीजियेः

बहुरि बंदि खल गन सतिभाएँ। जे बिनु काज दाहिनेहु बाएँ॥
पर हित हानि लाभ जिन्ह केरें। उजरें हरष बिषाद बसेरें॥
हरि हर जस राकेस राहु से। पर अकाज भट सहसबाहु से॥
जे पर दोष लखहिं सहसाखी। पर हित घृत जिन्ह के मन माखी॥
तेज कृसानु रोष महिषेसा। अघ अवगुन धन धनी धनेसा॥
उदय केत सम हित सबही के। कुंभकरन सम सोवत नीके॥
पर अकाजु लगि तनु परिहरहीं। जिमि हिम उपल कृषी दलि गरहीं॥
बंदउँ खल जस सेष सरोषा। सहस बदन बरनइ पर दोषा॥
पुनि प्रनवउँ पृथुराज समाना। पर अघ सुनइ सहस दस काना॥
बहुरि सक्र सम बिनवउँ तेही। संतत सुरानीक हित जेही॥
बचन बज्र जेहि सदा पिआरा। सहस नयन पर दोष निहारा॥
दो0-उदासीन अरि मीत हित सुनत जरहिं खल रीति।
जानि पानि जुग जोरि जन बिनती करइ सप्रीति॥

मैं अपनी दिसि कीन्ह निहोरा। तिन्ह निज ओर न लाउब भोरा॥
बायस पलिअहिं अति अनुरागा। होहिं निरामिष कबहुँ कि कागा॥

Tuesday, April 6, 2010

गर्मी बढ़ रही है .. पारा चढ़ रहा है .. प्यास है कि बुझती ही नहीं ..

गर्मी के दिनों में प्रायः प्यास से कण्ठ सूखने लगता है। क्या करते हैं हम प्यास बुझाने के लिये? कोकाकोला, पेप्सी जैसे शीतल पेयों सेवन करके मुनाफाखोर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपनी गाढ़ी कमाई लुटाते हैं। इनके विज्ञापनों के (कु)प्रभाव के कारण हम अपनी कमाई लुटा कर खुश भी होते हैं। हमारा इस प्रकार से ब्रेनवाशिंग कर दिया गया है कि हमें प्याऊ में उपलब्ध शीतल जल हानिप्रद लगने लगता है और न जाने कितने दिनों पहले पैक किया हुआ सड़ा पानी लाभप्रद। हम पैसे देकर पानी खरीदते हैं।

पहले के समय में भी तो आखिर गर्मी के दिन आते थे और लोग उस गर्मी और लू से मुकाबला भी किया करते थे। उन्हें पता था कि गर्मी से मुकाबला करने के लिये प्रकृति ने हमें मौसमी फलों के रूप में बहुत से उपहार दिये हैं। आइये जानें इन मौसमी फलों के बारे में।

तरबूज

प्यास बुझाने के लिये सर्वोत्तम है तरबूज का सेवन करना। तरबूज जहाँ सुस्वादु होता है वहीं इसमें पानी की इतनी अधिक मात्रा होती है कि प्यासे आदमी को यह तरोताजा कर देता है। तरबूज खाने से जहाँ प्यास बुझती है वहीं यह कैंसर के खतरे से भी मुक्त करता है। इसके सेवन से प्रोटीन और फैट भी मिलता है। गर्मी के दिनों में बाजार में तरबूज अटे पड़े होते हैं और आपको आसानी से प्राप्य है।

खरबूज

तरबूज के जैसे ही खरबूज में भी पर्याप्त मात्रा में पानी होता है और इसे खाने से प्यास बुझती है।

ककड़ी और खीरा

ककड़ी और खीरा में पानी की पर्याप्त मात्रा होती है। इनमें पोटेशियम की भी मात्रा होती है जो कि आपके शरीर में मिनरल का संतुलन बनाये रखते हैं। इनके भीतर पाया जाने वाला स्ट्रोल कोलोस्ट्रोल के स्तर को कम करता है। चूँकि स्ट्रोल खीरे के छिलके में अधिक होता है, इसलिये इसे छिलके के साथ ही खाना अधिक लाभप्रद है।

