Monday, May 4, 2009

एक ऐसा आविष्कार जो इंटरनेट की काया पलट कर रख देगा

एक नया क्रांतिकारी वेब सॉफ्टवेयर इस महीने लांच होने जा रहा है जो कि प्रश्नों को समझ कर उनके उत्तर देने में समर्थ होगा। वेब प्रबंधन के इतिहास में अपने प्रकार का यह पहला सॉफ्टवेयर होगा जो कि गूगल के सर्च इंजिन से होड़ ले सकेगा।

वोल्फरैम अल्फा नामक इस नये सिस्टम का पिछले सप्ताह हार्वर्ड विश्वविद्यालय अमेरिका में प्रदर्शन किया गया। यह सिस्टम इंटरनेट में निहित जानकारियों का वैश्विक संग्रह करेगा और जानकारी से सम्बन्धित प्रश्नों को समझने तथा उनके सामान्य भाषा में उत्तर देने में उसी प्रकार समर्थ होगा जिस प्रकार से कोई व्यक्ति होता है।

यद्यपि यह सिस्टम अभी नया है किन्तु इसने प्रौद्योगिकी विद्वानों और इंटरनेट पर नजर रखने वालों के मध्य असीम उत्तेजना उतपन्न कर दिया है।

कंप्यूटर विशेषज्ञों का मानना है कि यह नई खोज इंजन इंटरनेट के विकास में एक विकासवादी छलांग होगी। एक इंटरनेट और कंप्यूटर विशेषज्ञ नोवा स्पिवैक का कहना है कि वोल्फरैम अल्फा न केवल गूगल के जितना ही महत्वपूर्ण सिद्ध होगा बल्कि एक अलग उद्देश्य को भी पूरा करेगा।

"माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई क्या है?" जैसे प्रश्न का वोल्फरैम अल्फा न केवल सीधा सीधा उत्तर देगा बल्कि माउंट एवरेस्ट से सम्बन्धित समस्त सूचनाओं, जैसे कि उसके आसपास के अन्य पर्वत श्रेणियों, वहाँ बसे बस्तियों आदि, को भी ग्राफ और चार्ट के साथ प्रस्तुत करेगा।

वोल्फरैम अल्फा के ब्रिटिश आविष्कारक डॉ. स्टीफन वोल्फरैम के अनुसार इस आविष्कार की असली योग्यता इसके कार्य करने क्षमता है। यदि आप इस सिस्टम से गोल्डन गेट ब्रिज की लम्बाई की तुलना माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई से करने के लिये कहेंगे तो यह तुलना कर के दिखा देगा। या फिर यदि आप पूछेंगे कि जिस दिन जॉन एफ कैनेडी की हत्या हुई थी उस दिन लंदन का मौसम कैसा था तो यह क्रास चेक करके आपके प्रश्न का सही सही उत्तर देगा। यहाँ तक कि आप इससे ऐसा प्रश्न करेंगे जो कि समझने में अस्पष्ट लगे तो यह अनुमान लगाने का प्रयास करेगा कि आपका वास्तविक प्रश्न क्या हो सकता है।

डॉ. वोल्फरैम अमेरिका में रहने वाले 49 वर्षीय भौतिकशास्त्री हैं जिन्हें कि अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। 20 वर्ष की उम्र में उन्होंने "पार्टिकल फिजिक्स" में PhD कर लिया था। उन्होंने बताया कि इसी माह में यह वोल्फरैम अल्फा को लांच कर दिया जायेगा और यह तो अभी इस प्रोजेक्ट की शुरुवात ही है।

यह सिस्टम इंटरनेट में संग्रहित विभिन्न सार्वजनिक डेटाबेस, जैसे कि विकीपेडिया, के साथ ही साथ अनेकों निजी डेटाबेस की जानकारी के आधार पर कार्य करता है। इसके डेटाबेस के रखरखाव अद्यतन के लिये 1000 कार्यकर्ताओं की आवश्यकता होगी। सूचनाओं को अद्यतन नियमित रूप से किया जायेगा।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस सिस्टम का उपयोग कोई भी कर सकता है और वह भी बिल्कुल मुफ्त!

इंटरनेट का संक्षिप्त इतिहास
  • 1969 इंटरनेट अमेरिकी रक्षा विभाग के द्वारा UCLA के तथा स्टैनफोर्ड अनुसंधान संस्थान कंप्यूटर्स का नेटवर्किंग करके इंटरनेट की संरचना की गई।
  • 1979 ब्रिटिश डाकघर पहला अंतरराष्ट्रीय कंप्यूटर नेटवर्क बना कर नये प्रौद्योगिकी का उपयोग करना आरम्भ किया।
  • 1980 बिल गेट्स का आईबीएम के कंप्यूटर्स पर एक माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम लगाने के लिए सौदा हुआ।
  • 1984 एप्पल ने पहली बार फ़ाइलों और फ़ोल्डरों, ड्रॉप डाउन मेनू, माउस, ग्राफिक्स का प्रयोग आदि से युक्त "आधुनिक सफल कम्प्यूटर" लांच किया।
  • 1989 टिम बेर्नर ली ने इंटरनेट पर संचार को सरल बनाने के लिए ब्राउज़रों, पन्नों और लिंक का उपयोग कर के वर्ल्ड वाइड वेब बनाया।
  • 1996 गूगल ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में एक अनुसंधान परियोजना शुरू किया जो कि दो साल बाद औपचारिक रूप से काम करने लगा।
  • 2009 डॉ। स्टीफन वोल्फरैम ने "वोल्फरैम अल्फा" लांच किया।
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