प्याज

प्याज में पाये जाने वाले तत्व शरीर को लू से लड़ने की पर्याप्त क्षमता प्रदान करते हैं। यही कारण है कि गर्मी के दिनों में प्याज के सेवन का चलन परम्परागत रूप से चला आ रहा है। पुराने समय में तो लोग गर्मी की दोपहरी में निकलते समय कम से कम एक प्याज अपने साथ ही रख लिया करते थे।

टमाटर

टमाटर को लाल रंग प्रदान करने वाला रसायन लिंकोपेन गर्मियों में सूर्य के ताप से त्वचा की रक्षा करने की क्षमता प्रदान करता है। टमाटर विटामिन से भरपूर होते हैं और साथ ही साथ इसमें फैट की भी थोड़ी बहुत मात्रा पाई जाती है। कैंसर से लड़ने की शक्ति तो इसमें होती ही है।

स्ट्राबेरी

स्ट्राबेरी में पानी की पर्याप्त मात्रा होने के साथ ही साथ विटामिन सी भी भरपूर होता है। इसमें पाया जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट्स सूर्य के प्रकाश से त्वचा की रक्षा करते हैं। कैंसर से रक्षा करने वाले तत्व भी इसमें विद्यमान होते हैं।

आम

गर्मी के दिनों की बात हो और आम की बात न हो तो बात ही अधूरी रह जाती है। आम ग्रीष्म ऋतु का प्रमुख फल है और इस फलों का राजा माना गया है। रसीले आमों में पाया जाने वाला पोटेशियम शरीर में मिनरल की कमी को पूरा करता है।

और अन्त में प्रस्तुत है सेनापति का ग्रीष्म ऋतु वर्णनः

वृष को तरनि तेज सहसौं किरन करि
ज्वालन के जाल बिकराल बरखत हैं।
तचति धरनि, जग जरत झरनि, सीरी
छाँह को पकरि पंथी पंछी बिरमत हैं॥
सेनापति नैकु दुपहरी के ढरत, होत
धमका विषम, जो नपात खरकत हैं।
मेरे जान पौनों सीरी ठौर कौ पकरि कोनों
घरी एक बैठी कहूँ घामैं बितवत हैं॥

Monday, April 5, 2010

यात्रा में निकलने के पहले

छुट्टियाँ बिताने के लिये पूरे परिवार के साथ यात्रा में जाने का शौक भला किसे नहीं होता। घूमने जाने के नाम से बच्चे सबसे अधिक रोमांचित होते हैं पर साथ ही साथ बड़े भी उत्साहित रहते हैं। पर अक्सर होता यह है कि लोग बिना किसी पूर्व योजना तथा तैयारी के यात्रा में निकल पड़ते हैं जिससे उन्हें अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। घूमने का सारा मजा किरकिरा हो जाता है। इसलिये अच्छा यही है कि पूरी तरह से सोच-समझ कर यात्रा की पूर्व योजना बनायें और समस्त तैयारियों के साथ ही यात्रा में निकलें।

पूर्व योजनाः
  • यात्रा में जाने की योजना पर्याप्त समय पहले ही बनायें और अपना कार्यक्रम निश्‍चित कर लें जैसे कि कहाँ जाना है, कब जाना है, वहाँ रहने के दौरान वहाँ का अनुमानित मौसम कैसा रहेगा इत्यादि।
  • यह भी विचार कर लें कि किस स्थान पर किस माध्यम से जायेंगे फ्लाइट, रेल या टैक्सी/बस से। यह भी तय कर लें कि किस स्थान में कितने दिनों तक ठहरना है।
  • अपने जेब को ध्यान में रखते हुये अपना बजट भी पहले ही निश्‍चित कर लें।
  • हवाई जहाज से घूमने की इच्छा भला किसे नहीं होती। आजकल कई कंपनियाँ पर्यटकों को सस्ते दर पर टिकिट देती हैं इसलिये पहले ही पता कर लें कि कौन सी कंपनी आपके बजट के अनुरूप दर पर टिकिट दे रही है।
  • सब कुछ तय हो जाने के बाद अपने जाने तथा आने के लिये फ्लाइट, रेल आदि के आरक्षण की उचित व्यवस्था कर लें। जहाँ तक हो सके होटल आदि की व्यवस्था भी पहले ही कर लें जिससे कि गंतव्य स्थान में पहुँचने के बाद जगह ढूँढने में आपका समय बर्बाद न हो। आजकल इंटरनेट की सुविधा होने से आरक्षण, होटल बुकिंग आदि कार्य घर बैठे ही आसानी के साथ किया जा सकता है।
  • यात्रा के दौरान अपने साथ ले जाने वाली वस्तुओं की सूची भी बना लें ताकि ऐन वक्‍त पर कोई चीज छूट न जाये।
तैयारियाँ
  • घर से निकलने के पहले निश्‍चित कर लीजिये कि टूथब्रश, टूथपेस्ट, साबुन, शैम्पू, तौलिया, शेविंग किट, बाल सँवारने के सामान आदि रख लिया गया है। प्रायः लोग इन्हीं चीजों को रखना भूल जाते हैं।
  • बुखार तथा दर्दनिवारक गोलियाँ, बैंडएड आदि जैसी कुछ आवश्यक दवाएँ और फर्स्ट-एड बाक्स रखना कदापि न भूलें। सम्पूर्ण यात्रा के दौरान कभी भी इनकी जरूरत पड़ सकती है।
  • एक छोटा टार्च, एक छोटा चाकू और एक छोटा ताला अपने साथ अवश्य रखें, ये यात्रा में बहुत काम आती हैं।
  • यद्यपि आजकल सभी पर्यटन स्थलों मे खान-पान की पर्याप्त व्यवस्था होती है, फिर भी अपने साथ कुछ हल्के नाश्ते का सामान भी रख लें।
  • अपने साथ अनावश्यक और भारी सामान कभी भी न रखें। छोटी-छोटी पैकिंग करें जिन्हें परिवार के लोग स्वयं ही उठा सकने में समर्थ हों क्योंकि यात्रा के दौरान अपने सामानों को स्वयं उठा कर ले जाने के अवसर अनेकों बार आते हैं।
कुछ सुझाव
  • महत्वपूर्ण कागजातों जैसे कि टिकिट, पासपोर्ट, क्रेडिट तथा एटीएम कार्ड्स, ड्राइव्हिंग लायसेंस आदि की छायाप्रति बनवा लें ताकि यदि कोई कागजात खो जाता है तो छायाप्रति से काम चलाया जा सके।
  • आवश्यकता से अधिक नगद रकम साथ न रखें और प्लास्टिक मनी अर्थात् क्रेडिट तथा एटीएम कार्ड्स का पूरा-पूरा उपयोग करें।
  • अपने सभी पैकिंगों पर अपना नाम व पता लिख दें, उनके भीतर भी अपने नाम व पते की स्लिप डाल दें।
  • परिचित लोगों के फोन नंबरों की सूची साथ रखें।
  • कहीं पर भी कूड़ा-करकट न फैलायें बल्कि उपयोग करने के बाद पालीथिन झिल्ली, डिस्पोजेबल गिलास आदि को कूड़ेदान में ही डालें।
  • नियम और कानून की अवहेलना ना करें।
  • हमेशा अपना व्यवहार सम्भ्रान्त रखें और अनजान लोगों पर एकाएक विश्‍वास न करें।
यदि आप उपरोक्‍त बातों का ध्यान रखेंगे तो आपको निश्‍चिंत होकर अपनी छुट्टियों तथा यात्रा का पूरा-पूरा मजा लेने का मौका अवश्य ही मिलेगा।

यात्रा सुविधा प्रदान करने वाली साइट्सः

Sunday, April 4, 2010

मौन मूर्खता को छिपाता है

मौन रह कर लोगों को सोचने दो कि तुम मूर्ख हो या नहीं, मुँह खोल कर उन्हे समझ जाने का अवसर मत दो कि तुम वास्तव में मूर्ख हो!

(Better to remain silent and be thought a fool, than to open your mouth and remove all doubt.)